विवरण प्रविधि (Narration Technique)
विवरण को कथन, शिक्षक स्वकथन भी कहा जाता है। विवरण देने का उद्देश्य छात्रों के मस्तिष्क में उसका मानसिक चित्र बनाना है, जिससे छात्र विषय-वस्तु को पूर्णता के साथ समझ सकें।
सक्सेना के अनुसार, “विवरण देना एक कला है। इस कला में निपुण होने के लिए शिक्षक अपनी कल्पना शक्ति का सहारा लेते हुए किसी वस्तु या घटना का विवरण इतने उत्साह एवं प्रभावशीलता के साथ करता है कि कक्षा के सभी छात्रों को उसका ज्ञान सरलतापूर्वक हो जाता है। दूसरे शब्दों में, विवरण द्वारा छात्रों के मस्तिष्क में वस्तुओं एवं घटनाओं के मानसिक चित्र इतने सजीव ढंग से प्रस्तुत किए जाते हैं कि वे पाठ्य वस्तु को आसानी से समझ जाते हैं।”
प्रस्तावना के पश्चात् पाठ को विकसित करते समय पाठ से सम्बन्धित विभिन्न स्थलों पर विशेष प्रकाश डालने के लिए विवरण प्रविधि का प्रयोग किया जाता है।
कभी- कभी पाठ की प्रस्तावना एवं अन्त को रोचक बनाने के लिए भी अन्य प्रविधियों के साथ इसका प्रयोग किया जाता है। यह प्रविधि विज्ञान एवं गणित विषयों में कम तथा सामाजिक विज्ञान जैसे विषयों में बहुत उपयोगी है। विवरण के द्वारा शिक्षक विद्यार्थियों में ज्ञान की क्षमता का विकास करता है। शिक्षक विद्यार्थियों की रुचियों के अनुसार उनकी सीखने की प्रक्रिया को प्रोत्साहित करता है। विवरण प्रविधि के माध्यम से शिक्षक विद्यार्थियों को किसी अप्रत्यक्ष वस्तु का ज्ञान कराता है। इसके द्वारा वस्तु को सरल, सुगम, स्पष्ट तथा सुबोध बनाकर प्रस्तुत किया जाता है।
प्रत्येक तथ्य का स्पष्टीकरण प्रश्नों के माध्यम से विद्यार्थी को नहीं कराया जा सकता इसीलिए शिक्षक उन्हें विवरण प्रविधि के माध्यम से स्पष्ट करता है। यहाँ पर प्रश्नोत्तर प्रविधि की पूर्ति कथन प्रविधि करती है। विषय-वस्तु का ज्ञान जब प्रश्नोत्तर एवं व्याख्या द्वारा नहीं स्पष्ट हो पाता है तब कथन प्रविधि की सहायता ली जाती है।
विवरण प्रविधि की विशेषताएँ (Characteristics of Narration Technique)
विवरण प्रविधि की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
(1) विवरण प्रविधि में अध्यापक बालकों के समक्ष विवरण प्रस्तुत करता है। अतः इस प्रविधि के माध्यम से दिया गया विवरण छात्रों के मस्तिष्क पर स्थायी प्रभाव डालता है।
(2) इस प्रविधि के प्रयोग से छात्रों को इतना ज्ञान प्राप्त हो जाता है कि उन्हें अलग से विभिन्न पुस्तक पढ़ने की आवश्यकता अनुभव नहीं होती है।
(3) इस प्रविधि में विषय-वस्तु के प्रत्येक पक्ष पर प्रकाश डाल कर उसकी पूर्णरूपेण समीक्षा की जाती है।
(4) इस प्रविधि से छात्रों को पुस्तकों की अपेक्षा कम समय में आवश्यक ज्ञान प्राप्त हो जाता है।
(5) यह प्रविधि छात्रों की तार्किक शक्ति के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देती है। साथ ही छात्रों में जिज्ञासा उत्पन्न करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
(6) प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत किया गया विवरण छात्रों में ध्यानपूर्वक विषय-वस्तु को समझने की क्षमता विकसित करने में सहायक होता है।
विवरण प्रविधि की सीमाएँ (Limitations of Narration Technique)
विवरण प्रविधि की सीमाएँ निम्नलिखित हैं-
(1) यह प्रविधि अध्यापकों को सक्रिय बनाती हैं लेकिन छात्रों को मात्र श्रोता बनाती हैं।
(2) यदि इस प्रविधि की भाषा रोचक, बोधगम्य शुद्ध तथा उपयुक्त नहीं होती है तो इसका महत्व धीरे-धीरे कम होने लगता है।
(3) इस प्रविधि के प्रयोग के लिए विशेष दक्षता विशिष्टीकरण आवश्यक है अन्यथा प्रत्येक शिक्षक विवरण को तार्किम एवं मनोवैज्ञानिक क्रम में प्रस्तुत नहीं कर सकता है।
(4) इस प्रविधि के अत्यधिक प्रयोग से पाठ नीरस होने लगता है।
(5) विवरण की प्रासंगिकता एवं पर्याप्तता के विषय में निर्णय लेना अध्यापकों के लिए कभी-कभी काफी कठिन हो जाता है।
उपयोगी शिक्षण के लिए सुझाव (Suggestions for Meaningful Teaching)
विभिन्न विषयों जैसे- अर्थशास्त्र एवं भूगोल आदि में कथन प्रविधि बहुत ही महत्वपूर्ण एवं लाभकारी है। शिक्षक को कथन प्रविधि का प्रयोग बहुत कुशलता एवं सर्तकता के साथ करना चाहिए। इसका प्रयोग करते समय निम्न बातों का ध्यान रखना अति आवश्यक है-
(1) किया जाने वाला कथन विद्यार्थियों की आयु तथा मानसिक स्तर के अनुसार होना चाहिए। कथन करते समय शिक्षक को उसके अवधान विस्तार का ध्यान रखा जाना चाहिए।
(2) कथन की लम्बाई बहुत अधिक न हो। लम्बाई अधिक होने से विद्यार्थी भ्रमित हो सकते हैं।
(3) कथन की भाषा एवं शैली स्पष्ट, सरल एवं छात्रों के मानसिक स्तर की होनी चाहिए।
(4) कथन प्रविधि के प्रयोग के समय शिक्षक को प्रश्नोत्तर प्रविधि तथा सहायक सामग्री का भी ध्यान रखते हुए उचित स्थानों पर प्रयोग करना चाहिए।
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