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भारत में शिक्षा के अवसरों की विषमताएँ | Disparities of Educational Opportunities in India in Hindi

भारत में शिक्षा के अवसरों की विषमताएँ
भारत में शिक्षा के अवसरों की विषमताएँ

भारत में शिक्षा के अवसरों की विषमताओं को स्पष्ट कीजिए।

भारत में शिक्षा के अवसरों की विषमताएँ (Disparities of Educational Opportunities in India)

(1) ग्रामीण व नगरीय विभिन्नता –

बुद्धि नैतिक न्याय और घनिष्टता की दृष्टि से शिक्षा की व्यवस्था में बहुत अधिक असमानता है यद्यपि जनसंख्या का तीन-चौथाई भाग ग्रामीण क्षेत्रों में रहता है फिर भी उन्हें शिक्षा के लिए बहुत कम संसाधन प्राप्त हो रहे हैं। समृद्ध लोग शहरों में निजी रूप से चलायी जाने वाली अच्छी शिक्षण संस्थाओं का लाभ लेते हैं तथा ये ही व्यावसायिक शिक्षा संख्याओं में अनारक्षित स्थानों के बहुत बड़े हिस्से पर अधिकार कर लेते हैं जबकि ग्रामीण स्कूलों की अपेक्षाकृत दयनीय दशा के कारण ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों को बहुत बड़ी हानि उठानी पड़ती है।

(2) लिंग व जाति पर आधारित विषमता –

इसके अन्तर्गत अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के बच्चे शैक्षिक उपलब्ध के अन्तिम सोपान पर हैं। बलिकाएँ तो घर गृहस्थी के कार्यों में अपनी दत्तचित्तता तथा सामाजिक कुरीतियों की शिकार होती हैं जबकि अनुसूचित जाति व जनजाति के बच्चे अयोग्यताओं जो स्थानों के आरक्षण से दूर नहीं की जा सकती के कारण उन्नति नहीं कर सकते हैं।इनमें से अधिकांशतः पहली पीढ़ी के शिक्षार्थी होने के कारण बाल्यकाल के कुपोषण, सामाजिक अकेलेपन की भावना, कार्य करने की खराब आदतों तथा अपनी बौद्धिक क्षमताओं के प्रति आत्मविश्वास के अभाव के कारण समुचित विकास नहीं कर सकते। वे अपने को सामान्य धारा के छात्रों से सामंजस्य स्थापित करने में कठिनाई अनुभव करते हैं। इन मनोवैज्ञानिक दबावों के प्रभाव को समाप्त करने के लिए तथा उनकी योग्यताएँ में बढ़ोत्तरी करने हेतु व समाज की प्रमुख धारा में उन्हें समन्वित करने के लिए विशेष कार्यक्रम की आवश्यकता है।

(3) डॉ. त्यागी व पाठक के मत के अनुसार –

इनके अनुसार शैक्षिक विषमताओं का उल्लेख निम्न है-

(1) इस देश के विभिन्न भागों में शैक्षिक विकासों में भारी असन्तुलन देखने को मिलता है एक राज्य व दूसरे राज्य के शैक्षिक विकासों में बहुत बड़ा अन्तर मौजूद है और एक जिले तथा दूसरे जिले के विकास में और भी बड़ा अन्तर देखने को मिलता है।

(2) जिन स्थानों पर प्राथमिक, माध्यमिक या कॉलेज की शिक्षा देने वाली संस्थाएँ नहीं हैं वहाँ के बच्चों को वैसा अवसर नहीं मिल पाता जैसा उन बच्चों को मिल पाता है जिनकी बस्तियों में संस्थाएँ उपलब्ध हैं।

(3) शिक्षा के अवसरों की विषमता का एक कारण यह है कि जनसंख्या का बहुत बड़ा भाग गरीब परिवारों के बच्चों को यह अवसर नहीं मिलता जो धनी परिवारों के बच्चों को मिलता है।

(4) घरेलू परिवारों के पर्यावरण के भिन्न-भिन्न होने के कारण भी भारी विषमताएँ उत्पन्न होती हैं। देहात के घर या शहरी गन्दी बस्तियों में रहने वाले और अनपढ़ माता-पिता के साथ रहने वाली उनकी सन्तान को शिक्षा पाने का वह अवसर नहीं मिलता जो उच्चतर शिक्षा पाये हुए माता-पिता के साथ रहने वाली उनकी सन्तान को मिलता है।

(4) भारतीय शिक्षा नीति-

सन् 1986 ई. के खण्ड (vi) के शैक्षिक विषमताओं के निम्नलिखित क्रम में वर्गीकृत किया गया है।
(1) महिलाओं की समानता हेतु शिक्षा। (Education for Women’s Equality)

(2) अनुसूचित जातियों के लिए शिक्षा। (The Education for Scheduled Castes)

(3) अनुसूचित जनजातियों की शिक्षा। (The Education for Scheduled Castes)

(4) शिक्षा की दृष्टि से पिछड़े हुए अन्य वर्ग और क्षेत्र। (Other Educationally Backward Sections and Areas)

अल्पसंख्यक (Minorities), विकलांग (Handicapped), प्रौढ़ शिक्षा (Adult Education), आदि।

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