अनुसूची का अर्थ (Meaning of Schedule)
अनुसूची का अर्थ anusuchi meaning in hindi- अवलोकन अथवा निरीक्षण के विधिक उपकरणों में अनुसूची भी एक प्रमुख उपकरण है। अनुसूची के द्वारा अनुसंधानकर्ता स्वयं क्षेत्र में उपस्थित होकर सामग्री संकलित करता है और यही कारण है कि उसके यथार्थ सामग्री संकलन को अत्यन्त उपयोगी प्रणाली माना जाता है। वास्तव में अनुसूची प्रश्नों की एक लिखित सूची होती है जिसे अनुसंधानकर्ता अपने अध्ययन विषय की प्रकृति एवं उद्देश्य की दृष्टि से तैयार करता है। ताकि उन प्रश्नों का उत्तर सम्बन्धित व्यक्तियों से मालूम करके नियम स्थानों पर भरा जा सके। अनुसूची में प्रश्नों का उत्तर लिखने का उत्तरदायित्व अनुसंधानकर्त्ता का होता है सूचनादाताओं का नहीं। सामाजिक अनुसंधानों में अनुसूची का अत्यधिक महत्व है। अनुसूची प्रश्नावली के समान ही एक संयंत्र है। अनुसूची वह फार्म है। जिसमें प्रश्न तथा खाली सारंणियाँ दी रहती हैं जिन्हें क्षेत्रीय कार्यकर्ता सूचना देने वाले से पूछ कर अथवा व्यक्तिगत अवलोकन करके भरता है।
अनुसूची की परिभाषा (Definition of Schedule)
1. बोगार्डस (Bogardus)- “अनुसूची तथ्यों को प्राप्त करने की एक औपचारिक प्रणाली का प्रतिनिधित्व करती है जो वैषयिक रूप में है व आसानी से प्रत्यक्ष अनुभव योग्य है।
2. गुडे एवं हाट (Goode & Hatt) – “अनुसूची प्रश्नों के समूह के लिए प्रयुक्त होने वाला नाम है और ये प्रश्न एक साक्षात्कारकर्त्ता के द्वारा दूसरे व्यक्ति के आमने-सामने की स्थिति में पूछे व भरे जाते हैं।
3. थोमस कारसन् (Thomas Carson)- “अनुसूची प्रश्नों की एक सूची से अधिक कुछ नहीं है, जिसका उत्तर देना उपकल्पना या अपकल्पनाओं की जाँच के लिए आवश्यक प्रतीत होती है।”
उपरोक्त परिभाषाओं से यह स्पष्ट हो जाता है कि-
“अनुसूची सामग्री संकलन हेतु प्रश्नों की एक व्यवस्थित सूची है जिनके उत्तरों को स्वयं अनुसंधानकर्ता क्षेत्र में जाकर सूचनादाताओं से आमने-सामने से सम्पर्क द्वारा भरता है।”
अनुसूची का उद्देश्य (Objects of Schedule)
1. वैषयिक एवं प्रामाणिक अध्ययन
2. प्रतिनिधि इकाइयों से सूचना की प्राप्ति
3. सूचनाओं के अपूर्ण संकलन से मुक्ति
4. तथ्यों का व्यवस्थित व क्रमबद्ध अध्ययन
5. समस्या से सम्बन्धित सूचना का संकलन
6. निश्चित समय में सूचना का संकलन
अनुसूची के प्रकार (Types of Schedule)
अनुसूची के प्रकार को विभिन्न विद्वानों ने वर्गीकृत किया है, परन्तु अनुसूची के मुख्य प्रकार निम्नवत् हैं-
1. अवलोकन अनुसूची (Obesrvation Schedules)- ये अनुसूचियाँ मुख्य रूप से अवलोकन के ऊपर आधारित है। इस प्रकार की अनुसूचियों में अनुसंधानकर्ता सूचनादाता से अनुसूची के प्रश्नोत्तर नहीं पूछता बल्कि क्षेत्र के निरीक्षण तथा परीक्षण के अनन्तर स्वयं ही प्रश्नों के उत्तर स्थलों की पूर्ति करता है।
2. श्रेणी अनुसूची (Rating Schedules)- इस अनुसूची का उपयोग वहाँ किया जाता है, जहाँ अनुसूची के आधार के मूल्य का निर्धारण अथवा मूल्यांकन करना होता है। इसके द्वारा यह ज्ञात किया जाता है कि किसी घटना विशेष को स्वरूप प्रदान करने वाले कारक कौन-कौन से हैं।
3. संस्था-सर्वेक्षण अनुसूची (Institution Survey Schedule)- यह वह अनुसूची है जिनकी सहायता से किसी संस्था का मूल्यांकन करने का प्रयास किया जाता है। इन सूचियों का प्रयोग किसी समुदाय के स्वास्थ्य या शिक्षा सम्बन्धित विशेषताओं के अध्ययन के लिये किया जाता है।
4. प्रलेख अनुसूची (Document Schedule)- इस प्रकार की अनुसूची का प्रयोग प्रलेख तथा जीवन से सम्बन्धित सामग्री को लिखने के लिए किया जाता है। इस उपलब्ध सामग्री में से खोज-खोजकर प्रश्न निर्मित किये जाते हैं। अतएव इसके लिए यह आवश्यक है कि जीवनवृत्त प्रलेख इत्यादि से सम्बन्धित विवरण अधिकाधिक मात्रा में उपलब्ध किये जायें।
5. साक्षात्कार अनुसची (Interview Schedule) – साक्षात्कार अनुसूची सामाजिक अनुसंधान की वह विधि है जिसका प्रयोग साक्षात्कार द्वारा सूचनाओं की प्राप्ति के लिये किया जाता है।
अनुसूची के निर्माण में किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
अनुसूची के निर्माण में निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए-
अ. अनुसूची के भौतिक पक्ष-
1. अनुसूची का आकार “8 गुणे 11″ से बड़ा नहीं होना चाहिए।
2. अनुसूची हेतु प्रयुक्त कागज चिकना व साफ होना चाहिए।
3. सूचनाएं लिखने के लिए पर्याप्त खाली स्थान छोड़ा जाना चाहिए।
4. हशिया छोड़ा जाना चाहिए।
5. अनुसूची में आग्रज के एक तरफ ही खिलना अच्छा होता हैं।
6. अनुसूची में पदों की संख्या अधिक नहीं होनी चाहिए।
ब. अनुसूची की अन्तर वस्तु- इसके अन्तर्गत दो प्रकार की बातें होती है-
1. उत्तरदाता के बारे में प्रारम्भिक जानकारी।
2. समस्या से सम्बन्धित प्रश्न एवं सारणियाँ।
स. शब्दावली एवं प्रश्न- अनुसूची के निर्माण में उचित शब्दों एवं प्रश्नों का चयन आवश्यक है, क्योंकि इसमें प्रश्नों के द्वारा ही सूचनाओं का संकलन किया जाता हैं। किसी भी प्रश्नावली या अनुसूची में जो प्रश्न पूछे जाते हैं, उन्हें निम्नलिखित भागों में वर्गीकृत किया जा सकता हैं-
1. अनिर्दिष्ट प्रश्न, 2. निर्दिष्ट प्रश्न, 3. दोहरे प्रश्न, 4. निर्देशक प्रश्न, 5. श्रेणीबद्ध 6. अस्पष्ट प्रश्न।
अनुसूची की उपयोगिता या महत्व
अनुसूची की प्रमुख उपयोगितायें निम्नलिखित है-
(1) सामाजिक शोध सम्बन्धी विषय के सम्बन्ध में अर्थात, सूचनाओं को प्राप्त करने की यह महत्वपूर्ण प्रविधि हैं।
(2) इसकी एक अन्य उपयोगिता यह है कि अनुसंधानकर्ता की उपस्थिति के कारण इसमें प्रश्नों का सम्पूर्ण, वास्तविक तथा स्पष्ट उत्तर मिल जाता है।
(3) इस प्रविधि की एक उपयोगिता यह भी है कि इसमें मनोवैज्ञानिक परीक्षण भी हो जाता हैं। प्राय: साक्षात्कार आदि में व्यक्ति संकोच करता हैं परन्तु अनुसूची में ऐसी कोई समस्या नहीं आती हैं।
(4) चूंकि अनुसंधानकर्ता उत्तरदाता के पास उपस्थित रहता हैं अत: अनुसंधानकर्ता के व्यक्तित्व का भरपूर प्रयोग होता हैं, उत्तरदाता आलस्यवश प्रश्नों को टाल नहीं देता हैं।
(5) अनुसूची के माध्यम से अनुसन्धानकर्ता की अवलोकन शक्ति में पर्याप्त वृद्धि हो जाती हैं।
(6) अनुसूची की प्रविधि सीमित व प्रासंगिक तथ्यों का ही संग्रह करती हैं। इस प्रकार अनावश्यक अध्ययन से बचाव हो जाता हैं।
अनुसूची के दोष अथवा सीमाएँ
अनुसूची के प्रमुख दोष अथवा सीमाएँ निम्नलिखित हैं-
1. सीमित क्षेत्र- अनुसूची के द्वारा विस्तृत क्षेत्र का अध्ययन नहीं बल्कि सीमित क्षेत्र काही अध्ययन किया जा सकता हैं। इसका कारण यह है कि अनुसन्धानकर्ता इतने अधिक और प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं का व्यय सहन नहीं कर सकता जो विशाल भौगोलिक क्षेत्र में व्यक्तिगत साक्षात्कार के द्वारा सूचना एकत्रित कर सके।
2. सार्वभौमिक प्रश्नों का अभाव- अनुसूची में सार्वभौमिक प्रश्नों का अभाव पाया जाता हैं। इसमें ऐसे प्रश्नों का निर्माण आसानी से नहीं हो पाता हैं, जो सभी बौद्धिक, शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक स्तर के लोगों के लिए समान रूप से प्रयुक्त होते हैं।
3. सम्पर्क की समस्या- वर्तमान समय में प्रत्येक व्यक्ति के समक्ष अनेकों कार्य होतें हैं। जिनके कारण वह व्यस्त रहता हैं। अतः उससे सम्पर्क करने की समस्या अत्यन्त जटिल होती हैं।
4. अधिक समय एवं धन की आवश्यकता- अनुसूची को भरने के लिए प्रत्येक अध्ययनकर्ता को सूचनादाता से व्यक्तिगत सम्पर्क करना होता हैं, जिसमें अधिक समय बर्बाद होता हैं, इसके अतिरिक्त इनके वेतन व भत्तों आदि पर भी अधिक धन व्यय करना होता हैं।
Important Links
- प्लेटो प्रथम साम्यवादी के रूप में (Plato As the First Communist ),
- प्लेटो की शिक्षा प्रणाली की विशेषताएँ (Features of Plato’s Education System),
- प्लेटो: साम्यवाद का सिद्धान्त, अर्थ, विशेषताएँ, प्रकार तथा उद्देश्य,
- प्लेटो: जीवन परिचय | ( History of Plato) in Hindi
- प्लेटो पर सुकरात का प्रभाव( Influence of Socrates ) in Hindi
- प्लेटो की अवधारणा (Platonic Conception of Justice)- in Hindi
- प्लेटो (Plato): महत्त्वपूर्ण रचनाएँ तथा अध्ययन शैली और पद्धति in Hindi
- प्लेटो: समकालीन परिस्थितियाँ | (Contemporary Situations) in Hindi
- प्लेटो: आदर्श राज्य की विशेषताएँ (Features of Ideal State) in Hindi
- प्लेटो: न्याय का सिद्धान्त ( Theory of Justice )
- प्लेटो के आदर्श राज्य की आलोचना | Criticism of Plato’s ideal state in Hindi
- प्लेटो के अनुसार शिक्षा का अर्थ, उद्देश्य, पाठ्यक्रम, विधियाँ, तथा क्षेत्र में योगदान
- प्रत्यक्ष प्रजातंत्र क्या है? प्रत्यक्ष प्रजातंत्र के साधन, गुण व दोष
- भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताएं
- भारतीय संसद के कार्य (शक्तियाँ अथवा अधिकार)