मातृ शिक्षक संघ के स्वरूप, कार्याविधि व उन्नति के सुझाव MTA in Hindi
मातृ (माता) शिक्षक संघ का स्वरूप (Form of mother teacher association)-मातृ शिक्षक संघ के स्वरूप के अन्तर्गत संघ की सदस्य माताओं में से ही योग्यता एवं क्षमता के अनुसार सर्वसम्मति से दायित्व प्रदान किया जाता है क्योंकि दायित्व प्रदान करने से व्यक्ति की कार्यक्षमता में वृद्धि हो जाती है। इस प्रकार यह एक संघ का स्वरूप प्राप्त कर लेता है, जिसमें प्रत्येक का दायित्व निश्चित हो जाता है।
अध्यक्ष- माता अभिभावकों में से चुना जायेगा।
उपाध्यक्ष – विद्यालय के प्रधानाध्यापक या प्रधानाध्यापक में से होगा।
मन्त्री- शिक्षकों में से चुना जायेगा (यदि विद्यालय में अतिरिक्त शिक्षक हों)
उपमन्त्री- माता अभिभावकों में से चुना जायेगा।
कोषाध्यक्ष – माता अभिभावकों में से चुना जायेगा।
संघ के अन्य सदस्यों को भी उनकी योग्यता के अनुसार दायित्व प्रदान किया जाता है, जिससे वे संघ के प्रति पूर्ण निष्ठा से कार्य करें। संघ के कुल सदस्यों की संख्या पदाधिकारी सहित 20 होती है।
मातृ (माता) शिक्षक संघ की कार्यविधि (Working method of M.TA.)-
माता शिक्षक की बैठक प्रत्येक माह आयोजित की जानी चाहिए। इस बैठक का समय दोपहर बाद का रखा जाना चाहिए, जिससे कि सदस्यों को विद्यालय आने में असुविधा न हो। बैठक का दिन शनिवार या रविवार होना चाहिए, जिससे कि छात्रों की अध्ययन प्रक्रिया बाधित न हो। संघ के प्रत्येक सदस्य को क्रियाशील रखने के लिए बैठकों के आयोजन में उसका दायित्व निश्चित कर देना चाहिए, जिससे कि वह बैठक में आये तथा अपने दायित्व का निर्वाह करे। बैठकों में निम्नलिखित बिन्दुओं पर चर्चा की जानी चाहिए-
1. माता शिक्षक संघ का प्रमुख कार्य बालिकाओं को विद्यालय में नामांकन के लिए प्रोत्साहित करना है, जिससे बालिकाओं की शिक्षा में सुधार सम्भव हो सके।
2. बैठक में प्रत्येक सदस्य को अपने परिवेश की समस्याओं की भी चर्चा करनी चाहिए क्योंकि यह प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से शैक्षिक समस्या के अन्तर्गत ही आती है।
3. विद्यालय की प्रत्येक गतिविधि से संघ के सदस्यों को अवगत कराना चाहिए तथा बालिकाओं के लिए उपलब्ध शैक्षिक सुविधाओं की जानकारी देनी चाहिए, इससे ग्राम की सभी
महिलाएँ लाभान्वित होंगी
4. बालिकाओं के विद्यालय में नामांकन के मार्ग में एवं ठहराव के मार्ग में आने वाली बाधाओं पर विचार करना तथा आवश्यक समाधान प्रस्तुत करना इस संघ का प्रमुख कार्य है।
5. बालिकाओं के शैक्षिक एवं सामाजिक उन्नयन से सम्बन्धित योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए महिलाओं की सहभागिता प्राप्त करनी चाहिए।
6. बालिकाओं से अर्थोपार्जन एवं गृह सम्बन्धी कार्य विद्यालय समय के अन्तर्गत न लेने का सुझाव सदस्यों को दिया जाय, जिसका प्रचार वह अन्य सदस्यों एवं ग्रामीणों में कर सके।
7. बालिकाओं के शारीरिक एवं मानसिक विकास हेतु उनको बालकों के समान सुविधाएँ प्रदान करने के लिए संघ की महिला सदस्य ग्राम की प्रत्येक महिला को प्रोत्साहित करें।
8. बालिकाओं की शिक्षा के प्रति उदासीनता की भावना को समाप्त करने के लिए महिला को प्रोत्साहित करना चाहिए, जिससे किसी भी बालिका को शिक्षा प्राप्त करने में असुविधा न हो।
9. महिला की आवश्यकता एवं उपयोगिता को समाज के प्रत्येक वर्ग को परिचित कराया जाय क्योंकि एक शिक्षित बालिका एक परिवार को शिक्षित करती है।
10. संघ के प्रत्येक सदस्य को नियमित रूप से बैठकों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए, जिससे कि वे प्राप्त नवीन सूचनाओं को समाज तक पहुँचा सकें।
उपरोक्त विवेचन से यह स्पष्ट होता है कि माता शिक्षक संघ के प्रत्येक सदस्य की भूमिका समाज एवं बालिका शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण है। बैठकों में उन महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर ही चर्चा करनी चाहिए, जो हमारे सामाजिक एवं शैक्षिक व्यवहार को परिमार्जित करते हैं। इस संघ का प्रमुख कार्य महिलाओं को उनके सम्मान युक्त जीवन की प्राप्ति एवं शिक्षित समाज की स्थापना करना है। इस संघ को विशेष रूप से महिला शिक्षा की ओर ध्यान देना चाहिए।
मातृ (माता) शिक्षक संघ की उन्नति के लिए सुझाव (Recommendation for progress of M.TA.)-
वर्तमान समय में प्रत्येक विद्यालय में माता शिक्षक संघ अपनी भूमिका का उचित निर्वाह कर रहे हैं। इनकी कार्यदक्षता एवं प्रभावशीलता में वृद्धि के लिए निम्नलिखित उपाय करने चाहिए-
1. संघ की बैठक प्रत्येक माह अनिवार्य रूप से होनी चाहिए तथा विद्यालय की ज्वलन्त समस्या के ऊपर विचार होना चाहिए।
2. संघ में प्रत्येक वर्ग की महिलाओं को स्थान मिलना चाहिए, जिससे शैक्षिक नीतियों का प्रचार एवं प्रसार प्रत्येक परिवार तक हो।
3. उत्साही एवं कर्मठ महिला सदस्यों को प्रशस्ति पत्र प्रदान करना चाहिए, जिससे वे और अधिक सहयोग करें तथा अन्य महिला सदस्य उनसे प्रेरणा प्राप्त करें।
4. महिला सदस्यों की प्रत्येक जिज्ञासा को शान्त करने के लिए अध्यक्ष एवं अन्य पदाधिकारियों द्वारा प्रयास करने चाहिए।
5. संघ की बैठकों में व्यक्तिगत समस्याओं की अपेक्षा सार्वजनिक समस्याओं को अधिक स्थान प्राप्त होना चाहिए।
6. संघ में शैक्षिक समस्याओं के साथ-साथ सामाजिक समस्याओं पर भी विचार होना चाहिए क्योंकि सामाजिक समस्याएँ भी शिक्षा से सम्बन्धित होती हैं।
7. संघ मे प्रत्येक महिला सदस्य को उत्तरदायित्व प्रदान करना चाहिए, जिससे वह अपनी योग्यता एवं दक्षता का प्रदर्शन कर सके।
निष्कर्ष:-
इस प्रकार माता शिक्षक संघ के कुशल संचालन एवं प्रबन्ध के द्वारा उसकी कार्य क्षमता में वृद्धि की जा सकती है। इसकी विद्यालय प्रशासन एवं सरकार को अर्थिक सहायता प्रदान करनी चाहिए क्योंकि संघ के संचालन में धन की आवश्यकता भी होती है।
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