एक विमा वाला चित्र क्या है? (One Dimensional Diagram)
एक विमा वाला चित्र क्या है?- जब पदमाला विच्छिन्न रहती है और केवल एक गुण की तुलना करनी होती है तो एक विमा या एक विस्तार वाले चित्रों की रचना की जाती है। इस प्रकार के चित्रों की लम्बाई में ही पदों के मूल्यों को प्रदर्शित किया जाता है। मोटाई सामान्यतः एक ही होती है और पदों के मूल्यों से उसका सम्बन्ध नहीं होता। एक विमा चित्र निम्न प्रकार के होते हैं:
(क) रेखा चित्र- इन रेखाओं की रचना विभिन्न पदों के मूल्यों के अनुसार होती है। रेखा चित्रों की रचना तब की जाती है जबकि सम्बन्धित पद मूल्यों की संख्या अधिक हो तथा न्यूनतम में अधिकरण मूल्यों का अनुपात कम हो। इनमें लम्बाई द्वारा पदों का तुलनात्मक अध्ययन किया जाता है। इन रेखाओं में मोटाई नहीं होती। दो रेखाओं के बीच समान अन्तर होना चाहिए। ये रेखाएं उदग्र (Vertical) या क्षैतिज (Horizontal) किसी भी प्रकार की हो सकती है।
(ख) दण्ड- चित्र (Bar-Diagram) – आँकड़े प्रस्तुत करने के लिए व्यापारी, अर्थशास्त्री तथा चिकित्साशास्त्र की पत्रिकाएं स्तम्भ चार्टी का अधिकतर उपयोग करती हैं। स्तम्भ या दण्ड चित्र बनाते समय निम्नलिखित तथ्यों का विशेष रूप से ध्यान में रखना चाहिए-
(i) चित्र में प्रत्येक दण्ड की चौड़ाई एक समान होनी चाहिए।
(ii) चित्र में एक स्तम्भ से दूसरे स्तम्भ (दण्ड) के बीच की दूरी एक समान होनी चाहिए।
(iii) दण्ड-चित्र क्षैतिज व ऊर्ध्वाधर (उदग्र) दोनों प्रकार के होते हैं।
दण्ड चित्र निम्न प्रकार के होते हैं-
(1) सरल दण्ड चित्र
ये दो प्रकार के होते हैं-
(क) उदग्र-दण्ड (Vertical Bars) – जब दण्ड सीधे खड़े बनाये जाते हैं तो उदग्र कहलाते हैं। यथा सम्भव यह प्रधान होना चाहिए कि सबसे ऊँचा दण्ड बायीं ओर तथा ऊँचाई के क्रम में अन्य दण्ड बनाते हुए सबसे छोटा दण्ड दायीं ओर बनाना चाहिए। यह क्रम विपरीत भी हो सकता है। परंतु जब समंक समय या किसी अन्य महत्वपूर्ण क्रम में दिये हों तब छोटे या बड़े का विचार किये बिना दण्ड उसी क्रम में बनाया जाना चाहिए।
(ख) क्षैतिज-दण्ड (Horizontal Bars)- जब दण्ड खड़े न बनाकर सीधे लेटी दशा में बनाये जाते हैं तो उन्हें क्षैतिज दण्ड कहते हैं। इसमें माप दण्ड की रेखा ऊपर की ओर ली जाती है। इस प्रकार के दण्ड बनाते समय भी सबसे बड़ा दण्ड ऊपर और उससे छोटा दण्ड नीचे और इसी क्रम में दण्ड बनाते हुए सबसे छोटा दण्ड सबसे नीचे बनाना चाहिए। परन्तु जब समंक समय या किसी अन्य महत्वपूर्ण क्रम में दिये हों तो उसी क्रम में दण्ड बनाये जाने चाहिए।
(2) द्विदिशा दण्ड- चित्र ( Dialateral Bar Diagrams)
दण्ड- चित्र द्वारा दो विपरीत गुण वाले तथ्यों का प्रदर्शन किया जाता है। उदग्र दण्ड आधार रेखा के ऊपर व नीचे को बनाये जाते हैं तथा क्षैतिज दण्ड बनाते समय आधार-रेखा के बायें या दायें को बनाते हैं। प्रत्येक दशा में शून्य रेखा को बीच में मानते हैं। इस प्रकार के दण्ड चित्र में दण्डों को आधार के दोनों और दिखाया जाता है। द्विदिशा दण्ड- चित्र का प्रयोग उस समय करना अतिलाभदायक होता है जब दो विरोधी गुणों वाले तथ्यों को दिखाना हो और उनकी तुलना करनी हो।
(3) बहु-दण्ड-चित्र (Multiple Bar Diagram)
इस चित्र द्वारा तीन गुण से अधिक या एक ही गुण के तीन रूपों या अवस्थाओं से अधिक को प्रदर्शित करने के लिए प्रत्येक गुण या अवस्था के लिए अलग-अलग दण्ड सटे सटे बनाते हैं।
(4) अन्तर्विभक्त दण्ड चित्र (sub-divided Bar Diagram)
जब एक ही राशि कई भागों में विभाजित हो तो कुल राशि तथा उसके विभिन्न भागों को अन्तर्विभक्त दण्डों द्वारा प्रदर्शित कर सकते हैं। ये विभिन्न अंश कुल परिणामों के साथ अपना अनुपात प्रकट करते हैं और एक दूसरे के साथ तुलनीय होते हैं। इनके द्वारा राशियों की तुलना के साथ उनके विभिन्न अंगों की तुलना हो जाती है।
(5) प्रतिशत अन्तर्विभक्त दण्ड- चित्र(Percentage subdivided Bar Diagram)
यहाँ पर पूर्ण मूल्य को सौ (100) मानकर उसके विभिन्न भागों को प्रतिशत में प्रकट करते हैं। प्रत्येक दण्ड की लम्बाई और चौड़ाई बराबर होती है क्योंकि सभी दण्ड 100 के बराबर होते हैं। केवल उनके अन्तर्विभाजन में प्रतिशत की भिन्नता के अनुसार अन्तर होता है। साधारणतया ये चित्र आधार के एक ही और बनाये जाते हैं परन्तु यदि विपरीत सूचनाएं दी हुई हों तो आधार के दोनों ओर भी बनाये जा सकते हैं। इस प्रकार के दण्ड-चित्र का सबसे बड़ा गुण यह है कि समग्र के अंशों को प्रतिशत में व्यकत करने के कारण उनकी तुलना में बड़ी सरलता होती है। इस प्रकार के दण्ड- चित्र का एक बहुत बड़ा दोष भी है और वह यह है कि यहाँ कुल सामग्री की तुलना सम्भव नहीं क्योंकि सब राशियों के बराबर-बराबर लम्बाई और चौड़ाई के दण्ड खींचे जाते हैं।
एक-विमा या एक विस्तार वाले चित्र | एक विमा या एक विस्तार वाले चित्रों के प्रकार
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