शारीरिक अशक्तता वाले व्यक्तियों के आकलन (Assessment Persons with Physical Disabilities)
किसी भी आयु पर शारीरिक अशक्त व्यक्तियों का परीक्षण, परीक्षण के प्रशासन तथा उसके निष्पादन व्याख्या करने के सन्दर्भ में विशेष समस्यायें प्रस्तुत करता है। इस प्रकार के परीक्षण के सुचारु रूप से चलाने की मुख्य विधि है- (i) परीक्षण के माध्यम, समय सीमा और विद्यमान परीक्षण की विषय-सामग्री को परिवर्धित करना, (ii) परीक्षण प्राप्तांकों, व्यक्तिगत इतिहास, साक्षात्कार और दैनिक जीवन का निरीक्षणकर्ता द्वारा उपयुक्त सूचना जैसे अध्यापक आदि सूचना को मिलाकर व्यक्तिगत नैदानिक आंकलन करना। शारीरिक अशक्त व्यक्तियों के लिए विलग मानक स्थापित करना और ऐसे समूहों के लिए विशेष परीक्षण तैयार करने में सबसे बड़ी बाधा इनकी उपलब्ध कम संख्या है। यह सीमा विशेष रूप से बहुआयामी अशक्तता की अवस्था में देखने को मिलती है। एक सर्वोत्तम आकांक्षी परीक्षण श्रृंखला जिसमें मानकीकृत और अमानकीकृत परीक्षणों का प्रयोग किया गया है वह शारीरिक अक्षमताओं के चार वर्गों पर यथा – श्रवण असमर्थता; दृश्य असमर्थता, अधिगम असमर्थता और शारीरिक असमर्थता वाले व्यक्तियों पर प्रयोग किया। मनोमिति विशेषताओं जिनका अध्ययन किया गया उसमें विश्वसनीयता, विभेदी पद, प्रकार्य, कारक संरचना और वैधता से सम्बन्धित सूचकांक सम्बन्धित निष्पादन स्तर, पूर्वकथन, शक्ति, परीक्षण सामग्री, समय और सामंजस्य का अध्ययन भी किया गया। सामान्य रूप से परिणामों से प्रक्रियात्मक अनुकूलन अधिकांश पक्षों पर मानक परीक्षण से तुलनात्मक पाया गया जिसमें प्राप्तांकों के अर्थ भी सम्मिलित हैं पर शैक्षिक निष्पादन का पूर्वकथन असमर्थ व्यक्तियों के साथ उतना सही नहीं है जितना अन्य लोगों के साथ। अमानकीकृत परीक्षणों की अवस्था में समय सापेक्षिक रूप से लचीला था। अतः तुलनात्मक समय से सम्बन्धित इन्द्रियानुभवित आधारित परीक्षण विकसित करना एक मुख्य प्रश्न है।
श्रव्य असमर्थता (Hearing impairments)- श्रव्य असमर्थता वाले बच्चों में सामान्य रूप से भाषा की मन्दता के कारण शाब्दिक परीक्षणों पर ऐसे बच्चे प्रायः वाघाग्रस्त (Handicaped) रहते हैं चाहे यह शाब्दिक सामग्री दृश्य रूप से प्रस्तुत की जाये तब भी। बच्चों में यह असमर्थता जितनी शीघ्र होती है उतनी बाधाग्रस्तता तीव्र होती है। भाग्यवश श्रव्य प्रकार्यों के आंकलन में आधुनिक विकास ने इस हानि का सही-सही आकलन सम्भव कर दिया है। इसके पुनर्स्थापन की प्रक्रिया जीवन के प्रारम्भिक कुछ माह में प्रारम्भ हो जाती है।
बहरे बच्चों का परीक्षण शुरू के निष्पादन परीक्षणों के विकास का मुख्य उद्देश्य था जैसे पीटर पेटरसन निष्पादन मापनी तथा आर्थर निष्पादन मापनी । वेश्लर परीक्षण के विशेष अनुकूलन का प्रयोग प्रायः बहरे बच्चों के परीक्षण में किया जाता है। अधिकांश शाब्दिक परीक्षणों को ऐसे बालकों पर प्रशासित किया जा सकता है यदि मौखिक प्रश्नों को कार्ड पर टाइप कर लिया जाये । निर्देशों को निष्पादन परीक्षणों के देने के लिए भिन्न प्रक्रियाओं को विकसित किया गया है वस्तुतः WISE R निष्पादन परीक्षण का प्रयोग श्रव्य असमर्थता वाले बालकों की बुद्धि मापन के लिए अधिकांशतः प्रयोग किया जाता है। मानकीकृत परीक्षणों की प्रक्रिया में इस प्रकार का अनुकूलन करने पर यह नहीं माना जा सकता कि विश्वसनीयता, वैधता और मानक अपरिवर्तित रहेंगे। सामान्य रूप से अनेक अध्ययनों ने यह इंगित किया है कि निष्पादन मापनियों के पूर्वभाषी और अन्वय वैधता तथा कारक संरचना में श्रव्य असमर्थता तथा समर्थता वाले बालकों में काफी समानता है।
अभी तक उल्लिखित सभी परीक्षणों का मानकीकरण स्वस्थ श्रव्य क्षमता वाले बालकों पर किया गया है। अनेक शोधकर्ताओं ने इंगित किया है कि जब निष्पादन का स्तर श्रव्य समर्थता वालों से तुलनीय हो जैसा कि वैश्लर निष्पादन परीक्षण में है, तो श्रव्य असमर्थता के लिए अलग मानकों की आवश्यकता नहीं होती। साथ ही बहरे बच्चों पर विकसित मानक उनके शैक्षिक विकास से सम्बन्धित अनेक उपयोगी परिस्थितियों में लाभकारी होते हैं। इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए विद्यमान परीक्षणों के विशेष मानक स्थापित किये गये हैं जैसा कि WISC-R निष्पादन मापनी को बहरों के लिए किया गया है।
दृश्य असमर्थतायें (Visul impairments)- बहरे बच्चों की अपेक्षा अंधे बच्चों का परीक्षण बिल्कुल अलग प्रकार की समस्यायें प्रस्तुत करता है। मौखिक परीक्षणों को शीघ्रता से अंधे बच्चों के लिए अनुकूलित किया जा सकता है। जबकि निष्पादन परीक्षणों का प्रयोग इन बच्चों के लिए असम्भवप्रायः है। मौखिक रूप से परीक्षकों द्वारा समस्या प्रस्तुत करने के अतिरिक्त अन्य उपयुक्त परीक्षण तकनीक का प्रयोग भी होता है जैसे टेप रिकॉर्डिंग। कुछ परीक्षण ब्रेल भाषा में भी उपलब्ध हैं। लेकिन इस भाषा के परीक्षणों का आरोपण सीमित है, क्योंकि ब्रेल से पठन गति धीमी होती है और इस भाषा के अंधे ज्ञाताओं की संख्या भी सीमित है। इसी प्रकार परीक्षार्थी की अनुक्रियाओं को ब्रेल भाषा में अंकित किया जा सकता है या की-बोर्ड द्वारा अंकित किया जा सकता है। सत्य-असत्य, बहु-चयन तथा कुछ और चयनित पदों के लिए एन्सर शीट उपलब्ध है जो विशेष रूप से तैयार कराई गई है। बहुत-से व्यक्तिगत रूप से प्रशासित परीक्षणों में मौखिक या हावभाव द्वारा उत्तर प्राप्त किये जा सकते हैं।
अंधों के लिए अनुकूलित प्रारम्भिक बुद्धि परीक्षणों में बिने का परीक्षण है। प्रथम यस बिने परिवर्द्धित परीक्षण 1916 के स्टेनफोर्ड बिने परीक्षण पर आधारित है। 1942 में स्टेनफोर्ड बिने पर आधारित हेयस बिने परीक्षण तैयार किया गया। सबसे आधुनिकतम स्टेनफोर्ड-बिने के L-M प्रारूप का तुलनात्मक परीक्षण पर्किन्स बिने परीक्षण है। इस परीक्षण का मानकीकरण आंशिक अंधों और अंधे बच्चों पर किया गया तथा इनके लिए अलग-अलग फॉर्म उपलब्ध हैं।
वैश्लर परीक्षण का अनुकूल भी अंधों के लिए किया गया। इस परीक्षण में वैश्लर के निष्पादन परीक्षण को नहीं रखा गया। कुछ पद जो अंधों के लिए उपयुक्त नहीं थे उनके स्थान पर नवीन पद सम्मिलित किये गये। सामान्य रूप में आंशिक अंधे और अंधे बच्चों के अध्ययन से यह ज्ञात होता है कि इन बच्चों की यह अवस्था उनके संज्ञानात्मक विकास पर ऋणात्मक प्रभाव डालती है, यह प्रभाव शाब्दिक क्षेत्र में भी होता है क्योंकि उनके विभिन्न प्रकार के अनुभव का विस्तार सीमित होता है। वैश्लर मापनी इन लोगों की कमियों और विशेषताओं के सम्बन्ध में उपयोगी नैदानिक सूचना प्रदान करता है।
बहुत कम ऐसे परीक्षण हैं जो विशेष रूप से अंधे लोगों के लिए तैयार किये गये हैं । कदाचित् इनका सर्वोत्तम उदाहरण ब्लाइन्ड लरनिंग एप्टीट्यूड परीक्षण (BLAT) है। यह व्यक्तिगत प्रशासित परीक्षण है जिसमें अन्य परीक्षणों से पद लिए गये हैं, जैसे- रेविन्स प्रोग्रेसिव मेट्रिसेज तथा अन्य अशाब्दिक पद। इस परीक्षण में अधिगम प्रक्रिया पर बल दिया. गया है, उसके परिणामों पर नहीं। इसकी विश्वसनीयता और वैधता सम्बन्धी सूचना के सम्बन्ध में और शोध वांछित हैं पर तब भी BLAT प्राथमिक कक्षाओं के अंधे बालकों के मूल्यांकन के लिए शाब्दिक परीक्षण के साथ एक उपयोगी परीक्षण है।
गति असमर्थता (Motor Impairments) – यद्यपि ऐसे लोग श्रव्य और दृश्य संवेदनायें ग्रहण करने के योग्य होते हैं, लेकिन विकलांग निर्योग्यता वाले लोगों में गम्भीर गति विकार हो सकते हैं जिनके कारण वे मौखिक या लिखित अनुक्रियायें करने के अयोग्य हो जाते हैं। अतः फ्रेमबोर्ड तथा अन्य निष्पादन सामग्रियों का हस्तचालन इनके लिए कठिन हो जाता है। अपरिचित वातावरण और तीव्र गति से कार्य करना विकलांग असमर्थ लोगों की गति व्यवधान प्रायः बढ़ा देता है। थकान के प्रति इन लोगों की ग्राहयता, छोटे परीक्षण काल को आवश्यक बना देती हैं।
प्रमस्तिष्क अंगघात से पीड़ित लोगों में गम्भीर गति अक्षमतायें पाई जाती हैं। तब भी इन लोगों के सर्वेक्षण में स्टेनफोर्ड बिने जैसे सामान्य बुद्धि परीक्षणों का प्रयोग होता है। इस प्रकार के अध्ययनों में प्रायः गम्भीर रूप से विकलांगों को उपेक्षित कर दिया जाता है। प्रायः बालक की अनुक्रिया क्षमता के अनुसार परीक्षण प्रक्रिया में अनौपचारिक समायोजन कर लिया जाता है परंतु यह दोनों प्रक्रियायें कामचलाऊ होती हैं।
अधिक संतोषप्रद उपागम गम्भीर विकलांग लोगों के लिए भी परीक्षणों का विकास करना है। इस उद्देश्य के लिए अब विशेष रूप से तैयार परीक्षण या उपलब्ध परीक्षणों के अनुकूलन उपलब्ध हैं। यद्यपि इनके मानक और वैधता सम्बन्धी प्रदत्त कम हैं। प्रमस्तिष्क अंगघात से पीड़ितों के लिए Leiter International Performance Scale और Porteius Mazes का अनुकूलन किया गया है। दोनों परीक्षणों के अनुकूलन में परीक्षक परीक्षण सामग्री का हस्तचालन करता है और परीक्षार्थी सिर हिलाकर उत्तर देता है। रेविन्स प्रोग्रेसिव मेट्रिसेज भी इस उद्देश्य के लिए एक उपयोगी यंत्र हैं। क्योंकि इस परीक्षण में समय सीमा नहीं है और इनके उत्तर मौखिक, लिखित या इशारा करके दिये जा सकते हैं, अतः यह विशेष रूप से विकलांग लोगों के लिए उपयुक्त है। मस्तिष्क अंगघात तथा अन्य गति व्यवधान वाले व्यक्तियों के साथ इस परीक्षण का प्रयोग सफल पाया गया है।
एक अन्य परीक्षण जिसमें अनुक्रिया अँगुली के इशारे से दी जा सकती है वह Picture Vocabulary Tests है। यह परीक्षण शब्दावली के प्रयोग का तीव्र माप प्रदान करता है, जो उन लोगों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है जिन्हें बोलने में कठिनाई होती है या जो होते हैं। क्योंकि इनका प्रशासन आसन है और इसे 15 मिनट में पूरा किया जा सकता है, अतः यह तीव्रगामी छँटाई (Screening) के लिए उन स्थितियों में उपयोगी है जिनमें व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण का प्रशासन सम्भव नहीं है।
Peabody Picture Test इन परीक्षणों में एक विशेष परीक्षण है। इसके वर्तमान परिवर्धित प्रारूप (PPVT-R, 1981) में 175 प्लेट्स हैं, पर प्लेट में चार तस्वीरें हैं। परीक्षार्थी को जैसे ही एक प्लेट प्रस्तुत की जाती है, परीक्षक मौखिक रूप से एक शब्द बोलता है, परीक्षार्थी इशारे से या अन्य किसी प्रकार से उस तस्वीर को इंगित करता है जो उस शब्द के अर्थ को इंगित करती है। यद्यपि पूरा परीक्षण पूर्व-विद्यालयी से प्रौढ़ लोगों तक के लिए उपयुक्त है, पर किसी व्यक्ति के लिए उपयुक्त पदों का चयन उसकी सफलता-असफलता खला के आधार पर किया जाता है। मूल प्राप्तांकों को मानक अंक (M = 100 और S.D = 15) शतांशीय अंक तथा स्टेनाईन में परिवर्धित किया जा सकता है। PPVT-R में समय सीमा नहीं है पर इसमें 10 से 20 मिनट लगते हैं। इसके दो समानान्तर प्रारूप उपलब्ध हैं जिनमें भिन्न चित्र और भिन्न उद्दीपक शब्द हैं। PPVT-R का मानकीकरण 22 और 18 वर्ष के 4200 बालकों और 19 से 40 वर्ष के 828 प्रौढ़ों पर किया गया था। परीक्षण की मनोमितिक विशेषतायें संतोषपद हैं।
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