ध्वनि प्रदूषण को रोकने के उपाय (Measures to controlling sound pollution)
ध्वनि प्रदूषण का कुछ न कुछ कुप्रभाव लगभग सभी व्यक्तियों पर पड़ता है। यह जन सामान्य के लिये हानिकारक होता है। अत: इस पर नियन्त्रण पाना आवश्यक है। ध्वनि प्रदूषण नियन्त्रण के कुछ उपाय निम्नलिखित हैं-
(1) वाहनों में तीव्र एवं कर्कश आवाज वाले प्रेशर हॉर्न के प्रयोग पर प्रतिबन्ध लगा देना चाहिये।
(2) सभी प्रकार के वाहनों के शोर को कम करने के लिये साइलेन्सर लगाना कानूनी रूप से अनिवार्य कर देना चाहिये।
(3) वायुपत्तनों तथा कल-कारखानों का स्थापन सघन जनसंख्या वाले क्षेत्रों से दूर किया जाना चाहिये।
(4) मोटरवाहनों में तीव्र एवं बहु ध्वनि वाले हॉर्न बजाने पर प्रतिबन्ध लगा देना चाहिये।
(5) कल-कारखानों में शोर से बचने के लिये क्षीणकारी यन्त्र लगाये जाने चाहिये। कोलाहलपूर्ण कारखानों में श्रमिकों को ईयर प्लग अवश्य ही लगाने चाहिये।
(6) मशीनों में ग्रीस लगाकर उन्हें चिकना रखना चाहिये जिससे उनमें खड़खड़ाहट की आवाज कम हो।
(7) दिन के समय विभिन्न प्रकार के कार्यालयों, सार्वजनिक स्थलों तथा स्कूल कॉलेजों के समीप से गुजरने वाले वाहनों, विशेष रूप से ट्रको पर प्रतिबन्ध लगाया जाना चाहिये।
(8) सार्वजनिक एवं धार्मिक स्थलों पर ध्वनि विस्तारक यन्त्रो के प्रयोग पर प्रतिबन्ध लगाना चाहिये।
(9) बड़े-बड़े नगरों एवं महानगरों में भीड़ से बचने एवं ध्वनि प्रदूषण से मुक्ति पाने हेतु उपमार्गों अर्थात् बहिमार्गों (बाईपास) का निर्माण किया जाना चाहिये।
(10) रेडियो, दूरदर्शन, स्टीरियो आदि विभिन्न मनोरंजन के साधनों को अत्यन्त धीमी आवाज में बजाना चाहिये जिससे घर के व्यक्तियों एवं पड़ोसियों को किसी प्रकार की असुविधा न हो।
(11) जेट विमानों के शोर को कम करने के लिये उनके टर्कों पर शोर अवशोषक का प्रयोग करना चाहिये।
(12) बस स्टेशन, रेलवे स्टेशन, वायुपत्तन आदि स्थलों को सघन भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों से दूर किया जाना चाहिये।
(13) ध्वनि उत्पन्न करने वाले पुराने वाहनों को सड़कों से हटा देना चाहिये तथा नियमित रूप से वाहनों की जाँच करते रहना चाहिये। मशीनों के पुराने पुों को बदलते रहना चाहिये।
(14) शोर उत्पन्न करने वाले धार्मिक, सांस्कृतिक कार्यक्रमों पर अंकुश लगाना चाहिये।
(15) अधिक शोर वाले क्षेत्रों में आम, इमली, नारियल, नीम आदि के वृक्ष लगाने से 30 से 35 dB तक शोर कम हो जाता है।
(16) ध्वनि प्रदूषण को नियन्त्रित करने के लिये जनता को शिक्षित एवं जागरूक करना चाहिये।
(17) विद्यार्थियों के अध्ययनकाल में ध्वनि प्रदूषण के विषय में शिक्षा दी जानी चाहिये।
(18) राष्ट्रीय स्तर पर ध्वनि प्रदूषण नियन्त्रण हेतु प्रयास किये जाने चाहिये।
(19) भवन निर्माण इस प्रकार का होना चाहिये जिससे कमरों में कम ध्वनि प्रदूषण हो।
(20) बड़े-बड़े नगरों एवं महानगरों में ध्वनि नियन्त्रण केन्द्रों की स्थापना की जानी चाहिये। एक स्विस अध्ययन के अनुसार ध्वनि प्रदूषण से बचने के लिये चिकित्सालयों एवं विश्राम गृहों को राष्ट्रीय मार्गों से लगभग 200 मीटर, आवासों को 100 मीटर तथा कार्यालयों को 20 मीटर से अधिक दूरी पर निर्मित किया जाना चाहिये। विभिन्न प्रकार के भवनों के निर्माण के समय इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए ध्वनि प्रदूषण को कम किया जा सकता है।
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