नागरिकता से क्या आशय है?
साधारण बोलचाल की भाषा में देश के निवासी को नागरिक कहते हैं। नागरिकशास्त्र की भाषा में देश के सदस्य को नागरिक तथा देश की सदस्यता को नागरिकता कहते हैं। इस प्रकार नागरिकता वह स्थिति या पद है, जिसके द्वारा मनुष्य को राज्य की ओर से कुछ निश्चित अधिकार प्रदान किये जाते हैं तथा उनके बदले में मनुष्य अपने कर्त्तव्यों का निर्वाह करते हैं।
नागरिकता में निम्नलिखित तथ्य आते हैं- (1) नागरिकता के लिये देश की सदस्यता अनिवार्य है। (2) नागरिक को देश द्वारा सामाजिक और राजनैतिक अधिकार प्राप्त होते हैं। (3) अधिकारों की प्राप्ति के साथ नागरिक कर्त्तव्यों की जानकारी प्राप्त होती है। (4) देश की प्रगति एवं उन्नति के लिये सेवा तथा प्रेम-भाव जागृत होता है।
भारत की नागरिकता प्राप्त करने की प्रमुख शर्तें
संविधान के अनुच्छेद 5 तथा 8 के अनुसार भारतीय संविधान में भारत की नागरिकता को निम्नलिखित प्रकार से विभाजित किया गया है-
भारत के बाहर जन्मे व्यक्तियों की नागरिकता
अनुच्छेद 8 के अनुसार कोई भी व्यक्ति अथवा उसके माता-पिता में से कोई अथवा पितामह या पितामही में से कोई भारत के बाहर किसी देश में रह रहा है तो उसे भारत का नागरिक मान लिया जायेगा बशर्ते वह भारतीय राजनयिक या अधिकारी द्वारा भारतीय नागरिक के रूप में पंजीकृत किया गया हो और भारत के बाहर उसे कोई नागरिकता न प्राप्त हो। अनुच्छेद 9 के अनुसार यदि कोई व्यक्ति स्वेच्छा से विदेशी नागरिकता अर्जित कर लेता है तो भारतीय नागरिकता का दावा नहीं कर सकता और उसकी भारतीय नागरिकता समाप्त हो जायेगी। यह अनुच्छेद उन मामलों में लागू होता है, जिनमें किसी व्यक्ति ने संविधान के लागू होने से पहले स्वेच्छा से विदेशी नागरिकता प्राप्त कर ली है। नागरिकता संशोधन अधिनियम 1992 के अनुसार भारत के बाहर पैदा होने वाले बच्चे को यदि उसकी माँ भारतीय है तो उसे भारत की नागरिकता प्राप्त होगी, जबकि इससे पूर्व केवल तभी नागरिकता प्राप्त होती थी जब पिता भारतीय नागरिक हो।
नागरिकता के सम्बन्ध में भारतीय संविधान अधिनियम 1955 में स्पष्ट है कि निम्नलिखित पाँच प्रकार से भारतीय नागरिकता प्राप्त की जा सकती है-
1. भारत में जन्मा व्यक्ति – प्रत्येक व्यक्ति जो 26 जनवरी 1950 के बाद भारत में पैदा हुआ हो वह भारत का नागरिक है।
2. वंशक्रम द्वारा नागरिकता- नागरिकता अधिनियम 1955 में यह प्रावधान है कि वह व्यक्ति जो 16 जनवरी 1950 को या उसके बाद भारत में पैदा हुआ हो तो वह भारतीय नागरिक होगा यदि उसका पिता उसके जन्म के समय भारत का नागरिक हो ।
3. रजिस्ट्रीकरण द्वारा नागरिकता- रजिस्ट्रेशन द्वारा नागरिकता के लिये आवेदन निम्नलिखित शर्तों के साथ किया जा सकता है- (1) रजिस्ट्रेशन के लिये आवेदन पत्र देने के छ: महीने पहले से भारत में निवास कर रहा हो। (2) वह स्त्री जो भारत के नागरिक की पत्नी हो। (3) वह अवयस्क बच्चे जिनके माता-पिता भारतीय नागरिक हों। (4) वह व्यक्ति जो प्रथम सूची में वर्णित देशों के नागरिक हों।
4. देशीकरण द्वारा नागरिकता- देशीकरण द्वारा नागरिकता केन्द्रीय सरकार द्वारा प्रदान की जाती है लेकिन इसके लिये भी कुछ आवश्यक शर्तें हैं-
(1) ऐसे देश का नागरिक नहीं होना चाहिये जहाँ देशीकरण द्वारा नागरिकता पर प्रतिबन्ध है। (2) विदेशी नागरिकता का परित्याग कर दिया हो और इसकी सूचना केन्द्रीय सरकार को दे दी हो। (3) देशीकरण के लिये आवेदन पत्र देने की तिथि से पहले 12 वर्ष तक भारत में अथवा भारत सरकार की सेवा में रहना आवश्यक है। (4) राज्य निष्ठा की शपथ ले और अच्छे चरित्र का व्यक्ति हो । (5) भारतीय संविधान द्वारा मान्य भाषा का सम्यक् ज्ञान हो।
5. अर्जित भू-भाग के समामेलन द्वारा नागरिकता-संविधान के अनुसार यदि कोई नया भू-भाग भारतीय क्षेत्र में सम्मिलित कर लिया जाता है तो भारत सरकार विज्ञप्ति द्वारा उस क्षेत्र के व्यक्तियों को भारत का नागरिक स्वीकार कर लेती है। प्रवासी भारतीयों एवं विदेशों में बसे भारतीय मूल के लोगों को दोहरी नागरिकता प्रदान करने के लिये दिसम्बर 2003 में नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2003 को संसद के दोनों सदनों में पारित कर दिया। लक्ष्मीमल सिंघवी की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों के आधार पर इस विधेयक को तैयार किया गया था।
नागरिकता की समाप्ति
भारतीय नागरिकता अधिनियम 1955 के अनुसार नागरिकता की समाप्ति तीन प्रकार से की जा सकती है-
(1) परित्याग द्वारा, (2) नागरिकता की समाप्ति पर एवं (3) नागरिकता से वंचित किये जाने पर।
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