भारतीय संविधान की विशेषताएँ- Bhartiya Samvidhan ki visheshta in Hindi
सन् 1947 का भारतीय स्वतन्त्रता अधिनियम पारित होने के पश्चात् स्वतन्त्र भारत के लिये नवीन संविधान का निर्माण करने के लिये एक संविधान सभा की स्थापना की गयी। इस संविधान सभा का पहला अधिवेशन 9 दिसम्बर, सन् 1946 को हुआ। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को संविधान सभा का अध्यक्ष चुना गया। यह अधिवेशन 2 वर्ष 11 महीने तथा 18 दिन तक ही चला। 26 नवम्बर, सन् 1949 को भारत का नया संविधान अंगीकार हुआ और 26 जनवरी, सन् 1950 में संविधान लागू किया गया, जिसके द्वारा भारत में प्रजातन्त्रात्मक एवं गणतन्त्रात्मक सरकार की स्थापना की गयी। भारतीय संविधान की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
1. लोकतन्त्रात्मक संविधान (Democratic constitution)
भारतीय संविधान लोकतन्त्रात्मक सिद्धान्त पर आधारित है। इस प्रकार राज्य की सर्वोच्च सत्ता जनता में निहित है। मार्शल सी. जी. के अनुसार, “लोकतन्त्रात्मक शासन जनता से आरम्भ होता है, जनता के नाम पर चलता है और उसी के नाम पर स्थित रहता है।”
2. सम्पूर्ण प्रभुत्व-सम्पन्न गणतन्त्रात्मक संविधान (Total sovereign enriched demo cratic constitution)
हमारे भारत का संविधान सम्पूर्ण प्रभुत्व-सम्पन्न गणतन्त्रात्मक संविधान है। सम्पूर्ण प्रभुत्व से तात्पर्य यह है कि हमारा राष्ट्रीय राज्य अन्तरिक्ष क्षेत्र में पूर्णरूपेण स्वतन्त्र है। भारत के नागरिक किसी बाह्य सत्ता के अधीन न होकर अपने राष्ट्रीय राज्य के ही अन्तर्गत है। गणतन्त्रात्मक से तात्पर्य यह है कि भारत का शासनाध्यक्ष वंशानुगत न होकर अप्रत्यक्ष निर्वाचन-पद्धति से चुना जायेगा ।
3. अद्भुत संघीय स्वरूप (Union form)
मूलत: हमारे देश का संविधान संघात्मक है परन्तु परिस्थितियों के अनुसार इसको एकात्मक भी बनाया जा सकता है। साधारण परिस्थितियों में भारतीय संविधान संघात्मक ही रहेगा, किन्तु बाह्य आक्रमण या अन्य किसी संकट के समय भारत के राष्ट्रपति द्वारा संकटकालीन घोषणा किये जाने पर सम्पूर्ण देश में या देश के किसी भी भाग में एकात्मक शासन की स्थापना की जा सकेगी।
4. संसदीय प्रणाली (Legislative system)
संसदीय प्रणाली का तात्पर्य यह है कि “मन्त्रिमण्डल लोकसभा के प्रति संयुक्त रूप से उत्तरदायी रहेगा।” इस प्रणाली में राष्ट्रपति प्रमुख होता है। शासन के सभी आदेश राष्ट्रपति के ज्ञान से निकाले जाते हैं लेकिन संसद सर्वोपरि है।
5. धर्म-निरपेक्ष राज्य की स्थापना (Formation of secular state)
भारतीय संविधान द्वारा देश में एक धर्म-निरपेक्ष राज्य की स्थापना की गयी है, जिसके अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को इस बात की पूर्ण स्वतन्त्रता है कि वह किसी भी धर्म को अपनाकर उसके अनुसार आचरण कर सकता है।
6. मूल अधिकारों का समावेश (Inclusion of basic rights)
हमारे संविधान में व्यक्ति के मूल अधिकारों को मान्यता प्रदान की गयी है। मूलाधिकारों से तात्पर्य है- “व्यक्तित्व के विकास के लिये कुछ विशेष सुविधाओं की प्राप्ति।”
7. इकहरी नागरिकता या दोहरी नागरिकता का अभाव (Absence of single or double citizenship)
सिद्धान्तः संघीय सरकार में एक नागरिक को दोहरी नागरिकता प्राप्त होती है। एक संघ की और दूसरी उस राज्य की जिसमें नागरिक निवास करता है परन्तु भारत के संविधान में नागरिक को एक ही नागरिकता प्रदान की गयी है और वह है- भारत संघ की।
8. अस्पृश्यता का अन्त (The end of untouchability)
हमारे संविधान द्वारा अस्पृश्यता “का अन्त कर दिया गया है। अब अस्पृश्य समझे जाने वाले व्यक्तियों को भी सार्वजनिक स्थानों का उपयोग करने का समान अधिकार प्रदान किया गया है। जो नागरिक अस्पृश्यता का आचरण करेंगे वे दण्ड के भागी होंगे।
9. एक राष्ट्रभाषा (One national language)
सम्पूर्ण देश को एकता के सूत्र में बाँधने के लिये संविधान में हिन्दी को राष्ट्रभाषा स्वीकृत किया गया है।
10. स्व-निर्मित संविधान (Self made constitution)
स्व-निर्मित होना हमारे संविधान की सबसे बड़ी विशेषता है। भारतीय जनता के प्रतिनिधियों द्वारा ही इसका निर्माण किया गया है।
11. अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग और विश्व शान्ति का समर्थक (International coopera tion and supporter of world peace)
भारतीय संविधान में यह स्पष्ट मान्यता दी गयी है। कि अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में पारस्परिक सहयोग बढ़ाने का भरसक प्रयत्न किया जाये और विश्व में शान्ति बनाये रखने के लिये शान्ति के तत्त्वों को बढ़ावा दिया जाये।
12. संशोधन की सरल किन्तु पेचीदा व्यवस्था (Simple but complicated process of amendment)
संविधान में परिवर्तन की व्यवस्था सरल किन्तु पेचीदा है। सामान्य विषयों में संशोधन केवल संसद की स्वीकृति से ही हो सकता है, किन्तु जटिल विषयों में संशोधन करने के लिये संसद की स्वीकृति के अतिरिक्त राज्यों के विधान मण्डलों की स्वीकृति की भी आवश्यकता होती है।
13. लिखित संविधान (Written constitution)
2 वर्ष 11 माह 18 दिन में संविधान का आलेख तैयार किया गया। डॉ. जेनिंग्ज ने लिखा है कि “भारतीय संविधान को अमाननीय बनाने। वाली वस्तु यह है कि संविधान के संशोधन की विधि पेचीदा होने के अतिरिक्त यह इतना विस्तृत है और कानून के इतने बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है कि संवैधानिक मान्यता का प्रश्न प्रायः पैदा हो। जायेगा।”
14. विशाल संविधान (A vast constitution)
भारतीय संविधान संसार का सबसे बड़ा संविधान है। इसमें 404 अनुच्छेद 9 अनुसूचियाँ और 25 भाग हैं।
15. समाजवाद की स्थापना (Establishment of socialism)
हमारे संविधान में 42वें संशोधन द्वारा समाजवाद शब्द को संविधान की प्रस्तावना में सम्मिलित कर लिया गया है। इस प्रकार हमारा देश समाजवाद की स्थापना करना चाहता है।
16. पिछड़ी हुई तथा अनूसूचित जातियों के हितों की रक्षा (Special provisions for the welfare of backward and scheduled castes )
संविधान द्वारा पिछड़ी हुई अनुसूचित जातियों की भी उन्नति की ओर ध्यान दिया गया है। इसके लिये भारत की संसद में स्थान सुरक्षित रखा गया है। साथ ही इनको नौकरी एवं सुरक्षा के लिये आरक्षण की सुविधा प्रदान की गयी है।
17. मान्यता प्राप्त भाषाएँ (Approved Indian languages)
भारतीय संविधान में निम्नलिखित भाषाओं को मान्यता प्राप्त है – (1) असमी, (2) बंगाली, (3) गुजराती, (4) मराठी, (5) हिन्दी, (6) कन्नड़, (7) कश्मीरी, (8) मलयालम, (9) उड़िया, (10) पंजाबी, (11) संस्कृत, (12) तमिल, (13) तेलुगू, (14) उर्दू, (15) सिन्धी, (16) मणिपुरी, (17) कांकणी, (18) नेपाली ।
26 जनवरी, सन् 1965 में हिन्दी को राजभाषा का दर्जा दिया गया है तथा साथ-साथ अंग्रेजी का उपयोग भी निरन्तर किया जा सकता है। सन् 1967 में यह भी तय किया गया कि जिन राज्यों में हिन्दी को राजभाषा के रूप में नहीं अपनाया गया, उनके साथ पत्र-व्यवहार में केन्द्र तथा हिन्दी भाषी राज्य अंग्रेजी का प्रयोग करेंगे।
18. नागरिकों के मौलिक अधिकार (Fundamentral rights of citizens)
राज्य, शासन अथवा उसके अधीन कार्य करने वाले अधिकारियों की मनमानी कार्यवाहियों पर रोक के रूप में मौलिक अधिकार हैं। ये अधिकार व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक, नैतिक, सांस्कृतिक एवं सर्वोन्मुखी विकास के लिये प्रदान किये जाते हैं। इन अधिकारों का उपयोग कर नागरिक अपना विकास करता है। भारतीय संविधान द्वारा भारतीय नागरिकों को निम्नलिखित मूल अधि कार प्रदान किये गये हैं-
(1) समानता का अधिकार (Right of equality) – भारतीय संविधान के अनुसार, कानून की दृष्टि में सभी व्यक्ति समान हैं। छोटे-बड़े, अमीर-गरीब, स्त्री एवं पुरुष सभी नागरिकों के लिये एक ही कानून है। धर्म, जाति, लिंग भेद या जन्म स्थान के आधार पर किसी भी नागरिक के साथ राज्य किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं करेगा। कानून की दृष्टि से छूआछूत को एक अपराध घोषित किया गया है।
(2) स्वतन्त्रता का अधिकार (Right of freedom) – भारतीय संविधान के अनुसार प्रत्येक नागरिक को भाषण देने तथा अपने विचार प्रकट करने का अधिकार है।
(3) शोषण से रक्षा का अधिकार (Right of security from exploitation ) – मजदूरों तथा किसानों से बेगार लेना अवैध माना जायेगा। 14 वर्ष से कम अवस्था के बालकों को खानों तथा कारखानों में काम में नहीं लगाया जा सकता।
(4) धार्मिक स्वतन्त्रता का अधिकार (Rihgt of religious freedom ) – प्रत्येक नागरिक को कोई भी धर्म अपनाने या अपने ढंग से ईश्वर की उपासना करने का अधिकार है। राज्य धर्म के मसले पर किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं करेगा।
(5) समान शिक्षा के अवसरों का अधिकार (Right of equal education opportunity)- सरकारी और गैर सरकारी विद्यालयों में किसी भी नागरिक को धर्म, जाति तथा भाषा के आधार पर प्रवेश लेने से रोका नहीं जा सकता।
(6) न्याय का अधिकार (Right of justice) – यदि सरकार या कोई व्यक्ति किसी नागरिक के किसी मूल अधिकार का हनन करता है तो वह न्याय की शरण में जा सकता।
19. नागरिकों के मौलिक कर्त्तव्य (Fundamentral duties of citizens)
केवल मूल अधिकारों की व्याख्या होने से नागरिक अपने अधिकारों के लिये तो जागरूक हो गये परन्तु कर्त्तव्यों के प्रति उदासीन रहे। इस कमी को पूरा करने के लिये सन् 1976 में 42वें संविधान संशोधन द्वारा एक नया भाग 4(क) जोड़कर नागरिकों के 10 मौलिक कर्त्तव्यों का उल्लेख किया गया जो निम्नलिखित प्रकार थे-
(1) संविधान का पालन एवं उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगीत का सम्मान करें।
(2) उन आदर्शों का सम्मान एवं अनुसरण करना जिनसे हमारी स्वतन्त्रता का लड़ाई को प्रोत्साहन मिला।
(3) भारत की सम्प्रभुता एकता और अखण्डता की रक्षा करना।
(4) देश की रक्षा करना और जब आवश्यकता पड़े तो राष्ट्रीय सेवा में भाग लेना।
(5) भारत के सभी लोगों के बीच समरसता और भाईचारे की भावना का निर्माण करना।
(6) हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परम्परा को बनाये रखना।
(7) पर्यावरण का संरक्षण और उसका संवर्धन करना।
(8) वैज्ञानिक दृष्टिकोण और जिज्ञासा का विकास करना।
(9) सार्वजनिक सम्पत्ति को सुरक्षित करना।
(10) व्यक्तिगत एवं सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत् प्रयास करना।
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