सामाजिक विज्ञान शिक्षण में सहायक सामग्री का अर्थ एंव इसकी आवश्यकता एंव महत्व
सहायक सामग्री अनुभव प्रदान करती है, साथ ही शब्द एंव वस्तु में सम्बन्ध स्थापित करती है। यह छात्र के समय में बचत करती है सरल एंव विश्वसनीय सूचना प्रदान करती है, सौन्दर्यात्मक ज्ञान का विकास एंव अभिवृद्धि करती है, मनमोहक मनोरंजन प्रदान करती है । जटिल प्रदतों को सरल दृष्टिकोण प्रदान करती है, कल्पना को उत्तेजित करती है। तथा छात्रों की निरीक्षण शक्ति का विकास करती है।
विनिंग एण्ड विनिंग- “विभिन्न प्रकार की दृश्य युक्तियाँ अमूर्त को मूर्त बनाने में है तथा अध्ययन में रूचि जगाने में प्रयुक्त की जा सकती है, जिसके बिना अध्ययन नीरस तथा अवास्तविक होगा।”
सहायक सामग्री की आवश्यकता (Need of Teaching Aids )
शिक्षण प्रक्रिया में शैक्षिक साधनों की आवश्यकता निम्न कारणो से है-
(1) इनसे कक्षा समय की बचत होती है।
(2) इनसे व्यक्तिगत विभिन्नताओं की सन्तुष्टि होती है।
(3) इसकी सहायता से अमूर्त अवधारणाओं को मूर्त रूप प्रदान किया जा सकता है।
(4) छात्रो के सीखने की गति में भी तीव्र रूप से वृद्धि हो जाती है।
(5) इनकी सहायता से छात्र ज्ञान के सैद्धान्तिक पक्ष से ही नहीं, वरन् व्यावहारिक पक्ष से भी अवगत हो जाते है।
(6) सहायक ज्ञान के माध्यम से उत्तम शिक्षण प्रदान किया जा सकता है।
(7) इनकी सहायता से शैक्षिक क्रियाओं को अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है।
(8) इनकी सहायता से कक्षा में छात्रों के सीखने में एकरूपता आ जाती है।
(9) इनकी सहायता से छात्र रूचिपूर्वक एंव उत्साहपूर्वक सीखते है।
(10) इनसे छात्रों की कल्पना शक्ति का विकास किया जा सकता है।
(11) छात्र सीखी हुई बातों को देर तक स्मरण रख सकते है।
सहायक सामग्री का महत्व
सहायक सामग्री के महत्व का विवेचन निम्नलिखित बिन्दुओं के द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है।
(i) सहायक सामग्री के प्रयोग के द्वारा जटिल व अरूचिकर विषयो को रोचक सरल व स्पष्ट बनाया जा सकता है।
(ii) इनकी सहायता से शिक्षक एक साथ अनेक छात्रों की समस्याओं का समाधान कर सकता है।
(iii) इनकी सहायता से छात्रों के ध्यान को एक बिन्दु पर केन्द्रित किया जा सकता है।
(iv) इनके द्वारा छोटी आयु के बालको के ज्ञान को उन्नत बनाया जा सकता है।
(v) इनके माध्यम से छात्रों की शब्दावली में उन्नति होती है।
(vi) ये छात्रों की जिज्ञासा में वृद्धि करती है, जिससे सीखने मे प्रोत्साहन मिलता है।
(vii) इनके प्रयोग से छात्रों को विभिन्न प्रकार की क्रियाओं को करने के अवसर प्राप्त होते है, इससे वे कठिन बातों को भी सरलतापूर्वक सीख लेते है।
(ix) इनकी सहायता से प्राप्त ज्ञान स्थायी व निश्चित बन जाता है।
(x) इनकी सहायता से छात्र ज्ञान को स्पष्ट रूप में ग्रहण करते है।
(xi) विशेष रूप में मन्द बुद्धि बालको को इनके माध्यम से सीखने में बहुत सहायता मिलती है।
(viii) इसके द्वारा छात्रों में प्रत्यक्ष अनुभव का प्रतिनिधित्व सम्भव होता है।
(xii) इनके प्रयोग से विषय विशेषज्ञों की कमी भी पूरी हो सकती है, जैसे- दूरदर्शन पर सामाजिक अध्ययन व विज्ञान के पाठो का प्रदर्शन आदि।
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