प्रतिभाशाली बालक किसे कहते है ?
सामान्यतः वैसे बालकों को प्रतिभाशाली एवं प्रवीण बालक कहा जाता है। जिनकी बुद्धिलब्धि 120 या इससे ऊपर है। स्पष्टतः इस तरह की परिभाषा में प्रतिभाशाली एवं प्रवीण बालक की पहचान मात्र उसकी बुद्धि के आधार पर की जाती है परन्तु आधुनिक शिक्षा मनोवैज्ञानिकों ने प्रतिभाशाली एवं प्रवीण बालकों को मात्र बुद्धि के रूप में परिभाषित करने की प्रथा को दोषपूर्ण बतलाया है और इसके आधार पर ऐसे बालकों की पहचान सम्भव न होने का दावा प्रस्तुत किया टारेन्स ने प्रतिभाशाली बालक की एक व्यापक परिभाषा इस प्रकार दी है – “वैसे बालक को प्रतिभाशाली एवं प्रवीण कहा जाता है जो मानव व्यवहार के किसी क्षेत्र में ऐसा उत्तम निष्पादन करता है जो समाज के लिए महत्वपूर्ण होता है”।
टारेन्स के उस मत का समर्थन रिली एवं लेविस ने भी किया है। अतः हम कह सकते है कि एक प्रतिभाशाली एवं प्रवीण बालक वह है जो बृद्धि सहित अन्य सामाजिक क्षेत्रों में श्रेष्ठता प्राप्त करने की पर्याप्त क्षमता रखता है।
1. “That child is gifted and talent who shows an excellent performance in any area of human behaviour that is important to society. – Torrance.
प्रतिभाशाली बालकों की विशेषताएं
गालाधर ने कई प्रतिभाशाली बालकों के व्यवहारों का अध्ययन गम्भीरतापूर्वक किया और अपने इस अध्ययन आधार पर उन्होंने ऐसे बालकों की कुछ खास खास विशेषताओं का वर्णन किया है जो निम्नलिखित हैं।
1. अधिकतर प्रतिभाशाली बालकों की घरेलू जिन्दगी तथा सामाजिक, आर्थिक पृष्ठभूमि सामान्य या औसत बालकों से श्रेष्ठ होती है।
2. शारीरिक गठन एवं स्वास्थ्य में प्रतिभाशाली बालक सामान्य या औसत बालक की तुलना में अधिक उन्नत होते हैं।
3. प्रतिभाशाली बालक सामान्य या औसत बालक की तुलना में व्यक्तिगत समस्याओं का समाधान करने में अधिक सक्षम होते हैं तथा औसत बालकों की तुलना में सांवेगिक रूप से स्थिर भी होते हैं।
4. प्रतिभाशाली बालक प्रायः लोकप्रिय एवं सामाजिक रूप से ग्राहा होते हैं।
5. ऐसे बालक सामूहिक रूप से सामान्य क्षमता वाले बालकों की तुलना में उपलब्धि परीक्षण अधिक श्रेष्ठ होते हैं।
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प्रतिभाशाली बालकों का अर्थ व परिभाषा, विशेषताएँ, शारीरिक विशेषता
“सीजो” ने भी प्रतिभाशाली बालक का परीक्षण किया है और उन्होंने इन बालकों को निम्नांकित विशेषताओं को अधिक महत्वपूर्ण बतलाया है-
1. ऐसे बालक अपने विचारों व भावों की अभिव्यक्ति अच्छे ढंग से करते हैं।
2. ऐसे बालक किसी कार्य को तीव्र गति से कर सकते हैं।
3. ऐसे बालक किसी कार्य को अन्तःकरण से अर्थात काफी ईमानदारी से करते है।
4. ऐसे बालक सीखने तथा अन्वेषण करने के लिए प्रेरित रहते हैं।
5. ऐसे बालक को विषय का गहन ज्ञान रहता है।
6. ऐसे बालक दूसरे के भाव एवं अधिकार के प्रति संवेदनशील होते हैं।
7. किसी भी विचार-विमर्श में ऐसे बालक मौलिक एवं उत्तेजनापूर्ण योगदान करते हैं।
8. ऐसे बालक विभिन्न तथ्यों के बीच आसानी से सम्बन्धों का प्रत्यक्षण कर लेते हैं।
9. ऐसे बालक किसी भी विषय को तेजी से सीख लेते हैं।
10. ऐसे बालक अपने जिन्दगी की खुशी एवं दूसरे व्यक्तियों की खुशी को बढ़ाने में भरपूर योगदान देते हैं।
11. दिये गये कार्यों को ऐसे बालक काफी लगन से करते हैं।
12. ऐसे बालक को किसी विषय पाठ को सीखने में कम त्रुटियाँ एवं अभ्यास की जरूरत होती है।
स्पष्ट है कि प्रतिभाशाली बालकों की अपनी कुछ विशेषताएं होती हैं जिनके आधार पर इन्हें आसानी से पहचाना जा सकता है।
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