राजनीति विज्ञान / Political Science

जिला पंचायत की रचना, योग्यता, जिला पंचायत के कार्य

जिला पंचायत की रचना
जिला पंचायत की रचना

राज्य सरकार गजट में अधिसूचना द्वारा प्रत्येक जिले के लिए एक जिला पंचायत स्थापित करेगी। इस जिला पंचायत का नाम जिले के नाम पर होगा तथा प्रत्येक जिला पंचायत एक निगमित निकाय होगी।

जिला पंचायत की रचना

जिला पंचायत एक अध्यक्ष, जो उसका पीठासीन होगा और निम्नलिखित से मिलकर बनेगी।

(क) जिले की समस्त क्षेत्र पंचायतों के प्रमुख।

(ख) निर्वाचित सदस्य- राज्य सरकार अधिसूचना द्वारा किसी जिला पंचायत के क्षेत्र को इतनी संख्या के निर्वाचन क्षेत्रों में तथा इस प्रकार निर्वाचन क्षेत्र एक सदस्यीय निर्वाचन क्षेत्र होगा तथा ये सदस्य प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा चुने जाएंगे।

(ग) लोकसभा के सदस्य और राज्य की विधानसभा के सदस्य, जो उन निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिनमें जिला पंचायत क्षेत्र का कोई भाग समाविष्ट है।

(घ) राज्यसभा और राज्य की विधानपरिषद के वे सदस्य, जो उस जिला पंचायत के क्षेत्र के भीतर निर्वाचकों के रूप में पंजीयत हैं।

उपर्युक्त में से (क), (ग) तथा (घ) में उल्लेख किए गए जिला पंचायत के सदस्यों को अध्ययक्ष या उपाध्यक्ष के निर्वाचन तथा उनके विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव के मामलों को छोड़कर जिला पंचायत की सभी कार्यवाहियों में भाग लेने तथा उसकी बैठकों में मत देने का अधिकार होगा।

जिला पंचायत का सदस्य निर्वाचित होने के लिए योग्यता

ऐसे सभी व्यक्ति, जिनका नाम उस जिला पंचायत के किसी प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र के लिए निर्वाचक नामावली में सम्मिलित है और जो राज्य विधानमण्डल का सदस्य चुने जाने के लिए आयु के अतिरिक्त अन्य सभी योग्यताएं रखता है जिला पंचायत के किसी पद के लिए चुना जा सीमा सकेगा, यदि उसने 21 वर्ष की आयु पूरी कर ली हो।

जिला पंचायत तथा उसके सदस्यों का कार्यकाल 

प्रत्येक जिला पंचायत यदि धारा 232 के अन्तर्गत उसे पहले ही विघटित नहीं कर दिया जाता है, तो अपनी प्रथम बैठक के लिए निश्चित दिनांक से पांच वर्ष की अवधि तक के लिए बनी रहेगी। यदि किसी जिला पंचायत को धारा 232 के अन्तर्गत विघटित कर दिया गया है, तो नई जिला पंचायत के चुनाव, विघटन के दिनांक से 6 मास पूर्व करा लिए जाएंगे। जिला पंचायत के सदस्य, अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का कार्यकाल भी जिला पंचायत के साथ ही समाप्त होगा। इस प्रकार सामान्यतया यह कार्यकाल 5 वर्ष होगा।

मानदेय और भत्ते

जिला पंचायत के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष तथा क्षेत्र पंचायत के प्रमुख और उप-प्रमुख ऐसे मानदेय और ऐसे भत्ते प्राप्त करेंगे, जैसा नियत किया जाए। जिला पंचायत के अन्य सदस्य तथा क्षेत्र पंचायत के अन्य सदस्य ऐसे भत्ते प्राप्त करेंगे, जैसा नियत किया जाए।

जिला पंचायत के कार्य

पंचायत विधि अधिनियम, 1994 में जिला पंचायत के कार्यों का विस्तार के साथ उल्लेख करते हुए उसके 31 कार्य गिनाए गए हैं, जो इस प्रकार है।

1. कृषि– कृषि उत्पादन बढ़ाने के उपाय, गोदामों की स्थापना तथा उनका अनुरक्षण।

2. सरकार द्वारा सौंपे गए भूमि सुधार, भूमि संरक्षण तथा चकबन्दी कार्यक्रमों की योजनों का कार्यान्वयन

3. लघु सिंचाई योजनाओं का निर्माण और अनुरक्षण, जल वितरण का प्रबन्ध और भूमिगत जल का विकास।

4. पशुपालन, पशु चिकित्सा सेवाओं की स्थापना, नस्लों का सुधार, दुग्ध उद्योग, मुर्गीपालन और सुअर पालन का विकास।

5. मत्स्य पालन का विकास तथा मछुआरा कल्याण कार्यक्रमों का क्रियान्वयन ।

6. सामाजिक और फार्म वानिकी, ईंधन वृक्षारोपण, रेशम उत्पादन का विकास और बंजर भूमि का विकास।

7. लघु वन उत्पाद के कार्यक्रमों की उन्नति और क्रियान्वयन ।

8. लघु उद्योग और खाद्य प्रसम्भरण इकाई की उन्नति ।

9. कुटीर एवं ग्रामीण उद्योग में प्रशिक्षण के लिए प्रशिक्षण केन्द्रों की स्थापना एवं अनुरक्षण तथा जिला स्तर पर पंचायत उद्योगों की स्थापना।

10. ग्रामीण आवास- ग्रामीण आवास कार्यक्रमों का विकास, सामुदायिक केन्द्रों और विश्राम-गृहों का निर्माण, ग्राम पंचायतों और क्षेत्र पंचायतों और क्षेत्र पंचायतों द्वारा किए गए ग्रामीण आवास कार्यक्रम का निरीक्षण |

11. पेय जल की व्यवस्था, जल प्रदूषण की रोकथाम तथा नियन्त्रण |

12. ईंधन और चारा कार्यक्रमों का विकास, ग्राम पंचायतों तथा क्षेत्र पंचायतों द्वारा इस प्रसंग में किए गए कार्यक्रमों का निरीक्षण।

13. जिले की ग्रामीण सड़कों, पुलियों, पुलों और जल मार्गों का विकास तथा रक्षा, सड़कों पर और सार्वजनिक स्थानों पर अतिक्रमण हटाने में मदद करना।

14. ग्रामीण विद्युतीकरण में ग्राम पंचायतों तथा क्षेत्र पंचायतों की सहायता करना, ग्रामीण क्षेत्रों में प्रकाश के वितरण में मदद करना।

15. गैर-पारम्परिक ऊर्जा स्रोतों का विकास, ग्राम पंचायतों और क्षेत्र पंचायतों द्वारा इस प्रसंग में अपनाएं गए कार्यक्रमों में सहायता करना।

16. गरीबी उपशमन कार्यक्रमों की योजना तथा उनका पर्यवेक्षण

17. जिले में प्रारम्भिक और माध्यमिक विद्यालयों का निर्माण, प्रारम्भिक और माध्यमिक शिक्षा का सर्वेक्षण और पर्यवेक्षण, जिले में सभी के लिए शिक्षा उपलब्ध कराना।

18. तकनीकी और व्यावसायिक प्रशिक्षण केन्द्रों की स्थापना तथा विकास।

19. प्रौढ़ साक्षरता और अनौपचारिक शिक्षा कार्यक्रमों का नियोजन और कार्यान्वयन

20. पुस्तकालयों और वाचनालयों का निर्माण एवं अनुरक्षण ।

21. सांस्कृतिक क्रियाकलापों का विकास, विशेष अवसरों पर लोक सांस्कृतिक क्रियाकलापों की व्यवस्था ।

22. ग्रामीण बाजारों और मेलों का पर्यवेक्षण तथा इस सम्बन्ध में ग्राम पंचायतों और क्षेत्र पंचायतों द्वारा किए गए कार्यों का पर्यवेक्षण और नियन्त्रण।

23. चिकित्सा और स्वाच्छता- महामारियों की रोकथाम एवं नियन्त्रण में क्षेत्र पंचायतों को वित्तीय एवं अन्य सहायता देना, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों एवं औषधालयों की स्थापना तथा प्रबन्ध, पेय जल की सुविधा उपलब्ध कराना।

24. परिवार कल्याण कार्यक्रमों का क्रियान्वयन एवं पर्यवेक्षण |

25. प्रसूति एवं बाल स्वास्थ्य कार्यक्रमों का क्रियान्वयन ।

26. वृद्धावस्था और विधवा पेन्शन योजना विकलांग और मानसिक रूप से मन्द व्यक्तियों के कल्याण सहित समाज कल्याण कार्यक्रम |

27. अनुसूचित जातियों और जनजातियों की सामाजिक अन्याय और शोषण से रक्षा, छात्रावासों की स्थापना एवं प्रबन्ध, सामाजिक न्याय के लिए योजनाएं तैयार करना तथा उनका क्रियान्वयन ।

28. ग्रामों में उपयोग की वस्तुओं के वितरण की समुचित व्यवस्था ।

29. सामुदायिक आस्तियों का परीक्षण और अनुसरण

30. नियोजन और आंकड़े-आर्थिक विकास के लिए योजना तैयार करना क्षेत्र पंचायतों की योजनाओं का पुनर्विलोकन, समन्वय और एकीकरण खण्ड और ग्राम स्तर पर योजनाओं के निष्पादन को सुनिश्चित करना जिले के भीतर योजना के कार्यान्वयन के सम्बन्ध में समस्त विषयों पर सामग्री और आंकड़े एकत्रित करना ।

31. अकाल और अन्य परिस्थितियों में आवश्यक सहायता की व्यवस्था करना निर्धन-गृहों, अनाथालयों, बाजारों और विश्राम गृहों की स्थापना प्रबन्ध और निरीक्षण |

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