राज्य सरकार गजट में अधिसूचना द्वारा प्रत्येक खण्ड के लिए एक क्षेत्र पंचायत स्थापित करेगी, जिसका, नाम खण्ड के नाम पर होगा।
क्षेत्र पंचायत की रचना
क्षेत्र पंचायत एक प्रमुख और निम्न सदस्यों से मिलकर बनेगी-
(क) खण्ड की सभी ग्राम पंचायतों के प्रधान ।
(ख) निर्वाचित सदस्य- राज्य सरकार अधिसूचना द्वारा किसी खण्ड को इतनी संख्या के निर्वाचन क्षेत्र में इस प्रकार निर्वाचित करेगी, जिससे कि प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र की ज़नसंख्या यथास्भव दो हजार हो तथा प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र एक सदस्यी निर्वाचन क्षेत्र होगा।
(ग) लोकसभा और राज्य की विधानसभा के ऐसे सदस्य, जो उन निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं जिनमें पूर्णतया या अंशतया ये खण्ड समाविष्ट हैं।
(घ) राज्यसभा और राज्य की विधानपरिषद के वे सदस्य, जो खण्ड के भीतर निर्वाचकों के रूप में पंजीयत हैं। उपर्युक्त में से (क) (ग) और (घ) में उल्लेख किए गए क्षेत्र पंचायत के सदस्यों को प्रमुख या उप प्रमुख के चुनाव तथ उनके विरुद्ध अविश्वास के मामलों को छोड़कर क्षेत्र पंचायत की अन्य सभी कार्यवाहियों में भाग लेने और उसकी बैठकों में मत देने का अधिकार होगा।
स्थानों का आरक्षण–प्रत्येक क्षेत्र पंचायत में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए क्षेत्र पंचायत की समस्त जनसंख्या में उनके अनुपात को दृष्टि में रखते हुए स्थान आरक्षित होंगे। इस सम्बन्ध में प्रतिबन्ध यह है कि क्षेत्र पंचायत में पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण कुल निर्वाचित स्थानों की संख्या के 27 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा। ये आरक्षित स्थान क्षेत्र पंचायत में भिन्न-भिन्न प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों को चक्रानुक्रम से ऐसे क्रम में, जैसा नियत किया जाए, आबण्टित किए जा सकेंगे।
अनुसूचित जातियो, जनजातियों तथा अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षित स्थानों की संख्या के कम-से-कम एक तिहाई स्थान इन जातियों और वर्गों की स्त्रियों के लिए आरक्षित रहेंगे।
क्षेत्र पंचायत में निवार्चित स्थानों की कुल संख्या के कम-से-कम तिहाई स्थान, स्त्रियों के लिए आरक्षित स्थान किसी क्षेत्र पंचायत में भिन्न-भिन्न प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों को चक्रानुक्रम से ऐसे क्रम में जैसा नियत किया जाए, आबण्टित किए जा सकेंगे।
क्षेत्र पंचायत के पदाधिकारी प्रमुख और उप-प्रमुख
क्षेत्र पंचायत में निर्वाचित सदस्यों द्वारा अपने में से ही एक प्रमुख, एख ज्येष्ठ उप-प्रमुख तथा एक कनिष्ठ उप-प्रमुख चुने जाएंगे।
राज्य में क्षेत्र पंचायतों के प्रमुखों के पद अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षित रहेंगे। ऐसे आरक्षित प्रमुखों की संख्या का अनुपात ऐसे पदों की कुल संख्या से यथासम्भव वही होगा, जो अनुपात राज्य की कुल जनसंख्या में इन जातियों और वर्गों का है। ये आरक्षित स्थान भिन्न-भिन्न क्षेत्र पंचायतों को चक्रामुक्रम से आवण्टित किए जा सकेंगे। प्रतिबन्ध यह है कि पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण राज्य में प्रमुखों के पदों की कुल संख्या के 27 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा।
अनुसूचित जातियों, जनजातियों तथा अन्य पिछड़े वर्गों के लिए प्रमुख पदों में आरक्षित स्थानों की जो संख्या है, उनमें कम-से-कम एक तिहाई स्थान इन जातियों और वर्गों की महिलाओं के लिए आरक्षित रहेंगे।
समस्त राज्य में प्रमुखों के पदों की कुल संख्या के कम-से-कम एक तिहाई स्थान, महिलाओं के लिए आरक्षित रहेंगे। ऐसे पदों को चक्रानुक्रम से राज्य में भिन्न-भिन्न क्षेत्र पंचायतों के लिए आबण्टित किया जा सकेगा।
क्षेत्र पंचायत का कार्यकाल
क्षेत्र पंचायत का कार्यकाल अपनी प्रथम बैठक के लिए नियत दिनांक से पांच वर्ष की अवधि तक होगा। क्षेत्र पंचायत के गठन के लिए चुनाव (क) पांच वर्ष की अवधि से पूर्व और (ख) पांच वर्ष की अवधि से पूर्व विघटित किए जाने पर विघटन की तिथि से 6 माह की अवधि समाप्त होने से पूर्व करा लिए जाएंगे।
प्रमुख उप-प्रमुख या क्षेत्र पंचायत का कोई निर्वाचित सदस्य अपने हस्ताक्षरित पत्र द्वारा पद त्याग कर सकता है। प्रमुख के द्वारा इस प्रकार का पत्र जिला पंचायत के अध्यक्ष को और अन्य के द्वारा क्षेत्र पंचायत के प्रमुख को सम्बोधित होगा।
क्षेत्र पंचायत के अधिकारी
खण्ड विकास अधिकारी क्षेत्र पंचायत का सबसे मुख्य अधिकारी होता है। इस अधिकारी को शासन द्वारा नियुक्त किया जाता है तथा यह प्रमुख के अधीन रहते हुए अपना कार्य करता है। क्षेत्र पंचायत के समस्त प्रस्तावों को क्रियान्वित करना खण्ड विकास अधिकारी का उत्तरदायित्व होगा है तथा क्षेत्र पंचायत के अन्य अधिकारी खण्ड विकास अधिकारी के अधीन रहते हुए अपना कार्य करते हैं।
क्षेत्र पंचायत के अधिकार और कार्य
उत्तर प्रदेश पंचायत विधि अधिनियम, 1994 में क्षेत्र पंचायत के कार्यों की विस्तृत विवेचना करते हुए उसके 32 कार्य गिनाए गए हैं। क्षेत्र पंचायत का कार्य ग्रामीण क्षेत्रों का सम्पूर्ण विकास है और अध्ययन की सुविधा के लिए क्षेत्र पंचायत के कार्यों का उल्लेख शीर्षकों के अन्तर्गत और अग्र प्रकार से किया जा सकता है।
( 1 ) कृषि, भूमि विकास, भूमि सुधार और लघु सिंचाई- इसके अन्तर्गत क्षेत्र पंचायत कृषि का विकास, कृषि उत्पादन में वृद्धि तथा इस हेतु भूमि विकास और भूमि सुधार के सभी कार्य करेगी। कृषि में नई प्रणालियों के प्रयोग, बीज गोदाम स्थापित करना, चकबन्दी कार्यक्रम के क्रियान्वयन में सरकार और जिला परिषद की सहायता करना इसका दायित्व होगा। *सिंचाई के साधनों का विकास इसका एक प्रमुख कार्य है। इस हेतु क्षेत्र पंचायत के द्वारा पोखरों तालाबों, बांधों और पानी की निकासी के साधनों की मरम्मत, नए बांध बनवाना तथा छोटी छोटी सिंचाई योजनाओं को क्रियान्वित किया जाएगा। क्षेत्र पंचायत बागवानी के विकास तथा सब्जियों, फलों और पुष्पों की खेती के विकास हेतु भी सम्भव प्रयत्न करेगी।
( 2 ) पशुपालन – इसके अन्तर्गत पशु चिकित्सालयों की स्थापना और प्रबन्ध, पशु मेलों की व्यवस्था, पशुओं की नस्ल में सुधार, मुर्गी पालन और मत्स्य पालन, चारे की फसलें उगाना, दुग्ध उद्योगों का विकास तथा पशुओं की लाशों के उपयोग आदि के कार्य किए जाते हैं।
( 3 ) सार्वजनिक निर्माण- क्षेत्र पंचायत सड़क, पुलिया, पुलों, नौका घाट, जल मार्ग तथा संचार के अन्य साधनों की व्यवस्था करेगी। इसके द्वारा क्षेत्र पंचायत की अचल सम्पत्ति के प्रबन्ध का कार्य भी किया जाता है क्षेत्र पंचायत ग्रामीण विद्युतीकरण के लिए प्रयत्न करेगी तथा गैर पारम्परिक ऊर्जा स्त्रोतों के प्रयोग को बढ़ावा देने तथा उन्हें विकसित करने का कार्य किया जाएगा।
पर्यावरण की रक्षा पंचायत का एक प्रमुख दायित्व है। इस हेतु सड़कों और सार्वजनिक भूमि के किनारों पर वृक्षारोपण तथा उनकी रक्षा का कार्य किया जाएगा। क्षेत्र पंचायत ग्रामीण आवास कार्यक्रम में सहयोग देगी तथा उसका कार्यान्वयन करेगी।
( 4 ) कुटीर और ग्राम उद्योग तथा लघु उद्योगों का विकास- क्षेत्र पंचायत कृषि उद्योगों के विकास के लिए सामान्य जानकारी एकत्रित करेगी तथा जनता को देगी। कुटीर और ग्राम उद्योग तथा लघु उद्योगों के विकास हेतु ऋण देगी, निर्मित वस्तुओं के विक्रय हेतु बाजार का सर्वेक्षण करेगी तथा व्यवस्था करेगी। उद्योगों के विकास हेतु क्षेत्र पंचायत तकनीकी प्रशिक्षण की व्यवस्था भी करेगी।
(5) स्वास्थ्य – प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों की स्थापना व प्रबन्ध, परिवार नियोजन, छूत की बीमारियों तथा अन्य कुछ बीमारियों की रोकथाम के लिए टीके की व्यवस्था तथा पीने के लिए शुद्ध जल की व्यवस्था की जाएगी। सफाई और स्वास्थ्य के सम्बन्ध में आवश्यक ज्ञान का प्रचार भी किया जाएगा।
(6) शिक्षा, सामाजिक और सांस्कृतिक कार्य- प्रारम्भिक और माध्यमिक शिक्षा का विकास क्षेत्र पंचायत का एक प्रमुख दायित्व है। इसके साथ ही तकनीकी प्रशिक्षण और व्यावसायिक शिक्षा की उन्नति हेतु प्रयत्न किए जाएंगे तथा प्रौढ़ एवं अनौपचारिक शिक्षा की व्यवस्था को जाएगी। महिला शिक्षा के विकास हेतु विशेष प्रयत्न किए जाना अपेक्षित है।
सांस्कृतिक विकास हेतु पुस्तकालयों और वाचनालयों की स्थापना, ग्रामीण खेलकूद को बढ़ावा, क्षेत्रीय लोक गीतों और नृत्यों के विकास तथा सांस्कृतिक केन्द्रों की स्थापना एवं विकास का कार्य किया जाएगा। क्षेत्र पंचायत स्वास्थ्य, सफाई, कृषि, व्यापार, उद्योग, और पशुओं की नस्ल सुधारने के सम्बन्ध में आवश्यक ज्ञान का प्रचार भी करेगी।
( 7 ) दलित कल्याण कार्य- क्षेत्र पंचायत कमजोर वर्गों और विशेषतया अनुसूचित जातियों तथा जनजातियों के कल्याण हेतु सभी सम्भव प्रयत्न करेगी। सामाजिक न्याय के लिए योजनाएं तैयार की जाएंगी तथा कार्यक्रमों का क्रियान्वयन होगा।
( 8 ) समाज कल्याण कार्य- क्षेत्र पंचायत समाज कल्याण कार्यक्रमों, जिसके अन्तर्गत विकलांगों तथा मानसिक रूप से मन्द व्यक्तियों का कल्याण भी है, में भाग लेगी। इसके साथ ही वृद्धावस्था पेन्शन और विधवा पेन्शन योजनाओं को हाथ में लिया जाएगा। आवश्यक, वस्तुओं के वितरण हेतु सार्वजनिक वितरण प्रणाली को अपनाया जाएगा।
(9) प्राकृतिक आपदाओं में सहायता देना
(10) नियोजन और आंकड़े-पंचायत विधि अधिनियम, 1994 में क्षेत्र पंचायत के इस कार्य को बहुत महत्व दिया गया है। इस प्रसंग में क्षेत्र पंचायत निम्न कार्य करेगी।
(क) आर्थिक विकास के लिए योजनाएं तैयार करना,
(ख) ग्राम पंचायत की योजनाओं का पुनर्विलोकन, समन्वय तथा एकीकरण,
(ग) खण्ड तथा ग्राम विकास योजनाओं के निष्पादन को सुनिश्चित करना,
(घ) योजना के प्रसंग में सफलताओं तथा लक्ष्यों की समयबद्ध समीक्षा,
(ङ) खण्ड योजना के कार्यान्वयन से सम्बन्धित विषयों पर सामग्री एकत्रित करना तथा आंकड़े रखना।
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