समाजवाद का अर्थ (Sociaalism in Hindi)
आधुनिक आर्थिक प्रणाली का एक अन्य प्रमुख प्रकार समाजवाद है। समाजवाद का जन्म पूँजीवाद एवं व्यक्तिगत सम्पत्ति की बुराइयों के विरोध में हुआ। यह श्रमिकों के संगठन पर जोर देता है। समाजवादी व्यक्तिगत सम्पत्ति की बुराइयों के विरोध में हुआ। यह श्रमिकों के संगठन पर जोर देता है। समाजवादी व्यक्तिगत सम्पत्ति के विरोधी हैं और वे उत्पादन के साधनों एवं यातायात के साधनों पर राष्ट्र का स्वामित्व चाहते हैं। प्राचीन एवं मध्यकाल के विचारकों जैसे, प्लेटो, सेंट साइमन, थामस मूर, आदि की रचनाओं में भी समाजवाद के तत्व पाए जाते हैं, किन्तु वर्तमान समय में समाजवाद पर वैज्ञानिक विचार प्रकट करने वालों में काल मार्क्स प्रमुख हैं।
समाजवाद की परिभाषा
विभिन्न विद्वानों ने समाजवाद को इस प्रकार से परिभाषित किया है।
ब्रेडले के अनुसार, ‘समाजवाद वैयक्तिक निजी सम्पत्ति को अस्वीकार करता है और यह मानता है कि राज्य के रूप में संगठित समाज को सम्पूर्ण धन का स्वामी होना चाहिए तथा उसे समस्त श्रम का संचालन एवं समस्त उत्पत्ति का समान वितरण लागू करना चाहिए।’
सेलर्स (Sellers) के अनुसार, ‘समाजवाद एक ऐसी जनतन्त्रात्मक विचारधारा है जिसका उद्देश्य समाज में एक ऐसी आर्थिक व्यवस्था लाना है जो किसी भी समय व्यक्ति को अधिकतम सम्भव न्याय और स्वाधीनता प्रदान कर सके।’
रेम्जे मैकाडाल्ड के अनुसार, ‘साधारण रूप से समाजवाद की अच्छी परिभाषा यह है कि वह समाज की भौतिक एवं आर्थिक शक्तियों के संगठन तथा उन पर मानवीय शक्तियों के नियन्त्रण की व्यवस्था है।’
जयप्रकाश नारायण के अनुसार, ‘समाजवादी समाज एक वर्गहीन तथा मजदूरों का समाज है। इसमें सम्पूर्ण सम्पत्ति राज्य की सम्पत्ति होती है और सबके लाभ के लिए होती है। इसमें मनुष्यों की आय में अधिक विषमता नहीं होती। ऐसे समाज में मानव जीवन तथा उसकी प्रगति योजनाबद्ध रूप में होती और सब लोग सबके हित के लिए जीएगे।’
उपर्युक्त परिभाषाओं से समाजवाद के कुल मूलभूत तत्वों का पता चलता है जिस पर सभी समाजवादी सहमत हैं। वे तत्व हैं
(i) वैयक्तिक सम्पत्ति का अन्त,
(ii) उत्पादन एवं वितरण के साधनों पर समाज का नियन्त्रण
(iii) शोषण का अन्त,
(iv) वर्ग भेद की समाप्ति ।
इनके आधार पर समाजवाद की कुछ प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख किया जा सकता है।
समाजवाद की विशेषताएँ (Characteistics of Socialism)
1. समाजवाद में व्यक्ति एवं वैयक्तिक स्वार्थ की अपेक्षा समाज और सामूहिक हित को अधिक महत्व दिया जाता है।
2. समाजवादी उत्पादन एवं संचार के साधनों पर समाज अथवा राज्य का नियन्त्रण चाहते है।
3. समाजवाद प्रतियोगिता एवं संघर्ष के स्थान पर सहयोग पर अधिक जोर देता है। यह राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग तथा श्रमिकों एवं पूंजीपतियों के पारस्परिक सहयोग पर जोर देता है।
4. समाजवाद में शोषण की समाप्ति पर जोर दिया जाता है।
5. समाजवाद व्यक्तिगत लाभ के स्थान पर सामूहिक लाभ पर जोर देता है।
6. समाजवाद गरीब एवं अमीर के बीच खाई को पाटकर आर्थिक समानता लाना तथा विषमता कम करना चाहता है।
7. समाजवाद देश में धन का न्यायोचित वितरण चाहता है।
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