राजनीति विज्ञान / Political Science

गुट निरपेक्षता क्या है? | Non Aligned Movement in Hindi

गुट निरपेक्षता क्या है?
गुट निरपेक्षता क्या है?

गुट निरपेक्षता (NAM) क्या है या गुटनिरपेक्ष आन्दोलन

गुटनिरपेक्षता, अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति का ऐसा तत्व है जिसकी उत्पत्ति द्वितीय महायुद्ध के पश्चात् तथा युद्धोपरान्त स्वाधीन हो रहे राष्ट्रों ने इसे अपनी विदेश नीति के मूलभूत सिद्धान्त के रूप में अपनाया। यद्यपि अपने उदय के पश्चात् से गुटनिरपेक्ष आन्दोलन सतत् विकसित होता रहा है। तथापि इसके अर्थ पर विद्वानों में मतैक्य नहीं रहा है। पश्चिमी देशों में तटस्थता (Neutrality) या तटस्थवाद शब्द का प्रयोग होता रहा है तथा पश्चिमी विचारक तटस्थवाद की परिधि में ही गुटनिरपेक्षता के अर्थ को समझने की कोशिश करते रहे हैं। पीटर लियान के अनुसार सम्भवतः पश्चिमी देशों को केवल तटस्थता का अनुभव होने के कारण यह भ्रान्ति बनी हुई है। इसीलिए वे तटस्थता को गुटनिरपेक्षता के प्रकार (Variety) के रूप में स्वीकार करते हैं।

जार्ज लिस्का पहला व्यक्ति था जिसने गुटनिरपेक्षता को उसके वैज्ञानिक अर्थ में समझने का प्रयास किया। लिस्का के अनुसार, “किसी विवाद के सन्दर्भ में यह जानते हुए कि कौन सही है और कौन गलत है, किसी का पक्ष न लेना ही तटस्थता है, किन्तु गुटनिरपेक्षता का अभिप्राय सही और गलत में विभेद करते हुए सदैव सही का समर्थन करना है।” लिस्का के बाद एल. डब्ल्यू. मार्टिन तथा स्टर्नर आदि विद्वानों ने भी गुटनिरपेक्षता को तटस्थता से भिन्न एक नवीन अवधारणा के रूप में स्वीकार किया। फिर भी पश्चिमी देश गुटनिरपेक्षता को एक विशेष रूप से स्वीकार करते हैं। इतना ही नहीं गुटनिरपेक्ष देशों के कुछ नेताओं ने स्वयं गुटनिरपेक्षता के अर्थ को विभिन्न रूपों में प्रकट किया है। बर्मा के यू नूँ ने एक बार एक भाषण में कहा था कि, “यह नीति (गुटनिरपेक्षता) शीत युद्ध काल में तटस्थवाद कहलाती है। शायद उसका यह नाम ही सही है।” जार्ज श्वार्जनबर्गर ने निम्नलिखित छः अवधारणाओं पर प्रकाश डालकर गुटनिरपेक्षता को इनसे भिन्न रूप में स्वीकार किया है।

(i) अलगाववाद (Isolationism) – विश्व राजनीति में कम से कम भाग लेने या उनसे बिल्कुल अलग रहने की नीति को अलगाववाद कहा जाता है। इस तरह की नीतियाँ भौगोलिक पर्यावरण अथवा तकनीकी विकास के परिणामस्वरूप निर्धारित की जाती हैं।

(ii) अप्रतिबद्धता (Non-Commitment)- इसका अभिप्राय किन्हीं दो अन्य शक्तियों से समान सम्बन्ध रखते हुए उनमें से किसी एक के साथ पूरी तरह प्रतिबद्ध न होने से है।

(iii) तटस्थता (Neutrality)- तटस्थता एक देश की वह कानूनी एवं राजनीतिक स्थिति है जो किसी युद्ध के दौरान युद्ध में भाग लेने वाले किसी भी पक्ष के साथ संलग्न होने की अनुमति नहीं देती। मध्य युग में उत्पन्न इस अवधारणा के अन्तर्गत यह माना जाता था कि तटस्थ देश एक या दूसरे युद्धप्रिय देश के पक्ष में आंशिक अथवा पूर्ण रूप से कोई कार्य न करें किन्तु आधुनिक अर्थों में तटस्थता से अभिप्राय एक ऐसी सामूहिक व्यवस्था से है जिसकी सहायता से आक्रमणकारी और आक्रान्त के बीच सही भेद स्थापित करके आक्रान्त की रक्षा की जा सके। राष्ट्र संघ और संयुक्त राष्ट्र संघ दोनों ही संगठनों ने ऐसी व्यवस्था स्थापित करने का प्रयत्न किया था।

(iv) तटस्थीकरण (Nautralization ) – यह तटस्थता से भिन्न स्थिति है। जहाँ एक ओर कोई तटस्थ देश अपनी तटस्थता की स्थिति को छोड़ने तथा युयुत्स की स्थिति को मान्यता देने के लिए पूर्णतः स्वतन्त्र होते हैं वहीं तटस्थीकृत देश सदैव के लिए तटस्थ होते हैं जिसे वह कभी नहीं छोड़ सकते। ऐसे देश अपने सन्धि-समझौतों का उल्लंघन किये बिना युद्धोन्मुख नहीं हो सकते।

(v) एकपक्षवाद (Unilateralism) – इसके अन्तर्गत प्रत्येक देश को निरस्त्रीकरण जैसे आदर्शों का पालन करते हुए इस पर कदापि ध्यान नहीं देना चाहिए कि विश्व के अन्य राष्ट्र ऐसा करते हैं अथवा नहीं।

(vi) असंलग्नता (Non-Involvement)- परस्पर विरोधी विचारधाराओं के मध्य हो रहे संघर्षों एवं उनसे उत्पन्न होने वाले खतरों को समझने तथा इस संघर्ष से अलग रहने की नीति को असंलग्नता कहा जाता

श्वार्जनबर्गर ने गुटनिरपेक्षता को उक्त धारणाओं से पृथक् मानते हुए बताया है कि, “गुटनिरपेक्षता मित्र सन्धियों अथवा गुटों से बाहर रहने की नीति है।” उनकी मान्यता है कि प्रथम महायुद्ध के पूर्व अमेरिका द्वारा निर्धारित नीति गुटनिरपेक्षता की ही नति थी। लेकिन कई विचारक श्वाजैनबर्गर के इस विचार से सहमत नहीं हैं। वास्तव में, प्रथम महायुद्ध से पूर्व अमेरिका द्वारा निर्धारित नीति अलगाववाद की नीति थी जिसकी तुलना अधिक से अधिक असंलग्नता से की जा सकती है।

गुटनिरपेक्षता का अर्थ एवं उसकी प्रकृति व स्वरूप के विश्लेषण से निम्नांकित तथ्य स्पष्ट होते हैं-

(1) गुटनिरपेक्षता एक सकारात्मक नीति है जिसका उद्देश्य सभी राष्ट्रों में पारस्परिक सहयोग एवं मैत्रीपूर्ण भावनाओं को विकसित करना है।

(2) यह नीति युद्ध के समय लड़ाई में हिस्सा लेने वाले देश की तरह तटस्थता की नीति (स्विट्जरलैण्ड व आस्ट्रिया की भाँति) नहीं है। नेहरू का निम्नांकित कथन इस संदर्भ में उल्लेखनीय है कि, “जहाँ स्वतन्त्रता के लिये खतरा पैदा होता है, या न्याय पर आँच आती है, या कोई देश दूसरे पर आक्रमण कर देता है वहाँ न तो हम तटस्थ रह सकते हैं और न रहेंगे।”

(3) सभी गुटनिरपेक्ष राष्ट्र अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय भूमिका का निर्वहन करते हैं।

(4) यह अवसरवादी नीति नहीं है।

(5) सभी गुटनिरपेक्ष राष्ट्र प्रत्येक समस्या एवं स्थिति के संदर्ष में उनके गुण-दोषों के आधार पर निष्पक्ष निर्णय लेने का प्रयत्न करते हैं।

(6) गुटनिरपेक्ष राष्ट्रों का मूल ध्येय सभी राष्ट्रों के साथ शान्ति व मैत्रीपूर्ण सम्बन्धों को बढ़ावा देना है भले ही उनके पारस्परिक राजनैतिक व वैचारिक मतभेद क्यों न हो।

(7) गुटनिरपेक्षता शान्ति की नीति है। यह युद्ध की अनिवार्यता में विश्वास न करके यह मानती है कि इस नीति द्वारा युद्ध को रोका जा सकता है।

(8) गुटनिरपेक्षता एक सुनिर्दिष्ट राजनैतिक दर्शन, सिद्धान्त व परम्परा है।

(9) गुटनिरपेक्षता एक नयी प्रकार की विदेश नीति है जिसका मूल उद्देश्य राष्ट्र की स्वतन्त्रता को अक्षुण्ण रखना और यह निश्चित करना है कि शान्ति के समय आर्थिक विकास होता रहे तथा अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति सुरक्षा व सौहार्द स्थापित रहे।

इसे भी पढ़े…

Disclaimer

Disclaimer: Sarkariguider does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: guidersarkari@gmail.com

About the author

Sarkari Guider Team

Leave a Comment