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अल्पकालीन वित्त पूर्ति के साधन या स्रोत | Short Term Sources of Finance in Hindi

अल्पकालीन वित्त पूर्ति के साधन
अल्पकालीन वित्त पूर्ति के साधन

अल्पकालीन वित्त पूर्ति के साधन या स्रोत

अल्पकालीन वित्त पूर्ति के साधन- अल्पकालीन वित्त पूर्ति के निम्नलिखित साधन है-

1. सामान्य व्यापारिक साख

सामान्य व्यापारिक साख के अन्तर्गत प्रतिज्ञा पत्र, विनिमय पत्र, हुण्डी, चालू उधार लेते आदि आते हैं। सामान्य व्यापारिक साख व्यवसाय की ख्याति पर निर्भर करती हैं। अल्पकालीन व्यापारिक साख का प्रयोग कच्चा माल खरीदने के लिए तथा अन्य किसी प्रकार का अल्पकालीन ऋण प्राप्त करने के लिए किया जाता है।

2. वाणिज्यिक बैंकों की साख

भारत में अधिकांश व्यवसायी वाणिज्यिक बैंकों से वित्तीय सहायता लेकर अपनी अल्पकालीन आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं। वाणिज्यिक बैंक की साख के अन्तर्गत अल्पकालीन ऋण, अग्रिम, अधिविकर्ष, नकद, एवं प्राप्य विपत्रों पर कटौती, अग्रिम साख पत्र आदि आते हैं।

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3. जन-निक्षेप-जन

निपेक्ष प्राप्त करने में वे ही औद्योगिक उपक्रम कम्पनियाँ निगम एवं व्यवसाय सफलता प्राप्त कर सकते हैं जो जनता में अच्छी ख्याति प्राप्त किये हुए हैं। जन-निवेश अल्पकालीन एवं मध्यकालीन हो सकते हैं। इनमें ब्याज की दर अधिक होती हैं।

4. संचालकों से ऋण

कम्पनियाँ केन्द्रीय सरकार के द्वारा निर्धारित ब्याज पर अपने संचालकों से ऋण लेकर अपनी अल्पकालीन वित्त की आवश्यकताओं की पूर्ति करती हैं।

5. ह्रास कोष

प्रायः कम्पनियाँ अपनी स्थायी सम्पत्तियों जैसे-भवन, प्लाट एवं मशीनरी, फर्नीचर आदि की पुन: स्थापना के लिए हास कोष बनाती हैं। स्थायी सम्पत्तियों की पुनः स्थापना के समय तक ह्रास का उपयोग अल्पकालीन वित्तीय आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए अतिरिक्त साधनों के रूप में किया जाता है।

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6. करों के लिए प्रावधान

कम्पनियाँ अपने लाभों पर करों की व्यवस्था करने के लिए जो प्रावधान करती हैं उनके भुगतान के समय तथा करों के प्रावधान की राशि का प्रयोग अल्पकालीन वित्त की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए लिया जाता है।

7. ग्राहकों के आदेशों के प्राप्त अग्रिम राशि

ग्राहक कम्पनी से माल क्रय करने के आदेश के साथ-साथ अग्रिम राशि भी कम्पनी को भेज देते हैं। इस प्रकार कम्पनी अपने ग्राहकों के आदेशों के साथ प्राप्त अग्रिम राशि से भी अपनी अल्पकालीन वित्त की आवश्यकताओं की पूर्ति कर लेती है।

8. देशी साहूकार एवं अन्य वित्तीय संस्थाएँ

देशी साहूकार एवं अन्य वित्तीय संस्थाओ के द्वारा भी थोड़े समय के लिए कम्पनी को रूपया उधार दिया जाता है। इनकी ब्याज दर अधिक होती है।

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9. उपार्जित व्यय

कुछ उपार्जित व्ययों का भुगतान कुछ समय के लिए रोक लिया जाता है जिससे अल्पकालीन वित्त की आवश्यकता की पूर्ति की जाती है।

10. कर्मचारियों की प्रतिभूतियाँ

कभी-कभी कम्पनियाँ अपने कर्मचारियों से प्रतिभूतियों की राशि प्राप्त करके भी अपनी अल्पकालीन वित्त की आवश्यकताओं की पूर्ति कर लेती हैं।

11. अर्जित लाभों का पुनर्विनियोग

प्राय: अधिकांश कम्पनियाँ अपने समस्त लाभों को लाभांश के रूप में वितरित नहीं करती, अपितु लाभों का एक समुचित भाग भविष्य के लिए संचित करके अपने पास रख लेती हैं और उसे व्यावसायिक कार्यों में प्रयोग करती हैं।

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12. सरकार की वित्तीय सहायता

कभी-कभी सरकार भी कुछ समय के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती हैं, जैसे-अनुदान करों में छूट आदि ।

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