हिन्दी / Hindi

टिप्पणी का अर्थ एंव इसकी परिभाषा | Meaning and definition of comment in Hindi

टिप्पणी का अर्थ एंव इसकी परिभाषा
टिप्पणी का अर्थ एंव इसकी परिभाषा

अनुक्रम (Contents)

टिप्पणी का अर्थ एंव इसकी परिभाषा

सरकारी कार्यालयों में टिप्पणी का विशेष महत्व होता है। किसी भी फाइल पर सम्बन्धित अधिकारी अपनी टिप्पणी लिखकर आगे बढ़ाता है। उसमें सम्बन्धित विषय के हर पहलू पर सविस्तार स्पष्टीकरण होता है। टिप्पणियों के माध्यम से अधिकारी उस विषय पर अन्तिम निर्णय लेता है। इस अन्तिम निर्णय के आधार पर प्रारूप तैयार किया जाता है और उसे अधिकारी की स्वीकृति के लिए भेजा जाता है।

टिप्पणी का व्युत्पत्तिपरक अर्थ ‘टिप्पणी’ शब्द संस्कृत भाषा के टिप्’ धातु से मिलकर बना है जिसे हम तीन अर्थों में समझ सकते हैं-

  1. टिप् (धातु)+ क्विप् (प्रत्यय)
  2. टिप् (धातु)+ पन् + अच् + ङीप् (प्रत्यय)
  3. टिप् (धातु)+ करणे ल्युट्

अर्थात-

  1. किसी प्रसंग का विस्तार से अर्थ सूचित करने वाला विवरण।
  2. टीका/भाष्य/व्याख्या।
  3. भाष्य पर लिखी गयी व्याख्या।

टिप्पणी की परिभाषा- किसी कार्यालय में आये हुए विचाराधीन पत्रों को निरस्त्रीकरण को आसान बनाने के लिए जो विवरण अंकित किया जाता है उसे टिप्पणी कहते हैं। इसमें पूर्व पत्रों का संक्षिप्त संकेत, प्रश्नों का विवरण तथा उस पर हुई कार्यवाही का उल्लेख भी किया जाता है। इसके साथ ही टिप्पणी लेखक निर्णय लेने में सहायक सिद्ध होने वाले सुझावों को भी संकेतिक करता है। पारिभाषिक रूप में टिप्पणी इस प्रकार होती है- “किसी कार्यालय में आये हुए विचाराधीन पत्र के निस्तारण के लिए जो अभ्युक्तियाँ या आख्यायें लिखी जाती हैं उन्हें टिप्पणी कहते हैं।

यहाँ कुछ परिभाषायें दी जा रही हैं जिसमें टिप्पणी की स्वरूपगत विशेषताए स्पष्ट हो जायेंगी-

1. “टिप्पणी का उद्देश्य उन बातों को, जिन पर निर्णय करना होता है, स्पष्ट रूप से तथा तानुसार प्रस्तुत करना है। साथ ही उन बातों की ओर संकेत करना है जिनके आधार पर उक्त निर्णय लिया जा सके।” -हिन्दी निर्देशिका (उत्तर प्रदेश सरकार)

2. “कार्यालय में आये किसी विचाराधीन पत्र के निस्तारण को सुगम और सरल बनाने के लिए सहायक अथवा पदाधिकारियों द्वारा पूर्व सन्दर्भ, वर्तमान तथ्य तथा कार्यवाही के सहित जो अभ्युक्तियाँ (Remarks) या आख्यायें लिखी जाती हैं, उन्हें टिप्पणी कहते हैं।” -डॉ. ईश्वर दत्त ‘शील’ (व्यावहारिक हिन्दी)

3. “टिप्पणियाँ वे बातें हैं जो विचाराधीन कागजों के बारे में इसलिए लिखी जाती हैं कि मामले को निपटाने में सुविधा हो।” -कार्यालय पद्धति (भारत सरकार)

इस प्रकार अंग्रेजी में ‘टिप्पणी’ का अर्थ ‘Notice’ है। यह लैटिन से विकसित शब्द है जिसका अर्थ है- Critical remark, marks, sign, written character

राजभाषा के सन्दर्भ में टिप्पणी का अर्थ होता है- स्मरण रखने के लिए कोई बात टीपने या संक्षिप्त प्रारूप में लिख रखने की क्रिया। इसका एक अलहदा अर्थ होता है किसी सम्बन्ध में प्रकट किया जाने वाला संक्षिप्त विचार । टिप्पणी के पर्याय के रूप में टीका, विवृति और व्याख्या शब्द तो चलते ही हैं, आख्या, अभ्युक्ति और विवरण शब्द भी व्यवहत होते हैं। कहीं-कहीं सूचना तथा आलोचना, शब्द भी प्रयोग किये जाते हैं। अंग्रेजी के Nothing, Note. Comment, तथा Remark शब्द अलग-अलग अर्थ देते हुए भी बहुधा टिप्पणी का ही नाम दे देते हैं। अब आइए, टिप्पणी की कुछ प्रमुख परिभाषाओं को देखा जाये-

डॉ कैलाश चन्द्र भाटिया के अनुसार, “शास्त्रीय रूप में टिप्पणी से आशय किसी पत्र/ प्रकरण के निपटान को सुविधाजनक और सुकर बनाने के उद्देश्य से उस पर की गई लिकत से होता है।

डॉ ईश्वर दत्त शील लिखते हैं कि “कार्यालय में आये हुए किसी विचाराधीन पत्र के निस्तारण को सुगम और सरल बनाने के लिए सहायक अथवा अधिकारियों द्वारा पूर्व सन्दर्भ वर्तमान तथ्य तथा कार्यवाही के सुझाव सहित जो अभियुक्तियाँ या आख्याएँ लिखी जाती हैं, उन्हें टिप्पणी कहते हैं।

केन्द्रीय सचिवालय के विधिक नियमावली के “Notes are written remarks recorded on a paper under consideration to facilitate its disposal.” अर्थात टिप्पणी में अभियुक्तियाँ, संस्तुतियाँ हैं, जो किसी विभागाधीन कागज के सम्बन्ध में लिखी जाती हैं, जिससे उनके निस्तारण में सरलता हो सके।

डॉ महेन्द्र चतुर्वेदी के अनुसार, “हर चरण में लिखकर जो सुझाव, संकेत, निर्देश आदि दिये जाते हैं अथवा जो तथ्य सूचनाएँ रखी जाती हैं, उन्हें टिप्पणी कहते हैं।”

डॉ ओम प्रकाश के अनुसार, “किसी भी पत्र को निपटाने के लिए उस पर लिपिक से लेकर सचिव तक जो संक्षिप्त या विस्तृत मंतव्य लिखा जाता है, उसे ‘टिप्पणी’ कहा जाता है।”

उत्तर प्रदेश सरकार की हिन्दी निर्देशिका में टिप्पणी पर प्रकाश डालते हुए लिखा गया है कि “टिप्पणी का उद्देश्य उन बातों को, जिन पर निर्णय करना होता है, स्पष्ट रूप से तर्क के अनुसार प्रस्तुत करना है, साथ ही वह उन बातों की ओर भी संकेत करता है, जिनके आधार पर उसका निर्णय संभवत: लिया जा सकता है।”

बिहार सरकार की हिन्दी प्रशिक्षण पुस्तिका में टिप्पणी के विषय में लिखा गया है कि, “पत्र के सार को बतलाते हुए उसके निर्णय के लिए अपना सुझाव देना ही टिप्पणी है।”

कुल मिलाकर टिप्पणी वह अभ्युक्ति होती है, जो विचाराधीन पत्रों को निपटाने के लिए अनुसार,  लिखी जाती है, या किसी विचाराधीन पत्र के निस्तारण के लिए लिखी गई अभ्युक्ति को टिप्पणी कहते हैं। टिप्पणी का एक स्वरूप यह भी हो सकता है कि, “टिप्पणी वह लेखन प्रक्रिया है, जो किसी सरकारी कार्यालय में आये हुए पत्र के निस्तारण के लिए लिपिक अथवा सहायक अधिकारी द्वारा लिखी जाती है।” दरअसल, टिप्पणी का चलन कार्यालयीय कार्यों को सरल बनाने , उनका यथाशीघ्र विस्तारण के लिए ही हुआ। ये टिप्पणियां विचाराधीन पत्र पर लिखित मंतव्य के रूप में होती हैं। इस तरह हम देखते हैं कि संक्षेप में मुख्य बातों का उल्लेख करना ही टिप्पणी है। इनका प्रयोग सुझाव, विवरण और विचारों की सूक्ष्म भाषा में अभिव्यक्ति के लिए किया जाता है।

‘टिप्पणी का क्षेत्र’ से आशय है-टिप्पणी के प्रयोग क्षेत्र से अर्थात टिप्पणी का प्रयोग कहाँ-कहाँ होता है। दरअसल, टिप्पणी का प्रयोग अधिकांशतया सरकारी कार्यालयों में ही होता है। सरकारी कार्यालयों में जिन कामों को सम्पादित करने में महीनों लग जाते हैं, टिप्पणी के द्वारा उन्हें कुछ ही दिनों में कर लिया जाता है। अर्द्ध सरकारी और व्यापारिक संस्थाओं के कार्यालयों में भी टिप्पणी का प्रयोग होता है, लेकिन बराए-नाम, खासकर व्यापारिक कार्यालय तो टिप्पणी प्रयोग शून्य होते हैं। लोक सेवा आयोग, सचिवालय आदि के कार्यालयों में टिप्पणी का बहुधा प्रयोग होता है। यहाँ टिप्पणी के अन्तर्गत पहले प्राप्त किये गये पत्र अथवा पत्रों का सारांश निर्णय के लिए तैयार किये गये प्रश्नों के विवरण तथा सुझावों को रखा जाता है। सभी प्रकार की टिप्पणियाँ सम्बन्धित कर्मचारी या अधिकारियों द्वारा विचाराधीन मामले के कागज पर लिखी जाती हैं। सामान्य श्रेणी में आने वाली टिप्पणी वरिष्ठ लिपिक अथवा सहायक (Assistant) के स्तर से आरम्भ होती है, किन्तु अत्यधिक महत्व, गोपनीय एवं न्यायालयी प्रक्रिया से सम्बन्धित टिप्पणियाँ अनुभाग अधिकारी अथवा अपर सचिव के स्तर से ही आरम्भ होती है। मंत्री, प्रध पानमंत्री अथवा देश के शासनाध्यक्षों द्वारा लिखी गई टिप्पणियों को ‘मिनट’ (Minute) भी कहा जाता है। टिप्पणी के प्रयोग क्षेत्र की ओर इशारा करते हुए डॉ. कैलाश भाटिया कहते हैं कि केन्द्रीय सरकार का पत्र व्यवहार व्यक्ति से हो या संस्था/संस्थान/निकाय/निगम से, सरकार के स्वामित्व/ नियंत्रण या स्वामित्व और नियंत्रण के अधीन संस्था से हो या स्वायत्तशासी संस्था से सम्बद्ध और अधीनस्थ कार्यालयों से या केन्द्रीय मंत्रालय/विभाग/कार्यालय से भारत के महान्यायवादी से हो या भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक से, निर्वाचन आयोग से हो या रिजर्व बैंक से, संघ लोक सेवा आयोग से हो या संघ शासित क्षेत्रों के प्रशासकों से, राज्य सरकारों से हो या लोकसभा-राज्यसभा से, (सचिवालयों से) संसद सदस्यों से हो या मंत्रियों से विदेशी सरकारों से हो या अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों से टिप्पण और आलेखन की वैसाखियों के सहारे होता है।

Important Links

Disclaimer

Disclaimer: Sarkariguider does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: guidersarkari@gmail.com

About the author

Sarkari Guider Team

Leave a Comment