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राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान | राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान की आवश्यकता

राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान | राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान की आवश्यकता
राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान | राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान की आवश्यकता

राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (Rashtriya Madhyamik Shiksha Abhiyan)

सर्वशिक्षा अभियान से माध्यमिक विद्यालयों में प्रवेश संख्या बढ़ी है और विद्यालय में ठहराव में सफलता मिली है। इसी प्रगति क्रम को आगे बढ़ाने के लिए NUEPA में 2006 में योजना पर विचार किया गया। योजना को कार्यान्वित करने के लिए समय-समय पर रूपरेखा तैयार की गई। दिनांक 11-2009 को प्रोजेक्ट बोर्ड ने सर्वशिक्षा अभियान को स्वीकृति प्रदान कर दी गई। जिसमें सर्वशिक्ष अभियान में उच्चतर माध्यमिक शिक्षा को सम्मिलित किया गया, जिसे राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के नाम से जाना गया है। इसमें 14 से 18 आयु वर्ग तक के बालकों की शिक्षा को इस वर्ग में सम्मिलित किया गया।

राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान की आवश्यकता (Need of Rashtriya Madhyamik Siksha Abhiyan)

सर्वशिक्षा अभियान के दूसरे चरण की निम्नलिखित आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए आरंभ किया गया –

(1) अब तक शतप्रतिशत बच्चों ने प्रवेश नहीं लिया, उनके कारणों व समस्याओं को दूर करके उन्हें अनिवार्य रूप से प्रवेश दिलवाना और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा तक पढ़ने के लिए प्रेरित करना।

(2) कुछ विद्यार्थी माध्यमिक शिक्षा पूर्ण होने से पूर्व ही विद्यालय छोड़ देते हैं। उन्हें उच्चतर शिक्षा तक विद्यालय न छोड़ने के लिए तैयार करना। उनकी समस्याओं को दूर करके, नि:शुल्क शिक्षा, पाठ्य-पुस्तकें और विद्यालय के गणवेश, दोपहर का भोजन, दूर गाँव से स्कूल पहुँचने के लिए साइकिल सुविधा आदि देकर, विद्यालय उपस्थिति और पूरी शिक्षा के लिए प्रेरित करना। हरिजन पिछड़ी जाति आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को स्टाय फंड और अच्छे अंक अधिक प्रतिशत करने पर 10000 /- रुपये पुरस्कार देकर प्रोत्साहित करना। उच्च विद्यालय और उच्चतर विद्यालय की 5 किलोमीटर और 7 किलोमीटर की व्यवस्था करना। जिला स्तर आवासीय विद्यालय (छात्रावास) की सुविधाएँ प्रदान करन और आवासीय छात्रावास के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करना, जो मिडिल स्कूल हैं, उन्हें उच्च विद्यालय और जो उच्च विद्यालय हैं उन्हें उच्चतर विद्यालय की स्वीकृति देकर उनमें कम से कम दो यथासंभव चार कमरे बनवाकर बैठने की सुविधा प्रदान करना।

(3) योग्य अध्यापकों की नियुक्ति- अध्यापकों की सेवा पूर्व अच्छा प्रशिक्षण देकर, योग्य अध्यापकों की नियुक्ति करना, अध्यापक और बच्चों का अनुपात अधिक से अधिक 1:40 कम से कम 1:25 का अनुपात होना चाहिए।

(4) महिला विद्यालय की अलग व्यवस्था करना और कन्या विद्यालयों में योग्य महिला अध्यापकों की नियुक्ति करना।

(5) सेवारत काल प्रशिक्षण – सेवारत अध्यापक / अध्यापिकाओं को नई तकनीक शैक्षिक सहायक सामग्री, नये पाठ्यक्रम का प्रशिक्षण देकर उनमें नई उमंग से सरल-आकर्षक संसाधनों से अध्यापक के लिए प्रेरित करना चाहिए। दूर से आने वाले अध्यापकों के लिए विद्यालय में आवासीय सुविधा देने का प्रयास करना चाहिए।

(6) मुक्त विद्यालय:- किन्हीं भी कारणों से जो कृषक, श्रमिक, अपंग, निर्धन और बालिकाएँ विद्यालय जाने में असहाय हैं, उनके लिए मुक्त विद्यालय खोलकर अध्ययन के लिए अच्छी सुविधाएँ देकर शिक्षा प्राप्त करने के लिए सर्वशिक्षा अभियान के माध्यम से उत्साहित किया जाता है।

(7) सभी के लिए शिक्षा के समान अवसर देने के लिए सर्वशिक्षा अभियान में पूरी व्यवस्था की गई है। अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति / पिछड़ी जाति, आर्थिक रूप से पिछड़े विद्यार्थियों, लड़किये अंगहीनों, दृष्टिहीनों आदि को उनकी आवश्यकताओं के अनुसार सुविधाएँ उपकरण और आर्थिक सहायता प्रदान करके सभी को शिक्षा के लिए समान अवसर देने की व्यवस्था की गई है। जिससे उनके अध्ययन में किसी प्रकार की समस्या / या बाधा न हो।

(8) सभी धर्मो, जातियों, अल्पसंख्यकों, विभिन्न मातृभाषाओं को शिक्षा के लिए सभी संस्थाओं में प्रवेश की स्वतन्त्रता है। किसी भी बच्चे से किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाता।

(9) विद्यालयों में भवन, फर्नीचर, लाइट, स्वच्छ पानी आदि के लिए विभिन्न मदों में आर्थिक सहायता प्रदान करके शिक्षण व्यवस्था को दूरस्त व आकर्षक बनाने पर बल दिया गया।

(10) खेल का मैदान – विद्यालयों में खेल का मैदान बनाने और उसे सुविधाजनक बनाने के लिए प्रत्येक स्कूल में आर्थिक सहायता देकर बच्चों का खेल और अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रेरित किया गया है। विद्यार्थियों में स्टेडियम बनाने और सुखद वातावरण के लिए पेड़-पौधे लगाने पर बल दिया है।

(11) लाइब्रेरी पुस्तकालय – अध्ययन में पुस्तकालय का बहुत महत्व है, विद्यालयों में पाठ्य-पुस्तकें, नैतिक पुस्तकें, धार्मिक पुस्तकें और सर्वशिक्षा अभियान के अन्तर्गत 25000/- रुपये आर्थिक सहायता देकर पुस्तकालयों को आकर्षक बनाया गया।

(12) विद्यालयों के प्रत्येक अध्यापकों को 1000/- रुपये प्रतिवर्ष देकर, अध्यापक सामग्री तैयार करने, मॉडल बनाने और शिक्षण सुविधाओं के लिए दिए गए हैं ताकि वह अध्यापक आकर्षक ढंग से रुचिपूर्ण शिक्षण प्रदान करे।

(13) प्रतिवर्ष 5 दिन का प्रशिक्षण – राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के अन्तर्गत प्रत्येक अध्यापक / प्राध्यापक / प्रिंसिपल और अधिकारियों को प्रतिवर्ष 5 दिन का प्रशिक्षण देकर नई तकनीक और नई जानकारी देकर अपने अधिकार और कर्त्तव्य के लिए जागरूक किया जाता है जिससे वह विद्यालयों, कार्यालयों में नए उत्साह और नई उमंग से कार्य करें। प्रत्येक अध्यापक को 200/- रुपये प्रतिदिन प्रशिक्षण के समय में दिये जाते हैं।

(14) संस्था को आकर्षक तथा व्यवस्थित बनाने के लिए मेजर रिपेयर के लिए चार लाख रुपये और माइनर रिपेयर के लिए 40,000/- रुपये प्रदान किये जाते हैं, जिससे विद्यालय का भवन आकर्षक बनाया जा सके।

(15) गाँव में पढ़ाने वाले अध्यापकों / अध्यापिकाओं को 300 रुपये प्रतिमास प्रोत्साहन राशि देने की व्यवस्था की गई है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में अध्यापक पढ़ाने में पूरी रुचि लें।

(16) विद्यालय की व्यवस्था और प्रबंध के लिए एक लाख रुपये प्रतिवर्ष सहयोग देकर विद्यालय एवं प्रबंधन व्यवस्था को सुदृढ़ करने का प्रावधान किया गया, जिससे संस्था का कार्य सुचारु रूप एवं नियमित रूप से चलता रहे।

(17) सर्वशिक्षा अभियान में आने वाले राज्यों में 35 अधिकारियों की नियुक्ति की व्यवस्था की गई है। प्रत्येक अधिकारी को 2.4 लाख प्रतिवर्ष वेतन के रूप में दिया जाएगा।

(18) सर्वशिक्षा अभियान को सुचारु रूप से चलाने के लिए पूरे राष्ट्र में एक ही योजना बनाई गई जिससे राष्ट्रीय शिक्षा नीति में समानता बनी रहे। पूरे राष्ट्र में एक समान शिक्षा के समान अवसर और सुविधाएँ प्राप्त हों। देश का प्रत्येक नागरिक शिक्षित हो। अपनी प्रतिभा-शक्ति और योग्यता से राष्ट्र निर्माण एवं विकास में पूरा योगदान दे सके। इसलिए देश में सर्वशिक्षा अभियान चला कर सभी नागरिकों को समान शिक्षा के अवसर देकर प्रजातांत्रिक शासन व्यवस्था में उनके अधिकार और कर्तव्यों के प्रति जागरूक किया जा सके।

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