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स्त्री शिक्षा के उद्देश्य (Objectives of women Education in Hindi)

स्त्री शिक्षा के उद्देश्य (Objectives of women Education) –

स्त्री शिक्षा के उद्देश्य

स्त्री शिक्षा के उद्देश्य

(1) स्त्री गुण को बनाये रखने हेतु दीक्षा, शिक्षा और वातावरण की व्यवस्था –

माता-पिता को बचपन से ही स्त्रीयोचित गुणों की शिक्षा देनी चाहिये, जैसे विनम्रता, सहनशीलता, लाजशीलता आदि। सरकार द्वारा बालिकाओं का सामाजिक, मानसिक तथा आध्यात्मिक विकास करने के लिये उपयोगी शिक्षा की व्यवस्था करनी चाहिए और माध्यमिक स्तर पर अलग से महिला विद्यालयों का निर्माण करना चाहिए।

(2) धार्मिकता, नैतिकता, चारित्रिकता का स्रोत बनाना-

धार्मिक भावनाओं का प्रसार करके स्त्री, बालकों का नैतिक आचरण सुधारती है। वह दया की देवी है, क्षमाशीलता उसका धर्म है। वह सहिष्णु उदार और सहकारी है।

(3) स्त्रियों का सर्वागीण व्यक्तित्व विकास-

स्त्रियों का सर्वागीण व्यक्तित्व विकास करने के लिये, उन्हें पुरुषों के समान बिना किसी भेदभाव के सभी क्षेत्रों में आगे बढ़ने के अवसर देने चाहिए। सरकार द्वारा स्त्रियों के व्यक्तित्व विकास में आने वाली समस्याओं का समाधान करना चाहिए।

(4) सामाजिक व सांस्कृतिक प्रसार का स्रोत बनाना –

स्त्रियाँ परिवार में तथा समाज में अपने व्यवहारों द्वारा संस्कृतिक का विकास करने में सहयोग देती हैं। धार्मिक प्रथाएँ, रीति-रिवाज, सामाजिक मान्यताएँ, रहन-सहन, पारिवारिक शिक्षा द्वारा समाजीकरण के आदर्श प्रस्तुत करके वे ही पुरुष वर्ग का मार्गदर्शन करती हैं।

(5) उत्तरदायित्व की भावना का विकास-

आधुनिक युग की महिलायें अपने भविष्य को सवारने के लिये प्रयासरत हैं। सरकार व समाज, दोनों को महिलाओं को पुरुषों के समान विकास की सुविधाएँ और अवसर देना चाहिए। सरकार को महिलाओं को प्रत्येक क्षेत्र में विकास के लिये नेतृत्व का शिक्षण देना चाहिए, जिससे वे योग्य शिक्षक, योग्य चिकित्सक, योग्य अभियन्ता, योग्य नागरिक व समाज सुधारक बनकर राष्ट्र की सेवा कार सकें।

(6) जीवकोपार्जन हेतु व्यावसायिक शिक्षा देना-

आज की नारी पुरुषों के साथ कदम-से-कदम मिलाकर परिवार को चलाने के लिए धनोपार्जन करती है। यदि सरकार स्त्रियों के लिये अलग से व्यवसायिक शिक्षा की व्यवस्था कर दे, तो महिलाओं की प्रगति में और भी तीव्रता लायी जा सकती हैं। इससे महिलायें अधिक से अधिक धनोपार्जन करके अपने परिवार की स्थिति में सुधार ला सकती हैं। जब परिवार की स्थिति सुधरेगी तब समाज की स्थिति सुधरेगी और जब समाज की स्थित सुधरेगी तो राष्ट्र की स्थिति स्वतः ही सुधर जायेगी।

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