मानवशास्त्र के विभिन्न शाखायें
मानवशास्त्र यानि नृतत्व विज्ञान की कई शाखायें हैं जो कि निम्नलिखित है-
1. सामाजिक सांस्कृतिक नृतत्व विज्ञान
2. प्रागैतिहासिक नृतत्व विज्ञान या आर्कियोलॉजी
3. भौतिक और जैव नृतत्व विज्ञान
4. भाषिक नृतत्व विज्ञान
5. अनुप्रयुक्त नृतत्व विज्ञान
1. सामाजिक, सांस्कृतिक नृतत्व विज्ञान
इसका संबंध सामाजिक, सांस्कृतिक व्यवहार के विभिन्न पहलुओं, जैसे समूह और समुदायों के गठन और संस्कृतियों के विकास से है। इसमें सामाजिक, आर्थिक बदलावों, जैसे विभिन्न समुदायों और उनके बीच सांस्कृतिक भिन्नताओं और इस तरह की भिन्नताओं के कारणों, विभिन्न संस्कृतियों के बीच संवाद, भाषाओं के विकास, टेक्नोलाजी के विकास और विभिन्न संस्कृतियों के बीच परिवर्तन की प्रवृत्तियों का अध्ययन किया जाता है।
2. प्रागैतिहासिक नृतत्व विज्ञान या पुरातत्व विज्ञान
इसमें प्रतिमाओं, हड्डियों, सिक्कों और अन्य ऐतिहासिक पुरावशेषों के आधार पर इतिहास का पुनर्निर्धारण किया जाता है। इस तरह के अवशेषों की खोज से प्राचीन काल के लोगों के इतिहास का लेखन किया जाता है और सामाजिक रीति-रिवाजों तथा परम्पराओं का पता लगाया जाता है। पुरातत्व वैज्ञानिक इस तरह की खोजों से उस काल की सामाजिक गतिविधियों का भी विश्लेषण करते हैं। वे अपनी खोज के मिलान समसामयिक अभिलेखों या ऐतिहासिक दस्तावेजों से करके प्राचीन मानव इतिहास का पुनर्निर्माण करते हैं।
3. भौतिक या जैव नृतत्व विज्ञान
इस शाखा का संबंध आदि मानवों और मानव के पूर्वजों की भौतिक या जैव विशेषताओं तथा मानव जैसे अन्य जीवों, जैसे चिमपैन्जी, गोरिल्ला और बंदरों से समानताओं से है, यह शाखा विकास श्रृंखला के जरिये सामाजिक रीति-रिवाजों को समझने का प्रयास करती है। यह जातियों के बीच भौतिक अंतरों की पहचान करती है और इस बात का भी पता लगाती है कि विभिन्न प्रजातियों ने किस तरह अपने आपको शारीरिक रूप से परिवेश के अनुरूप ढाला, इसमें यह भी अध्ययन किया जाता है कि विभिन्न परिवेशों का उन पर क्या असर पड़ा, जैव या भौतिक नृतत्व विज्ञान की अन्य उप शाखायें और विभाग भी हैं जिनमें और भी अधिक विशेषज्ञता हासिल की जा सकती है। इनमें आदिमानव जीव विज्ञान ओस्टियोलाजी (हड्डियों और कंकाल का अध्ययन) पैलीओएंथ्रोपोलाजी यानि पुरा नृतत्व विज्ञान और फोरेंसिक एंथ्रोपोलाजी।
4. भाषिक नृतत्व विज्ञान
इसमें मौखिक और लिखित भाषा की उत्पत्ति और विकास का अध्ययन किया जाता है। इसमें भाषाओं और बोलियों के तुलनात्मक अध्ययन की भी गुंजाइश है। इसके जरिये यह पता लगाया जाता है कि किस तरह सांस्कृतिक आदान-प्रदान से विभिन्न संस्कृतियों भाषाओं पर असर पड़ा है और किस तरह भाषा विभिन्न सांस्कृतिक रीति-रिवाजों और प्रथाओं की सूचक है। भाषायी नृतत्व विज्ञान, सांस्कृतिक नृतत्व विज्ञान से घनिष्ठ रूप से संबंधित है।
5. अनुप्रयुक्त नृतत्व विज्ञान
इसमें नृतत्व विज्ञान की अन्य शाखाओं से प्राप्त सूचनाओं का उपयोग किया जाता है और इन सूचनाओं के आधार पर संतति, निरोध, स्वास्थ्य चिकित्सा, कुपोषण की रोकथाम, बाल अपराधों की रोकथाम, श्रम समस्या के समाधान, कारखानों में मजदूरों की समस्याओं के समाधान खेती के तौर-तरीकों में सुधार, जनजातीय कल्याण और उनके जबरन विस्थापन, भूमि अधिग्रहण की स्थिति में जनजातीय लोगों के पुनर्वास के काम में सहायता ली जाती है।
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