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अन्य साधनों से आय | Income From Other Sources in Hindi

अन्य साधनों से आय
अन्य साधनों से आय

अन्य साधनों से आय से क्या आशय है? What is Income From Other Sources in Hindi

अन्य साधनो से आय- अन्य साधनो से आप का अभिप्राय ऐसे शीर्षक से हैं जिसमें ‘वेतन से आय’, ‘मकान सम्पत्ति से आय’, व्यवसाय एवं पेशे से आय’, तथा ‘पूँजी लाभ, शीर्षक से प्राप्त आय शामिल नहीं है। अर्थात् इन चारों शीर्षकों के अलावा करदाता द्वारा कमाई गई आर्यों को अन्य साधनों की आय में शामिल किया जाता है। किन्तु इसके लिये आवश्यक है कि जो आयें अन्य साधनों की आय शीर्षक में शामिल की गई हैं, वे आयें आयकर अधिनियम के अन्तर्गत कर मुक्त नहीं होनी चाहिए।

धारा 56 ( 1 ) के अनुसार, “धारा 14 में उल्लेख को गई आयें जो प्रथम चार शीर्षकों में कर-योग्य नहीं हैं वे आयें और जो कर-योग्य होगी अन्य साधनों की आय में शामिल की जायेंगी। ऐसी आयों को करदाता की कुल आय में शामिल किया जाता है। “

धारा 56 ( 2 ) के अनुसार, अन्य साधनों की आय शीर्षक में शामिल होने वाली कुछ आयें-

1. लाभांश (घरेलू कम्पनी (भारतीय) यू.टी.आई. से प्राप्त लाभांश वर्ष 2004 05 से कर-मुक्त होगा ।

2. आकस्मिक आयें-लॉटरी से आय, घुड़दौड़ से पहेलियों आदि से आय आय, ताश, जुआ-शर्त, दौड़, वर्ग

3. प्रतिभूतियों पर ब्याज जो व्यापार एवं पेशे में कर योग्य न हो।

4. प्रोविडेन्ट फण्ड में अंशदान, सुपर एनुऐशन फण्ड में अंशदान, कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम, 1948 के अन्तर्गत किसी फण्ड में अंशदान, जो व्यापार एवं पेशे में कर योग्य न हो।

5. राष्ट्रीय बचत प्रमाण-पत्र VIII के क्रय पर प्राप्त होने वाला ब्याज।

6. राष्ट्रीय बचत प्रमाण-पत्र के ब्याज को पुनर्निवेश करने से प्राप्त व्यय

7. सहकारी समिति की प्रतिभूतियों पर प्राप्त होने वाला ब्याज ।

8. बैंक में स्थायी अथवा बचत खाते पर ब्याज ऋण

9. विदेशी प्रतिभूतियों पर ब्याज । पर प्राप्त व्याज आदि ।

10. किसी परीक्षा के परीक्षक के रूप में प्राप्त पारिश्रमिक।

11. अधिकार शुल्क से आय।

12. पेशेवर व्यक्ति को परीक्षक के रूप में प्राप्त पारिश्रमिक

13. भूमि को ईंट के भट्टों के लिये देने से आय

14. अंशो को बिकवाने के प्रतिफल में प्राप्त कमीशन।

15. संचालकों को प्राप्त शुल्क, भत्ते या अन्य कोई पारिश्रमिक निदेशक की फीस ।

16. अस्पष्ट अथवा अप्रदर्शित विनियोगों से आय।

17. लेख लिखने से प्राप्त आय।

18. संसद सदस्य या विधायक का वेतन। (जबकि इनको प्राप्त दैनिक भत्ते कर मुक्त

19. विदेश में स्थित कृषि भूमि से आय।

20. मकान सम्पत्ति को पुनकिराये पर उठाने से हुई आय।

21. प्रमाणित अथवा अप्रमाणित प्रोविडेन्ट फण्ड पर प्राप्त ब्याज।

22. संचालकों को कम्पनी के अंशों पर मिलने वाला कमीशन।

23. राष्ट्रीय बचत योजना में जमा की गई राशि को निकालने पर प्राप्त मूल मूलधन एवं ब्याज।

24. पट्टे पर रखी गई सम्पत्ति से आय।

25. बीमा कमीशन (यह व्यापार एवं पेशे में कर योग्य नहीं होना चाहिए) । 26. ट्रेड मार्क को किराये पर देने से आय।

27. अनुबन्ध, ट्रस्ट या वसीयत के अन्तर्गत प्राप्त वार्षिकी इसमें कर्मचारी को नियोक्ता से मिलने वाली वार्षिकी शामिल नहीं होगी।

28. मशीन, संयन्त्र, एवं फर्नीचर को किराये पर देने से आय, ऐसी आय व्यापार एवं पेशे में कर योग्य न हो।

29. मछली बाजार से आय।

30. प्राइवेट कर्मचारी की मृत्यु पर उसके वैध उत्तरधिकारी को प्राप्त प्रेच्युटी ऐसी राशि कर-मुक्त राशि से अधिक होनी चाहिए।

31. आयकर में जमा की गई राशि वापस मिलने पर प्राप्त व्याज। 32. अग्रिम में दिये गये आयकर के भुगतान पर प्राप्त होने वाला व्याज।

33. संचालकों को प्राप्त ग्रेच्युइटी की रकम (किन्तु संचालक कम्पनी का कर्मचारी नहीं होना चाहिए)।

34. बंजर भूमि से आय

35. दौड़ आयोजन से प्राप्त आय

36. करदाता की कुल आय में जोड़ी जाने वाली आय जो उसे अपने मालिक के अतिरिक्त अन्य व्यक्तियों से प्राप्त हुई हो।

37. सम्पूर्ण व्यापार को किराये पर उठाने से हुई आय।

38. यदि कीमैन बीमा पॉलिसी से प्राप्त रकम वेतन से आय अथवा व्यवसाय एवं पेशे से आय में कर योग्य नहीं है तो इस शीर्षक में कर योग्य होगी।

39. क्रिकेट खिलाड़ियों की आय (भारतीय टीम में चुने जाने पर)

(i) भारत में खेले जाने वाले टेस्ट मैचों के लिये BCCI (भारतीय क्रिकेट कण्ट्रोल बोर्ड) से प्राप्त रकम का 25% कर योग्य होगा।

(ii) भारत में खेले गये अन्य मैचों के लिए आय कर योग्य नहीं होगी।

(iii) भारत के बाहर खेले गये मैचों से प्राप्त होने वाली आय का 50% कर योग्य होगा।

40. किसी भी निजी संस्था (भारतीय या विदेशी) द्वारा निर्गमित प्रतिभूतियों पर प्राप्त होने वाला ब्याज ।

41. कम्पनी द्वारा किसी सदस्य को स्वैच्छिक भुगतान, जिसका कम्पनी में सारवान हित है।

42. अग्रिम की जब्त राशि वित्त (संख्या 2) अधिनियम, 2014 के संशोधन द्वारा)।

व्याख्या – 1. यदि स्थायी जमा पर ब्याज प्राप्त करने के लिए कोई ऋण पर ब्याज चुकाया गया है तो दोनों ब्याजों के अन्तर को शुद्ध आय माना जाता है। 2. आयकर वापसी की रकम कटौती के लिए अस्वीकृत होती है।

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