धार्मिक शिक्षा एवं आध्यात्मिक शिक्षा पर एक नोट लिखिए।
धार्मिक शिक्षा एवं आध्यात्मिक शिक्षा दोनों एक-दूसरे से बिल्कुल भिन्न हैं। आध्यात्मिक शिक्षा का सम्बन्ध निराकार और आत्मा से है और धार्मिक शिक्षा का सम्बन्ध शरीर और समाज से है। धार्मिक-शिक्षा में कथा-कहानियाँ और जानकारी है जिसका सम्बन्ध साकार संसार से है और आध्यात्मिक-शिक्षा किसी भी धर्म पर आधारित नहीं है। आध्यात्मिक का सम्बन्ध निराकार और अदृश्य संसार से हैं शारीरिक क्रियाओं पर निर्भर नहीं है। यदि कोई व्यक्ति यह समझता है कि वह शरीर से आध्यात्मिक क्रियाएं करता है या आत्मा से धार्मिक क्रियाएं करता है तो अभी तक आध्यात्मिक और धार्मिक दोनों प्रकार के ज्ञान की आवश्यकता है।
संसार के अधिकतर लोग अन्धविश्वास और मान्यताओं के कारण पुण्य-पाप और सही-गलत के भय में भ्रमित जीवन जी रहे हैं जिसके कारण उनके दैनिक कर्मों में अनेकों प्रकार की त्रुटियाँ हो रही हैं और उनका जीवन दिन-प्रतिदिन अधिक संघर्षमयी हो रहा है। व्यक्ति को पुस्तकों और इन्टरनेट पर सरलता से सभी प्रकार की जानकारी मिलती है परन्तु यह जानकारी. सम्पूर्ण ज्ञान नहीं है क्योंकि इसमें व्यक्ति को आध्यात्मिक प्रश्नों का उत्तर नहीं मिलता है।
कुछ मुख्य प्रश्न इस प्रकार हैं-
(1) ईश्वर अर्थात् निराकार कहाँ है और क्या नहीं करता है ?
(2) सभी कुछ निराकार करता है तो फिर कर्मफल जीव को क्यों मिलता है?
(3) जीव में निराकार का अंश होने पर भी उसमें काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार क्यों है?
(4) कर्म से कर्मपल बनने का नियम क्या है और यह कैसे संचालित होता है?
(5) किन कर्मों का फल नहीं मिलता वह कर्म कहाँ जाते हैं और बिना इच्छा किए कर्मफल क्यों मिलते हैं ?
(6) मनुष्य पिछले जन्मों का कर्मफल लाखों योनियों में भुगतकर भी इस जन्म में किन कर्मों का फल भोगता है?
(7) आत्मा अजन्मी हैं तो इतनी सारी आत्माएँ कहाँ से आ रही हैं और आत्मा अमर क्यों है?
(8) ईश्वर सकारात्मक है फिर भी उसके रचित संसार में भय, भ्रम और नकारात्मकता क्यों है?
अपने भय और भ्रम से मुक्ति के लिए सभी को ऐसे सटीक ज्ञान एवं तार्किक दृष्टि की आवश्यकता है जो उन्हें अभी तक किसी भी प्रसिद्ध पुस्तक अथवा व्यक्ति द्वारा प्राप्त नहीं है। Vijay Batra Karmalogist की आध्यात्मिक शिक्षा प्रणाली अद्वितीय है जो संसार में उपलब्ध किसी भी लिखित सामग्री, परम्परागत शिक्षाओं और मान्यताओं पर आधारित नहीं है। अन्धविश्वास मुक्त विश्व का निर्माण करने के लक्ष्य से बनायीं गयी है।
आध्यात्मिक शिक्षा के मुख्य विषय इस प्रकार हैं-
(1) निराकार से मोक्ष तक का दिव्यज्ञान ।
(2) आत्मा और कर्मफल का रहस्यज्ञान ।
(3) सभी अलौकिक प्रश्नों का दुर्लभ उत्तर ज्ञान ।
(4) पाप-पुण्य के भय व भ्रम से स्वतंत्रता ।
(5) अन्य विश्वास और रूढ़िवादिता से मुक्ति ।
(6) धर्म के बिना अध्यात्म में उन्नति ।
(7) प्रेतात्मा का अद्वितीय गुप्त ज्ञान ।
(8) सटीक वास्तविक तर्कशील बुद्धिमत्ता |
आध्यात्मिक शिक्षा सामग्री
(1) साकार और निराकार ।
(2) धर्म और अध्यात्म |
(3) आत्मा की उत्पत्ति ।
(4) कर्म से कर्मफल बनना, कर्मफल के प्रकार, कर्मफल का संग्रह स्थान ।
(5) आध्यात्मिकता अनुभव करने के लिए रूढ़िवादी मान्यताओं से छुटकारा ।
(6) कर्मफल को प्रभावित करने वाले कारक, भय, भ्रम आदि।
(7) सांसारिक समस्याएं, नकारात्मक और बुरी आत्माएं।
(8) मोक्षज्ञान।
अतिरिक्त अद्वितीय विशेषताएँ –
(1) धार्मिक ज्ञान अथवा पुस्तकज्ञान की आवश्यकता नहीं।
(2) सांसारिक निर्भरता की समाप्ति।
(3) आत्मिक और आध्यात्मिक उन्नति
(4) दैनिक कृत्यों का तर्कज्ञान ।
(5) सकारात्मकता और आन्तरिक प्रसन्नता ।
(6) आंशिक समय / पूर्णकालिक आध्यात्मिकता ।
(7) आध्यात्मिक दृष्टि द्वारा पाप-पुण्य और सही गलत पहचान।
(8) समस्याओं को हल करने के लिए किसी अनुष्ठान की आवश्यकता नहीं।
(9) जरूरतमन्द लोगों के लिए मार्गदर्शक बनने का सुअवसर।
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