कठोर उपागम एवं कोमल उपागम में अंतर बताइए|
(1) कठोर उपागम (Hardware Approaches) –
कठोर साधन वे साधन हैं जिनमें यंत्रीकृत साधनों को सम्प्रेषण हेतु प्रयोग में लाया जाता है। जैसा कि पहले कहा जा चुका है कि इस उपागम के द्वारा शिक्षण प्रक्रिया का यंत्रीकरण करके कम व्यय और कम समय में अधिक-से-अधिक छात्रों को लाभान्वित करने का प्रयास किया जाता है। कठोर या यंत्रीकृत साधनों में प्रायः निम्न आविष्कारित उपकरण आते हैं-
(i) आकाशवाणी (रेडियो)
(ii) सीतावाद्य (ग्रामोफोन) ।
(iii) प्रक्षेपक (प्रोजेक्टर) |
(iv) चित्र विस्तारक यंत्र (एपीडायस्कोप) |
(v) ध्वनिलेख यंत्र (टेप रिकॉर्डर) ।
(vii) वीडियो कैसेट।
(vi) दूरदर्शन (टेलीविजन) ।
(viii) संगणक (कम्प्यूटर) ।
(ix) चलचित्र (सिनेमा) ।
(2) कोमल उपागम (Software Approaches) –
शैक्षिक तकनीकी द्वितीय अथवा कोमल उपागम को अनुदेशन तकनीकी (Instructional Technology), शिक्षण तकनीकी (Teaching Technology) तथा व्यवहार तकनीकी (Behavioral Technology) की संज्ञा दी जाती है। कोमल उपागम विज्ञान व तकनीकी पर आधारित न होकर सामाजिक विज्ञान, मनोविज्ञान और विशेषकर अधिगम के मनोविज्ञान की आधारशिला पर खड़ा है। कोमल उपागम में शिक्षण तथा अधिगम के मनोवैज्ञानिक सिद्धान्तों का प्रयोग किया जाता है, जिससे व्यवहार में अपेक्षित परिवर्तन किया जा सके। कोमल उपागम का सम्बन्ध उद्देश्य के व्यवहारिक रूप, शिक्षण के सिद्धान्तों, शिक्षण की विधियों तथा प्रविधियों, अनुदेशन प्रणाली, पुनर्बलन तथा पृष्ठ-पोषण की युक्तियों एवं मूल्यांकन से होता है। संक्षेप में कोमल उपागम के अन्तर्गत अदा (Input), प्रक्रिया (Process) तथा प्रदा (Output) तीनों पक्षों को विकसित करने का प्रयास किया जाता है।
आर्थर मेल्टन (1959 ) ने कोमल उपागम के सम्बन्ध में अपने महत्त्वपूर्ण विचार व्यक्त किये हैं। उनके अनुसार- “यह तकनीकी सीखने के मनोविज्ञान पर आधारित है तथा अनुभव प्रदान करके छात्रों में अपेक्षित व्यवहार परिवर्तन की प्रक्रिया का शुभारम्भ करती है। ” सरल शब्दों में हम कह सकते हैं कि तकनीकी एवं मशीनी उपागम के माध्यम से प्रयोग में लाई जाने वाली शिक्षण सामग्री, अभिक्रमित अनुदेशन सामग्री, शिक्षण विधियाँ युक्तियाँ आदि कोमल उपागम हैं।
कठोर उपागम एवं कोमल उपागम में अंतर
कठोर उपागम |
कोमल उपागम |
इसे शैक्षिक तकनीकी प्रथम भी कहते हैं। | इसे शैक्षिक तकनीक द्वितीय भी कहते हैं। |
इसे मशीनी उपागम के नाम से भी जाना जाता है। | इसे अनुदेशन तकनीकी के नाम से भी जाना जाता है। |
इसका मुख्य आधार भौतिक विज्ञान है। | इसका मुख्य आधार मनोविज्ञान है। |
इसका आविर्भाव भौतिक विज्ञान व अभियान्त्रिकी से हुआ है। | इसका आविर्भाव शिक्षण अधिगम सिद्धान्तों के परिणामस्वरूप हुआ है। |
यह उपागम श्रव्य-दृश्य सामग्री पर आधारित है। | यह उपागम अनुदेशन तथा व्यवहार पर आधारित है। |
‘सिल्वरमैन’ ने इस उपागम को ‘सापेक्षिक तकनीकी’ की संज्ञा दी है। | ‘सिल्वरमैन’ ने इसे ‘रचनात्मक’ ‘शैक्षिक तकनीकी’ की संज्ञा दी है। |
यह एक उत्पादजन्य उपांगम है। | यह एक प्रक्रियाजन्य उपागम है। |
यह उपागम शिक्षा जगत को अपनी सेवाएँ प्रत्यक्ष रूप से देते हैं। | यह उपागम शिक्षा जगत को अपनी सेवाएँ अप्रत्यक्ष रूप से अर्पित करता है। |
इस उपागम का सर्वप्रथम उपयोग 1964 में. ए. ए. लैम्सडेन ने किया। | इस उपागम का सर्वप्रथम उपयोग बी.एफ. स्किनर ने किया था। |
इस उपागम का अर्थ शिक्षण अधिगम प्र क्रया में मशीनों के प्रयोग से है। | इस उपागम का अर्थ शिक्षण में शिक्षण अधिगम के विभिन्न सिद्धान्तों, विधियों एवं प्रविधियों के प्रयोग से है। |
इस उपागम में मशीनों तथा उपकरणों की सहायता से शिक्षण होता है। | इस उपागम में मशीनों का प्रयोग शिक्षण को प्रभावशाली बनाने के उद्देश्य से किया जाता है तथा छात्रों के वांछित व्यवहार परिवर्तन पर अधिक ध्यान दिया जाता है। |
कोमल उपागम के बिना यह उपागम अपूर्ण है। | कठोर उपागम के बिना कोमल उपागम कार्य कर सकता है, जैसे- पाठ योजना, अभि क्रमित अनुदेशन आदि। |
इस उपागम का मुख्य सिद्धान्त पृष्ठ-पोषण है। | इस उपागम में मौलिक तथा सामाजिक दोनों सिद्धान्तों का प्रयोग किया जाता है, अर्थात् पुनर्बलन तथा पृष्ठ-पोषण दोनों का ही प्रयोग किया जाता है। |
इस उपागम ने अध्यापक और विद्यार्थी के बीच दूरी को कम किया है। | इस उपागम ने मुक्त शिक्षा के माध्यम से शिक्षा के प्रचार-प्रसार में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। |
यह उपागम मूल अनुभव प्रदान करने में सहायक होता है। | यह उपागम कक्षा शिक्षण के अन्तर्गत होने वाली अन्तःक्रिया को प्रभावी बनाने में सहायक होता है। |
यह उपागम शिक्षण-अधिगम को रुचिकर बनाने में सहायक है। | यह उपागम शिक्षण उद्देश्यों को प्राप्त करने में सहायक है। |
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