प्राथमिक शिक्षा से क्या तात्पर्य है?
प्राथमिक शिक्षा से तात्पर्य यह है कि भारत में 6 से 14 वर्ष के बच्चों हेतु अनिवार्य शिक्षा का प्रबन्ध किया जाए। सभी उसमें अपने आपको आगे लायें और समुचित शिक्षा को ग्रहण करें। जब तक प्रत्येक गांव-गांव में प्राथमिक शिक्षा का प्रबन्ध नहीं किया जाएगा तब तक शिक्षा का सार्वभौमीकरण सम्भव नहीं हो पाएगा। इस सम्बन्ध में विभिन्न प्रकार की समस्याएँ भी आती हैं जिनमें संसाधनों की कमी प्रमुख है। भारत में संसाधन तो बहुत हैं परन्तु उनका उपयोग उचित ढंग से नहीं किया जा रहा है। इस प्रकार हमें चाहिए कि हम उन संसाधनों को आगे बढ़ाने में. सरकार की मदद करें। भारतवर्ष में जनसहयोग की कमी भी है। इस प्रकार यह प्राथमिक शिक्षा में अड़चन आई है। भारत में शिक्षा का प्रसार करना भारत सरकार हेतु एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। इससे निपटने हेतु केन्द्रीय व प्रान्तीय सरकारें अपने शिक्षा बजट में वृद्धि करें और उस बजट का सबसे अधिक भाग प्राथमिक शिक्षा पर व्यय करें। प्रान्तीय सरकारों को यह देखना चाहिए कि प्राथमिक शिक्षा के लिए जो भी योजनाएँ प्रस्तावित हों उन्हें सुचारु रूप से चलाने का प्रबन्ध केन्द्र सरकार का भी बनता है।
प्राथमिक शिक्षा का उद्देश्य-
सन् 1960 में कराँची में सम्पन्न हुई एशियाई देशों की प्रतिनिधियों की क्षेत्रीय सभा ने प्राथमिक शिक्षा के निम्नांकित उद्देश्य निर्धारित किये हैं-
(1) शिक्षा के मूल अधिकारों की पर्याप्त जानकारी प्राप्त करना। हैं
(2) बालकों की भौतिक, मानसिक, सामाजिक, भावात्मक, नैतिक तथा आध्यात्मिक आवश्यकताओं को पूरा करके उसके व्यक्तित्व का विकास करना।
(3) बालक में देश-प्रेम, अपने रीति-रिवाजों और संस्कृति के प्रति प्रेमभाव तथा उसमें नागरिक गुण उत्पन्न करना जिससे वह देश प्रेमी तथा कर्तव्यनिष्ठ नागरिक बन सके।
(4) बालक में अन्तर्राष्ट्रीय भाव तथा भाई-चारे के भाव का विकास करना।
(5) वैज्ञानिक भाव उत्पन्न करना।
(6) श्रम के प्रति आदर भाव उत्पन्न करना।
(7) बालकों को वास्तविक क्रियाओं और अनुभव के लिए तैयार करना ।
पूर्व प्राथमिक शिक्षा शिक्षण के उद्देश्य
प्राथमिक शिक्षा शिक्षण के निम्नलिखित उद्देश्य बताये गये हैं-
(1) बालकों में आरोग्यवर्द्धक आदतों का विकास करना तथा समायोजन के लिये आवश्यक कौशलों का विकास करना; जैसे- नहाना, धोना, कपड़े पहनना, उतारना तथा हाथ मुँह धोना इत्यादि ।
(2) उचित सामाजिक प्रवृत्तियों तथा व्यवहारों का विकास करना, स्वास्थ्य एवं सामूहिक कार्यों को प्रोत्साहन देना, दूसरे के अधिकारों तथा विशेष अधिकारों के प्रति संवेदनशील बनाना।
(3) अपनी संवेदना तथा संवेगों को व्यक्त करना, समझना, स्वीकार करना तथा नियंत्रित करना इत्यादि बातों में मार्ग-दर्शन कर संवेगात्मक परिपक्वता का विकास करना।
(4) कलात्मक रुचि का पोषण करना ।
(5) पर्यावरण से सम्बन्धित जिज्ञासा को उत्तेजित करना। अपने चारों ओर के विश्व को समझना तथा खोज, परीक्षण प्रयोग के अवसर प्रदान करना एवं बालक में नयी रुचियों का निर्माण करना।
(6) आत्म-अभिव्यक्ति के लिये पर्याप्त अवसर देकर स्वावलम्बन की प्रवृत्ति तथा सृजनात्मक प्रवृत्ति को प्रोत्साहित करना ।
(7) बालक में अपने विचार एवं भाव शुद्ध, धारावाही तथा स्पष्ट भाषा में प्रकट करने की शक्ति का विकास करना ।
(8) बालक में सुन्दर शरीर, उचित माँसपेशीय सामंजस्य एवं मौलिक क्रिया-कौशलों का विकास करना।
Important Links
- नवाचार का अर्थ, परिभाषा एवं नवाचार की विशेषताएँ | नवाचार की अवधारणा पर निबन्ध
- नवाचार का उद्देश्य व आवश्यकता | Aims and Need of Innovation in Hindi
- नवाचार में बाधाएँ तथा नवाचार की बाधाओं को दूर करने के उपाय
- नवाचार का शिक्षा में महत्त्व- Importance of Innovation in Education in Hindi
- शैक्षिक प्रशासन का अर्थ एंव परिभाषा | Meaning and Definitions of Educational Administration
- शिक्षा की गुणवत्ता के मापदण्ड का अर्थ, उद्देश्य एंव समुदाय की भूमिका
- विद्यालय को समुदाय के निकट लाने के उपाय | ways to bring school closer to the community
- भारत और सामुदायिक विद्यालय | India and Community School in Hindi
- विद्यालय प्रयोजन के लिए स्थानीय संसाधनों के प्रयोग | Use of Local Resources
- विद्यालय व सामुदायिक सम्बन्धों की नूतन स्थिति क्या है?
- विद्यालय सामुदायिक को स्थापित करने के उपाय | Measures to establish a school community
- समुदाय का अर्थ एंव इसके प्रभाव | Meaning and Effects of Community in Hindi
- पाठ्य-सहगामी क्रियाओं का अर्थ, उद्देश्य, महत्व एवं संगठन के सिद्धान्त
- अध्यापक की व्यावसायिक अभिवृद्धि का अर्थ एंव गुण | Qualities of teacher’s Professional growth
- आदर्श अध्यापक के गुण | Qualities of an Ideal Teacher in Hindi
- एक आदर्श अध्यापक के महत्व | Importance of an ideal Teacher in Hindi
- अध्यापक के गुण, भूमिका और कर्त्तव्य | Qualities, roles and Duties of Teacher in Hindi
- विद्यालय संगठन में निरीक्षण का क्या महत्त्व है? Importance of inspection in school organization
- विद्यालय के प्रधानाध्यापक के कर्त्तव्य और उत्तरदायित्व | Duties and Responsibilities of School Headmaster
- एक योग्य प्रधानाध्यापक में किन-किन गुणों का होना आवश्यक है? विस्तृत विवेचना कीजिए।
- निरौपचारिक शिक्षा की परिभाषा, उद्देश्य, विशेषताएँ
- पुस्तकालय का महत्त्व | Importance of Library in Hindi
- विद्यालय पुस्तकालय की वर्तमान दशा-व्यवस्था और प्रकार का वर्णन कीजिए।
- विद्यालय पुस्तकालय का क्या महत्व है? What is the Importance of school library?
- विद्यालय छात्रावास भवन | School Hostel Building in Hindi
- छात्रावास अधीक्षक के गुण एवं दायित्व | Qualities and Responsibilities of Hostel Superintendent
- विद्यालय-भवन तथा विद्यालय की स्थिति की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- विद्यालय-भवन के प्रमुख भाग | Main Parts of School Building in Hindi
- Disclaimer
- Disclaimer: Sarkariguider does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: guidersarkari@gmail.com