केन्द्रीकरण और विकेन्द्रीकरण का अर्थ एवं विशेषताएँ
केन्द्रीकरण और विकेन्द्रीकरण का अर्थ है की प्रवृति का अध्ययन किया जाना भी शैक्षिक प्रशासन की मुख्य प्रवृत्ति मानी जाती है। कुछ विचारकों का मत है कि संगठन की अनेक समस्याओं में यह समस्या भी महत्त्वपूर्ण है कि प्रशासन की पूर्ण नियन्त्रण, एकता एवं निश्चितता की स्वाभाविक इच्चा की इस माँग से किस प्रकार सामंजस्य बैठाया जाये कि प्रशासन स्थानीय भावनाओं के अनुरूप हो सके।
दूसरे शब्दों में, संगठन के सम्बन्ध में एक मुख्य समस्या यह उठती है कि सरकारी प्रशासन को स्थानीय भावनाओं, अर्थव्यवस्था, सशक्त एवं प्रभावी प्रतिरक्षा तथा राष्ट्रीय एकता की आवश्यकता और क्षेत्रीय स्वायत्तता’ को बढ़ती हुई माँग विकेन्द्रीकरण का समर्थन करती है।
केन्द्रीकरण और विकेन्द्रीकरण का अर्थ
केन्द्रीकरण का आशय है कि सत्ता शीर्ष अथवा उसके आस-पास एकत्र होनी चाहिए जबकि विकेन्द्रीकरण का अर्थ है- अनेक व्यक्तियों का इकाइयों के मध्य सत्ता के विभाजन की व्यवस्था। ह्वाइट के शब्दों में—“प्रशसन के निम्न तल से उच्च तल की ओर प्रशासकीय सत्ता के हस्तान्तरण की प्रक्रिया को केन्द्रीकरण कहते हैं जबकि इसके विपरीत व्यवस्था को विकेन्द्रीकरण कहा जाता है।”
केन्द्रीकरण और विकेन्द्रीकरण के अर्थ को हम एक अन्य प्रकार से स्पष्ट कर सकते हैं। विकेन्द्रीकरण में निम्नलिखित पाँच पक्ष हैं और इनके विपरीत जो व्यवस्था या प्रबन्ध होता है उसको केन्द्रीकरण की व्यवस्था भी कहा जाता है-
(1) “सत्ता का हस्तान्तरण इस प्रकार किया जाय कि स्वेच्छा से कार्य करने का विशाल क्षेत्र अधीनस्थ अधिकारियों को सौंपा जाय तथा शीर्षस्थ मुख्य अधिकारी को कम- से-कम प्रश्न सम्बोधित किये जायें।” (प्रशासकीय पहलू)
(2) “संगठन की व्यक्तिगत इकाइयों को अधिक सौंपी जाय तथा मुख्य कार्यालय में नियन्त्रण की मूल शक्तियों को ही रखा जाय। (प्रशासकीय पक्ष)
(3) “निर्वाचित निकायों के हाथों में अधिक शक्ति सौंपी जाये और प्रशासन के कार्यों में जनता का पूरा-पूरा सहयोग करे।” (राजनीति पहलू)
(4) जनता के निकट तथा मुख्य कार्यालय से दूर की क्षेत्रीय इकाइयों को स्वतन्त्रता दी जाय।
(5) विभिन्न कार्यों को सम्पन्न करने के लिए विभिन्न को कार्य की स्वतंत्रता दी जाय।
केन्द्रीकरण की विशेषताएँ
(1) केन्द्रीकृत व्यवस्था की विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए विलोबी ने कहा है-
“अत्यधिक केन्द्रीकृत व्यवस्था में स्थानीय इकाइयाँ केवल कार्यवाहक अभिकरणों के रूप में कार्य करती है। उन्हें पहले पहल (Initiative) से कार्य करने की कोई शक्ति प्राप्त नहीं होती, प्रत्येक कार्य को केन्द्रीय कार्यालय की ओर से दिया जाता है, यहाँ तक कि आन्तरिक प्रबन्ध के मामलों जैसे कि कर्मचारियों की पदोन्नति, प्रशासन के साधनों को जुटाना इत्यादि में भी क्षेत्रीय कार्यालयों को मुख्य कार्यालय की पूर्व अनुमति लेनी पड़ती है।”
(2) कार्यक्षेत्रों की जरूरत से अधिक मात्रा में प्रशिक्षित व्यक्तियों की संख्या को नियन्त्रित करके बेरोजगारी पर नियन्त्रण किया जा सकता है।
(3) नीतियों एवं योजनाओं में उचित सीमा तक एकरूपता बनाये रखने में सक्षम होती है।
विकेन्द्रीकृत व्यवस्था की विशेषताएँ
इस व्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
(1) जिस व्यवस्थाओं इकाइयों को इस बात की पर्याप्त छूट प्राप्त होती है कि वे मुख्य कार्यालय की पूर्व अनुमति के बिना स्वयं ही विभिन्न मामलों के सम्बन्ध में निर्णय ले लें, उसे विकेन्द्रीकृत व्यवस्था कहते हैं।
(2) स्थानीय कर्मचारियों को अपनी इच्छा, सूझ-बूझ और विवेक के अनुसार कार्य करने की काफी शक्ति प्रदान रहती है।
(3) वे स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार अनेक प्रश्नों को केन्द्रीय कार्यालय को सूचित किये बिना ही हल कर सकती है। स्थानीय इकाइयों की अपनी सत्ता रहती है, वे प्रधान कार्यालय के अनेक रूप में कार्य नहीं करतीं।
(4) विकेन्द्रीकृत व्यवस्था, सत्ता एवं नियन्त्रण के उपयोग को अधिक सरल व व्यावहारिक बनाता है।
(5) सांस्कृतिक, भाषाई तथा आर्थिक समर सत्ता होने से अधिक सरल एवं प्रभावी हो जाता है।
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