पाठ योजना / Lesson Plan

वर्धन काल इतिहास का लेसन प्लान Vardhan Kaal History lesson plan for B.Ed.

वर्धन काल इतिहास का लेसन प्लान Vardhan Kaal History lesson plan for B.Ed.
वर्धन काल इतिहास का लेसन प्लान Vardhan Kaal History lesson plan for B.Ed.

वर्धन काल इतिहास का लेसन प्लान Vardhan Kaal History lesson plan for B.Ed.

वर्धन काल इतिहास का लेसन प्लान Vardhan Kaal History lesson plan for B.Ed. – प्रिय मित्रों, इस पोस्ट में हम BTC/DELED, B.ED, M.ED के तहत वर्धन काल इतिहास का लेसन प्लान Vardhan Kaal History lesson plan of B.Ed. btc/d.el.ed, b.ed आदि के बारे में हिन्दी में विस्तार से बात करेंगे.

विद्यालय का नाम- अपनी स्कूल का नाम व स्थान लिखें

दिनांक-

विषय-  इतिहास

चक्र- 8

कक्षा –6th

प्रकरण- वर्धन काल

अवधि- 30 मिनट

सामान्य उद्देश्य :- 

  1. छात्राओं में इतिहास के प्रति रुचि जागृत करना |
  2. छात्राओं में देश भक्ति तथा विश्व बन्धुत्व की भावना का विकास करना |
  3. छात्राओं में आदर्श नागरिक के गुणों का विकास करना |
  4. छात्राओं में वैज्ञानिक अभिवृत्ति का विकास करना |
  5. छात्राओं में बौधिक एवं तार्किक चिन्तन का विकास करना |
  6. छात्राओं में आत्मनिर्भरता का विकास करना |
  7. छात्राओं को भविष्य के लिए तैयार करना |
  8. छात्राओं में नेतृत्व के गुणों का विकास करना |

➤विशिष्ट उद्देश्य :- 

  1. छात्राएँ ‘हर्ष वर्धन’ के जीवन के बारे में प्रत्यास्मरण कर सकेंगी|
  2. छात्राएँ ‘वर्धन काल’ के शासको तथा उनकी उपलब्धियों का प्रत्याभिज्ञान कर सकेंगी |
  3. छात्राएँ ‘वर्धन काल’ की विशेषताओं का वर्णन कर सकेंगी |
  4. छात्राएँ ‘हर्ष वर्धन’ के द्वारा आयोजित धर्म सभा का वर्णन कर सकेंगी |
  5. छात्राएँ ‘वर्धन काल’ से सम्बंधित चीजो की व्याख्या कर सकेंगी |

➤सहायक सामग्री-  चाक, डस्टर, रोलर बोर्ड, चार्ट अन्य कक्षोपयोगी शिक्षण सामग्री|

➤पूर्वज्ञान-  छात्राएँ ‘वर्धन काल’ तथा हर्ष के जीवन के बारे में सामान्य जानकारी रखती होगी |

 ➤प्रस्तावना :-

क्र. स.

छात्र अध्यापक क्रियाएं

छात्र क्रियाए

1.

कुम्भ मेला कहाँ लगता है ?

इलाहाबाद में

2.

इलाहाबाद में कौन सा राजा प्रति वर्ष अपनी सम्पत्ति दान करता था ?

हर्षवर्धन

3.

हर्षवर्धन किस काल का शासक था ?

वर्धन काल

➤उद्देश्य कथन :- आज हम लोग ‘वर्धन काल’ के विषय में अध्ययन करेंगे।

➤प्रस्तुतीकरण :-

शिक्षण बिन्दु

छात्र अध्यापक क्रियाएं

छात्र क्रियाए

1. वर्धन काल का आरम्भ

गुप्त काल से लगभग सौ वर्षो के बाद उत्तर भारत में एक नयी शक्ति का आरम्भ हुआ | जो वर्धन वंश के नाम से प्रसिद्ध था | उसकी राजधानी थानेश्वर (वर्तमान अम्बाला जिला) थी | इस वंश का प्रथम शासक प्रभाकर वर्धन था, जिसने हुणों को उत्तर-पश्चिम भारत से बाहर खदेड़ दिया था | इसी वंश में आगे चलकर हर्षवर्धन नाम का राजा हुआ |

छात्रा ध्यानपूर्वक सुनेगी |

2. हर्षवर्धन

 

हर्षवर्धन 606 ई. में गद्दी पर बैठा | उस समय उसकी राजधानी थानेश्वर ही थी | बाद में हर्ष ने कन्नौज को अपनी राजधानी बनाया |

संगम नगरी इलाहाबाद में माघ, अर्द्धकुम्भ एवं कुम्भ का पर्व मनाया जाता है | इसमें दूर-दूर से लोग आते है | आज से लगभग 1400 वर्षो पूर्व हर्ष वर्धन भी यहाँ प्रति आकर धर्म सभा करवाते थे | यहाँ वह अपनी पाँच वर्ष की संचित संपत्ति का दान करते थे | हर्ष वर्धन स्वयं विद्वान थे तथा वह विद्वानों के आश्रयदाता थे |

छात्रा ध्यानपूर्वक सुनेगी |

3. वर्धन काल ह्वेनसांग की नजर से

हर्षवर्धन का प्रजापालक एवं उदार शासक थे | उन्होंने जिन राज्यो पर विजय प्राप्त की थी | उन राजाओं ने हर्ष की आधीनता स्वीकार कर ली | हर्ष वर्धन ने अपने सम्पूर्ण साम्राज्य की व्यवस्था के लिए उसे भुक्तियों (प्रान्तों), विषयों (जिलो) तथा ग्रामों में विभाजित किया उसके शासन में अपराध कम होते थे | अपराध करने वाले को कठोर दण्ड दिया जाता था | हर्ष को बौद्ध धर्म से लगाव था | उसने कन्नौज में एक विशाल धर्म सभा बुलाई | वह बहुत दानी था | नालन्दा का विश्व प्रसिद्ध विश्वविद्यालय हर्ष के राज्य में था | यहाँ धर्म के अतिरिक्त व्याकरण, तर्क, चिकित्सा, विज्ञान शिल्प और उद्योग की भी शिक्षा दी जाती थी | धार्मिक सदभाव था | लोगो के विचारों में मतभेद नहीं था |

647 ई. में हर्षवर्धन की मृत्यु हो गई उसने लगभग 40 वर्षो तक शासन किया | उसकी मृत्यु के बाद केन्द्रीय सत्ता छिन्न-भिन्न हो गई तथा दक्षिण भारत में छोटे-छोटे राजवंशो की स्थापना की |

छात्रा ध्यानपूर्वक सुनेगी |


➤ श्यामपट्ट सारांश :-

1. हर्षवर्धन को बौद्ध धर्म से लगाव था |

2. हर्षवर्धन ने पूरे 40 वर्षो तक शासन किया |

3. हर्षवर्धन को प्रजापालक तथा उदार शासक माना जाता था |

4. हर्षवर्धन प्रति पाँच वर्ष में अपनी संचित धन को प्रयाग के कुम्भ में दान करता था |

5. हर्ष वर्धन के राज्य में नालन्दा विश्वविद्यालय था |

➤ निरीक्षण कार्य :-

छात्राध्यापिका छात्राओं से श्यामपट्ट सारांश को कॉपी में लिखने को कहेंगी तथा कक्षा में घूम-घूम कर निरीक्षण करते हुए उनकी समस्याओं को दूर करेंगी |

➤ मूल्यांकन प्रश्न :-

सत्य और असत्य बताइये-
1. हर्ष वर्धन की राजधानी कन्नौज थी | (   )
2. हर्ष वर्धन प्रति 5 वर्षो में दान दिया करता था | (   )
3. हर्ष वर्धन एक क्रूर व्यक्ति था | (   )
4. हर्ष वर्धन की मृत्यु 647 ई. में हुई थी | (   )
5. नालन्दा का विश्वविद्यालय हर्ष के राज्य में था | (   )
 
➤ गृहकार्य :-
 
हर्ष वर्धन के द्वारा लिखित पुस्तकों का नाम लिखिए |

Important Links

About the author

Sarkari Guider Team

Leave a Comment