विद्यालय छात्रावास भवन पर प्रकाश डालिए। छात्रावास प्रबन्धन पर टिप्पणी लिखिए। विद्यालयी छात्रावास में कौन-सी सुविधाएं अपेक्षित हैं ?
विद्यालय छात्रावास भवन – School Hostel Building in Hindi – छात्रावास विद्यालय की तब अनिवार्य आवश्यकता है, जब उसमें पढ़ने वाले विद्यार्थी दूरस्थ स्थानों के हों। प्रायः प्राथमिक स्तर तथा माध्यमिक स्तर पर ग्रामीण क्षेत्रों में इनकी आवश्यकता नहीं होती। यदि विद्यालय की शैक्षिक उपलब्धियाँ प्रशंसनीय हैं तो स्वाभाविक है कि बाहर से भी अभिभावक ऐसे विद्यालय में अपने बालकों को पढ़ने के लिये भेजना चाहेंगे। अतः प्रत्येक अच्छे कार्य करने वाले विद्यालय के लिये छात्रावास की आवश्यकता है। अब आज ही नहीं, अपितु हमारी प्राचीन परम्पराओं में भी था। गुरुकुल में छात्रावास की आवश्यकता होती थी। अतः यह सर्वथा उपयुक्त होगा कि छात्रावास निर्माण योजना पर भी विचार किया जाये। छात्रावास, छात्रों में सामूहिक जीवन जीने की कला विकसित करने के उपयुक्त स्थल है। ऐसे स्थान हैं, जहाँ विद्यार्थी भावी जीवन के लिये सहयोग, साहचर्य और आत्म-निर्भरता का जीवन व्यतीत करने का प्रशिक्षण लेते हैं। इससे उनमें, स्वशासन, आत्म-निर्भरता, परस्पर सहयोग, स्व-निर्माण आदि गुणों का विकास होता है जो किसी भी जनतन्त्रीय शासन व्यवस्था के नागरिकों के विकास के लिये आवश्यक है। छात्रावास के साथ उपयुक्त खेल के मैदान व आन्तरिक खेल की व्यवस्था होने से छात्रों का समुचित शारीरिक विकास भी होता है तथा जीवन में खेल की भावना का विकास होता है और उसमें समुचित प्रवृत्तियाँ आयोजित होती हैं तब छात्रों में नैतिक एवं मानसिक विकास के अवसर भी बढ़ जाते हैं।
किसी विद्यालय में छात्रावास की व्यवस्था करने के पूर्व निम्नलिखित तथ्य भी विचारणीय होते हैं-
(1) छात्रावास कितने विद्यार्थियों के लिये हो, जिससे उनके रहन-सहन में कठिनाई न हो।
(2) छात्रावास के साथ भोजन के लिये साधनों की व्यवस्था हो या भोजनालय की व्यवस्था हो।
(3) छात्रावास भवन. मुख्य विद्यालय भवन के बहुत पास हो और दूर न हो।
(4) छात्रावास के आसपास पर्यावरण स्वच्छ हो। उपयुक्त पेड़-पौधों, मैदान की व्यवस्था हो।
(5) छात्रावास में आन्तरिक खेलों की समुचित व्यवस्था हो।
(6) छात्रों के अनुरूप सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते रहें।
छात्रावास प्रबन्धन– छात्रावास प्रबन्धन वस्तुतः उतना ही महत्त्वपूर्ण है जितना की विद्यालय प्रबन्धन। इस सन्दर्भ में रायबर्न लिखते हैं कि “छात्रावास प्रबन्धक का कार्य अत्यन्त कठिन है, जिसके लिये धैर्य, कौशल, वैज्ञानिक दृष्टिकोण व चतुराई की आवश्यकता है।”
छात्रावास व्यवस्था सुचारु रूप से चले, इसके लिये होस्टल वार्डन को पूर्ण विवेक के साथ योजनाबद्ध तरीके से कार्य करना होता है। इसके लिये छात्रावास प्रभारी (वार्डन) को हर समय सतर्क रहना होता है। एक अच्छा छात्रावास वार्डन, दृढ़ चरित्र एवं स्नेहपूर्ण वाला होना चाहिए। नियमित व संयमी वार्डन ही विद्यार्थियों की प्रशंसा अर्जित कर सकता है। उसे सभी व्यसनों से मुक्त होना चाहिये। अन्यथा होस्टल भी बिना व्यसनों के नहीं रह पायेगा। कुशल प्रभारी, शान्ति व धैर्य से छात्रों की बात सुनने वाला, निष्पक्ष, दूरदर्शी व्यवस्थापक ही अच्छे छात्रावास व्यवस्थापक के रूप में छात्रों पर नियन्त्रण रखते हुये छात्रावास की कुशल व्यवस्था प्रदान कर पाने में सक्षम होते हैं।
छात्रावास सम्बन्धी कार्य-
छात्रावास से सम्बन्धी कार्य निम्नानुसार हैं-
(1) छात्रों के आवास की व्यवस्था सम्बन्धी।
(2) भोजन व्यवस्था।
(3) जल व्यवस्था।
(4) छात्रावास सफाई।
(5) प्रकाश व्यवस्था।
(6) छात्रावास, खेलकूद तथा अन्तः छात्रावास कार्यक्रम।
(7) छात्रावास सुरक्षा।
(8) छात्रावास पर्यवेक्षण तथा
(9) अनुशासन।
छात्रावास की सामान्य समस्याएं-
छात्रावास के सम्बन्ध में आये दिन कुछ न कुछ समस्याएं आती रहती हैं। इनमें से कुछ निम्नानुसार हैं-
(1) छात्रों का बिना अनुमति के बाहर रहना या चले जाना,
(2) छोटे छात्रों के साथ अस्वाभाविक सम्बन्ध,
(3) परस्पर साथी छात्रों, चौकीदार व सहायकों के साथ दुर्व्यवहार,
(4) कमरों के सामानों की चोरी।
(5) बाहर के व्यक्तियों का छात्र-अभिवावक या सम्बन्धी बनकर ठहरना,
(6) परस्पर छात्रों का लेन-देन, बाद में विवाद का कारण,
(7) विभिन्न छात्रावास समितियों के चुनावों को लेकर परस्पर मन-मुटाव,
(8) छात्रावास-भोजनालय समिति के आलेख की समस्या एवं
(9) महिला छात्रावासों में बाहर से मिलने वाले, पुरुष छात्रों के पत्रों का सहायकों या अन्य माध्यमों से आदान-प्रदान।
उपर्युक्त समस्याओं के अतिरिक्त अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं जिन्हें वार्डन अपने स्वववेक तथा नियमानुसार अधिकार क्षेत्र से, सम्बन्धित व्यक्तियों के परामर्श, निर्णय आदि लेकर हल कर सकता है।
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