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समयानुरूप मानव संसाधन का विकास | Timely Development of Human Resources

समयानुरूप मानव संसाधन का विकास

समयानुरूप मानव संसाधन का विकास

समयानुरूप मानव संसाधन का विकास

आज के समय में युवक ही क्रियाशील जीव है, जो समाज की समस्याओं का समाधान खोजने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकता है। यदि इन युवक और युवतियों को जनसंख्या सम्बन्धी आवश्यक और उचित विचारों, कार्य की विधियों, मूल्य की धारणाओं एवं प्रवृत्तियों से परिपूर्ण कर दिया जाय तो वे समाज के आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, नैतिक, राजनैतिक, उत्थान तथा सभी के कल्याण के लिये नेतृत्व प्रदान कर सकेंगे एवं आदर्श नागरिक बन सकेंगे। शिक्षा के माध्यम से बाल पीढ़ी को ‘नागरिक’ की स्थिति में आने के लिये उच्च जीवन-यापन की धारणा को परिपुष्ट बनाने के लिये एवं आदर्श नागरिक के गुणों का विकास करने के लिये जनसंख्या शिक्षा का ज्ञान आवश्यक है। किसी भी राष्ट्र का जीवन तथा उसकी उन्नति अवनति उसके नागरिकों पर आधारित है। यदि राज्य में अच्छे नागरिकों की संख्या अधिक है तो उस राष्ट्र का जीवन अच्छा होगा। वह अपना विकास शीघ्र तथा अच्छी प्रकार से कर सकेगा, जबकि इसके अभाव में एक राष्ट्र अवनति की ओर अग्रसर होता है। अत: हमारे सम्मुख यह एक प्रश्न उपस्थित होता है कि आदर्श नागरिक के कौन-कौन से गुण होने चाहिये और जनसंख्या शिक्षा द्वारा किस प्रकार इन गुणों का विकास किया जा सकता है?

हमारे प्राचीन धर्मशास्त्रों ने ‘सत्यम् शिवम् सुन्दरम्’ पर अधिक बल दिया है अर्थात् एक आदर्श व्यक्ति का जीवन सत्यमय,कल्याणमय तथा सुन्दर हो। जब व्यक्ति इन गुणों को जीवन में उतार लेगा तो वह निश्चित ही आदर्श नागरिक बन सकता है। इस कार्य में जनसंख्या शिक्षा एक अभूतपूर्ण योगदान दे सकती है। छोटा परिवार कल का आदर्श परिवार होगा और आदर्श नागरिकों के बनाने में सहयोग देगा। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने आदर्श नागरिकों के गुणों में सत्य, अहिंसा एवं निर्भीकता का स्थान दिया है। लार्ड जाइस के अनुसार, “एक अच्छे नागरिक में बुद्धि, आत्मसंयम और विवेक का होना आवश्यक है।” ह्वाइट के विचारों में अच्छे नागरिक में व्यावहारिक बुद्धि, ज्ञान और लगन ये तीनों गुण आवश्यक हैं। आदर्श नागरिक और आदर्श व्यक्ति में कोई विशेष भेद नहीं है, जिस व्यक्ति को हम आदर्श व्यक्ति कहते हैं, वह अवश्य ही आदर्श नागरिक होगा। उसी प्रकार जो व्यक्ति एक आदर्श नागरिक है, वह अवश्य ही आदर्श व्यक्ति होता है। आदर्श व्यक्ति और आदर्श नागरिक के गुणों में प्रायः समानता है परन्तु विद्वानों के अनुसार दोनों में एक बात का मौलिक अन्तर है। आदर्श नागरिक सदैव अपने देश को सर्वस्व मानता है, उसमें अत्यन्त देश-प्रेम होता है, जिसके कारण वह अपने देश की किसी बात को कभी अनुचित नहीं मानता। लेकिन एक आदर्श व्यक्ति में अपेक्षाकृत नैतिकता और मानवता की भावना अधिक प्रबल होती है। आधुनिक समय में विद्वान निम्नलिखित गुणों को आदर्श नागरिक के गुणों में सम्मिलित करते हैं-

1. सामाजिक भावना- आदर्श नागरिक में प्रबल सामाजिक भावना होनी चाहिये। लॉस्की के कथन के अनुसार, “नागरिक जनता के हित के लिये व्यक्ति का योगदान है। इसका तात्पर्य है कि अच्छा नागरिक वही है, जो समाज के हित के लिये अपने हितों का त्याग कर दे। जनसंख्या शिक्षा के माध्यम से जनसाधारण में सामाजिक भावना का विकास किया जा सकता है।

2. विवेक- विवेक से अभिप्राय है-अच्छे और बुरे में भेद करने की क्षमता। इसके बिना एक व्यक्ति का आदर्श नागरिक होना असम्भव है। आज की प्रमुख विस्फोटक समस्या जनसंख्या वृद्धि है। इस समस्या के समाधान हेतु जनसंख्या शिक्षा के माध्यम से यह विवेक नागरिकों में पैदा करना होगा कि देश के विकास का लाभ जनसाधारण को अधिकतम तभी प्राप्त हो सकता है, जब हम छोटा परिवार रखें।

3. अच्छी शिक्षा- अच्छी शिक्षा आदर्श नागरिक की आधारशिला है। अच्छी शिक्षा से अज्ञान, अन्धकार, अन्धविश्वास तथा संकीर्णता आदि अनेक बुराइयों का अन्त हो सकता है तथा मानव में ज्ञान, बुद्धि तथा विवेक आदि का स्वाभाविक विकास होता है। अच्छी शिक्षा जनसंख्या शिक्षा के माध्यम से छात्र-छात्राओं को उपलब्ध करायी जा सकती है। जब छोटा परिवार होगा और जीवन-स्तर उच्च होगा तब परिवार के सदस्यों को अच्छी एवं उच्च शिक्षा उपलब्ध करायी जा सकती है। शिक्षित व्यक्ति जनसंख्या नियन्त्रण के उपायों को भली प्रकार अपने जीवन में अपना कर देश की समृद्धि में योगदान कर सकता है।

4. अच्छा स्वास्थ्य- आदर्श नागरिक के लिये आवश्यक है कि वह सदैव अपने देश और समाज की सेवा के लिये तत्पर रहे परन्तु अच्छे स्वास्थ्य के अभाव में कोई नागरिक अपनी इस जिम्मेदारी को निभाने में सफल में नहीं हो सकता। एक बात और भी है कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का निवास होता है। इस दृष्टि से अच्छा स्वास्थ्य आदर्श नागरिक का महत्त्वपूर्ण गुण है। जनसंख्या शिक्षा की विषय-वस्तु में अच्छे स्वास्थ्य एवं पोषण को सम्मिलित किया गया है; जिसमें –

  • छोटा परिवार होगा तो स्वास्थ्य बालकों का उत्तम होगा।
  • स्वस्थ माँ, स्वस्थ बच्चा, कम बच्चों की आवश्यकता एवं बच्चों का टीकाकरण।
  • स्वच्छता, पीने का साफ पानी, सन्तुलित भोजन और स्वास्थ्य सुविधाएँ।
  • जनसंख्या की वृद्धि का स्वास्थ्य सुविधाओं पर दबाव आदि बातों को नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति सन् 1986 में बढ़ावा देने की बात कही गयी है।

5. उदात्त विचार एवं आत्म-संयम- आदर्श नागरिक में विचारों की उदारता का होना आवश्यक है। विचारों की उदारता अधिकांशतः आत्म-संयम पर निर्भर करती है। इससे नागरिक में गम्भीरता आती है। आदर्श नागरिक को गम्भीर होना चाहिये और कभी भी शाला में आकर अनुचित व्यवहार नहीं करना चाहिये। ये समस्त गुण आदर्श परिवार में ही प्राप्त हो सकते हैं। आदर्श परिवार के निर्माण में जनसंख्या शिक्षा की अहम् भूमिका है। जैसे-छाटा परिवार, सुखी-परिवार, बेटी-बेटे सभी महत्त्वपूर्ण हैं तथा बराबर हैं। माँ शिक्षित होगी तो पारिवारिक जीवन बेहतर होगा। जब परिवार सुखी एवं सम्पन्न होगा तो निश्चित ही उस परिवार के सदस्यों में उदारता और आत्म-संयम के गुण आ जायेंगे।

6. परोपकार और सेवा की भावना- आदर्श नागरिक में परोपकार तथा मानव सेवा आदि के गुण अवश्य होने चाहिये। आदर्श नागरिक वह व्यक्ति कहा जायेगा, जिसमें स्वार्थ की भावना का अभाव है और उसके स्थान पर उत्कृष्ट त्याग की भावना विद्यमान हो। वह सार्वजनिक हित के लिये व्यक्तिगत हित त्यागने के लिये तत्पर हो तभी वह अच्छा नागरिक कहलायेगा। इन गुणों का विकास हम जनसंख्या की वृद्धि पर नियन्त्रण के माध्यम से कर सकेंगे क्योंकि जायेगा। जनसंख्या नियन्त्रण जनसंख्या इससे हमारी बहुत-सी समस्याओं का ही समाधान शिक्षा का एक महत्त्वपूर्ण अंग है।

7. राष्ट्र के प्रति भक्ति- आदर्श नागरिकों में देश-प्रेम तथा देश भक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी होनी चाहिये। अपने देश तथा देशवासियों की सेवा में तन-मन और धन को लगा देना एक आदर्श नागरिक के गुण हैं। छात्र-छात्रओं में देश-प्रेम और देश-भक्ति जनसंख्या शिक्षा पर विचार देकर भी उत्पन्न कर सकता है। आदर्श नागरिक जनसंख्या के नियन्त्रण में सहयोग देकर अपना सच्चा देश-प्रेम प्रदर्शित कर सकता है।

8. मताधिकार का उचित प्रयोग- सन् 1989 से भारत में मताधिकार 18 वर्ष के नवयुवकों को प्रदान किया गया है। इस प्रकार देश में जनसंख्या शिक्षा का महत्त्व भी बढ़ गया है। छात्र-छात्राओं को छोटे परिवार की शिक्षा देकर उनको सुखी सम्पन्न बनाया जा सकेगा, जिसका अन्ततः प्रभाव देश की शासन व्यवस्था, देश के विकास एवं समृद्धि पर पड़ेगा। लघु परिवार ही भविष्य में आदर्श परिवार होंगे और आदर्श परिवार में आदर्श नागरिक का निर्माण होगा। ऐसे आदर्श नागरिक मताधिकार का प्रयोग कर सकेंगे।

9.शिष्ट व्यवहार एवं अच्छी आदतें- आदर्श नागरिकों के गुणों का विकास करना वर्तमान समय में जनसंख्या शिक्षा के द्वारा ही सम्भव है। परिवार का विकास, सामाजिक भावना का विकास, विवेक, उदार विचार एवं आत्म-संयम, अच्छी शिक्षा एवं अच्छा स्वास्थ्य, अच्छी आदतें, पड़ोसियों के साथ शिष्ट व्यवहार, परोपकार एवं सेवा की भावना तथा देश-प्रेम आदि मानवीय गुणों का विकास सुखी सम्पन्न परिवार होने से ही सम्भव है।

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