पुस्तकालय की अवधारणा, महत्व एवं कार्य
पुस्तकालय की अवधारणा
पुस्तकालय की अवधारणा- पुस्तकालय के अर्थ के सम्बन्ध में प्रसिद्ध दार्शनिक बेकन (Becon) का कहना है, “पुस्तकालय अलमारियों के वे खाने हैं जहाँ सद्गुणयुक्त सन्तों की स्मृतियाँ, बिना किसी भ्रमपूर्ण मिश्रण और पूर्ण महत्ता के साथ सुरक्षित एवं अनुरक्षित रखी जाती हैं।
“Libraties are the shelves where the relics of saints full of virtues and the without delusion and importance are preserved and reposed.”
लाइब्रेरी या पुस्तकालय किसी कमरे या भवन में पुस्तकों के एकत्रीकरण का नाम नहीं है। शिक्षा आयोग (Education Commission, 1964-66) के कथनानुसार, “पुस्तकों का एकत्रीकरण यहाँ तक कि अच्छी पुस्तकों का एकत्रीकरण भी, पुस्तकालय का निर्माण नहीं करता। पुस्तकालय पृष्ठभूमि सम्बन्धी सामग्री का समूह है जो पाठ्यक्रम से सम्बन्धित क्रियाओं से संवृद्ध करने के लिए एकत्रित किया जाता है। यह ऐसा स्थान है जहाँ सूचना संसाधन के रूप में पुस्तकों का प्रयोग सिखाया जाता है और उनका अभ्यास कराया जाता है।”
“A collection of books, even a collection of good books, does not constute a library. Library is a collection of the “background material” which can be drawn upon to enrich the work of the curriculum. It is a place where the use of books as sources of information may be taught and practised.
पुस्तकालय को एक ऐसी सार्वजनिक संस्था अथवा व्यवस्थापन समझा जाता है जो पुस्तकों का सावधानी से एकत्रीकरण करती है, उन लोगों तक पुस्तकें पहुँचाती है जिन्हें उनकी आवश्यकता होती है और आस-पड़ोस के लोगों में पुस्तकालय आने तथा पुस्तकें पढ़ने की आदत का निर्माण करती है।
पुस्तकालय बुलेटिन (Library Bulletin) के अनुसार, “पुस्तकालय स्कूल के बौद्धिक जीवन का केन्द्र होना चाहिए जो सन्दर्भो (References), अध्ययन एवं निजी पठन के लिए हर समय खुला रहे। यह एक शान्त स्थान होना चाहिए । यहाँ का वातावरण ऐसा होना चाहिए जिसके अध्ययन को प्रोत्साहन मिले। यहाँ सज्जा ऐसी होनी चाहिए कि अपेक्षित वस्तु का प्रयोग सुविधापूर्वक हो सके। यह केवल पुस्तकों को एकत्रित करने एवं बाँटने का केन्द्र नहीं होना चाहिए।”
“The library should be the center of the intellectual like of the school available at all times for reference, for study and for private reading. It should be a quiet place, an environment which encourages study and reading, furnished and equipped for comfortable use. It should be very much more than a storeroom and distributing center of books”
पुस्तकालय विचारों का खजाना है, ज्ञान का भण्डार है और जीवित विचारों की वेगवान नदी है।
(Library is the treasure vault of ideas, store house of knowledge and flowing stream of living through.)
पुस्तकालय का महत्व एवं कार्य
पुस्तकालय ज्ञान का स्तम्भ है, संस्कृति का भण्डार है और विकास का साधन है। यह एक ऐसा संवृद्ध झरना है जो शिक्षा एवं संस्कृति के विस्तृत क्षेत्र का सिंचन करता है।
(Library is a gateway of knowledge, repository of culture and an instrument of advancement. It is a rich spring from which knowledge flows out to irrigate the wide dield of education and culture.)
हमारी बहुत-सी सांस्कतिक विरासत नष्ट हो चुकी होती, यदि वह प्राचीन पुस्तकालयों में सुरक्षित न होती। बरबारा रूथ फ्यूस्सली कईल के शब्दों में, “पुस्तकालय ज्ञान का संरक्षण करते हैं ताकि उसमें कुछ भी लुप्त न हो जाये, ज्ञान को संगठित करते हैं ताकि कुछ भी व्यर्थन जाये और ज्ञान को सबकी पहुंच में रखते हैं ताकि कोई भी उससे वंचित न रहे।” पुस्तकालय के बिना स्कूल ऐसे हैं जैसे आत्मा के बिना शरीर। स्कूल पुस्तकालय स्कूल के शैक्षणिक जीवन का स्नायु-केन्द्र है। यह वास्तविक अर्थों में स्कूल की बौद्धिक कार्यशाला होती है। एच. जी. वैल्ज (H.G. Wells) के शब्दों में, “जिस कम एक हजार पुस्तकें नहीं होती हैं और वे पुस्तकें आसानी से प्राप्त नहीं हैं, उसे वास्तविक अर्थों पुस्तकालय में कम में स्कूल नहीं कहा जा सकता । ऐसा स्कूल उस औषधालय के समान है जहाँ दवाइयाँ नहीं है या ऐसे रसोईघर के समान है जहाँ वांछित सामान नहीं है।”
फ्रांसिस हैनी (Frances Henne) के कथनानुसार, “अच्छे स्कूलों, बहुत अच्छे स्कूलों और शानदार स्कूलों में शानदार पुस्तकालय होने चाहिए। घटिया स्कूलों में भी शानदार पुस्तकालय होने चाहिए ताकि वहाँ के पाठ्यक्रमों के अभावों को दूर किया जा सके और उचित शैक्षणिक कार्यक्रमों की क्षतिपूर्ति हो सके।”
“Good schools, very good schools, and excellent school, all need excellent libraries. Inferior schools, need excellent libraries too. to overcome the omissions of the curriculum and to compensate safe for the proper instructional programme.
पुस्तकालय के महत्व एवं कार्यों का निम्नलिखित बिन्दुओं में अध्ययन किया जा सकता है-
1. बौद्धिक कार्य विधि (Intellectual function)- पुस्तकालय विद्यार्थियों एवं तर्क अध्यापकों के लिए बौद्धिक भोजन प्रदान करता है। यह विचार प्रक्रिया, कल्पना, एवं रचनात्मकता को प्रोत्साहन देता है। यह उनकी ज्ञान-पिपासा शान्त करता है, उनका मानसिक क्षितिज विस्तृत करता है, उनकी सामान्य सूचनाओं में वृद्धि करता है, उन्हें शिक्षित करता है और उनमें और जानने की जिज्ञासा जगाता है। पुस्तकालय एक अच्छे स्कूल का स्नायु-केन्द्र (Nerve Centre) और उसके शैक्षिणिक जीवन का केन्द्र-चक्र है।
2. पढ़ने की आदत (Reading habit)- पुस्तकालय पढ़ने की उचित आदत के निर्माण में सहायता प्रदान करता है। यह पढ़ने में रुचि जाग्रत करता है और स्वतंत्र अध्ययन की आदत का निर्माण करता है। ज्ञान के व्यापक भण्डार को सामने देखकर ज्यादा पढ़ने की इच्छा को प्रोत्साहन मिलता है।
3. रचनात्मक कार्य- पुस्तकालय रचनात्मक कार्यों में भी सहायता प्रदान करता है। यह पाठकों को रचनात्मक कार्यों के लिए प्रोत्साहित एवं प्रेरित करता है। पुस्तकालय द्वारा विद्यार्थी सूचनाएं एकत्रित करने के लिए प्रेरित हो उठते हैं और वे इन सूचनाओं का अपनी मौलिक रचनाओं में उपयोग करते हैं। स्वतंत्र अध्ययन से वे विभिन्न क्षेत्रों में मौलिक योगदान करने की योग्यता प्राप्त करते हैं। पुस्तकालय से प्राप्त विविध पुस्तकें प्रेरणा का महान साधन है और नये दृष्टिकोणों, नये विचारों तथा जीवन के प्रति नवीन उत्साह जगाने में सहायता करती है।
4. भावात्मक कार्य (Linguitic function)- पुस्तकालय से पाठकों की भाषात्मक योग्यताएं सशक्त बनती हैं। विविध पुस्तकों के अध्ययन से उन्हें नये शब्दों का ज्ञान होता है जो उन्हें पाठ्य-पुस्तकों तथा सन्दर्भ पुस्तकों को उचित रूप से समझने की योग्यता प्रदान करता है।
5. मनोरंजन कार्य ( Recreational function)- पुस्तकालय विद्यार्थियों को मनोरंजन प्रदान करता है और उन्हें कक्षा के उबाऊ वातावरण से मुक्ति दिलाता है। पुस्तकालय केवल परीक्षाओं के लिए नहीं बल्कि मनोरंजन के लिए भी अध्ययन रुचि को विकसित करता है। यह विद्यार्थियों को अवकाश काल के उपयोगी एवंआनन्दपूर्ण यापन के लिए स्वस्थ्य वातावरण प्रदान करता है। एक कवि ने कितना सुन्दर लिखा है-
“Books are keys to wisdom’s pleasure;
Books are gates to lands of pleasure;
Books are paths that upward lead:
Books are fiends, come, let us read.”
“इसका अर्थ है कि पुस्तके मित्र हैं, विवेकी निधि है, हमें आनन्द देती हैं और हमें ऊँचा उठाती हैं। पुस्तकालय किशोरों की शक्ति को उपयोगी दिशाओं की ओर ले जाता है और उन्हें गप्पे लगाने, आवारागर्दी करने, ताश खेलने जैसी बुरी आदतों से बचाता है।
6. पूरक कार्य (Supplementary function)- पुस्तकालय अध्ययन कक्षा के कार्य को पूर्ण करता है। शिक्षण की सभी प्रगतिशील विधियां पुस्तकालय द्वारा आत्म-अध्ययन एवं निरीक्षित अध्ययन (Supervised Shudy) पर आधारित है। मुदालियर (Mudaliar) के कथनानुसार, “प्रगतिशील शिक्षण विधियों को क्रियान्वित करने के लिए पुस्तकालय को एक अनिवार्य साधन समझना चाहिए।”
“The library may well be regarded as an essential instrument of pulting progressive methods into practice.
विद्यार्थी दत्त-कर्य (Assignment) को सन्दर्भ पुस्तकों, स्रोत पुस्तकों (Source Books) तथा अन्य उच्च स्तरीय पुस्तकों से प्राप्त सामग्री की सहायता से पूरा करते हैं।
7. सांस्कृतिक कार्य (Cultural function)- पुस्तकालय सांस्कृतिक परम्पराली संरक्षण का महान साधन है। (A library is a great source for the preservation and tradition of culture.) इतिहास साक्षी है कि ज्ञान पुस्तकों के माध्यम से ही एक पीढ़ी से दूसरी महान विद्वानों, दार्शनिकों एवं वैज्ञानिकों के विचार समस्त संसार में जाने जाते हैं।
8. अनुदेशनात्मक कार्य (Instrumental function)- पुस्तकालय अध्यापकों को विभिन्न स्कूल विषयों से सम्बन्धित विविध प्रकार की पाठ्य एवं सन्दर्भ पुस्तक प्रदान करके उनके अनुदेशनात्मक कार्य को सुविधाजनक बनाता है।
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