रेखा चित्र व दण्ड चित्र
रेखा चित्र व दण्ड चित्र पर लेख लिखिए।
रेखा चित्र ( Line Diagrams )-
जब पद-मूल्यों की संख्या अधिक होती है तब रेखा चित्र का प्रयोग करते हैं। इसमें रेखाओं की लम्बाई द्वारा मूल्यों की मात्रा को प्रकट किया जाता है। रेखाओं के मध्य अन्तर समान रहता है। रेखाएँ उदग्र (Vertical) और क्षैतिज (horizontal) दोनों प्रकार की हो सकती है।
दण्ड चित्र (Bar Diagram)-
रेखा चित्र और दण्ड चित्र में केवल इतना अन्तर है कि इसमें रेखाओं के स्थान पर दण्ड बना दिए जाते हैं। इन दण्डों की मोटाई समान होती है और दण्डों के मध्य दूरी भी समान रहती है। दण्ड चित्र का प्रयोग तब किया जाता है जब पदों की संख्या कम होती है। सामान्यतः 10 से कम पदों के लिए दण्ड चित्र का प्रयोग उपयुक्त होता है।
दण्ड चित्र कई प्रकार के होते हैं-
1. सरल दण्ड चित्र (Simple Bar Diagram)-
जब केवल एक ही तथ्य के आँकड़ों को प्रदर्शित करना होता है तब समान दण्ड चित्र का प्रयोग किया जाता है। सरल दण्ड चित्र भी दो प्रकार के होते हैं- उदग्र दण्ड (Vertical Bars) और क्षैतिज दण्ड (Horizontal Bars) जब दण्ड सीधे या खड़े बनाए जाते हैं तब उदग्र दण्ड कहलाते हैं और जब लेटे हुए बनाए जाते हैं तब क्षैतिज दण्ड कहलाते हैं। सरल दण्ड चित्र में दण्डों की लम्बाई के बढ़ते हुए या घटते हुए क्रम में बनाना चाहिए लेकिन यदि आंकड़ें समय या अन्य किसी महत्वपूर्ण क्रम में दिए हों तब उसी क्रम में बनाना चाहिए।
2. भग्न माप-दण्ड ( Broken Scale ) का प्रयोग-
दण्ड चित्र में प्रत्येक दण्ड का आरम्भ ‘0’ शून्य से होता है परन्तु कभी-कभी सबसे बड़े और सबसे छोटे दण्ड में बहुत अधिक अन्तर होता है। ऐसी स्थिति में बड़े दण्ड को शून्य से आरम्भ करने के पश्चात बीच में तोड़ दिया जाता है।
3. द्विदिशा- दण्ड चित्र ( Dialateral or Duo-Directional Bar Diagram )-
जब दो विरोधी गुणों वाले तथ्यों को प्रदर्शित करना होता है और उनकी तुलना करनी होती है तब द्विदिशा-दण्ड चित्र का प्रयोग करते हैं। इस प्रकार के दण्ड चित्र में उदग्र दण्ड आधार रेखा के ऊपर और नीचे बनाए जाते हैं। धनात्मक या सकारात्मक मान आधार रेखा से ऊपर की ओर और ऋणात्मक या नकारात्मक मान आधार रेखा से नीचे की ओर प्रदर्शित किए जाते हैं।
4. अन्तर्विभक्त दण्ड-चित्र (Sub-divided Bar Diagram)-
जब एक ही राशि को कई भागों में विभक्त करके प्रदर्शित करना होता है तब अन्तर्विभक्त दण्ड-चित्र का प्रयोग किया जाता है। ये भाग कुल राशि के साथ अपना अनुपात प्रकट करते हैं तथा दूसरे के साथ तुलनीय होते हैं।
5. प्रतिशत अन्तर्विभक्त दण्ड-चित्र (Percentage Sub-divided Bar Diagram)-
यह भी अन्तर्विभक्त दण्ड-चित्र के समान ही बनाया जाता है। अन्तर केवल इतना है कि इसमें दण्ड को 100 प्रतिशत मानकर इसके विभिन्न भागों को इसके भाग के रूप प्रकट करते हैं। इसमें प्रत्येक दण्ड की लम्बाई और चौड़ाई बराबर होती है क्योंकि प्रत्येक दण्ड का मान 100 के बराबर होता है।
6. मिश्रित दण्ड चित्र (Compound Bar Diagram) –
इसमें आँकड़ों के तुलनात्मक अध्ययन के लिए एक से अधिक दण्ड चित्रों को सटाकर बनाया जाता है। गुणों की संख्या के आधार पर इसके निम्न प्रकार होते हैं-
- द्वि दण्ड चित्र (Double Bar Diagram)- जब दो गुणों की तुलना की जाती है तब द्वि दण्ड चित्र की रचना होती है। इसमें दो दण्ड चित्र सटाकर बनाए जाते हैं।
7. त्रिदण्ड चित्र (Treble Bar Diagram)-
जब तीन गुणों की तुलना की जाती है तब त्रिदण्ड चित्र की रचना होती है। इसमें तीन दण्ड सटाकर बनाए जाते हैं।
8. बहु दण्ड चित्र (Multiple Bar Diagram)-
आँकड़ों में जब किसी तथ्य के तीन से अधिक गुणों को चित्र द्वारा प्रदर्शित करना होता है, तब बहु दण्ड चित्र की रचना की जाती है। इसमें गुणों की संख्या के अनुसार ही दण्डों की संख्या रखी जाती है। इसकी रचना द्वि दण्ड और त्रिदण्ड चित्र के समान ही की जाती है, केवल दण्डों की संख्या बढ़ जाती है।
9. विचलन दण्ड-चित्र (Deviation Bar Diagram) –
इस प्रकार के दण्ड चित्र में राशियों के स्थान पर समय या स्थान परिवर्तन के कारण इन राशियों में हुये परिवर्तन (विचलन) को दर्शाया जाता है। यह दण्ड चित्र उर्ध्व रेखा के दोनों ओर बनाए जाते हैं। रेखा के दाहिने ओर धनात्मक परिवर्तन (विचलन) के दर्शाया जाता है और बांयी ओर ऋणात्मक परिवर्तन (विचलन) का दर्शाया जाता है।
10. सरकन दण्ड चित्र (Sliding Bar Diagram) –
ये दण्ड चित्र द्विदिशा दण्ड चित्र के समान ही होते हैं। इसमें दण्डों की लम्बाई समान रखी जाती है और इसे 100 मान लिया जाता है। दण्ड के भागों की लम्बाई, दण्ड के प्रतिशत के रूप में प्रकट होती है। अत: भागों की लम्बाई में परिवर्तन होता है।
Important Links
- दैव निदर्शन का अर्थ, चुनने की पद्धतियाँ, लाभ, दोष, तथा इससे सम्बन्धी सावधानियां in Hindi
- निदर्शन के आकार को निर्धारित करने वाले तत्व- Sociology in Hindi
- वैयक्तिक अध्ययन के विशिष्ट क्षेत्र | specific area of case study in Hindi
- वैयक्तिक अध्ययन के महत्व | Importance of case study in Hindi
- निदर्शन का अर्थ, परिभाषा एवं प्रकार | Meaning, Definition & Types of illustration in Hindi
- एक उत्तम निदर्शन की आवश्यक विशेषताएँ | Essential Characteristics of a good sampling in Hindi
- वैयक्तिक अध्ययन के संयंत्र तथा स्रोत | Tools and Sources of case study in Hindi
- वैयक्तिक अध्ययन -पद्धति का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएँ, तथा इसके दोष – in Hindi
- प्रश्नावली की रचना में तीन बातों पर ध्यान देना चाहिए- in Hindi
- तथ्यों के विश्लेषण एवं व्याख्या की प्रक्रिया |Procedure for analysis & interpretation of Facts in Hindi
- प्रश्नावली के अर्थ एवं परिभाषा तथा इसके प्रकार | Meaning, definition & types of questionnaire in Hindi
- साक्षात्कार का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएँ , उद्देश्य एवं लाभ – in Hindi
- प्रश्नावली के गुण, दोष एवं सीमाएँ | Merits & Demerits of Questionnair in Hindi
- अनुसंधान अभिकल्प क्या है ? तथा इसकी प्रकृति |Meaning & Nature of Research design in Hindi
- वैदिक साहित्य के प्रमुख वेद – ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद, अथर्ववेद in Hindi
- सामाजिक सर्वेक्षण के गुण व सीमाएँ | Qualities and limitation of social survey in Hindi
- परिकल्पना या उपकल्पना के प्रकार | Types of Hypothesis in Hindi
- उपकल्पना का अर्थ एवं परिभाषा तथा इसकी विशेषताएँ और प्रकृति – Sociology in Hindi
- भारतीय जनजातियों के भौगोलिक वर्गीकरण | Geographical classification of Indian tribes
- मैक्स वेबर की सत्ता की अवधारणा और इसके प्रकार | Concept of Power & its Variants
- मैक्स वेबर के आदर्श-प्रारूप की धारणा | Max Weber’s Ideal Format Assumption in Hindi
- स्पेन्सर के सामाजिक संगठन के ऐतिहासिक विकासवाद | Historical Evolutionism in Hindi
- स्पेन्सर के समाज एवं सावयव के बीच समानता | Similarities between Spencer’s society & matter
- मार्क्स के वर्ग-संघर्ष सिद्धांत | Marx’s class struggle Theory in Hindi
- आधुनिक पूँजीवादी व्यवस्था में मार्क्स के वर्ग-संघर्ष | Modern capitalist system in Hindi
- अगस्त कॉम्टे के ‘प्रत्यक्षवाद’ एवं कॉम्टे के चिन्तन की अवस्थाओं के नियम
- आगस्ट कॉम्टे ‘प्रत्यक्षवाद’ की मान्यताएँ अथवा विशेषताएँ | Auguste Comte of Positivism in Hindi
- कॉम्ट के विज्ञानों के संस्तरण | Extent of Science of Comte in Hindi
- कॉम्ट के सामाजिक स्थिति विज्ञान एवं सामाजिक गति विज्ञान – social dynamics in Hindi
- सामाजिक सर्वेक्षण की अवधारणा और इसकी प्रकृति Social Survey in Hindi
- हरबर्ट स्पेन्सर का सावयवि सिद्धान्त एवं सावयवि सिद्धान्त के विशेषताएँ
Disclaimer