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दृष्टि बाधित बालक किसे कहते हैं? परिभाषा Visually Impaired Children in Hindi

दृष्टि बाधित बालक किसे कहते हैं?
दृष्टि बाधित बालक किसे कहते हैं?

दृष्टि बाधित बालक किसे कहते हैं? परिभाषा Visually Impaired Children in Hindi

दृष्टि बाधित बालक (Visually Impaired Children)– दृष्टि बाधित बालक से आशय ऐसे बच्चों से है, जिनके नेत्र पूरी तरह से या आंशिक रूप से खराब हो गयी है।

नेत्र मनुष्य व सभी जीवों के लिए प्रकृति की एक बहुमूल्य देन है। यह फोटो कैमरे की भाँति कार्य करती हैं। नेत्र में वस्तुओं के वास्तविक प्रतिबिम्ब रेटिना पर बनते हैं। नेत्र एक विशेष प्रकार का प्रकाशिक यन्त्र है। इसका लेंस प्रोटीन से बने पारदर्शी पदार्थ का बना होता है। नेत्र के निम्नलिखित भाग होते हैं-

(1) दृढ़ पटल- मनुष्य का नेत्र एक खोखले गोले के समान होता है। यह बाहर से एक दृढ़ व अपारदर्शी श्वेत परत से ढका रहता है। इस परत को दृढ़ पटल कहते हैं। यह नेत्र के भीतरी भागों की सुरक्षा करता है।

( 2 ) रक्तक पटल- दृढ़ पटल के भीतरी पृष्ठ पर लगी काले रंग की झिल्ली को रक्तक पटल कहते हैं। रक्तक पटल आँख पर आवर्तित होने वाले प्रकाश का शोषण करता है, इसे कोरॉइड भी कहा जाता है।

(3) श्वेत मण्डल- यह एक कठोर पारदर्शी गोलीय संरचना होती है, जो आँख में प्रकाश का अपवर्तन करती है।

(4) परितारिका- कॉर्निया के पीछे एक रंगीन एवं अपारदर्शी झिल्ली का पर्दा होता है, जिसे आइरिस कहते हैं।

(5) पुतली- आइरिस के बीच में एक छिद्र होता है, जिसे पुतली अथवा नेत्र तारा कहते हैं। यह गोल तथा काली होती है।

पूर्वकाल से ही शारीरिक विकलांगता के क्षेत्र में सर्वाधिक रूप से दृष्टिहीनों को स्वीकारा जाता रहा है, परन्तु उनका जीवन सामाज में दया, सहानुभूति व भिक्षावृत्ति पर आश्रित रहा है। तथापि इतिहास ने हमें सूरदास जैसे प्रख्यात भक्ति कवि दिये, जो जन्मान्ध थे। लुई ब्रेल, जिन्होंने चक्षुहीनों को स्पर्श के माध्यम से पढ़ने हेतु सफल विधि देकर अत्यन्त ही बड़ा व सराहीय कार्य किया। वे स्वयं भी चक्षुहीन थे। आज के समय में चक्षुहीन विभिन्न औद्योगिक प्रशिक्षण ग्रहण करने के अतिरिक्त क्रिकेट व पैराशूट द्वारा वायुयान से कूदने जैसे अद्भुत प्रदर्शन करने लगे हैं।

चक्षुहीनता एक सरलतापूर्वक पहचानी जाने वाली विकलांगता है, किन्तु इसका अर्थ इसके सन्दर्भ के साथ परिवर्तित हो जाता है। चक्षुहीनता जीवन के प्रत्येक स्तर पर आंकी जा सकती है, जैसे- स्वार्थान्ध, मदान्ध, पदान्ध इत्यादि।

दृष्टि बाधित बालकों की परिभाषा (Definitions of Visually Impaired Children)

दृष्टिहीनता को समय-समय पर अलग-अलग दृष्टिकोण से पारिभाषित किया गया है। आयुर्विज्ञान में दृष्टिहीनता का तात्पर्य नेत्रों से कुछ भी न देखने की स्थिति है।

(1) शैक्षिक दृष्टि से- “दृष्टिहीनता एक ऐसा दृष्टि विकास है, जिसके परिणामस्वरूप दृश्य-सामग्री के प्रयोग से शिक्षण आंशिक रूप से भी सम्भव न हो सके।”

(2) चिकित्सीय दृष्टि से- चिकित्सीय विधि से दृष्टिहीनता की परिभाषा दृष्टि- तीक्ष्णता और देखने के क्षेत्र पर आधारित है। जिसको अग्रलिखित दो प्रकार से पारिभाषित किया जा सकता है-

दृष्टि-तीक्ष्णता के आधार पर-

सभी प्रकार के उपाय करने के बाद व्यक्ति किसी वस्तु को 20 फीट की दूरी पर नहीं देख पाता, जबकि सामान्य व्यक्ति उस वस्तु को 200 फीट की दूरी पर देखता है, तो उस व्यक्ति को दृष्टिहीन कहा जाता है। दृष्टि-तीक्ष्णता को 20/200 के रूप में लिखा जाता है। यह प्रदर्शित करता है कि व्यक्ति वस्तु को किस-किस दूरी तक देख सकता है।

देखने के नेत्र के आधार पर-

दृष्टि विकृत व्यक्ति के देखने के क्षेत्र का व्यास 20° से अधिक नहीं होना चाहिए तथा उनकी दृष्टि-तीक्ष्णता 20/200 से अधिक परिधि की होनी चाहिए।

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