जलवायु परिवर्तन पर एक विस्तृत निबन्ध लिखिए। Write a detailed essay on Climate change.
जलवायु परिवर्तन क्या है ?
जलवायु परिवर्तन (Climate Change)- जब भूमि, वातावरण, उसके ताप, जल प्रणाली के क्रियाकलापों में ऐसे परिवर्तन हों जो जलवायु के कारण मानव के जीवन, उसके रहन-सहन को प्रभावित करने लगें तो उसे जलवायु परिवर्तन कहते हैं। जैसे- भिन्न-भिन्न देशों की जलवायु भी भिन्न-भिन्न होती है। कई देशों में सम्पूर्ण वर्ष बर्फ पड़ती है। कई देशों में भीषण गर्मी जैसी जलवायु देखने को मिलती है। इसलिए जलवायु परिवर्तन का अध्ययन एक आवश्यक तत्व है, लेकिन अनायास जलवायु का परिवर्तन मानव जीवन के लिए संकट ही नहीं बल्कि उससे बचाव की स्थिति के लिए भूवेत्ता एवं वैज्ञानिक भी चिन्तित हो उठते हैं।
जलवायु परिवर्तन क्या होता है? इसे स्पष्ट रूप से विश्लेषित करना तो कठिन है, लेकिन जलवायु परिवर्तन समझने के लिए इसके आंकलन का कोई सर्वमान्य आधार दिखाई नहीं देता, फिर भी परिवर्तन प्रकृति का नियम है, इसलिए ऑकड़ों के आधार पर यह कह सकते हैं कि पृथ्वी की जलवायु में परिवर्तन उसी दशा में होता है जब सौर्य ज्वालामुखी, परमाणु तत्वों के विकिरण आदि अन्दरूनी घटक प्रभाव छोड़ते हैं। पृथ्वी की जलवायु में भी परिवर्तन सम्भव है।
जलवायु परिवर्तन में तापमान का विवेचन-
विश्व के तापमान में परिवर्तन अनेक प्रकार की स्थितियों के कारण होता है, इसलिए तापमान का मापन करने के लिए यन्त्रों का प्रयोग किया जाने लगा है, लेकिन यन्त्रीय पर्यवेक्षण के अनुसार 19वीं शताब्दी के मध्य से पहले का औसतन वैश्विक तापमान की गणना करना कठिन है, लेकिन 19वीं शताब्दी के अन्त से औसत तापमान में 0.05 से लेकर 0.15 सेन्टीग्रेट की बढ़ोत्तरी हुई है। लेकिन इस तापमान में बढ़ोत्तरी समान गति से न होकर व्यापक अन्तर रहा है।
जलवायु परिवर्तन में वर्षा-
सर्वविदित है कि ग्रीन हाउस प्रभाव के कारण वैश्विक जल चक्र में वैश्विक तापमान के परिवर्तन के कारण परिवर्तन हुआ है, परिणामस्वरूप वर्षा का पैटर्न भी बदल गया है। यही कारण है कि विश्व के अनेक भागों में औसत वर्षा परिवर्तनशील हो गयी है।
जलवायु परिवर्तन के प्रभाव-
जलवायु सम्बन्धी परिवर्तन का प्रभाव विश्व की विभिन्न दशाओं पर पड़ता है-
(1) कृषि एवं वानकीय पर प्रभाव-
जब जलवायु में अनायास परिवर्तन आता है तो कृषि एवं वानकीय का क्षेत्र पूर्णतया प्रभावित होता है, क्योंकि जैसे ही तापमान में वृद्धि होती है तो पृथ्वी की आर्द्रता घटती है, परिणामस्वरूप पूरा क्षेत्र सूखाग्रस्त हो जाता है।
(2) जलवायु परिवर्तन का जलचक्र एवं जल संसाधन पर प्रभाव-
जब जलवायु परिवर्तन अनायास होता है तो उससे कई क्षेत्रों में ऊँची वर्षा के कारण कृषि उत्पादन एवं परिस्थितिकीय में परिवर्तन आता है। अत: वैश्विक ताप वृद्धि से बर्फ 30 से 68 प्रतिशत तक पिघलती है। फलतः ऐसी तापवृद्धि 14 से 36% तक आर्द्रता में कमी कर देता है, वहीं जल चक्र में वृद्धि की सम्भावना उत्पन्न हो जाती है।
(3) जलवायु परिवर्तन का परिस्थितिकीय तंत्र पर प्रभाव-
क्या आपको मालूम है कि जब जलवायु में अनायास परिवर्तन आते हैं तो उसके पीछे कोई न कोई ठोस कारण होता है लेकिन इसका दुष्प्रभाव वन क्षेत्रों पर पड़ने के कारण पेड़-पौधों एवं वन्य-जीवों पर स्पष्ट दुष्प्रभाव पड़ता है। यह भी सत्य है इस प्रकार के जलवायु परिवर्तन की गति इतनी तीव्र होती है कि परिस्थितिकीय परिवर्तन ऐसे प्रभावों को आत्मसात करने अथवा झेलने में सक्षम नहीं रह जाते जिसके परिणामस्वरूप कई प्राणी विलुप्त हो जाते हैं और वनस्पतियाँ नष्ट होने लगती हैं।
(4) जलवायु परिवर्तन का महासागर पर प्रभाव-
वैश्विक ताप की बढ़ोत्तरी महासागर के तापमान में जब वृद्धि करता है तो समुद्र का जल स्तर बढ़ता है। परिणामस्वरूप समुद्र उथल-पुथल उत्पन्न होती है। इसका कुप्रभाव समुद्रीय जीव-जन्तुओं पर प्रत्यक्ष रूप से देखा जा सकता है। अनुमान है कि यदि वैश्विक ताप में बढ़ोत्तरी इसी गति से होती रही तो 2050 ई. तक समुद्र का जल स्तर 30-50 सेन्टीमीटर तक बढ़ जायेगा। इससे समुद्र के भीतरी भाग में आन्तरिक परिवर्तन होने से समुद्रीय तटों को भारी खतरा उत्पन्न हो सकता है। आपको मालूम है कि अभी हाल में सुनामी लहरों ने लाखों लोगों के जन-धन को हानि पहुँचायी है।
(5) जलवायु परिवर्तन का ऊर्जा, परिवहन, उद्योग पर प्रभाव-
जलवायु परिवर्तन से समुद्र का जल स्तर ऊपर उठने से बाढ़ एवं वर्षा में व्यापक परिवर्तन की स्थिति उत्पन्न होती है, वहीं वैश्विक ताप बढ़ने से संक्रामक बीमारियाँ एवं विषाणुओं के फैलने से भयंकर दुष्परिणाम का सामना मानव समाज को करना पड़ सकता है, क्योंकि ऊर्जा परिवहन एवं उद्योग क्षेत्र का उत्पादन भी जलवायु पर निर्भर होता है।
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