ताप अथवा ऊष्मीय प्रदूषण का अर्थ स्पष्ट करते हुए इसके कारण एवं प्रभाव का वर्णन कीजिए। State the meaning of Thermal pollution and give detail of its cause and effect.
ताप अथवा ऊष्मीय प्रदूषण (Thermal pollution)-
जलराशियों में उष्म पदार्थों का अनावश्यक रूप से अधिक मात्रा में मिलना ताप अथवा ऊष्मीय प्रदूषण कहलाता है, जो जल के सामान्य तापमान को बढ़ा देता है। इस प्रकार का जल मानव सहित जन्तुओं एवं जलीय जीवन के लिए हानिकारक है। यह अन्य जलीय समुदायों के सामान्य गतिविधियों को प्रभावित करता है एवं उन्हें उनके आवासों से प्रस्थान करने के लिए बाध्य करता है।
ऊष्मीय प्रदूषण के कारण (Causes of Thermal pollution)-
विद्युत शक्ति संयन्त्रों, जीवाष्म शक्ति से संचालित होते हैं, उनसे उत्पन्न अतिरिक्त उष्मा को शोषित करने के लिए बड़ी मात्रा में जल की आवश्यकता पड़ती है। इन विशाल संयंत्रों के अतिरिक्त अनेक ऐसी छोटी-छोटी औद्योगिक इकाइयाँ हैं, जो संयंत्रों को ठंडा करने के बाद निकले गर्म जल को जल में विसर्जित करने से पूर्व थोड़ा ठण्डा कर देती है। परन्तु इस जल का तापमान जल के सामान्य तापक्रम से लगभग 9-10 डिग्री सेन्टीग्रेड अधिक होता है, जिससे इन जलस्रोतों का जल गर्म हो जाता है। नाभिकीय ऊर्जा संयंत्र, औद्योगिक बहिस्राव, कोयला चालित ऊर्जा गर्म हो जाता है। नाभिकीय ऊर्जा संयंत्र, तथा घरेलू मल-जल तापीय प्रदूषण के प्रमुख स्रोत हैं। उद्योग संलाचन में उपयोग में लिए जाने वाले कुल जल का लगभग 80 प्रतिशत भाग शीतीकरण में व्यय हो जाता है। नदियों में अनेक अन्तर्मिश्रित क्षेत्र होते हैं जो नदियों में गर्म जल मिलने पर बदलते तापमान वृद्धि को प्रदर्शित करते हैं।
ऊष्मीय प्रदूषण का प्रभाव (Effects of Thermal Pollution)-
ताप प्रदूषण के कारण जलपिण्डों के तापमान में वृद्धि का जल पर अनेक भौतिक, रासायनिक एवं जैविक प्रभाव पड़ता है। रासायनिक क्रिया में अपशिष्टों के अपघटन के कारण जल की धुलित आक्सीजन की मात्रा में तीव्र गिरावट आ जाती है। ठण्डे जल की अपेक्षा गर्म जल में कम आक्सीजन घुलती है। जैसे शून्य डिग्री सेन्टीग्रेड तापमान पर जल में घुलित आक्सीजन की मात्रा 14.6 पी.पी.एम. पाई गयी है, जबकि 14 डिग्री सेन्टीगेड पर यह घटकर 6.6 पीपी.एम. हो जाती है। जल में घुलित आक्सीजन की मात्रा का जलीय जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। ताप प्रदूषित जल में रहने वाले सजीवों (Living organism) के क्रियाकलापों एवं आचरण में अतिसूक्ष्म (Sobtle) परिवर्तन हो सकता है। तापमान वृद्धि प्रजनन चक्र, पाचन एवं श्वसन दर को प्रभावित करता है। मत्स्य समुदाय में घोसला बनाना (Nesting), अंडे देना (Spawning), उत्पादन (Hatching), प्रवास एवं प्रजनन जैसी क्रियाएँ एक विशेष तापमान पर निर्भरन करती है। गर्म जल के कारण पैदा हुए अण्डे नष्ट हो जाते हैं। उच्च तापमान पर अंडजोत्पत्ति (Egg Hatching) शीघ्र हो जाती है, परन्तु अंगुलीमीनों (Fingerlings) नामक मछली की एक प्रजाति के विकास के लिए भोजन की कमी तथा भोजन के समाप्त हो जाने से मृत्यु हो जाती है।
उच्च तापमान पर जल के चिपचिपाहट (Viscosity) में कमी आती है और निलम्बित पदार्थो के जमाव में तेजी आ जाती है। इस प्रकार यह जलीय जीवन के लिए भोजन आपूर्ति पर बुरा प्रभाव डालता है। जल का तापमान बढ़ने से विषों का विशैलापन बढ़ जाता है। तापमान वृद्धि मछलियों में उपापचय की मूल दर को मृत्युदायक बिन्दु (Lethal Point) तक पहुंचा देता है। यह मछलियों के श्वसन दर, भोजन ग्रहण एवं तैरने की गति में वृद्धि करता है। उच्च तापमान पर अनेक रोगकारी सूक्ष्म जीवाणुओं की अनेक गतिविधियों में त्वरण (Acceleration) उत्पन्न हो जाता है। ताप वृद्धि से सालमोन मछली एवं वैन्डेड सनफिस (Salmon Fish and Banded Sunfish) नामक मछलियों में जीवाणु जन्य रोग पैदा हो जाते हैं।
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