स्पेन्सर के समाज एवं सावयव के बीच समानता एवं विभिन्नता
समाज और सावयव के बीच इस प्रकार की आठ बुनियादी समानताओं का उल्लेखन स्पेन्सर ने किया है-
(1) दोनों का ही विकास धीरे-धीरे होता है और इस प्रकार आकार में वृद्धि के मामले में दोनों ही जड़ पदार्थ से भिन्न हैं।
(2) दोनों में ही आकार की वृद्धि सरल से क्रमशः जटिल की ओर होती है। दूसरे शब्दों में, जैसे-जैसे दोनों आकार में बढ़ते हैं, उनकी संरचना की जटिलता बढ़ती जाती है।
(3) दोनों में ही संरचना में विकास के साथ-साथ उसके विभिन्न अंग एक-दूसरे से पृथक होते जाते हैं और प्रत्येक अंग कार्य भी अलग-अलग हो जाता है। अर्थात अंगों में विभेदीकरण के साथ तदरूप कार्यों का भी विभेदीकरण होता है
(4) दोनों में ही विभेदीकरणके साथ-साथ विभिन्न अंगों में अन्तः सम्बन्ध और अन्तःनिर्भरता देखने को मिलती है।
(5) इसी अन्तः सम्बन्ध के आधार पर दोनों में ही अपने अस्तित्व को बनाए रखने के लिए एक सचार या में विभिन्न क्रियाओं द्वारा भोजन का पाचन कार्य पूरा होता है और खून बनता है। वह खून हृदय वितरण व्यवस्था होती है। हम भोजन करते हैं तो वह मुँह के द्वारा उदर में प्रवेश करता है, उदा से नसों द्वारा शरीर के विभिन्न अंगों में संचारित होता है। जिससे शरीर का अस्तित्व बना रहता है। ठीक उसी प्रकार के विभिन्न वर्ग आवश्यक वस्तुओं का उत्पादन करते हैं, धन की उत्पत्ति होती है और उन वस्तुओं एवं धन का वितरण यातायात और वाणिज्य व्यवस्था द्वारा होता है और समाज का अस्तित्व बना रहता है।
(6) शरीर में मस्तिष्क, स्नायुओं के द्वारा, शरीर के विभिन्न अंगों पर नियन्त्रण करता है और शरीर के सभी अंग मस्तिष्क के आदेशों का पालन करते हैं। समाज में मस्तिष्क का यह काम सरकार करती है और यातायात एवं संचार के साधनों द्वारा अपने आदेसों को जनता तक पहुँचाती है।
(7) जीवित शरीर अनेक कोष्ठों (cells) से बनता है, उसी प्रकार समाज का निर्माण अनेक व्यक्तियों द्वारा होता है।
(8) शरीर की किसी इकाई के शरीर से पृथक हो जाने पर जिस प्रकार शरीर समाप्त नहीं होता उसी प्रकार समाज की किसी इकाई (व्यक्ति) के समाज से अलग हो जाने से समाज का अस्तित्व मिट नहीं जाता। उदाहरणार्थ, हाथ या पैर के कट जाने पर शरीर मर नहीं जाता, उसी प्रकार किसी व्यक्ति के मर जाने से समाज का अस्तित्व समाप्त नहीं हो जाता।
उपरोक्त समानताएँ होते हुए भी समाज और सावयव में कुछ आधारभूत भिन्नताएँ भी हैं। ये भिन्नताएँ स्पेन्सर के मतानुसार निम्नलिखित हैं-
(अ) सावयवी विकास में प्रकृति का सर्वप्रथम योगदान होता है; प्राकृतिक नियम के अनुसार, एक निश्चित गति से सावयव आप से- आप बढ़ता या विकसित होता रहता है। इसके विपरीत समाज का विकास प्राकृतिक नियम के अनुसार आप-से-आप न होकर मनुष्यों के सचेत प्रयत्नों के फलस्वरूप होता है और मनुष्य द्वारा उस विकास की गति तेज या धीमी की जा सकती है।
(ब) एक सामयव का निर्माण अनेक कोष्ठों से होता है, पर वे सम्पूर्ण सावयव में इस प्रकार घुलमिल जाते हैं कि उनका स्वतन्त्र अस्तित्व सम्भव ही नहीं होता। परन्तु यह बात समाज पर लागू नही होती है। समाज के कोष्ठ व्यक्ति हैं, पर उनका एक स्वतन्त्र अस्तित्व होता है; वे स्वतन्त्रतापूर्वक सोचने, विचारने, निर्णय लेने तथा कार्य करने की क्षमता रखते हैं।
(स) सावयव में चेतन शक्ति केन्द्रित होती है। स्नानुमण्डल में प्रत्येक अंग की पृथक शक्ति नहीं होती है। इसके विपरीत, समाज में प्रत्येक अंग की पृथक चेतन शक्ति होती है।
(द) जबकि सावयव में इकाइयाँ सम्पूर्ण की भलाई के लिए जीवित रहती हैं, समाज में सम्पूर्ण सभी सदस्यों की भलाई के लिए जीवित हैं।
इस प्रकार स्पेन्सर जीवित शरीर की जब समाज से तुलना करते हैं तो उनका उद्देश्य ऐसी एक व्यवस्था की ओर संकेत करना होता है जिसमें समाजवादी व्यवस्था की भाँति चेतन शक्ति केन्द्रित हो। इसके साथ ही समाज के प्रत्येक सदस्य के अन्दर पृथक चेतन शक्ति के अस्तित्व को स्वीकार कर आप वैयक्तिक स्वतन्त्रता का समर्थन करते हैं और यह निष्कर्ष निकालते हैं कि व्यक्ति का कल्याण राजकीय नियन्त्रणों के अभाव में सम्भव है। बार्कर में, ‘सावयवी विकास की धारणा से शुरु करके स्पेन्सर ने व्यक्तिवाद के औचित्य को दर्शाना चाहा और सावयवी एकता की धारणा में समाप्ति करके समाजवाद को उचित ठहराया।’
Important Links
- सामाजिक सर्वेक्षण की अवधारणा और इसकी प्रकृति Social Survey in Hindi
- हरबर्ट स्पेन्सर का सावयव सिद्धान्त एवं सावयवि सिद्धान्त के विशेषताएँ
- स्पेन्सर के सामाजिक उद्विकास के सिद्धान्त | Spencer’s theory of social evolution in Hindi
- मार्क्सवादी द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद (Dialectical materialism) की विशेषताएँ
- मार्क्स द्वारा दी गयी विभिन्न युगों की भौतिकवादी in Hindi
- कार्ल मार्क्स: ऐतिहासिक भौतिकवाद
- द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद (कार्ल मार्क्स)| Dialectical materialism in Hindi
- सहभागिक अवलोकन का अर्थ, परिभाषा, लाभ तथा कमियाँ | Interactive overview
- अवलोकन/निरीक्षण की परिभाषा, विशेषताएँ तथा इसकी उपयोगिता
- उपकल्पनाओं के स्रोत तथा इसके महत्व | Sources of subconceptions
- साक्षात्कार का अर्थ, विशेषताएँ, उद्देश्य तथा इसके लाभ | Meaning of Interview in Hindi
- मैलीनॉस्की के प्रकार्यवाद | Malinowski’s functionalism in Hindi