दुर्वासा ऋषि का जीवन परिचय (Biography of Durvasa Rishi in Hindi)- महर्षि दुर्वासा को धार्मिक ग्रंथों यथा पुराण व महाभारत में एक ऋषि के रूप में प्रदर्शित किया है, जो क्रोधी होने के कारण कभी भी श्राप दे देता था और कभी कभार दुर्वासा द्वारा वरदान भी दिए जाने की ख्याति रही है। ये अत्रि व अनसूया के तीन पुत्रों में से एक थे। माना जाता है कि अत्रि ऋषि की तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा, विष्णु और शंकर ने इनके घर संतान रूप में जन्म लेने का वचन दिया था। विष्णु पुराण में इन्हें शंकर का अवतार माना गया है। इनके क्रोध से सभी भय खाते थे। पुराणों में इस प्रकार की कई कथाएं दी गई हैं। इन्होंने इंद्र को श्राप दिया, क्रोधवश ऋषि और्ब की कन्या, अपनी पत्नी कंदला को भस्म कर दिया। कालिदास के अभिज्ञान शाकुंतलम की शकुंतला को इनके श्राप के कारण ही कई कष्ट भोगने पड़े।
इनके वरदान का विख्यात उदाहरण कुंती है। उसकी सेवा से प्रसन्न होकर दुर्वासा ने उसे ऐसा मंत्र दिया, जिससे वह जिसका आह्वान करती वह उपस्थित हो जाता। कर्ण, युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन के जन्म के साथ इसी मंत्र शक्ति के उपयोग की कथाएं जुड़ी हुई हैं।
ऋषि दुर्वासा के बारे में बखान –
ऋषि दुर्वासा के बारे में बहुत से हिन्दू पुराणों में लिखा हुआ है. जो इस प्रकार है –
1. | विष्णु पुराण |
2. | श्रीमद भागवतम |
3. | वाल्मीकि रामायण |
4. | कालिदास |
5. | शकुंतला |
6. | स्वामीनारायण सत्संग |
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