राजनीति विज्ञान / Political Science

कुशल नेतृत्व के गुण | Qualities of effective leadership in Hindi

कुशल नेतृत्व के गुण | Qualities of effective leadership in Hindi
कुशल नेतृत्व के गुण | Qualities of effective leadership in Hindi

कुशल नेतृत्व के गुण (Qualities of effective leadership)

एक नेता में अपने वर्ग के अनुयायियों के कार्यों एवं भावनाओं को प्रभावित करने के लिए कुछ आवश्यक गुण होने चाहिए। ओर्डवे टीड के अनुसार (1) शारीरिक एवं स्नायविक शक्ति (2) उद्देश्य एवं दिशा की चेतना (3) उत्साह (4) मैत्रीभाव एवं स्नेह (5) तकनीकी क्षमता (6) बौद्धिक चातुर्य (7) चरित्र-निष्ठा (8) शिक्षण कुशलता (9) निर्णायकता तथा (10) विश्वास नेतृत्व के लिए दस आवश्यक गुण है। हिल निम्न गुणों को नेतृत्व के लिए आवश्यक मानते हैं- (1) साहस (2) आत्मविश्वास (3) नैतिक गुण (4) त्याग (5) पैतृकता (6) लगन (7) निर्णायकता (8) प्रतिष्ठा और (9) ज्ञान। बर्नार्ड ने एक सफल नेता बनने के लिए निम्न गुणों पर बल दिया है- (1) निर्णायकता (2) उत्तरदायित्व (3) विनयशीलता (4) बौद्धिक क्षमता (5) स्फूर्ति और सहनशीलता (6) सामाजिक चेतना तथा (7) सुन्दर व्यक्तित्व और इरविन एच० शैल के अनुसार, “लोगों के प्रति रूचि एवं प्रेम, प्रभावी व्यक्तित्व एवं मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण’ सफल नेतृत्व के आवश्यक लक्षण हैं।

उपर्युक्त विचारों के आधार पर हम कुछ आवश्यक लक्षणों की व्याख्या कर रहे हैं-

(1) शक्ति (Energy) – सफल नेतृत्व के लिए कठोर शारीरिक एवं मानसिक परिश्रम आवश्यक है। इसलिए अधिक समय और विषम परिस्थितियों में कार्य करने के लिए शारीरिक एवं मानसिक शक्ति का होना आवश्यक है।

(2) भावनात्मक परिपक्वता एवं स्थायित्व (Emotional Maturity and Stability) – सफल नेतृत्व के लिए भावनात्मक परिपक्वता आवश्यक है। नेता को अपने निर्णय भावनाओं के बहाव में न आकर विवेकपूर्ण विश्लेषण एवं गहन विचार के उपरान्त ही लेना चाहिए। उसको सभी प्रकार के पक्षपातों, दबावों, डरों या प्रलोभनों से ऊपर उठकर स्वतन्त्र विचारों का सृजन करना चाहिए और अपने समस्त कार्यों और निर्णयों में उचित क्रमबद्धता और तारतम्य रखना चाहिए। उसमें भावनात्मक स्थायित्व होना चाहिए और अपने विचारों को न तो बार-बार शीघ्र बदलना चाहिए और न ही बात-बात में अपना आत्म-नियंत्रण खोकर क्रोधित होना चाहिए। कूण्टन के शब्दों में, नेताओं के लिए आतंकित होना, विपरीत परिस्थितियों में डगमगाना, चुनौती देने पर अपने सिद्धान्तों में संशय उत्पन्न करना या किसी प्रभाव में बह जाना, उचित नहीं होता।”

(3) मानवीय सम्बंधों में गहरी अन्तर्दृष्टि (Deep insight in’ Human Relations)- मानवीय आवश्यकताओं, व्यवहारों, आवश्यकताओं, भावनाओं, आकांक्षाओं और मनःस्थितियों को समझने की क्षमता एक सफल नेता का आवश्यक गुण है क्योंकि नेतृत्व का सम्बंध मानवीय क्रियाओं और प्रतिक्रियाओं से ही विशेष रूप से होता है। यदि मानवीय सम्बंधों को समझने की उसमें सूक्ष्म दृष्टि है, तो वह अपने निर्णय या व्यवहार की सम्भावित प्रतिक्रियाओं का सरलता से पूर्वानुमान कर सकता है।

(4) वस्तुनिष्ठता (Objectivity) – अपने व्यवहार और दृष्टिकोण में नेता को वस्तुनिष्ठ होना चाहिए। उसे कोई भी निर्णय डर, दबाव, पक्षपात, प्रलोभन या पूर्वव्याप्त विचारों से प्रेरितहोकर नहीं लेना चाहिए। उसका हर निर्णय तथ्यों के विवेकपूर्ण और तर्कसंगत विश्लेषण पर आधारित होना चाहिए।

(5) परानुभूति (Empathy) – चीजों की वस्तुनिष्ठ होकर, दूसरे के दृष्टिकोण से देखने और समझने की योग्यता को परानुभूति करते हैं। अर्थात् अपने आपको मानसिक एवं भावनात्मक रूप से दूसरे की स्थिति में रखने की क्षमता को परानुभूति या तदानुभूति कहा जाता है। परानुभूति के लिए यह परमावश्यक है कि व्यक्ति में दूसरे के प्रति सम्मान तथा उसके अधिकारों, विश्वासों और भावनाओं के लिए आदरभाव हो। यह लक्षण नेता को जिन व्यक्तियों से उसका सम्पर्क है, की प्रतिक्रियाओं, गतिविधियों तथा भावनाओं का पूर्वानुमान करने में सहायक होगा, और उनके परिपेक्ष्य में वह उचित मोर्चाबन्दी भी कर सकेगा।

(6) आत्माभिप्रेरण (Self Motivation) – नेतृत्व की इच्छा का जन्म अन्तरांग से होना चाहिए। बाहरी शक्तियां इस इच्छा को उत्तेजित तो कर सकती हैं किन्तु आवश्यक तत्व जो प्रेरित करता है वह आत्माभिप्रेरण ही है। आत्माभिप्रेरण बहुत प्रकार से परिलक्षित हो सकता है, जैसे संकल्प की दृढ़ता, लम्बी अवधि तक कार्य करते रहने की प्रबल इच्छा, तीव्र लगन और असीम उत्साह। कोई भी बड़ी सफलता बिना आत्माभिप्रेरण के प्राप्त नहीं होती।

(7) अभिव्यक्ति क्षमता (Communicative Skill) – सफल नेतृत्व के लिए यह आवश्यक है कि नेता में बातचीत, भाषण एवं लेखन के माध्यम से अपने विचारों और भावों को स्पष्ट सुनिश्चित तथा शक्तिशाली ढंग से व्यक्त करने की क्षमता हो और दूसरे के भावों और विचारों को समझने और संक्षेप में उसको सार ग्रहण कर लेने की योग्यता हो। संदेशवाहन की क्षमता की आवश्यकता अनुनय-विनय करने, सूचना आदान-प्रदान करने, अभिप्रेरित एवं निर्देशित करने तथा स्वैच्छिक सहयोग प्राप्त करने आदि में होती है।

(8) शिक्षा एवं मार्गदर्शन की योग्यता (Teaching and Guiding Ability) – एक शिक्षक के आवश्यक गुण भी नेतृत्व के लिए आवश्यक हैं। किसी कार्य को स्वयं प्रदर्शित कर दिखाने की क्षमता, अनुयायियों की त्रुटियों को सुधारने एवं उन्हें आगे बढ़ाने की योग्यता तथा प्रश्न पूंछने एवं सुझाव देने की क्षमता भी सफल नेतृत्व के लिए आवश्यक है।

(9) सामाजिक कुशलताएं (Social Skills) – नेतृत्व के लिए व्यवहार-कुशलता भी आवश्यक है। नेता में अपने वर्गानुयायियों एवं उनकी शक्तियों और कमजोरियों को समझने की भी योग्यता होीन चाहिए। उसमें उनके विश्वास-पात्र बनने का चातुर्य होना चाहिए। उसे अपने अनुगामियों का सहायक मित्र और सहृदय होना चाहिए। उनसे सम्पर्क बनाए रखना चाहिए एवं उसमें अपने अनुयायियों को सफलता प्राप्त होते देखने की आन्तरिक इच्छा होनी चाहिए।

(10) तकनीकी क्षमता (Technical Competence)- नेता को अपने क्षेत्र से सम्बंधित सभी विषयों, सिद्धान्तों, कार्यविधियों आदि की सम्पूर्ण जानकारी एवं क्षमता होनी चाहिए। जो स्वयं अनभिज्ञ है वह दूसरों का मार्गदर्शक कैसे बन सकेगा।

(11) अन्य व्यक्तिगत लक्षण (Other Personal Traits) – 1. पथ प्रदर्शन की तीव्र भावना एवं लगन 2. दूरदृष्टि एवं कल्पनाशक्ति 3. शीघ्र पकड़ एवं निर्णय लेने की योग्यता 4. अपने उत्तरदायित्व के प्रति सजगता 5. नियोजन, संगठन, आदर्श आचरण 6. साहस एवं सतर्कता 7. गुण ग्राह्यता, आदि कुछ ऐसे अन्य गुण हैं, जिनकी विद्यमानता भी एक सफल नेतृत्व के लिए आवश्यक है। गुणों की यह सूची केवल संकतात्मक है, परिपूर्ण नहीं है। यद्यपि यह सत्य है कि उपर्युक्त गुणों से सम्पन्न किसी व्यक्ति का मिलना सरल बात नहीं है, लेकिन यह भी ठीक है कि उपर्युक्त गुणों से युक्त व्यक्ति अवश्य ही एक सफल एवं आदर्श नेता होगा।

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