वित्तीय अपराध पर संक्षिप्त लेख
वित्तीय अपराध (Fiancial Crimes) – इस अपराध का नामकरण नाइजीरिया की दण्ड संहिता में सन् 1975 में जोड़े गये अनुभाग 419 के नाम पर रखा गया है। नाइजी की विधिक व्यवस्था में दण्ड सहिता के अन्तर्गत इस अपराध को ‘अंग्रिम शुल्क धोखाधड़ी के रूप में परिभाषित किया गया था। कालान्तर में इसने एक उद्योग का रूप ले लिया। इस अपराध की कार्यशैली कुछ इस तरह रहती है।
एक व्यक्ति जो आमतौर से युवती हो सकती है, चाहे अविवाहित हो या विधवा हो, आप से अन्तरजाल (internet) के जरिये सम्पर्क करके अपने को किसी अरबपति की उत्तराधिकारी बताती है जो, कहानी के मुताबिक, बिना वसीयत छोड़े मर गया या, जैसी भी स्थिति हो, किसी दुर्घटना में मर गया। इस प्रकार यह अपराध कुछ-कुछ साइवर शिकार नामक अपराध की तरह का ही है।
फोन करने वाली महिला आपसे उस धन को प्राप्त करने में मदद की गुहार करती है जो उस मृत व्यक्ति के नाम से किसी बैंक में कथित रूप से जमा है और आपसे इस संकट में मदद के बदले वह उक्त धनराशि का एक बहुत बड़ा हिस्सा आपको देने का वादा करती है। उस महिला की बात से जरा सा द्रवित होते ही जब आप उसकी मदद के लिए हामी भरते हैं उसी क्षण उसके द्वारा बड़ी चतुराई से बुने हुए फंदे में गिर पड़ते हैं। बड़ी मक्कारी के साथ वह महिला
अपने द्वारा इंगित एक स्थान पर आपसे नकद धनराशि या कोई सामान भेजने का आग्रह करती है। आप उस पर मेहरबान होते हैं और आपको बहला फुसला कर वह कई बार ऐसी मेहरबानी हासिल करती है। जब आपकी आँख खुलती है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है और आप पाते हैं कि उस बड़ी धनराशि, जो उस महिला की मीठी बातों में ही थी और दुनिया में कहीं नहीं थी, की तमन्ना में आप अपना पूरा खजाना खाली कर बैठे हैं।
कई बार ऐसा भी होता है जब आपको किसी व्यक्ति का ई-डाक प्राप्त होती है जिसमें प्रेषक अपने को किसी बैंक का अधिकारी बताते हुए आपको यह सूचित करता है कि उसके बैंक में एक सुप्त खाता (dormant acount) है जिसमें करोड़ों डॉलर या पाउण्ड की धनराशि बहुत दिनों से पड़ी हुई है, और जिसका वास्तविक स्वामी बहुत पहले मर चुका है।
वह आपसे कुछ छोटी मोटी औपचारिकताएं पूरी करने के लिए कहता है और उक्त बड़ी धनराशि का बड़ा हिस्सा आपको देने का लालच देता है। वह व्यक्ति आपकी हर सम्भव मदद करने का आपको आश्वासन देता है, और वादा करता है कि इस कार्यक्रम की सफलता के बाद वह इस बड़ी धनराशि में से एक सांकेतिक धनराशि ही लेगा। उसकी बात से आपके सहमत होने का परिणाम यह होता है।
कि आप उसके जाल में फँसते जाते हैं और जब तक वह अवस्थ आती है जब आपको अपनी नादानी का एहसास होता है तो आपको जानकर यह अफसोस होता है कि बड़ी धनराशि पाने की लालसा ने आपके आर्थिक स्वास्थय को इतना नुकसान पहुँचा दिया है जहाँ से संभलना बहुत मुश्किल है।
अगस्त, 2008 में पश्चिम बंगाल पुलिस ने भारतीय दण्ड संहिता के अनुवाग 420 सपठित अनुभाग 75 (2), सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 के तहत एक मामला दर्ज किया जिसके बारे में यह विश्वास था कि भारत में अपनी तरह का यह पहला मामला था जिसमें शिकार कलकत्ता स्थित एक व्यापारी था। जैसा भी हो, भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (यथा संशोधित 2008) ने साइवर लोक में सक्रिय ऐसे ‘नाइजीरिया वासियों को दण्डित करने के लिए उचित प्रावधान किये हैं।
सम्प्रति, यदि कोई व्यक्ति धोखे से या बेईमानी से किसी व्यक्ति के इलेक्ट्रानिक हस्ताक्षर, पहचान शब्द या किसी अन्य अद्वितीय पहचान विशेषता का प्रयोग करता है तो उसे दोनों में से किसी भी प्रकार के कारावास से जो अधिकतम 3 वर्षों तक हो सकता है और अधिकतम एक लाख रुपये के जुर्माने से दण्डित किया जा सकता है।
अपिच, उस व्यक्ति को, जो किसी संसूचना उपकरण या संगणक संसाधन के जरिये, किसी दूसरे व्यक्ति के रूप में अपने को प्रस्तुत कर किसी को ठगता है, 3 वर्ष तक के सश्रम या सामान्य कारावास के साथ ही अधिकतम एक लाख रुपये तक के जुर्माने से दण्डित किया जा सकता है।
आजकल नेट बैंकिंग का प्रचलन बढ़ रहा है। ध्यान देने की बात यह है कि इसमें भी सूचना प्रौद्योगिकी का विशेष ज्ञान रखने वाले लोगों माध्यम से अनेक प्रकार के आर्थिक अपराध किये जाते हैं। संजय कुमार बनाम हरियाणा राज्य के बाद में आरोपी ने बेईमानी से बैंक के अभिलेखों में धोखाधड़ी करके बैंक को सदोष हानि एवं स्वयं को सदोष लाभ कारित किया।
उसने अपने बैंक खाते में बिना किसी वास्तविक लेन-देने के ही यह अभिलेखित कर दिया कि उसने खाते में रु0 17,67,409/- (सत्रह लाख सरसठ हजार चार सौ नौ रुपये) जमा किया एवं पुनः निकाल भी लिया था। परीक्षण अदालत ने यह माना कि आरोपी ने अपने कपटपूर्ण व्यवहार से स्वयं को लाभ एवं बैंक को हानि की दशा में लाकर एवं बैंक के अभिलेखों से छेड़छाड़ करके भारतीय दण्ड संहिता की धाराओं 420, 467, 468 एवं 471 तथा सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धाराओं 65 एवं 66 के तहत अपराध कारित किया है|
परन्तु यह प्रेषण दिया कि ऐसा करके उसने कोई गोपनीयता भंग नहीं की है और इसलिए वह सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 72 के तहत दोषी नहीं है। एक अनेय अपराध साइवर जगत में प्रायः घटित होता है जिसे फिशिङ्ग (Phishing) कहते हैं।
जिस तरह मछली पकड़ने वाला काँटे के ऊपर कोई कीड़ा या माँस का टुकड़ा लगाकर मछलियों को ललचाता है और मछली उसके आकर्षण में पड़कर अन्ततः अपने प्राण खो बैनी है; इसी प्रकार साइबर जगत में कोई व्यक्ति किसी को कोई लालच देकर उससे समस्त प्राणवले (vital) सूचनाएँ प्राप्त करके उसे ठग लेता है।
साइवर जगत में इस अपराध को फिशिङ्ग का नाम दिया गया है। नेशनल एसोशिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एण्ड सर्विस कम्पनीज बनाम अजय सूद एवं अन्य के बाद में दिल्ली उच्च न्यायालय ने अन्तरजाल पर फिशिङ्ग के कृत्य को गैर कानूनी कृत्य बताते हुए कहा कि इसमें व्यादेश एवं क्षतिपूर्ति जैसे अनुतोष प्राप्त किये जा सकते हैं।
अदालत ने फिशिग की पहचान अन्तरजाल कपट (Internet Fraud) के रूप करते हुए कहा कि ऐसे मामलों में कोई व्यक्ति स्वयं को किसी विधि सम्मत संस्था जैसे किसी बैंक या किसी बीमा कम्पनी से सम्बद्ध बताकर किसी ग्राहक से सुगम्यता का कोड़, कूट शब्द आदि की जानकारी हासिल कर लेता है, और इस प्रकार विधि सम्मत पक्ष यथा बैंक, बीमा कम्पनी आदि की पहचान को गलत तरीके से पेश करके प्राप्त की गयी ग्राहक के निजी आंकड़ों को एकत्र करके अपने पक्ष को लाभ पहुँचाने का प्रयास करता है।
Important Links
- पर्यावरण का अर्थ एवं परिभाषा, प्रकार तथा विशेषता
- पर्यावरण का विकास development of environment in hindi
- थारू जनजाति – निवास क्षेत्र, अर्थव्यवस्था एवं समाज
- गद्दी जनजाति – निवास क्षेत्र, अर्थव्यवस्था एवं समाज Gaddi Tribe in hindi
- सेमांग जनजाति – निवास क्षेत्र, अर्थव्यवस्था तथा सामाजिक संगठन की प्रकृति
- बुशमैन जनजाति – निवास क्षेत्र, अर्थव्यवस्था एवं समाज Bushman Janjati in hindi
- एस्किमो जनजाति – निवास क्षेत्र, अर्थव्यवस्था एवं समाज eskimo janjati in hindi
- खिरगीज जनजाति – निवास क्षेत्र, अर्थव्यवस्था एवं समाज kirghiz tribes in hindi
- पिग्मी जनजाति निवास स्थान Pigmi Janjaati in Hindi
- भारतीय कृषि का विकास | Development of Indian agriculture in Hindi
- भूमंडलीय ऊष्मीकरण एवं ग्रीन हाउस प्रभाव | Global warming & greenhouse effect
- प्रमुख शैक्षिक विचारधाराएँ या दर्शन | Main Educational Thoughts or Philosophies
- नगरीय जीवन की विशेषताएँ | Characteristics of civilian life in Hindi
- भूमिका (Role) का अर्थ, परिभाषा एवं प्रमुख विशेषताएँ
- परिस्थितिशास्त्रीय (ecological) पतन का अर्थ, कारण एवं इससे बाचव के कारण
- प्राथमिक समूह का समाजशास्त्रीय अर्थ तथा महत्व – Sociology
- जनसंख्या स्थानान्तरण या प्रवास से आशय (Meaning of Population Migration)
- भारत में जनसंख्या वृद्धि के कारण और नियंत्रित करने के उपाय
- निश्चयवाद और नवनिश्चयवाद (Determinism And Neo-Determinism in Hindi)
- मानव भूगोल का अर्थ, परिभाषा, उद्देश्य, विषय-क्षेत्र और महत्त्व
- प्राथमिक व्यवसाय: पशुपालन, पशुधन का महत्व, तथा मत्स्य-पालन