बाल अश्लीलता क्या है ( Child Pornography ) (अनुभाग 67 ख ) – जब अपराय से पीड़ित व्यक्तियों की बात आती है तो बच्चों का वर्ग सर्वाधिक कमजोर नजर आता है और अपारथियों का शिकार आसानी से बन जाता है। साइवर अश्लीलता के साथ भी यही बात है। अपराध कारित करने की अपनी इच्छा की तृप्ति के लिए साइबर अपराधी प्रायः बच्चों की मासूमियत का शोषण करने का प्रयास करते हैं।
इस प्रक्रिया में वे न सिर्फ इन निर्दोष आत्माओं को पीड़ित करते हैं बल्कि कभी-कभी अपने आपराधिक कृत्यों से उन बच्चों के जीवन को सुधार से परे भी बदल देते हैं। बच्चे किसी देश का भविष्य होते हैं, और इसलिए, दीर्घतर परिप्रेक्ष्य में देखा जाय तो बच्चों के विरुद्ध किया गया अपराध वास्तव में सम्बन्धित देश के भविष्य के प्रति कारित अपराध है।
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (यथा संशोधित 2008) के अनुभाग 57 ख के तहत उन व्यक्तियों के लिए दण्ड निर्धारित किया गया है जो बाल अश्लीलता माने जाने वाले कृत्यों में लिप्त पाये जाते हैं। इसमें कहा गया है कि किसी व्यक्ति को प्रथम दोष सिद्धि पर सश्रम या सामान्य कारावास अधिकतम 5 वर्ष का हो सकता है और अधिकतम 10 लाख रुपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया जायेगा; और द्वितीय या अनुवर्ती दोषसिद्धि की दशा में अधिकतम 7 वर्षों के सश्रम या सामान्य कारावास और 10 लाख रुपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया जायेगा, यदि वह,
(अ) किसी इलेक्ट्रानित रूप में बच्चों की यौनिक रूप से स्पष्ट कृत्य या आचरण मे संलिप्त दिखाने वाली सामग्री को प्रकाशित करता है या पारेषित करता है या प्रकाशित करवाता है या पारेषित करवाता है; या
(ब) बच्चों को अभद्र या अश्लील या यौनिक रूप से स्पष्ट प्रकार से दिखाने वाली सामग्री को किसी इलेक्ट्रानिक रूप में पाठ सृजन करता है, या अंकीय छवियाँ सृजित करता है, संचयित करता है, आमंत्रित करता है, प्रोन्नत करता है, लेनदेन करता है या वितरण करता है; या
(स) यौनिक रूप से स्पष्ट कृत्य में या ऐसे कृत्य के लिए या ऐसे तरीके से जिससे किसी युक्तियुक्त वयस्क को संताप हो सकता है, किसी संगणक संसाधन पर बच्चों को एक या एकाधिक बच्चों के साथ सजीव (online) सम्बन्ध हेतु तैयार करता है, लुभाता है या प्रेरित करता है, या
(द) सजीव (online) तरीके से बच्चों के शोषण की सुविधा प्रदान करता है या
(य) बच्चों के साथ यौनिक कृत्य से सम्बन्धित अपने द्वारा या दूसरों के द्वारा किये गये शोषण को किमी इलेक्ट्रानिक रूप में अभिलेखित करता है। परन्तु इसे स्पष्ट किया गया है कि अनुभाग 67, अनुभाग 67 – क और प्रस्तुत अनुभाग के प्रावधान इलेक्ट्रानिक रूप से किसी ऐसी पुस्तक, पत्र (Pamphalet), कागज, लेखन, चित्रण, कलाकृति (पेन्टिग), प्रतिचित्रण, रूप या आकृति (figure) पर लागू नहीं होंगे।
(i) जिसके प्रकाशन को लोककल्याण हेतु इस आधार पर न्यायोचित सिद्ध किया जाता है कि ऐसी पुस्तक पत्र (Pamphalet), कागज लेखन, चित्रण, कलाकृति, प्रतिचित्रण या आकृति विज्ञान, साहित्य, कला या शिक्षण या सामान्य सरोकार के अन्य उद्देश्यों के हित में है; या
(ii) जिसे सदाशयतापूर्वक विरासती या धार्मिक उद्देश्यों से रखा या इस्तेमाल किया गया है। व्याख्या के माध्यम से इसे जोड़ा गया है कि इस उद्देश्य के लिए बच्चे का अर्थ ऐसे व्यक्ति से है जिसने 18 वर्ष की उम्र पूरी नहीं की है। जो भी हो, इस पर ध्यान दिया जाना चाहिए कि जीवन नाम की पहली की अच्छाइयों बुराइयों के बारे में बच्चों में भी निरन्तर बढ़ती हुई जागरूकता के आलोक में ऐसे संकेत मिलने लगे हैं जिनमें विधि निर्माता को बाल्यावस्था की बालवस्था की विधिक उम्र सीमा को घटाने का सुझाव दिया जा रहा है।
इस सन्दर्भ में यह कहना प्रसंग से परे नहीं होगा कि 16 दिसम्बर, 2012 को दिल्ली की एक चलती बस में कुछ नाबालिक बच्चों द्वारा एक युवती के साथ बलात्संग की घटना में दिल्ली एवं देश के अन्य शहरों में होने वाले उम्र जन प्रदर्शनों को देखते हुए केन्द्र सरकारन जस्टिस जे एस वर्मा आयोग का गठन किया था।
आयोग को सन्दर्भित बिन्दुओं में से एक विन्दु यह भी था कि क्या बाल्यकाल की विधिक उम्र सीमा को न्यूनीकृत किये जाने की आवश्यकता है। आयोग ने उक्त सीमा को 18 वर्ष से घटाकर 16 वर्ष करने की सिफारिश की थी, परन्त उच्चतम न्यायालय ने एक मुकदमे की सुनवाई के दौरान यह स्पष्ट कर दिया कि फिलहाल उम्र सीमा को घटाने की कोई आवश्यकता नहीं है।
बाल अश्लीलता आभासी या वास्तविक ( Child Pornography: Virtual or real )- इस बिन्दु पर विचार ऐशक्राफ्ट, एटार्नी जनरल, आदि बनाम फ्री स्पीच कोअलिशन के बाद में किया गया, जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका के संघीय उच्चतम न्यायालय ने नवीं परिषद की अपील अदालत के उस फैसले की पुष्टि की जिसमें अपील अदालत ने, ‘आभासी बाल अश्लीलता’ को वास्तविक बाल अश्लीलता से मुभिन्न करते हुए, उस विधि को असंवैधानिक घोषित किया था जिसके अन्तर्गत, अदालत के शब्दों में, आभासी बाल अश्लीलता को अपराध घोषित किया गया था।
संघीय उच्चतम न्यालय ने प्रेषण दिया कि अमेरिका संविधान के प्रथम संशोधन आलोक में सरकार को इसका हुक्म देने का कोई अधिकार नहीं है कि कोई व्यक्ति ‘क्या देखे या पढ़े या बोले या सुने और न ही किसी भाषण को इस आधार पर रोका जा सकता है कि इसका गैर कानूनी प्रभाव सम्भव है। न्यायालय का प्रेक्षण था।
‘बच्चों को शोषण से रक्षित कनरे के लिए कांग्रेस वैध विधियों का निर्माण कर सकती है और उसने किया भी है। चाहे जैसा भी हो, अपराध की आशंका स्वयं में (विधि द्वारा) रक्षित भाषण को दवाये जाने या दबाने वाले कानूनों का औचित्य सिद्ध नहीं कर सकती।’ अदालत ने सरकार की इस दलील को मानने से इनकार कर दिया कि ‘आभासी बाल अश्लीलता से बाल आसक्त की भूख बढ़ती है और उन्हें गैर कानूनी आचरण में लिप्त होने का प्रोत्साहन मिलता है, क्योंकि की राय में भाषण की गैर कानूनी गतिविधियों को प्रोत्साहित करने की प्रवृति मात्र (ऐसे) भाषण पर रोक के लिए पर्याप्त कारण नहीं हो सकती है।
Important Links
- पर्यावरण का अर्थ एवं परिभाषा, प्रकार तथा विशेषता
- पर्यावरण का विकास development of environment in hindi
- थारू जनजाति – निवास क्षेत्र, अर्थव्यवस्था एवं समाज
- गद्दी जनजाति – निवास क्षेत्र, अर्थव्यवस्था एवं समाज Gaddi Tribe in hindi
- सेमांग जनजाति – निवास क्षेत्र, अर्थव्यवस्था तथा सामाजिक संगठन की प्रकृति
- बुशमैन जनजाति – निवास क्षेत्र, अर्थव्यवस्था एवं समाज Bushman Janjati in hindi
- एस्किमो जनजाति – निवास क्षेत्र, अर्थव्यवस्था एवं समाज eskimo janjati in hindi
- खिरगीज जनजाति – निवास क्षेत्र, अर्थव्यवस्था एवं समाज kirghiz tribes in hindi
- पिग्मी जनजाति निवास स्थान Pigmi Janjaati in Hindi
- भारतीय कृषि का विकास | Development of Indian agriculture in Hindi
- भूमंडलीय ऊष्मीकरण एवं ग्रीन हाउस प्रभाव | Global warming & greenhouse effect
- प्रमुख शैक्षिक विचारधाराएँ या दर्शन | Main Educational Thoughts or Philosophies
- नगरीय जीवन की विशेषताएँ | Characteristics of civilian life in Hindi
- भूमिका (Role) का अर्थ, परिभाषा एवं प्रमुख विशेषताएँ
- परिस्थितिशास्त्रीय (ecological) पतन का अर्थ, कारण एवं इससे बाचव के कारण
- प्राथमिक समूह का समाजशास्त्रीय अर्थ तथा महत्व – Sociology
- जनसंख्या स्थानान्तरण या प्रवास से आशय (Meaning of Population Migration)
- भारत में जनसंख्या वृद्धि के कारण और नियंत्रित करने के उपाय
- निश्चयवाद और नवनिश्चयवाद (Determinism And Neo-Determinism in Hindi)
- मानव भूगोल का अर्थ, परिभाषा, उद्देश्य, विषय-क्षेत्र और महत्त्व
- प्राथमिक व्यवसाय: पशुपालन, पशुधन का महत्व, तथा मत्स्य-पालन