शिक्षा तकनीकी का अर्थ एवं परिभाषाएँ (Meaning and Definitions of Educational Technology)
शिक्षा तकनीकी शिक्षा की वर्तमान प्रक्रिया की उन्नति करने का क्रमबद्ध प्रयास है। इसके द्वारा शिक्षा के उद्देश्य, पाठ्यक्रम, विधि, सहायक सामग्री, मूल्यांकन-निर्देश आदि को विकसित एवं उन्नत किया जाता है। इसके द्वारा शिक्षण को प्रभावशाली बनाया जाता है। तथा विभिन्न प्रकार की शिक्षण विधियों, युक्तियों आदि का निर्धारण किया जाता है।
शिक्षा तकनीकी का अर्थ शिक्षक की क्रियाओं का विस्तार करना है (Educational technology refers to extend the activities of the teacher)। इसके मुख्य साधन रेडियो, टेलीविजन, अभिक्रमित अनुदेशन, सूक्ष्म-शिक्षण, अनुकरणीय शिक्षण (Simulated Teaching) आदि हैं, जो शिक्षक की क्रियाओं को बढ़ाते हैं तथा शिक्षण सम्बन्धी समस्याओं को वैज्ञानिक ढंग से हल करते हैं। शिक्षा तकनीकी के द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में पुरानी अवधारणाओं में आधुनिक अवधारणाओं का समावेश करते हुए क्रांतिकारी परिवर्तन लाया गया है तथा शिक्षा के क्षेत्र को एक नवीन स्वरूप प्रदान किया गया है। शिक्षा तकनीकी की कुछ प्रमुख एवं महत्वपूर्ण परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं-
जी.ओ. लीथ के अनुसार, “शिक्षा तकनीकी का अभिप्राय शिक्षण एवं अधिगम तथा अधिगम की परिस्थितियों में वैज्ञानिक ज्ञान का सुव्यवस्थित अनुप्रयोग है जिसके द्वारा शिक्षण एवं प्रशिक्षण की कार्यक्षमता में सुधार किया जाता है।”
According to G.O. Leith, “Education technology is the systematic application of scientific knowledge about teaching-learning and conditions of learning to improve the efficiency of teaching and training.”
रोबर्ट ए. कॉक्स के अनुसार, “मानव की सीखने की परिस्थितियों में वैज्ञानिक प्रक्रिया के प्रयोग को शैक्षिक तकनीकी कहते हैं।”
According to Robert A. Cox, “Education technology is the application of scientific process to man’s learning conditions.”
जॉन पी. डेसिकों के अनुसार, शैक्षिक तकनीकी प्रयोगात्मक व व्यावहारिक शिक्षण समस्याओं को समझने तथा उनका समाधान करने के लिए सीखने के मनोविज्ञान का विस्तृत प्रयोग है।”
According to John P. Desico, “Educational Technology is a form of detailed application of the psychology of learning to practical teaching problem.”
डॉ. एस. एस. कुलकर्णी के अनुसार, “तकनीकी तथा विज्ञान के आविष्कारों तथा नियमों का शिक्षा की प्रक्रिया में प्रयोग करने को ही शैक्षिक तकनीकी कहा जाता है।”
According to S.S. Kulkarni (1968), “Educational technology may be defined as the application of the laws as well as recent discoveries of science and technology to the process of education.”
प्रो. एस. के. मित्रा के अनुसार, “शैक्षिक तकनीकी को उन विधियों तथा प्रविधियों का विज्ञान माना जा सकता है जिनके द्वारा शैक्षिक उद्देश्यों को प्राप्त किया जा सकता है।”
According to S.K. Mitra, “Educational technology can be conceived as a science of techniques and methods by which educational goals could be realised.”
तकाशी सकामाटो के अनुसार, शैक्षिक तकनीकी का प्रमुख उद्देश्य कुछ आवश्यक तत्वों जैसे, शैक्षिक उद्देश्य पाठ्यवस्तु शिक्षण सामग्री, विधि, वातावरण, छात्रों व निर्देशकों के व्यवहार तथा उनके मध्य होने वाली अन्तःप्रक्रिया को नियन्त्रित करके अधिकतम शैक्षिक प्रभाव उत्पन्न करना है।”
According to Takashi Sakamato, “Educational technology is an applied or practical study which aims at maximising educational effect by “controlling”. Such relevant facts as educational purposes, educational environment, conducts of students, behaviour of instructors and interrelations between students and instructors.”
ई. एम. बूटर के अनुसार, ज्ञान के व्यवहार में विनियोग की प्रक्रिया ही शैक्षिक तकनीकी है।”
According to E.M. Buttar, “The process of application of behaviour of knowledge is educational technology.”
शैक्षिक तकनीकी की प्रकृति एवं विशेषताएँ (Nature and Characteristics of Educational Technology)
शैक्षिक तकनीकी की प्रकृति एवं विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
1) विज्ञान एवं तकनीकी पर आधारित (Based on Science and Technology)- शैक्षिक तकनीकी का आधार विज्ञान है। शैक्षिक तकनीकी के अन्तर्गत विज्ञान एवं तकनीकी की विभिन्न विधियों, अनुप्रयोगों एवं प्रभावों का अध्ययन करते हैं इसलिए शैक्षिक तकनीकी की प्रकृति को विज्ञान एवं तकनीकी पर आधारित माना जाता है।
2) वैज्ञानिक सिद्धान्तों का प्रयोग (Application of Scientific Principles)- शैक्षिक तकनीकी के अन्तर्गत विज्ञान एवं तकनीकी का प्रयोग किया जाता है। अतः यह विज्ञान का व्यवहारिक रूप है। शैक्षिक तकनीकी एक गतिशील, प्रगतिशील एवं प्रभावशाली उत्पादक विधि है जिसमें विभिन्न वैज्ञानिक सिद्धान्तों का प्रयोग किया जाता है। शैक्षिक तकनीकी शिक्षा में विज्ञान एवं तकनीकी के प्रभावों का अध्ययन करती है। इसमें प्रोग्राम सीखना, सूक्ष्म-शिक्षण, वार्तालाप विश्लेषण, वीडियो टेप, टेप रिकॉर्डर, प्रोजेक्टर एवं कम्प्यूटर जैसी विभिन्न विधाओं का प्रयोग किया जाता है।
3) नवीन विचारों का प्रयोग (Using New Ideas) – शैक्षिक तकनीकी में नवीन विचारों का प्रयोग किया जाता है। वैज्ञानिक ज्ञान का शिक्षण तथा प्रशिक्षण में प्रयोग किया जाता है। शैक्षिक तकनीकी मनोविज्ञान, विज्ञान, कला, तकनीकी, दृश्य-श्रव्य सामग्री तथा यंत्र आदि से बहुत सहायता लेती है। शैक्षिक तकनीकी द्वारा कक्षा-शिक्षण को वैज्ञानिक, वस्तुनिष्ठ, सरल व प्रभावोत्पादक बनाया जा सकता है।
4) प्रणाली उपागम (System Approach)- आजकल यह उपागम शैक्षिक प्रशासन के क्षेत्र में अत्यंत लोकप्रिय होता जा रहा है। इसके प्रयोग से शिक्षा, शैक्षिक प्रणाली, शैक्षिक प्रशासन तथा शैक्षिक प्रबंध अत्यंत प्रभावशाली, संयमित कम खर्चीला एवं महत्वपूर्ण हो गया है। शैक्षिक तकनीकी निरन्तर विकासशील, प्रगतिशील एवं प्रभावोत्पादक विधि है। शैक्षिक तकनीकी विद्यालय को एक प्रणाली अथवा क्रम के रूप में मानती है। विद्यालय का भवन, कक्ष, फर्नीचर, शिक्षक लागत अदा (Input) का कार्य करते हैं। विधियाँ, प्रविधियाँ, युक्तियाँ, दृश्य-श्रव्य सामग्री का प्रयोग कक्षा शिक्षण, परीक्षा आदि को प्रक्रिया (Process) मान सकते हैं एवं छात्रों की योग्यता अथवा सीखने के अनुभव प्रदा (Output) माने जाते हैं।
5) दृश्य-श्रव्य साधन (Audio Visual Aids) – शैक्षिक तकनीकी में दृश्य-श्रव्य साधन का महत्वपूर्ण योगदान है। बालकों की शिक्षा में यह बहुत ही लाभदायक है। हमारी केन्द्रीय तथा प्रदेशीय सरकारों ने भी अन्य देशों की भाँति शिक्षण को अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए दृश्य-श्रव्य सामग्री के महत्व को स्वीकार किया है। शैक्षिक तकनीकी के द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में अभिक्रमित अध्ययन (Programmed Study), सूक्ष्म-शिक्षण (Micro-teaching), सिमुलेटेड – शिक्षण (Simulated-teaching), अन्तःप्रक्रिया विश्लेषण (Interaction Analysis), श्रव्य दृश्य सामग्री ( Audio Visual Aids), वीडियो टेप (Videotape), टेपरिकॉर्डर (Tape-recorder), प्रोजेक्टर _(Projector) तथा कम्प्यूटर (Computer) आदि नवीन धारणाओं का जन्म हुआ है।
6) अभिक्रमण निर्देशन एवं मूल्यांकन (Programmed Guidance and Evalution)- शैक्षिक तकनीकी में विभिन्न विधियों द्वारा बालक को अभिक्रमण निर्देशन दिए जाते हैं तथा उस निर्देशन का पूर्ण परिचय देने के बाद उसका मूल्यांकन किया जाता है। शैक्षिक तकनीकी शिक्षा सम्बन्धी मूल्यांकन तथा निर्देशन में वैज्ञानिक रूप से सुधार करती है।
7) शैक्षिक नियोजन अथवा संगठन (Educational Planning or Organisation) – यह शिक्षण अधिगम के तरीकों एवं तकनीकी के विकास पर बल देती है। यह सीखने की परिस्थितियों के संगठन पर बल देकर लक्ष्य को प्रभावित करती है। अतः शैक्षिक तकनीकी की प्रकृति को शैक्षिक नियोजन एवं संगठन पर बल देने वाली माना जाता है।
8) शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया (Teaching Learning Process) – शैक्षिक तकनीकी के अन्तर्गत शिक्षण-अधिगम का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। शैक्षिक तकनीकी शिक्षण-अधिगम में आने वाली विभिन्न समस्याओं का निदान करती है इसलिए कहा जाता है कि शैक्षिक तकनीकी शिक्षण-अधिगम का एक महत्वपूर्ण पहलू है।
9) शिक्षार्थी की विशेषताओं का विश्लेषण (To Analyse Characterstics of the Learners) – शैक्षिक तकनीकी की विधियों द्वारा शिक्षार्थियों के विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण किया जाता है। शैक्षिक तकनीकी के प्रयोग से शिक्षण विधियों, नीतियों, उद्देश्यों, पाठ्यवस्तु तथा वातावरण द्वारा छात्र व अध्यापकों के व्यवहार में अपेक्षित परिवर्तन लाया जाता है।
10) मानव विकास में सहायक (Helpful in Human Development)- शैक्षिक तकनीकी मानव के विकास, प्रगति एवं उनकी सुविधाओं में वृद्धि करने तथा जीवन की विभिन्न समस्याओं का समाधान करने में सहायता करती है।
11) शैक्षिक तकनीकी एक स्थानापन्न (Education Teachnology a Subsitude) – शैक्षिक तकनीकी शिक्षक का स्थान नहीं ले सकती है क्योंकि अदा (Input) शिक्षक के द्वारा ही हो सकता है साथ ही भावात्मक पक्ष का विकास भी शिक्षक व छात्रों के मध्य अन्तःप्रक्रिया द्वारा ही सम्भव है।
शैक्षिक तकनीकी का क्षेत्र (Scope of Educational Technology)
शैक्षिक तकनीक का क्षेत्र उन अधिकारों, सीमा या सीमाओं को संदर्भित करता है जिसके भीतर यह काम करता है। इसे उन सीमाओं की सीमांकन की आवश्यकता है जिनके भीतर शिक्षा की प्रक्रिया चल सकती है। एक तेजी से बढ़ते आधुनिक अनुशासन होने के नाते यह लगभग व्यावहारिक है और यह एक बहुत बड़ी गति से विस्तार कर रहा है, जो शिक्षा के क्षेत्र में सभी क्षेत्रों के विकास को लक्षित करता है।
शिक्षा पर राष्ट्रीय नीति (1986), अनुशंसा करती है कि, “शैक्षिक तकनीकी, शिक्षकों की उपयोगी, सूचना, प्रशिक्षण और पुनर्नियुक्ति के क्षेत्र में कार्यरत होगी, जैसे- गुणवत्ता में सुधार, कला और संस्कृति के बारे में जागरुकता बढ़ाना, स्थिर मूल्यों को विकसित करना आदि। दोनों औपचारिक और गैर-औपचारिक क्षेत्रों में अधिकतम उपयोग उपलब्ध बुनियादी सुविधाओं से किया जाएगा।”
शैक्षणिक तकनीकी का क्षेत्र निम्नलिखित बिन्दुओं से प्राप्त किया जा सकता है-
1) शिक्षण और सीखने की प्रक्रिया का प्रबन्धन – शैक्षिक तकनीकी शिक्षण की अवधारणा, शिक्षण प्रक्रिया का विश्लेषण, शिक्षण के चर, शिक्षण का चरण, शिक्षण के स्तर, शिक्षण सिद्धांतों, और सिद्धांतों की ताकतों के विषय में चर्चा करने का प्रयास करता है। यह शिक्षा के सिद्धांतों की प्रासंगिकता, शिक्षण और शिक्षा के बीच सम्बन्ध की अवधारणा का भी वर्णन करता है।
2) शैक्षिक लक्ष्यों या उद्देश्यों को बताना – शैक्षिक तकनीकी शैक्षिक आवश्यकताओं और समुदाय की आकांक्षाओं जैसे विषयों पर चर्चा करने का प्रयास करता है। इन जरूरतों के समाधान के लिए उपलब्ध संसाधनों का सर्वेक्षण करता है।
3) पाठ्यक्रम का विकास- शैक्षिक प्रौद्योगिकी का यह पहलू निर्धारित उद्देश्यों की उपलब्धि के लिए उपयुक्त पाठ्यक्रम तैयार करने से सम्बन्धित है।
4) शिक्षण – शिक्षण सामग्री का विकास- शैक्षिक तकनीकी का यह क्षेत्र निर्धारित उद्देश्यों, डिजाइन पाठ्यक्रम और उपलब्ध संसाधनों को देखते हुए उपयुक्त शिक्षण-शिक्षण सामग्री के उत्पादन और विकास से सम्बन्धित है।
5) अध्यापन की तैयारी- शिक्षण और अधिगम की किसी भी प्रक्रिया में शिक्षक एक महत्वपूर्ण व्यक्ति है। इसलिए शैक्षिक तकनीकी, जटिल जटिलताओं का प्रयोग करने के लिए शिक्षकों की उचित तैयारी का ख्याल रखते हैं।
6) शिक्षण – शिक्षण रणनीतियों और विषयों का विकास और चयन- यह पहलू शिक्षण अधिगम की केंद्रीय समस्याओं से सम्बन्धित है। इस शैक्षणिक तकनीक में शिक्षण के उपयुक्त रणनीतियों और युक्तियों का चयन और विकसित करने और विकसित करने के तरीकों और खोजों का वर्णन करने की कोशिश की जाती है।
7) उपयुक्त श्रव्य-दृश्य सामग्री का विकास, चयन और उपयोग- उपयुक्त श्रव्य-दृश्य सामग्री के प्रयोग से शिक्षण बहुत प्रभावित होता है और लाभ उठाया जाता है। शैक्षणिक तकनीक शैक्षिक उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले विभिन्न प्रकार की श्रव्य दृश्य सामग्री पर चर्चा करके इस पहलू को शामिल करती है।
इस प्रकार, शैक्षणिक तकनीक शिक्षण-सीखने की प्रक्रिया के सभी चरणों, स्तरों एवं पहलुओं से सम्बन्धित है। संक्षेप में, यह सिस्टम की सभी योजना और संगठन या शिक्षा की उप-प्रणाली के लिए काम करती है। निम्नलिखित बिंदु भी स्पष्ट रूप से शैक्षिक प्रौद्योगिकी के दायरे पर केंद्रित हैं-
1) शैक्षिक प्रौद्योगिकी और प्रबंधन एवं प्रशासन।
2) शैक्षिक प्रौद्योगिकी और विशेष शिक्षा।
3) शैक्षिक प्रौद्योगिकी और दूरस्थ शिक्षा।
4) शैक्षिक प्रौद्योगिकी और मूल्यांकन एवं परीक्षा।
5) शैक्षिक प्रौद्योगिकी और व्यावसायिक शिक्षा।
6) शैक्षिक प्रौद्योगिकी और शिक्षक शिक्षा।
7) शैक्षिक प्रौद्योगिकी और अनुसंधान।
8) शैक्षिक प्रौद्योगिकी एवं जन शिक्षा।
9) शैक्षिक प्रौद्योगिकी और मार्गदर्शन एवं परामर्श ।
शैक्षिक तकनीकी के उद्देश्य (Objectives of Educational Technology)
शैक्षिक तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में एक नई विधा है जिसका उद्देश्य वैज्ञानिक एवं तकनीकी विधियों, उपकरणों एवं यंत्रों का प्रयोग करते हुए शिक्षा के स्तर को एक नई दिशा प्रदान करना है जिससे शिक्षा एवं शिक्षार्थियों के शैक्षिक स्तर में सुधार किया जा सके। शैक्षिक तकनीकी के उद्देश्य निम्नलिखित हैं-
1) शैक्षिक तकनीकी का उददेश्य विद्यार्थियों के साथ-साथ समाज की शैक्षिक आवश्यकताओं की पहचान करना ।
2) शिक्षा के उद्देश्यों को निर्धारित करना ।
3) उपयुक्त पाठ्यक्रम विकसित करना।
4) शिक्षण सम्बन्धी उचित रणनीति बनाना ।
5) मानव संसाधन एवं गैर मानव संसाधन की पहचान करना ।
6) शिक्षार्थियों के समुचित विकास के मार्ग में आने वाली प्रमुख बाधाओं का पता लगाना तथा उन बाधाओं को दूर करने के लिए उपायों का सुझाव देना ।
7) शिक्षा की सम्पूर्ण व्यवस्था का प्रबंधन करना।
8) विद्यार्थियों का मूल्यांकन करना।
शैक्षिक तकनीकी के प्रमुख पक्ष (Main Aspects of Educational Technology)
जिस प्रकार किसी उद्योग में कच्चे माल (Input) को प्रक्रिया (Process) द्वारा उत्पादन (Output) के रूप में परिणित (Convert) करते हैं, ठीक यही व्यवस्था शिक्षा में भी प्रयुक्त की जा सकती है। शिक्षण प्रक्रिया में शिक्षक एक प्रबन्धक (Manager) का कार्य करता है। शैक्षिक तकनीकी के तीन प्रमुख पक्ष होते हैं-
1) अदा / लागत (Input)- इसमें छात्रों का आरम्भिक व्यवहार (Entering behaviour) ज्ञात किया जाता है। इस व्यवहार में छात्रों का पूर्व ज्ञान, उनकी क्षमताएं, निष्पत्तियाँ आदि सम्मिलित होती हैं तथा लागत में शिक्षक के पढ़ाने का कमरा, फर्नीचर, दृश्य-श्रव्य सामग्रियाँ सम्मिलित होती हैं। लागत में शिक्षण की पूर्व प्रक्रिया अवस्था सम्मिलित होती है जिसमें पाठ्यवस्तु का नियोजन कार्य-विश्लेषण, उद्देश्यों व शिक्षण बिन्दुओं का चयन, विधियों, प्रविधियों, युक्तियों तथा नीतियों का चयन आदि आते हैं।
2) प्रक्रिया (Process) – प्रक्रिया का सम्बन्ध शिक्षक व छात्रों के मध्य पाठ्य-वस्तु पर अन्तःप्रक्रिया से होता है। इसमें शिक्षक व छात्रों का कक्षागत व्यवहार सम्मिलित होता है। यह शिक्षण की वास्तविक स्थिति है इसमें शिक्षक शिक्षण व्यूह रचना, युक्तियों का प्रभावशाली ढंग से प्रयोग करना, सम्प्रेषण प्रविधियों (Communication strategies) का उपयोग करना, अभिप्रेरण की समुचित प्रविधियों को प्रयुक्त करना, शिक्षक का प्रश्न पूछना, उसका शाब्दिक व अशाब्दिक व्यवहार व कथन, छात्रों के उत्तर तथा उनका प्रश्न पूछना आदि क्रियाएँ आती हैं।
3) प्रदा/उत्पादन (Output) – इस पक्ष को छात्रों का अन्तिम व्यवहार (Terminal behaviour) भी कहते हैं। प्रदा या उत्पादन का तात्पर्य प्रक्रिया द्वारा प्राप्त उपलब्धि (Outcome) से होता है। इसमें यह देखा जाता है कि छात्रों की उपलब्धि क्या है या उनके आरम्भिक व्यवहार में कोई परिवर्तन हुआ या नहीं। इसका पता मूल्यांकन द्वारा लगाया जाता है। शिक्षक मापन की विधियों का चयन करता है तथा मानदण्ड परीक्षा की रचना करता है। मूल्यांकन द्वारा शिक्षक अपने कार्य के प्रति सन्तोष अथवा असन्तोष व्यक्त करता है तथा आगे का शिक्षण इसी आधार पर नियोजित करता है। इन तीनों पक्षों का विस्तृत रूप ही शैक्षिक तकनीकी कहलाता है। इन पक्षों के आधार पर ही शिक्षण की क्रियाओं तथा उसके स्वरूप को निर्धारित किया जाता है।
शैक्षिक तकनीकी के कार्य (Functions of Educational Technology)
शैक्षिक तकनीकी के महत्वपूर्ण कार्य निम्नलिखित हैं-
1) शैक्षिक लक्ष्यों को निर्धारित करना ( Fixing up Goals of Education)- समय बीतने के साथ ही शिक्षा के उद्देश्यों की समीक्षा और उसमें संशोधन किया जा रहा है। शैक्षिक तकनीकी सही उद्देश्यों को जानने में सहायता करती है। इस संसार में प्रत्येक वस्तु में तीव्र परिवर्तन हो रहे हैं। शैक्षिक तकनीकी बदलती परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए सही उद्देश्यों को निर्धारित करने में सहायता करती है।
2) शिक्षण-अधिगम सामग्रियों का विकास (Development of Teaching- Learning Materials) – शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया की तरह ही शिक्षण-अधिगम सामग्रियाँ महत्वपूर्ण होती हैं। इन सामग्रियों को शिक्षार्थियों के वातावरण के अनुरूप होना चाहिए। विज्ञान एवं तकनीकी के इस दौर में शिक्षण सामग्रियों को अवैज्ञानिक नहीं होना चाहिए। शैक्षिक तकनीकी शिक्षण-अधिगम सामग्रियों को विकसित करने में अत्यधिक सहायता करती है।
3) शैक्षिक तकनीकी विद्यार्थी की रुचि एवं ध्यान को बढ़ाने में सहायक (Educational Technology is Helpful in Enhancing Interest and Concentration of the Students) – शैक्षिक तकनीकी विद्यार्थियों की रुचि एवं ध्यान को बढ़ाने का कार्य करती है। शैक्षिक तकनीक द्वारा शिक्षक शिक्षण सामग्री में विद्यार्थियों की रुचि, उत्साह एवं कठिन तथ्यों एवं प्रत्ययों को सीखने में मदद करती है। शैक्षिक तकनीकी शिक्षण कार्य को रोचक एवं नीरस सामग्री को पठन-पाठन में सहायता प्रदान करती है।
4 ) अधिगमकर्ता को पुनर्बलन प्रदान करना (Providing Reinforcement to the Learner)- शैक्षिक तकनीकी अधिगमकर्ता के अधिगम में सुधार के लिए पुनर्बलन प्रदान करती है। शैक्षिक तकनीकी द्वारा छात्र के शैक्षिक उपलब्धियों का मूल्यांकन किया जाता है तथा उसमें सुधारात्मक कार्य हेतु पुनर्बलन प्रदान किया जाता है। शैक्षिक तकनीकी द्वारा शिक्षक एवं छात्रों की क्षमताओं में वृद्धि होती है।
5) अधिगम और प्रशिक्षण में सहायक (Helpful in Learning and Training)—शैक्षिक तकनीकी शिक्षक एवं प्रशिक्षु शिक्षक के प्रशिक्षण में सहायता प्रदान करती है। इसके द्वारा विद्यार्थियों के अधिगम में वृद्धि की जा सकती है और साथ ही साथ उनका व्यावहारिक जीवन में कैसे प्रयोग किया जाए उसको भी बताने का कार्य करती है। यह तभी सम्भव है जब विद्यार्थी में एक परिस्थिति में सीखी हुई बातों का दूसरी परिस्थितियों में स्थानान्तरण कर सकें। शैक्षिक तकनीकी उनकी अनेक अधिगम और प्रशिक्षण में सहायता कर उनकी क्षमताओं में विकास का कार्य करती है।
6) प्रत्यक्ष अनुभव प्रदान करने का कार्य (Provides Direct Experiences) – शैक्षिक तकनीकी के अन्तर्गत विविध दृश्य-श्रव्य सामग्री का प्रयोग किया जाता है। इनमें उन ऐतिहासिक इमारतों, मशीनों, एवं जीवन विज्ञान के दुर्लभ प्रत्ययों को प्रत्यक्ष देखने एवं अनुभव करने का अवसर मिलता है। शैक्षिक तकनीकी उन सामग्री का जिन्हें कक्षा में लाया न जा सके अथवा अपनी नग्न आंखों द्वारा देखा न जा सके, को समझने में सहायता प्रदान करती है।
7) व्यक्तिगत विभिन्नताओं में सन्तुष्टि प्रदान करना (Provides Satisfaction in Individual Differences) – एक कक्षा में विभिन्न मानसिक स्तर के छात्र होते हैं और उनकी अधिगम क्षमता का स्तर भी भिन्न-भिन्न होता है। शैक्षिक तकनीकी विभिन्न मानसिक स्तर के बालकों को प्रत्यय को समझने में सहायता प्रदान करती है।
8) शैक्षिक वातावरण बनाने में सहायक (Helpful in Creating Educational Environment)- शैक्षिक तकनीकी साधनों के प्रयोग से कक्षा का वातावरण सजीव हो जाता है। इससे छात्रों में निष्क्रियता एवं बोझिलपन समाप्त हो जाता है। शैक्षिक तकनीकी शिक्षक एवं छात्र के मध्य अन्तः क्रिया के अवसर प्रदान कर एक स्वस्थ्य शैक्षिक वातावरण बनाने का कार्य करती है।
9) अनुशासनहीनता की समस्या को दूर करने का कार्य (To Rectify the Problems of Indiscipline)- शैक्षिक तकनीकी छात्रों के मध्य कक्षा में अनुशासनहीनता की समस्या को दूर करने का कार्य करती है। शैक्षिक तकनीकी के द्वारा छात्रों को एकाग्रचित्त एवं पाठ्य केन्द्रित करने का प्रयास किया जाता है। इसके प्रयोग से छात्रों में सक्रियता एवं उत्सुकता बनी रहती है और छात्रों को अनुशासनहीन होने का समय नहीं मिल पाता है।
10) वैज्ञानिक एवं खोज प्रवृत्ति को बढ़ावा देने का कार्य (Work of Developing Scientific and Research Aptitude)- शैक्षिक तकनीकी साधनों का प्रयोग कर विद्यार्थियों में वैज्ञानिक एवं खोज प्रवृत्ति के विकास का कार्य करती है। इसके प्रयोग से छात्रों में जानने की उत्सुकता एवं तर्क-वितर्क के वातावरण का समावेश होता है। इसके प्रयोग के द्वारा उनकी मानसिक क्षमता का विकास होता है। जो उनमें वैज्ञानिक एवं खोज प्रवृत्ति को बढ़ाने का कार्य करती है।
शैक्षिक तकनीकी का महत्व एवं उपयोगिता (Significance and Utility of the Educational Technology)
शैक्षिक तकनीकी का महत्व एवं उपयोगिता निम्नलिखित हैं-
1) शैक्षिक लक्ष्यों एवं उद्देश्यों का निर्धारण (Determination of Educational Aims and Objectives) – शैक्षिक लक्ष्यों एवं उद्देश्यों के द्वारा ही एक शिक्षक शिक्षा को सफल बना सकता है। शिक्षा से सम्बन्धित समस्याओं एवं आकांक्षाओं का निदान शैक्षिक लक्ष्यों एवं उद्देश्यों के निर्धारण से ही सम्भव हो सकता है। इसके अन्तर्गत विशिष्ट शैक्षिक उद्देश्यों का निर्धारण, कक्षा के विशिष्ट लक्ष्यों का निर्धारण एवं उनका विभाजन तथा शिक्षण अधिगम उद्देश्यों को व्यवहारिक रूप में लिखना आता है।
2) शिक्षण-अधिगम सामग्री का उत्पादन एवं विकास (Production and Development of Teaching-Learning Material) – इसके अन्तर्गत निर्धार उद्दश्यों, पाठ्यक्रम एवं उपलब्ध साधनों का शिक्षण-अधिगम के उत्पादन एवं विकास पर बल दिया जाता है। इसके अन्तर्गत शिक्षण मशीन में प्रयोग सामग्री शिक्षण अधिगम में नियोजन हेतु प्रयुक्त सामग्री, कम्प्यूटर निर्देशित अधिगम सामग्री एवं अभिक्रमित अनुदेशन सामग्री आदि का विकास एवं उत्पादन किया जाता है।
3) पाठ्यक्रम निर्माण (Construction of Curriculum) – पाठ्यक्रम के द्वारा ही शैक्षिक उद्देश्यों एवं शिक्षण-अधिगम सामग्री की उपयोगिता है। शैक्षिक उद्देश्यों का निर्धारण एवं शिक्षण-अधिगम सामग्री का विकास पाठ्यक्रम पर ही आधारित होता है, परन्तु पाठ्यक्रम के निर्माण में शैक्षिक तकनीकी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाहन करती है। पाठ्यवस्तु को सफल एवं सार्थक बनाने के लिए पाठ्यक्रम निर्माण में शैक्षिक तकनीकी सहायता प्रदान करती है।
4) अध्यापकीय प्रशिक्षण (Teacher’s Training)- शैक्षिक तकनीकी के द्वारा एक अध्यापक विभिन्न यंत्रों अथवा तकनीकों का संचालन एवं उनको प्रयोग करना सीखता है। इस प्रकार शिक्षक स्वयं प्रशिक्षित होकर छात्रों को शैक्षिक तकनीकी द्वारा बेहतर ज्ञान एवं उनके अधिगम को स्थायित्व प्रदान करता है। शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में एक शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है और वह इसको सफल बनाने हेतु सूक्ष्म-शिक्षण, टोली शिक्षण, अनुरूपित शिक्षण इत्यादि का ज्ञान प्राप्त कर प्रशिक्षण प्राप्त करता है।
5) उचित दृश्य-श्रव्य सामग्री का चयन, विकास एवं उपयोग (Development, Selection and Use of Appropriate Audio Visual Aids) – शैक्षिक तकनीकी शिक्षण में उचित दृश्य-श्रव्य सामग्री का चयन, विकास एवं उपयोग में सहायता करती है। छात्र को उचित ढंग से सिखाने, उसके प्रयोग के तरीकों एवं शिक्षण बिन्दु की आवश्यकता के अनुसार उनका चयन एवं प्रयोग करने में सहायक है। दृश्य-श्रव्य सामग्री में आवश्यकतानुसार विकास की जरूरत होती है, जिसके विकास में शैक्षिक तकनीकी सहायता प्रदान करती है।
6) हार्डवेयर उपकरण एवं जनसम्पर्क माध्यमों का प्रभावपूर्ण (Effective Utilisation of the Hardware and Mass Media)- शिक्षा के क्षेत्र उपयोग में उपलब्ध तकनीकों, उपकरणों, मशीनों, प्रचार साधनों एवं जनसम्पर्क माध्यमों का उपयोग त्वरित गति से बढ़ रहा है। शैक्षिक तकनीकी इन सभी साधनों एव यन्त्रों से परिचित करने के तरीकों को बताने का माध्यम है। हार्डवेयर में प्रयुक्त उपकरण का प्रयोग शैक्षिक तकनीकी द्वारा ही सम्भव हो पाया है। जनसम्पर्क माध्यमों की जानकारी एवं उनका प्रभावपूर्ण उपयोग शैक्षिक तकनीकी द्वारा बेहतर ढंग से किया जा सकता है।
7) शिक्षा की उप-प्रणालियों के प्रभावपूर्ण उपयोग की ओर ध्यान देना (To Pay Attention for the Effective Utilisation of Subsystems of Education)- शैक्षिक तकनीकी, शिक्षक को शिक्षा की उप-प्रणालियों का प्रभावपूर्ण उपयोग करना सिखाती है। शिक्षक को ऐसी प्रक्रियाओं और साधनों का ज्ञान देने से है जो उपचारात्मक शिक्षण, शोध तथा अन्य शिक्षण प्रणालियों को उपयोग करना सिखाती है। शिक्षा तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में प्रणाली उपागम के उपयोग पर बल देती है, इस दृष्टि से वह ऐसी अध्ययन सामग्री का समावेश करना चाहती है, जिसके द्वारा एक अध्यापक शिक्षा को सुनियोजित प्रणाली के रूप में देख और समझ सके।
8) मूल्यांकन द्वारा उचित नियंत्रण एवं पृष्ठपोषण की व्याख्या (To Provide Appropriate Feedback and Control through Evaluation)- शैक्षिक तकनीकी छात्रों के शैक्षिक -अधिगम का मूल्यांकन करती है। शैक्षिक तकनीकी के शिक्षा में प्रयोग द्वारा छात्रों के बेहतर मूल्यांकन द्वारा उनकी कमियों का पता लगाया जाता है और उनके स्तर के अनुसार उनका निदान किया जाता है। उनकी कमियों एवं गलतियों को उन्हें ज्ञान कराकर पृष्ठपोषण प्रदान किया जाता है।
शैक्षिक तकनीकी के अनुप्रयोग (Applications of Educational Technology)
शैक्षिक तकनीकी के प्रभावी अनुप्रयोगों का वर्णन निम्नलिखित बिंदुओं के अन्तर्गत किया जा सकता है-
1) शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया में सुधार ( Improvement in the Process of Teaching-Learning) – शैक्षिक तकनीकी शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया में सुधार करती है। तथा इसे अधिक प्रभावी एवं प्रक्रिया उन्मुख बनाती है। शिक्षण अधिगम की प्रक्रिया में श्रव्य-दृश्य सामग्रियाँ महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
2) शैक्षिक आवश्यकताओं की पूर्ति (Meet the Educational Needs)- शिक्षण प्रक्रिया में विभिन्न वैज्ञानिक यंत्रों एवं मशीनों का उपयोग किया जाता है। इन मशीनों में इलेक्ट्रॉनिक एवं यांत्रिक उपकरण हैं जिनका उपयोग शैक्षिक आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु किया जाता है।
3) शिक्षण सहायक सामग्रियों का समुचित एवं पूर्ण उपयोग (Proper and Full Use of Teaching Aids) – शैक्षिक तकनीकी न केवल शिक्षा के स्तर को बनाए रखती है बल्कि शिक्षण सहायक सामग्रियाँ एवं अभिक्रमित अनुदेशन सामग्रियाँ प्रदान कर शिक्षण के तरीकों को भी सुधारती है।
4) दूरस्थ एवं पत्राचार शिक्षा को समृद्ध करना (To Enrich the Distance and Correspondence Education) – शिक्षण में सुधार करने हेतु विभिन्न यांत्रिक एवं मशीनरी साधनों का प्रयोग किया जाता है। इन साधनों में टेलीविजन, रेडियो, वी.सी. आर, कम्प्यूटर आदि प्रमुख हैं। ये साधन दूरस्थ एवं पत्राचार शिक्षा को समृद्ध करने में अत्यधिक सहायक सिद्ध हुए हैं ।
5) प्रशिक्षण (Training) – शिक्षकों को नए पाठ्यक्रम एवं नई सामग्रियों में हो रहे परिवर्तनों को सम्भालना आवश्यक हो गया है। शिक्षक शिक्षण के दौरान पुरानी रणनीतियों एवं विधियों का उपयोग करते हैं जो अनावश्यक प्रतीत होती हैं इसीलिए शिक्षकों को समयानुसार उचित प्रशिक्षण की आवश्यकता है।
6) नवाचार (Innovations)– शिक्षा के क्षेत्र में प्रणाली- विश्लेषण एक नवाचार है जो शिक्षा सम्बन्धी प्रशासनिक समस्याओं का समाधान करने में सहायक हो सकती है और शिक्षा को सरल बनाती है।
7) शैक्षिक उद्देश्यों की प्राप्ति (Achievement of the Educational Objectives)- शैक्षिक तकनीकी की सहायता से शिक्षण की संरचना एवं विकास में सुधार किया जा सकता है। यह नवीन शिक्षण प्रतिमानों का प्रवर्तन करती है जिसके द्वारा शिक्षा के उद्देश्यों को प्राप्त किया जा सकता है।
8) शिक्षा का वैज्ञानिक आधार (Scientific Basis of Education)- शैक्षिक तकनीकी शिक्षा को वैज्ञानिक आधार प्रदान करती है। जो शिक्षण एवं अनुदेशन के सिद्धांतों के विकास को गति प्रदान करती है।
9) पाठ्यक्रम विकास (Curriculum Development)- शैक्षिक तकनीकी वांछित उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु मुख्यतः उपयुक्त पाठ्यक्रम के निर्माण से सम्बन्धित है। यह उपयुक्त अधिगम अनुभवों की विधियों एवं तरीकों का वर्णन करने में लाभकारी है।
शैक्षिक तकनीकी के प्रकार (TYPES OF EDUCATIONAL TECHNOLOGY)
आइवर के डेवीस (Ivor K. Davies) ने अपनी पुस्तक ‘सीखने का प्रबंधन’ (The Management of Learning) में लुम्सडेन (Lumsdaine 1964) द्वारा बताए गए शैक्षिक तकनीकी के तीन रूपों अथवा उपशाखाओं का वर्णन किया है। ये तीन रूप अथवा उपशाखाएँ निम्न हैं-
1) शैक्षिक तकनीकी प्रथम अथवा हार्डवेयर उपागम (Educational Technology-I or Hardware Approach)
2) शैक्षिक तकनीकी द्वितीय अथवा सॉफ्टवेयर उपागम (Educational Technology-II or Software Approach)
3) शैक्षिक तकनीकी तृतीय अथवा प्रणाली विश्लेषण (Educational Technology-III or System Analysis)
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