अनुदेशन तकनीकी (Instructional Technology)
अनुदेशन तकनीकी के विकास का मुख्य श्रेय ब्रूनर एवं ग्लेसर को है। शैक्षिक तकनीकी का एक प्रमुख प्रकार अनुदेशन अथवा निर्देशन तकनीकी है। अनुदेशन का अर्थ है सूचना देना। यह सूचना देने का कार्य शिक्षक के अतिरिक्त कोई दूसरा भी कर सकता है जबकि शिक्षण में शिक्षक व छात्रों के बीच अन्तःप्रक्रिया (Interaction) का होना अति आवश्यक है। अनुदेशन में छात्र अभिक्रमित अनुदेशन द्वारा स्वयं भी सीख सकता है। शिक्षण में भी अनुदेशन का प्रयोग किया जाता है इसलिए शिक्षण को तो अनुदेशन कहा जा सकता है परन्तु अनुदेशन को शिक्षण नहीं कहा जा सकता क्योंकि अनुदेशन में शिक्षक और छात्र के मध्य अन्तःप्रक्रिया होना आवश्यक नहीं है। अनुदेशन तकनीकी मशीन तकनीकी (Hardware approach) पर आधारित है। जैसे विभिन्न प्रकार की दृश्य-श्रव्य सामग्रियों, जैसे- रेडियो, टेलीविजन, रिकार्ड प्लेयर, प्रोजेक्टर आदि सामग्रियों के द्वारा विद्यार्थियों के बड़े-बड़े समूहों को कम से कम समय में तथा थोड़े खर्च द्वारा ज्ञान दिया जा सकता है।
अनुदेशन तकनीकी निःसन्देह शिक्षण को सरल, स्पष्ट एवं सुग्राही तो बना देती है परन्तु यह शिक्षक का स्थान कभी नहीं ले सकती क्योंकि अनुदेशन में शिक्षक एवं शिक्षार्थी के मध्य अन्तः क्रिया होना आवश्यक नहीं है। इसलिए यह तकनीकी केवल ज्ञानात्मक पक्ष को ही विकसित कर पाती है, भावात्मक (Affective) एवं क्रियात्मक (Cognitive) पक्षों के विकास को अधिक महत्व नहीं देती है जबकि शिक्षण के माध्यम से तीनों पक्षों का विकास सम्भव है। अनुदेशन तकनीकी को निम्न प्रकार से परिभाषित किया जा सकता है-
एस. एम. मैकमूरिन के अनुसार, “अनुदेशन तकनीकी शिक्षण और सीखने की समस्त प्रक्रिया को विशिष्ट उददेश्यों के अनुसार रूपरेखा तैयार करने, चलाने तथा उसका मूल्यांकन करने की एक क्रमबद्ध रीति है। यह शोध कार्य भी मानवीय सीख व आदान-प्रदान करने पर आधारित है। इसमें शिक्षण को प्रभावपूर्ण बनाने के लिए मानवीय तथा अमानवीय साधनों का प्रयोग किया जाता है।”
According to S.M. McMurin (1970), “Instructional technology is a systematic way of designing, carrying out and evaluating the total process of learning and teaching in terms of specific objectives, passed on research on human learning and communication and employing a combination of human and non-human resources to bring about more effective instruction.”
सीगल के अनुसार, “अनुदेशन तकनीकी शिक्षण की कला में पाठ्यक्रम – अधिगम विधियों तथा प्रविधियों में एक महत्वपूर्ण भूमिका प्रदान करती है।
According to Siegal, “Instructional technology has done a vital role for objectives curriculum learning, methods and technique in the art of teaching.”
अनुदेशन तकनीकी की मान्यताएँ (Assumptions of Instructional Technology)
अनुदेशन तकनीकी का मूल स्रोत मनोविज्ञान है। इसकी अवधारणाएँ निम्नलिखित हैं-
(1) अनुदेशन तकनीकी में पाठ्य वस्तु का प्रस्तुतीकरण स्वतन्त्र रूप से एवं पाठ्य-वस्तु को छोटे-छोटे तत्वों में विभाजित करके किया जा सकता है।
(2) पाठ्य-वस्तु में छोटे-छोटे तत्वों की सहायता से समुचित अधिगम की परिस्थितियाँ उत्पन्न की जा सकती हैं।
(3) पाठ्य-वस्तु का चुनाव उसके उद्देश्यों को ध्यान में रखकर किया जा सकता है।
(4) अनुदेशन तकनीकी, शिक्षण और सीखने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में सहायक होती है।
(5) अनुदेशन की सहायता से छात्रों को अपनी व्यक्तिगत विभिन्नताओं के अनुसार सीखने का अवसर प्रदान किया जा सकता है।
(6) अनुदेशन तकनीकी में पाठ्य वस्तु के प्रस्तुतीकरण में अनेक विधियों-प्रविधियों एवं दृश्य-श्रव्य सामग्री की सहायता से अधिगम के उद्देश्यों की प्राप्ति की जा सकती है।
(7) अनुदेशन सामग्री की सहायता से छात्रों को सीखने की दिशा एवं उनको समुचित पुनर्बलन (Reinforcement) प्रदान किया जा सकता है।
(8) शिक्षक की अनुपस्थिति में भी छात्र स्वयं अध्ययन द्वारा सीख सकता है।
(9) अनुदेशन तकनीकी छात्रों में अपेक्षित व्यवहार परिवर्तन लाने में सहायक है।
अनुदेशन तकनीकी की पाठ्य-वस्तु (Subject Matter/Content of Instructional Technology)
अनुदेशन तकनीकी का प्रमुख उदाहरण अभिक्रमित अनुदेशन है। इसके अन्तर्गत पाठ्य-वस्तु को छोटे-छोटे पदों में विभाजित किया जाता है तथा प्रत्येक पद का छात्र स्वयं सक्रिय रहकर स्वतन्त्र रूप से अध्ययन करता है। अनुदेशन तकनीकी के अन्तर्गत निम्न पाठ्य वस्तुएँ सम्मिलित की जाती हैं-
(1) अनुदेशन तकनीकी का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition of Instructional Technology)
(2) अभिक्रमित अनुदेशन का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition of Programmed Learning)
(3) शाखीय तथा रेखीय अभिक्रमित अनुदेशन का अर्थ, स्वरूप एवं अवधारणा (Meaning, Nature and Concept of Branched and Linear Programmed Learning)
(4) कम्प्यूटर की सहायता द्वारा अनुदेशन (Computer Based Instruction
(5) व्यक्तिगत विभिन्नता के लिए समायोजन प्रविधियाँ (Adjustment Methods for Individual Differences)
(6) नियम एवं उदाहरण प्रणाली द्वारा अनुदेशन (Rules and Illustration Methods for Instruction)
अनुदेशन तकनीकी की विशेषताएँ एवं उपयोगिता (Characteristics and Utility of Instructional Technology)
अनुदेशन तकनीकी की विशेषताएँ एवं उपयोगिताएँ निम्नलिखित हैं-
(1) अनुदेशन का तात्पर्य केवल ज्ञान एवं सूचना प्रदान करना है, इसलिए इस तकनीकी द्वारा ज्ञानात्मक उद्देश्यों की प्राप्ति की जाती है।
(2) अनुदेशन तकनीकी शिक्षण का एक साधन है जो शिक्षण को प्रभावशाली बनाती है।
(3) अनुदेशन तकनीकी दृश्य-श्रव्य सामग्री पर आधारित है इसलिए शिक्षण धीरे-धीरे यन्त्रवत् (क्रमानुसार) होता जाता है।
(4) इसमें निर्देशन केवल शिक्षण के स्मृति स्तर पर आधारित होता है।
(5) इसमें छात्रों को उनकी व्यक्तिगत विभिन्नताओं के अनुसार सीखने का अवसर प्रदान किया जाता है।
(6) यह तकनीकी मनोवैज्ञानिक तथा अधिगम के सिद्धान्तों पर आधारित है।
(7) इसमें छात्रों को सही अनुक्रिया की पुष्टि कर निरन्तर पुनर्बलन दिया जाता है। 8) अनुदेशन विभिन्न प्रकार की दृश्य-श्रव्य सामग्री, विधियों, प्रविधियों द्वारा प्रदान किया जाता है।
(9) इस तकनीकी में शिक्षक – छात्र सम्बन्धों का अभाव रहता है तथा शिक्षक का स्थान एक सहायक के रूप में होता है।
(10) इस तकनीकी के क्षेत्र में विभिन्न प्रयोगों एवं शोध कार्यों की सहायता से महत्वपूर्ण अनुदेशनात्मक सिद्धान्तों का विकास किया जा सकता है जिससे अनुदेशन को प्रभावशाली बनाया जा सकता है।
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