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अधिगम अक्षमता का अर्थ | अधिगम अक्षमता के तत्व 

अधिगम अक्षमता का अर्थ
अधिगम अक्षमता का अर्थ

अधिगम अक्षमता का अर्थ (Meaning of Learning Disability)

अधिगम अक्षमता एक व्यापक शब्द है जिसका उपयोग कई तरह की समस्याओं के लिए किया जाता है। इस शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम 1963 में सैमुअल किर्क ने किया था। इसके पहले अधिगम अक्षमता की जगह अल्परूप से दिमाग की असामान्य प्रक्रिया या अल्परूप में असामान्य दिमागी प्रक्रिया या अल्परूप में असामान्य तंत्रकीय प्रक्रिया सरीखे नैदानिक शब्दों का उपयोग किया जाता था। लेकिन शिक्षा, पुनर्वास और चिकित्सकीय मस्तिष्क विज्ञान में फिलवक्त 109 शब्द प्रचलित हैं जिसे अधिगम अक्षमता शब्द के पर्याय के रूप में उपयोग किया जाता है (बराल, एस. 2005 ) । इनमें से कुछ प्रमुख शब्द हैं-अकादमिक उपलब्धि अधिगम अक्षमता, अकादमित विकलांगता, अवधान न्यूनता विकार, अवधान विकार, व्यवहार विकार, मस्तिष्क क्षति, विकासात्मक असंतुलन, विकासात्मक डिस्लेक्सिया, डिस्लेक्सिया, डिस्कैलकुलिया, शिक्षणीय मानसिक मंदता, शैक्षिक विकलांगता, शैक्षिक मंदता, शैक्षिक विकार, हाइपरकाइनेसिस, हाइपोकाइनेसिस, भाषाई अक्षमता, पठन विकलांगता, पठन मंदता, पठन-लेखन विकलांगता, स्लो लर्नर शब्द-अंधता, तंत्रकीय अक्षमता आदि।

वर्ष 1963 के पश्चात् विद्वानों ने अधिगम अक्षमता को परिभाषित करने का प्रयास किया लेकिन वे कोई भी ऐसी व्यापक परिभाषा विकसित करने में सक्षम नहीं हो सके जिसे निर्विरोध स्वीकारा जा सके।

सर्वप्रथम किर्क (1963) ने अधिगम अक्षमता को परिभाषित करने का प्रयास किया। किर्क के मुताबिक- ” अधिगम अक्षमता का तात्र्प्य वाक्, भाषा, पठन, लेखन या अंकगणितीय प्रक्रियाओं में एक या अधिक प्रक्रियाओं में मंदता, विकृति अथवा अवरुद्ध विकास है जो संभवतः मस्तिष्क कार्यविरुपता और/या संवेगात्मक अथवा व्यावहारिक विक्षोभ का परिणाम है न कि मानसिक मंदता, संवेदी अक्षमता अथवा सांस्कृतिक या अनुदेशन कारक के कारण” [A learning disability refers to a retardation, disorder or delayed development in one or more of the processes of speech, language, spelling, writing or arithmetic resulting from a possible cerebral disfunction and/ or emotional or behavioral disturbances and not from mental retardation, sensory deprivation, or cultural or instructional function.-Krik]

अमेरिका में फेडरल परिभाषा का विकास हुआ। इसके अनुसार- “विशिष्ट अधिगम अक्षमता से तात्पर्य मौखिक अथवा लिखित भाषा सरीखे एक या अधिक मूल मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया को समझने के क्रम में आने वाली विकृति से है, जो व्यक्ति के श्रवण, सोच, वाक, पठन, लेखन एवं अंकगणित संबंधी गणना को पूर्ण या आंशिक रूप से प्रभावित करता है। इसके अंतर्गत इंद्रियपरक विकलांगता (Perceptual Handicaps), मस्तिष्क क्षति, अल्परूप में असामान्य दिमागी प्रक्रिया (Minimal Brain Dysfunction), डिस्लेक्सिया और विकासात्मक वाचाघात (Development Aphasia) सरीखी स्थितियाँ शामिल हैं। इस शब्द में ऐसे बालक सम्मिलित नहीं हैं जो दृष्टि, श्रवण या गामक विकलांगता, मानसिक मंदता, संवेगात्मक विक्षोभ या वातावरण, सांस्कृतिक या आर्थिक दोष के परिणामस्वरूप होने वाली अधिगम संबंधी समस्या से पीड़ित हैं (फेडरल रजिस्टर, 1977)”।

[“Specific learning disability” means a disorder in one or more of the basic psychological processes involved in understanding or in using language, spoken or written, which may manifest itself in an imperfect ability to listen, think, speak, read, write, spell or to do mathematical calculations. The term includes such conditions as perceptual handicaps, brain injury, minimal brain dysfunction, dyslexia and development aphasia. The term does not include children who have learning problems which are primarily the result of visual, hearing or motor handicaps, or mental retardation, or emotional disturbance, or of environmental, cultural or economic disadvantage. – (Federal Register, 1977)].

अमेरिका की अधिगम अक्षमता की राष्ट्रीय संयुक्त समिति (The National Joint Committee for Learning Disabilties) ने वर्ष 1994 में अधिगम अक्षमता को निम्नलिखित तरीके से परिभाषित की है-” अधिगम अक्षमता एक सामान्य शब्द है जो सुनने, बोलने, पढ़ने, लिखने, तर्क करने, या गणितीय क्षमता और Acquisition में कठिनाई सरीखे विषम समूह विकृति को दर्शाते हैं। मानव में होने वाली ये विकृतियाँ आंतरिक हैं जो अनुमानत: केन्द्रीय तंत्रिका के सुचारू रूप से कार्य नहीं करने के कारण होता है। यह जीवन के किसी क्षण में हो सकता है। यद्यपि अधिगम असमर्थता अन्य विकलांग अवस्थाओं (जैसे- संवेदी अक्षमता, मानसिक मंदता, गंभीर संवेगात्मक विक्षोभ ) या सांस्कृतिक भिन्नता, अनुपयुक्त या अपर्याप्त अनुदेशन सरीखे प्रभावों के कारण होता है। इन दशाओं का प्रभाव “सीधा नहीं पड़ता है।”

[“Learning disability is a general term that refers to a heterogeneous group of disorders manifested by significant difficulties in the acquisition and use of listening, speaking, reading, writing, reasoning or mathematical abilities. These disorders are intrinsic to the individual, presumed to be due to central nervous system dysfunction and may occur across the life span. Problems in self-regulatory behaviours, social perception and social interaction may exist with learning disabities but do not by themselves constitute a learning disability. Although learning disability may occur concommitantly with other handicapping conditions (for example, sensory impairment, mental retardation, serious emotional disturbance) or with influences (such as cultural differences, insufficient or inappropriate instruction), they are not the result of those conditions or influences.- (National Joint Committee on Learning Disabilities, 1994)].

अधिगम अक्षमता की राष्ट्रीय संयुक्त समिति (1994) के परिभाषा की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं- (i) अधिगम अक्षमता विकृतियों का एक विषम समूह है। पीड़ित व्यक्ति में कई प्रकार के व्यवहार और विशेषताएँ पाई जाती है। (ii) पीड़ित व्यक्ति के लिए ये समस्याएँ आंतरिक (Intrinsic) होती है । यह व्यक्ति के आंतरिक कारकों के कारण होता है न कि बाह्य कारणों से। (iii) यह समस्या व्यक्ति के केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र के कार्यात्मक विरूपता से संबंधित है। यानी यह एक जैविक समस्या है। (iv) अधिगम अक्षमता अन्य प्रकार की विकृतियों के साथ हो सकता है। प्रभावित व्यक्ति एक ही समय में कई तरह की समस्याओं से पीड़ित हो सकता है। उदाहरणार्थ-अधिगम अक्षमता और संवेगात्मक विक्षोभ।

एमस (1998) ने अधिगम अक्षमताओं का जिक्र करते हुए कहा है कि “आंतरिक अधिगम न्यूनतम (Internal Learning Deficit) वास्तविक अधिगम अक्षमता की विशेषता है जो औसत बुद्धि की बजाय अकादमिक उपलब्धि को ऋणात्मक रूप से प्रभावित करता है।” वहीं लर्नर एवं लियोन ने श्रवण, बोली, पठन, लेखन और गणितीय गणना सरीखे स्कूली विषयों की न्यूनता को अधिगम अक्षमता में शामिल करने के लिए अकादमिक उपलब्धि अधिगम अक्षमता को परिभाषित करने का प्रयास किया है।

अधिगम अक्षमता के तत्व 

उपरोक्त परिभाषाओं के विश्लेषण के पश्चात् हम पाते हैं कि अधिगम अक्षमता के निम्नलिखित तत्त्व हैं- (i) केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र की कार्यात्मक विरूपता (ii) मनोवैज्ञानिक प्रक्रियात्मक विकृतियाँ (iii) अकादमिक एवं अधिगम कठिनाइयाँ (iv) उपलब्धि एवं क्षमताओं के बीच भिन्नता (v) अन्य कारणों का बहिराव या अपवर्जन।

(i) केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र की कार्यात्मक विरूपता (Central Nervous System Dysfunction)- शैक्षिक एवं वातावरण संबंधी गतिविधियाँ जहाँ एक ओर अधिगम प्रक्रिया को रूपांतरित करती है वहीं दूसरी ओर मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को धनात्मक अथवा ऋणात्मक रूप से प्रभावित भी करती है। चूँकि अधिगम की उत्पति मस्तिष्क में होती है इसलिए केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र की कार्यात्मक विरूपता के कारण बालक अधिगम अक्षमताग्रस्त हो जाता है। कई मामलों में तंत्रिका संबंधी विरूपता को पहचान पाना उस वक्त मुश्किल होता है जब इसकी पहचान न तो चिकित्सकीय परीक्षण से हो पाता है और न किसी अन्य बाह्य चिकित्सकीय जाँच से। ऐसी स्थिति में पीड़ित व्यक्ति के व्यवहार के निरंतर अवलोकन के बाद ही उसकी केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र की कार्यात्मक विरूपता का पता चल पाता है। कई अनुसंधान परिणामों के अध्ययन से भी इस बात का प्रमाण मिलता है कि अधिगम अक्ष का कोई न कोई तंत्रिका तंत्रीय (Neurological) आधार अवश्य है। लेकिन शिक्षण-अधिगम के दृष्टिकोण से एक शिक्षक के लिए केवल इसका व्यावहारिक एवं शैक्षिक पक्ष का अध्ययन महत्वपूर्ण होता है।

(ii) मनोवैज्ञानिक प्रक्रियात्मक विकृतियाँ ( Psychological Processing Disorders)- मानसिक सामर्थ्य, एकल क्षमता भर नहीं, बल्कि यह कई मानसिक क्षमताओं का समन्वित रूप है। अधिगम अक्षमताग्रस्त बालकों में इन सभी क्षमताओं का विकास सामान्य तरीके से नहीं हो पाता है। यानी इन मानसिक क्षमताओं को समरूप विकास नहीं हो पाता है। लिहाजा पीड़ित बालकों में अंतः वैयक्तिक भिन्नताएँ दृष्टिगोचर होने लगती है (किर्क एवं चैलफैन्ट, 1984)। हल्लहन (1975) ने अधिगम अक्षमताग्रस्त कई बच्चों के सूचना – प्रोसेसिंग समस्या से पीड़ित होने की पुष्टि की है। असमरूप वृद्धि पैटर्न, अंतः वैयक्तिक भिन्नता और मनोवैज्ञानिक प्रक्रियात्मक विकृतियों की अवधारणा ही अधिगम अक्षमता अनुदेशन जाँच के आधार हैं।

(iii) अकादमिक एवं अधिगम कठिनाइयाँ (Difficulties in Academic & Learning Tasks) – अधिगम अक्षमताग्रस्त बालकों को अधिगम संबंधी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कुछ बच्चों को वाक् एवं भाषा संबंधी परेशानी हो सकती है। तो कईयों को पठन, अंकगणितीय, हस्तलेखन, गत्यात्मक कौशल, लेखन अभिव्यक्ति, सोच अथवा अन्य मनोसामाजिक कौशल संबंधी परेशानी हो सकती है। अधिगम अक्षमता की फेडरल परिभाषा में ऐसे सात विशिष्ट अकादमिक क्षेत्र को चिह्नित किया गया है जिनमें अधिगम अक्षमता का पता लगाया जा सकता है। मोट्स एवं लियोन, 1993 के मुताबिक प्रामाणिक शिक्षण अथवा कौशल प्रशिक्षण के पश्चात् किसी एक विशिष्ट कौशल अथवा कई कौशलों के अधिगम की असफलता के परिणामस्वरूप बालक अधिगम अक्षमताग्रस्त हो जाता है। अधिकांश परिभाषाओं का विश्लेषण इस बात की पुष्टि करती है कि अधिगम अक्षमताग्रस्त बालकों को आंतरिक अधिगम समस्या ( Intrinsic Learning Problem) होती है। प्राथमिक तौर पर उन बच्चों में अधिगम संबंधी समस्याएँ अधिगम अक्षमता के कारण भी होता है।

(iv) क्षमताओं एवं उपलब्धि के बीच भिन्नता (Discrepancy between Potential and Achievement) – बालकों की अधिगम क्षमता और उनकी वास्तविक उपलब्धि के बीच का अंतर अधिगम अक्षमता का एक महत्वपूर्ण तत्व है । कई परिभाषाओं में यह अंतर एक कॉमन फैक्टर के रूप में विद्यमान है। फेडरल परिभाषा में इस बात चर्चा की गई है कि अधिगम अक्षमताग्रस्त बच्चे एक या सातों क्षेत्र में गंभीर क्षमता-उपलब्धि असंगति से पीड़ित होते हैं। कई अन्य परिभाषाओं में भी इस असंगति को प्रामाणिक तौर की पर स्वीकार किया गया है लेकिन बालकों की बौद्धिक क्षमता और उपलब्धि के बीच की असंगति की गणना करने के पहले इन सवालों का हल ढूँढ लेना अनिवार्य प्रतीत होता है। कि आखिर व्यक्ति का अधिगम सामर्थ्य क्या है ? उस सामर्थ्य के अनुरूप क्या वह वांछित उपलब्धि हासिल कर पाता है? यदि नहीं तो उसके सामर्थ्य और उपलब्धि के बीच की असंगति (Discrepancy) कितना गंभीर है? साधारणत: बच्चों के अधिगम सामर्थ्य अथव क्षमता स्तर का आकलन, बुद्धि-परीक्षण, बोधात्मक क्षमता (Cognitive Ability) अथवा अन्य चिकित्सकीय निर्णय के जरिये किया जाता है। बुद्धि मापन के लिए बुद्धि परीक्षण किया जाता है लेकिन बुद्धि परीक्षणों की भी आलोचना की जाती रही है कि ऐसे परीक्षण बालकों की बुद्धि का आकलन सही तरीके से नहीं कर पाता है। ऐसे में किसी बालक या व्यक्ति का सामर्थ्य क्या है ? इसका आकलन कर पाना कठिन काम है। जहाँ तक सामर्थ्य के अनुसार उपलब्धि हासिल अथवा नहीं हासिल करने का सवाल है इसे भी सुनिश्चित किया जाना थोड़ा मुश्किल कार्य है। क्योंकि वैयक्तिक प्रदर्शन (Performance) का आकलन के लिए उपयोग किया जाने वाला कोई जाँच दोष रहित नहीं है। Farr & Carey (1986), Salvia & Ysseldyke (1995) ने भी इस बात की पुष्टि की है कि कई अकादमिक जाँचों के विश्वसनीयता (Reliability), वैधता (Validity) एवं मानकता (Standardization) काफी कमजोर है और इन परीक्षणों से प्राप्त आँकड़े बच्चे की उपलब्धि स्तर को प्रतिबिम्बित नहीं कर पाता है।

बच्चों के सामर्थ्य और उपलब्धि स्तर के बीच की असंगति की गंभीरता का आकलन भी आसान नहीं है। उदाहरणार्थ, दूसरी कक्षा स्तर पर एक वर्ष की असंगति ग्यारहवीं कक्षा स्तर पर होने वाले एक वर्ष की असंगति से ज्यादा गंभीर माना जाता है। लेकिन यह सवाल आज भी अनुत्तरित है कि गंभीर असंगति का आकलन कैसे किया जाय।

(v) अन्य कारणों का बहिराव (Exclusion of Other Causes) – अधिगम अक्षमता की परिभाषाओं में ‘अन्य कारणों का बहिराव’ सरीखे तत्व की उपस्थिति प्रतिबिम्बि करता है कि मानसिक मंदता, सांवेगिक अस्थिरता, दृष्टि अथवा श्रवण अक्षमता, या सांस्कृतिक सामाजिक या आर्थिक वातावरण सरीखे अन्य परिस्थितियों के परिणामस्वरूप ही बालक अधिगम अक्षमताग्रस्त होता है। लेकिन अधिगम अक्षमता की परिभाषा में मौजूद ‘बहिराव’ को व्यावहारिक तौर पर लागू करना आसान नहीं है क्योंकि बच्चे सहअस्तित्व वाले समस्याओं (Co-existing Problems) से भी जूझते रहते हैं। असमर्थ बालकों के साथ कार्य करने वाले शिक्षकों को अक्सर हाँ बालकों में प्राथमिक असमर्थता के साथ अधिगम क्षमता के सहअस्तित्व भी देखने को मिलता है। लेकिन यह आकलन करना कठिन है कि कौन समस्या प्राथमिक है और कौन द्वितीयक।

व्यापकता (Prvalence) – देश में अधिगम अक्षमताग्रस्त बालकों की संख्या अन्य प्रकार के विकलांग बालकों से कहीं ज्यादा है। यह स्कूली जनसंख्या के 1 प्रतिशत से 41 प्रतिशत के बीच हो सकता है। चूँकि अधिगम अक्षमताग्रस्त बालकों की जनगणना के आँकड़े उपलब्ध नहीं हैं। इसलिए इस अक्षमता की व्यापकता के बारे में कुछ भी कहना मुश्किल है। हालाँकि शिक्षाविद् और मनोवैज्ञानिकों के अनुसार देश में ऐसे बालकों की संख्या 1 प्रतिशत से 10 प्रतिशत के बीच है।

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