बाल्यावस्था के विकास में आस-पड़ोस का योगदान (Contribution of neighbourhood in childhood development)
बाल्यावस्था के विकास में आस-पड़ोस का योगदान- बालक का जन्म जिस घर में होता है, बालक जहाँ उसका पालन-पोषण होता है, जहाँ वह विकास की अवस्थाओं में गति प्राप्त करता है, उसके आस-पास यानि पास-पड़ोस के पर्यावरण का प्रभाव उस पर व्यापक रूप से पड़ता है। आस-पड़ोस के पर्यावरण के निम्न कारक बालक के विकास को प्रभावित करते हैं-
(i) पास-पड़ोस का सामाजिक वातावरण।
(ii) पास-पड़ोस के संसाधन, जैसे- पुस्तकालय, खेल के मैदान, विद्यालय, अस्पताल आदि।
(iii) पास-पड़ोस की संरचनात्मक विशेषतायें, जैसे- पास-पड़ोस में रहने वाले लोगों की आर्थिक स्थिति, स्थायित्व, शैक्षिक स्थिति, मूल्य, मान्यतायें आदि।
उपर्युक्त कारक बालक के विकास को कैसे प्रभावित करते हैं। आइये, इस पर विचार करें-
(i) बच्चों के पालन-पोषण पर पास-पड़ोस का व्यापक प्रभाव पड़ता है। माता-पिता गौर करते हैं कि उनके पास-पड़ोस में रहने वाले अपने बच्चों का पालन-पोषण किस प्रकार करते हैं, भोजन में क्या देते हैं, विद्यालय के लंच बॉक्स में क्या रखते हैं, कैसे कपड़े पहनाते हैं, जन्म दिन कैसे मानते हैं, किस विद्यालय में भेजते हैं, घर में खेलने के लिए क्या सामग्री या उपकरण उपलब्ध कराते हैं, आदि-आदि। इन तमाम बातों के अवलोकन का प्रभाव माता-पिता द्वारा बालक के पालन-पोषण पर पड़ता है।
(ii) जहाँ पास-पड़ोस में खेलने के लिए पार्क या मैदान, पुस्तकालय, स्कूल, अस्पताल आदि होते हैं वहाँ बालकों की पालन-पोषण व विकासात्मक क्रियायें प्रोन्नत होती हैं। माता-पिता को अपने बच्चों के विकास के लिए आसानी से संसाधन उपलब्ध हो जाते हैं।
(iii) पास-पड़ोस में रहने वाले लोगों की सामाजिक-आर्थिक और शैक्षिक स्थिति अच्छी होती है तो आस-पास का वातावरण रचनात्मक होता है। पास-पड़ोस के माता-पिता सामूहिक रूप से ऐसी योजनायें बनाते हैं या कार्यक्रम आयोजित करते हैं जिनसे उनके बच्चों को लाभ मिल सके।
(iv) जैसे-जैसे बालक बड़ा होता है, वह घर की चहारदीवारी से निकलकर पास-पड़ोस के सम्पर्क में आता है । पास-पड़ोस के लोगों की रुचियों, आदतों, गुणों तथा अवगुणों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में सीख लेता है।
(v) पास-पड़ोस के प्रभाव को मलिन बस्तियों के बच्चों पर स्पष्ट देखा जा सकता है। मलिन बस्तियों के बच्चे अपने घर व पास-पड़ोस में नशाखोरों, जुआरियों और अनैतिक आचरण वाले लोगों के सम्पर्क में आकर बाल अपराधी बन जाते हैं।
(vi) यदि पास-पड़ोस में खेलने के लिए अच्छे साथी और मित्र उपलब्ध हो जाते हैं, तो बालकों में अच्छी सामाजिकता का विकास होता है।
(vii) यदि पास-पड़ोस के मकान नियमानुसार बने हैं, जल निकासी की सुव्यवस्था है, हरियाली है, कूड़े का ढेर नहीं होता, सड़कें गलियाँ ठीक हैं, तो बालक के शारीरिक विकास को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से लाभ होता है। बहुत-सी बीमारियों से बच्चे बचते हैं । सँकरी गलियों, गन्दी बस्तियों, नाले के किनारे जैसी जगहों में धूप, हवा, प्रकाश आदि की कमी होती है। मच्छर-मक्खी की समस्या होती है और बच्चे बीमार पड़ते हैं ।
(viii) बालक के भाषा विकास पर पास-पड़ोस का बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है । यदि पास-पड़ोस में रहने वाले लोग शिक्षित तथा अच्छी सामाजिक-आर्थिक स्थिति वाले होते हैं, तो उनसे प्रेरणा लेकर बालकों का शब्द भण्डार सुन्दर होता है। वे अपनी भाषा में गन्दे शब्दों का प्रयोग नहीं करते। कुछ पड़ोसी तो ऐसे होते हैं कि यदि किसी बालक की भाषा में कोई दोष आ जाता है तो निराकरण करने का प्रयास करते हैं।
(ix) बालक का पास-पड़ोस उसके नैतिक विकास को प्रभावित करता है। यदि पास-पड़ोस में रहने वाले व्यक्ति अच्छे चरित्र के नहीं हैं, वे अशिक्षित, अनैतिक आचरणों में लिप्त रहने वाले हैं तो बालक भी धीरे-धीरे उनके कार्यों व व्यवहारों झगड़ालू और का अनुकरण कर अनैतिक आचरणों की ओर प्रवृत्त होता है। इसके विपरीत सभ्य, शिक्षित और सुसंस्कृत पड़ोस से बालकों में अच्छे नैतिक गुणों का विकास होता है।
(x) यदि पास-पड़ोस के बालक आपस में मिलकर बौद्धिक क्रियाकलापों में भाग लेते हैं तो उनका बौद्धिक विकास उन्नत होता है।
(xi) कुछ आदतें बालक पड़ोसियों के बच्चों से या पड़ोसियों का अनुकरण करके सीखते हैं, जैसे- आज्ञा-पालन की आदत, सत्य बोलने की आदत, आत्म-नियंत्रण व अनुशासन की आदत, आत्मनिर्भरता की आदत, प्रसन्न रहने की आदत आदि ।
(xii) बालकों के खेल के विकास पर भी पास-पड़ोस का प्रभाव पड़ता है । पास-पड़ोस के बच्चे जिस खेल को खेलते हैं, बालक उसमें रुचि लेने लगता है। यदि पड़ोस में खेल का मैदान होता है तो बच्चे गेंद बल्ला लेकर खाली समय में वहाँ पहुँच जाते हैं।
पास-पड़ोस से प्रभावित होने वाले बालक के विकास के विविध पक्षों को निम्न चित्र में दर्शाया गया है-
Important Links
- सहभागिक अवलोकन का अर्थ और परिभाषा, विशेषतायें, लाभ अथवा गुण, कमियाँ अथवा सीमायें
- अवलोकन अथवा निरीक्षण की विधियाँ | नियन्त्रित और अनियन्त्रित अवलोकन में अंतर
- असहभागी अवलोकन- गुण, दोष | सहभागी व असहभागी निरीक्षण में अन्तर
- अवलोकन या निरीक्षण का अर्थ एवं परिभाषा, विशेषताएँ, उपयोगिता
- प्रश्नावली और अनुसूची में अंतर | prashnavali aur anusuchi mein antar
- अनुसूची का अर्थ एवं परिभाषा, उद्देश्य, प्रकार, उपयोगिता या महत्व, दोष अथवा सीमाएँ
- प्रविधि का अर्थ | सामाजिक शोध की प्रविधियाँ
- साक्षात्कार का अर्थ एवं परिभाषा, विशेषताएँ, उद्देश्य, प्रकार, प्रक्रिया, तैयारी