बालक पर समुदाय का प्रभाव (Influence of community on child)
बालक पर समुदाय का प्रभाव- एक निश्चित भू-भाग पर कम या अधिक संख्या में समान लक्ष्यों, रुचियों और आवश्यकता वाले लोगों के एक साथ रहने पर समुदाय की रचना होती है।
मैकाइवर के अनुसार – ” समुदाय सामाजिक जीवन के उस क्षेत्र को कहते हैं जिसे सामाजिक सम्बद्धता अथवा सामंजस्य की कुछ मात्रा द्वारा पहचाना जा सके।” (“Community is an area of social living marked by some degree of social coherence.”-MacIver)
आगबर्न तथा न्यूमेयर के अनुसार- “समुदाय व्यक्तियों का एक समूह है जो सन्निहित भौगोलिक क्षेत्र में रहते हों, जिसके कार्यकलापों एवं हितों के समान केन्द्र हों तथा जो जीवन के प्रमुख मामलों में इकट्ठे मिलकर कार्य करते हों।” “Community is a group of people living is a contiguous geographic area, having common centres of interests and activities, and functioning together in the chief concerns of life.”-Ogburn and Newmeyer)
बालकों के विकास पर समुदाय का अति महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। विभिन्न प्रकार के समुदायों में (ग्रामीण एवं नगरीय समुदाय) बालक का विकास भिन्न प्रकार से होता है। समुदाय के कार्य, आदर्श तथा प्रतिमान बालक के विकास पर अपना प्रभाव डालते हैं। प्रत्येक समुदाय के अपने कुछ रीति-रिवाज, परम्परायें, आदर्श, मान्यतायें और कौशल होते हैं, जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को हस्तान्तरित होते हैं।
बालक पर समुदाय का प्रभाव (Influences of community on child)
बालक के विकास में समुदाय के प्रभावों की विवेचना निम्नवत् की जा सकती है-
(1) सामाजिक प्रभाव (Social Influence)- बालक पर समुदाय का सीधा सामाजिक प्रभाव पड़ता है। समुदाय ही उसकी सभ्यता और सामाजिक प्रगति का मुख्य आधार है । बालक अनौपचारिक रूप से देखता है कि सभी व्यक्ति अपने समुदाय की उन्नति के लिए कार्य करते हैं और यदि उनमें से कुछ ऐसा नहीं करते हैं तो समुदाय की प्रगति रुक जाती है। समुदाय में समय-समय पर मेले, उत्सव, सामाजिक सम्मेलन, धार्मिक कार्य आदि होते हैं। बालक इनमें भाग लेकर सामाजिक जीवन और सामाजिक सेवा का व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त करते है। समुदाय में रहकर ही बालक अधिकारों और स्वतंत्रता को वास्तविक रूप से समझता है। यह जान जाता है कि अधिकारों के साथ कर्त्तव्य और स्वतंत्रता के साथ अनुशासन आवश्यक है। संक्षेप में, हम कह सकते हैं कि समुदाय, व्यक्ति में नागरिक गुणों का विकास करता है और सेवा, त्याग और सहयोग की भावनायें उत्पन्न करता है।
(2) राजनीतिक प्रभाव (Political Influence)- समुदाय का राजनीतिक प्रभाव बालक के राजनीतिक विचारों को निश्चित रूप देता है, उदाहरणार्थ-अमरीका के निवासी। लोकतंत्रीय विचारों और आदर्शों का समर्थन करते हैं और रूस के लोग साम्यवादी विचारों और सिद्धांतों को पसंद करते हैं। दोनों देशों के निवासी एक-दूसरे के घोर विरोधी हैं।
एक-दूसरे प्रकार के राजनीतिक प्रभाव के बारे में क्रो व क्रो (Crow and Crow) ने लिखा है- ” समुदाय की राजनीतिक विचारधारा उस सीमा तक प्रतिबिम्बित होती है, जहाँ तक उसके सदस्यों को शैक्षिक अवसर प्रदान किये जाते हैं और उसके राजनीतिक नेता नागरिकों की शैक्षिक प्रगति के लिए उत्तरदायित्व ग्रहण करते हैं।”
(3) आर्थिक प्रभाव (Economic Influence)- समुदाय का आर्थिक प्रभाव उद्योगों और व्यवसायों में दिखाई देता है। बालक अपने समुदाय के व्यक्तियों को विभिन्न व्यवसायों में लगा हुआ देखता है। फलतः उनमें से किसी में उसकी रुचि उत्पन्न होती है। और वह उसे सीखने के लिए उत्सुक हो जाता है। कभी-कभी वह अपने माता-पिता या सम्बन्धियों को उनके व्यवसाय में सहायता देता है। आज भी ग्रामीण समुदाय में यह बात देखी जाती है। वहाँ बालक कृषि, बढ़ईगीरी या समुदाय के लिए और कोई हितकर कार्य करता है। यदि वह कोई ऐसा व्यवसाय करता है, जो समुदाय नहीं चाहता है, तो उसे समुदाय से निकाल दिया जाता है । वह उसका सदस्य फिर तभी हो पाता है, जब वह इस व्यवसाय को छोड़ देता है और समुदाय द्वारा दिये गये दण्ड को स्वीकार करता है। आज भी भारतीय समाज में यह बात पाई जाती है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि समुदाय बालक का व्यवसाय के चुनने में प्रभावित करता है।
(4) सांस्कृतिक प्रभाव (Cultural Influence)- प्रत्येक समुदाय की अपनी संस्कृति होती है। यह अपने सदस्यों पर उसकी छाप लगने और उनको पूर्ण रूप से परिचित कराने का प्रयास करता है। बालक अपने से बड़े लोगों को अपनी संस्कृति का सम्मान और संरक्षण करते हुए देखता है अतः वह स्वयं भी वैसा ही करने लगता है। हम व्यक्तियों की भाषा पर समुदाय के प्रभाव को अच्छी तरह जानते हैं। बालक समुदाय में अनजाने ही बोलचाल, भाषा और शब्दावली का ज्ञान प्रात करता है। यही कारण है कि एक समुदाय के लोग, दूसरे समुदाय के व्यक्तियों से बोलचाल, भाषा और उच्चारण में भिन्न होते हैं। आप इस अंतर को ग्रामीण और शहरी समुदाय के बच्चों में सरलतापूर्वक देख सकते हैं।
जब बालक समुदाय के सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक उत्सवों को देखता है, तब वह उनका अनुसरण करने का प्रयत्न करता है। फलतः उसमें अपनी समुदाय की संस्कृति और धर्म के लिए एक विशेष प्रकार की भावना का विकास होता है। अतः जब बालक पहली बार विद्यालय में आता है, तब उसमें भाषा, धर्म नौतिकता की कुछ विशेषताएँ उसकी संस्कृति को बताती हैं।
(5) साम्प्रदायिक प्रभाव (Communal Influence)- समुदाय के राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभाव का शैक्षिक महत्व तो है ही, पर समुदाय का शैक्षिक प्रभाव भी कम महत्व नहीं रखता है । यह प्रभाव समुदाय के विद्यालयों द्वारा डाला जाता है। बहुत से समुदाय अपनी शिक्षा-संस्थाएँ स्थापित करते हैं। इन संस्थाओं के अपने स्वयं के लक्ष्य और उद्देश्य होते हैं। वे इनके अनुसार बालकों को अपने समुदायों की सेवा और कल्याण के लिए प्रशिक्षित करते हैं।
साम्प्रदायिक स्कूल (Communal Scool) बड़ा घातक प्रभाव डालते हैं। वे बालकों में संकुचित दृष्टिकोण और संकीर्ण साम्प्रदायिक भावना उत्पन्न करते हैं। इस प्रकार वे विभिन्न समुदायों में एक-दूसरे के लिए घृणा का बीज बोते हैं। अतः साम्प्रदायिक स्कूल देश के लिए अभिशाप है।
इस प्रकार हम देखते हैं कि बालक के व्यक्तित्व पर समुदाय का शैक्षिक प्रभाव बहुत ही शक्तिशाली होता है। जब यह प्रभाव ठीक प्रकार का होगा, तभी बच्चों के दृष्टिकोण ठीक होंगे अन्यथा नहीं।
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