कढ़ाई के प्रमुख टाँके (Main Embroidery Stitches in Hindi)
कढ़ाई के प्रमुख टाँके- कढ़ाई की कला की उत्कृष्टता बहुत कुछ टाँकों की उपयुक्तता पर निर्भर करती है। इसलिए उत्तम कढ़ाई के लिए टाँकों का ज्ञान गृहिणी के लिए बहुत आवश्यक है। टाँके कई प्रकार के होते हैं। कुछ टाँके वस्त्रों की सिलाई में काम आते हैं और कढ़ाई में भी प्रयुक्त होते हैं। जैसे- सादा टाँका, बखिया (सीधी व उल्टी), दोनों हेरिंग बोन स्टिच, बटन-होल स्टिच। इनके अतिरिक्त निम्न वर्णित टाँके कढ़ाई में सामान्यतः प्रयुक्त किये जाते हैं- सादा टाँका कढ़ाई में किसी विस्तृत क्षेत्र की कढ़ाई से भरने का काम आता है। इससे कढ़ा हल्की-हल्की दिखाई देती है। प्रारम्भ में बालिकाओं के एिल यह टाँका विशेषतः सरल रहता है।
बखिया फूल- पत्तियों के डिजाइन में टहनियाँ बनाने के काम आता है या फूलों आदि की बाह्य आकृति बनाने में।
हेरिंग- बोन स्टिच की कढ़ाई में भी बहुत उपयोगिता है। दो कपड़ों को जोड़ने के अतिरिक्त बॉर्डर आदि की सजावट का भी काम करता है।
बटन- होल स्टिच किनारे मजबूत करने के लिए या कट वर्क (Cut work) की कढ़ाई में काम आता है।
कढ़ाई के प्रमुख टाँके (Main Embroidery Stitches) – कढ़ाई के प्रमुख टाँके निम्नलिखित हैं-
1. स्टेम स्टिच (Stem Stitch)- इसे बाईं ओर से दाहिनी ओर बनाया जाता है। चित्र के अनुसार सीधी रेखा पर छोटे, तिरछे टाँके लें। स्टेम स्टिच से फूल-पत्तियों की इंडियाँ बनाई जाती हैं अथवा आकृति की बाह्य रेखाएँ बनाई जाती हैं। लगातार स्टेम स्टिच बनाते हुए आकृति को भरा भी जाता है।
2. रनिंग स्टिच (Running Stitch)- इसे दाहिनी ओर से बाईं ओर बनाया जाता है। सुई द्वारा समान रूप से छोटे टाँके लेते हुए रेखा पर सीधे चलिए, जैसा कि कच्ची सिलाई में करते हैं। इस स्टिच से बाह्य आकृति बनाई जाती है अथवा भरने का काम भी होता है।
3. बैक स्टिच (Back Stitch)- इसे बखिया भी कहते हैं। सुई से कुछ पीछे की ओर टाँका लेकर आगे सुई निकालिए। फिर पिछला धागा जहाँ से निकाला था वहीं डालकर जरा-सा आगे की ओर बढ़ाकर सुई निकलती जायेगी। इस स्टिच से भी बाह्य आकृति बनायी जाती है।
4. चेन स्टिच (Chain Stitch)- यह जंजीरी टाँका भी कहलाता है। इसे नीचे से ऊपर की ओर बनाया जाता है। कुछ लोग ऊपर से नीचे की ओर भी बनाते हैं। जिस स्थान से सुई निकली है, वहीं वापस सुई डालकर कुछ दूरी पर सुई की नोक बाहर निकालें। इस नोक पर धागे का लूप फँसाकर सुई सीधी बाहर खींच लें। पुनः जिस स्थान से सुई निकली थी, वहीं जरा हटकर सुई डालकर नोक पर लूप फँसाकर बाहर निकाल लें। इस प्रकार चेन बनती जाएगी। इस . स्टिच से रेखाएँ बनाने तथा भरने का काम भी होता है।
5. गाँठदार चेन स्टिच (Knotted Chain Stitch)- दायें से बायें सुई चलाएँ। सीधी रेखा के जरा ऊपर सुई लाकर बायीं ओर एक छोटा-सा आड़ा टाँका लें। ढीले धागे को बायें अँगूठे से दबाए रखिए। धागे को सुई के ऊपर से नीचे की ओर लूप बनाती हुई ले जाएँ और इसमें से सुई खींच लें। एक गाँठ बन जाएगी। इसी प्रकार आगे बढ़ें।
6. लेजी-डेजी स्टिच (Lazy Daisy Stitch)- इसे गेहूँ टाँका भी कहते हैं। इससे छोटे फूल बनाए जाते हैं। यह टाँका देखने में बहुत सुन्दर लगता है तथा जल्दी बनता है। इसे बनाने के लिए पंखुड़ी के नीचे वाले बिन्दु में से सुई बाहर निकालें। धागे का गोल छल्ला (लूप) बनाते हुए, बाएँ अँगूठे से दबाकर रखें। जिस स्थान से सुई निकली है, पुनः वहीं से डालकर पंखुड़ी के ऊपरी सिरे पर छल्ले के नीचे से सुई बाहर निकालकर ऊपर की ओर खींच लें। इस छल्ले या लूप को स्थिर करने के लिए लूप के बाहर ऊपर से सुई डालकर नीचे से खींच लें। फिर अगली पंखुड़ी बनाने के लिए यही क्रिया दोहराएँ।
7. स्ट्रेट स्टिच (Straight Stitch)- इसे सीध टाँका भी कहते हैं। कभी-कभी फूल बनाने के लिए इन छोटे टाँकों को चित्र के अनुसार बनाया जाता है। प्रत्येक टाँका स्वतन्त्र अलग- अलग होता है।
8. सैटिन स्टिच (Satin Stitch)- सीधे टाँकों को पास-पास बना देने पर वही सैटिन स्टिच कहलाती है। इससे खाली स्थान भरने का काम किया जाता है। चित्र के अनुसार नीचे से सुई डालकर ऊपर की ओर बाहर निकाली जाती है। पुनः पहले स्थान से जरा हटकर सुई नीचे डालकर ऊर की ओर बाहर निकाल ली जाती है। इसे सीधा, तिरछा या आड़ा बनाकर, खाली स्थान, फूल की पंखुड़ी, पत्तियाँ इत्यादि भरी जा सकती हैं।
9. लॉन्ग एण्ड शॉर्ट स्टिच (Long and Short Stitch)- इस टाँके द्वारा भरने का काम किया जाता है, विशेषकर उन स्थानों पर इसी टाँके द्वारा सजीवता लाई जाती है, जहाँ धूप- छाँह का प्रभाव उत्पन्न करना होता है। इसे सैटिन स्टिच के समान ही बनाया जाता है, अन्तर केवल इतना है कि टाँके छोटी-बड़ी लम्बाई के लिए जाते हैं। मिलते-जुलते हल्के या गहरे रंग के धागे से रिक्त स्थान पुनः छोटे-बड़े टाँकों द्वारा भरा जाता है। फूलों की पंखुड़ियों में भी टाँके से सुन्दर प्रभाव उत्पन्न किया जा सकता है।
10. सीड स्टिच (Seed Stitch)- इसमें दो-तीन सीड स्टिच अत्यन्त पास-पास बनायी जाती है। वे एक ही दिशा में न होकर विभिन्न दिशाओं में बनाई जाती हैं। देखने में सीड स्टिच छोटे बीजों के सदृश प्रतीत होती है। इससे फूलों के मध्य में पराग बनाया जा सकता है। अथवा रिक्त क्षेत्र भरा जाता है।
11. स्प्लिट स्टिच (Split Stitch)- इसे स्टेम स्टिच की तरह ही बनाये किन्तु धागा दो तार वाला लें। धागे की ओर सुई निकालते समय दोनों तारों (धागों) के मध्य से सुई निकालें।
12. फ्रेंच नॉट (French Knot)- इस स्टिच से अधिकतर फूलों के मध्य भाग में पराग बनाया जाता है। काशीदाकारी के सौन्दर्य में वृद्धि करने की दृष्टि से इसके अन्य विविध उपयोग भी हो सकते हैं। फ्रेंच नॉट बनाने के लिए जिस बिन्दु पर गाँठ बनानी है, वहाँ नीचे से धागा पिरोई ऊपर निकाल लीजिए। अब सुई पर धागे के एक-दो या तीन लपेट देकर, इन्हें हाथों से दबाये रखकर सुई को बिन्दु के जरा पास से वापस नीचे की ओर डालकर खीचें। इससे ऊपर की ओर गाँठ बन जाएगी।
13. क्रॉस स्टिच (Cross Stitch)- क्रॉस स्टिच से अधिकतर मैटी क्लॉथ, दो सूती अथवा कैनवास पर कढ़ाई की जाती है, क्योंकि इन वस्त्रों में ताने-बाने सरलता से गिने जा सकते हैं। नमूनों का सम्पूर्ण आधार तानों बानों से निर्मित ग्राफ के मध्य बने छोटे-छोटे क्रॉस होते हैं। चित्रानुसार क्रॉस एक साथ जुड़े होते हैं अथवा अलग-अलग भी हो सकते हैं। क्रॉस सदैव एक ही दिशा में बनाने चाहिए।
14. फेदर स्टिच (Feather Stitch)- इसे ऊपर से नीचे की आरे बनाया जाता है। रेखा के ऊपरी सिरे से सुई बाहर निकाल लें। अब धागा नीचे की ओर अँगूठे से दबाकर कुछ दाहिने सुई भीतर डालकर पुनः रेखा पर धागे के ऊपर से बाहर निकालकर खींचें। इसी प्रकार सीधी रेखा पर लगातार कढ़ाई करें।
15. फर्न स्टिच (Fern Stitch)- तीन स्ट्रेट स्टिच बनाएँ। तीनों अलग दिशाओं में बनें किन्तु उनके सिरे एक ही बिन्दु पर जुड़े हुए हों।
16. फ्लाई स्टिच (Fly Stitch)- स्टिच के बायें कोने से सुई बाहर निकालें। अब नीचे की ओर धागे का लूप बनाते हुए दाहिने कोने से सुई डालकर बीच में लूप के ऊपर से सुई निकालें। अब लूप के धागे को बाँधते हुए पुनः नीचे सुई डालकर अगली स्टिच के लिए अगले कोने से सुई बाहर निकालें।
17. ब्लैंकेट स्टिच (Blanket Stitch)- ब्लैंकेट स्टिच को नीचे से ऊपर अथवा ऊपर से नीचे की ओर बनाया जाता है। जिस रेखा पर यह स्टिच बनाना हो, सुई रेखा के ऊपर निकाल लें। बायें हाथ से नीचे की ओर धागे का लूप दबायें रखें फिर सीध में कुछ दूरी पर से सुई भीतर डालकर लूप के ऊपर से बाहर निकाल लें। पूरी रेख पर क्रमशः इसी प्रकार चलें।
18. बटनहोल स्टिच (Buttonhole Stitch)- बटनहोल स्टिच को वक्र रेखाओं या वृत्तों पर बनाया जाता है। यह ब्लैकेट स्टिच के समान ही पर बहुत पास-पास बनाई जाती है। जब इसे वृत्त में बनाया जाता है तब वृत्त पर समान दूरी पर सुई के सिरे पर धागा फँसाया जाता है।
19. शेवरॉन स्टिच (Chevron Stitch)- इसे बाईं से दाईं ओर बनाते हैं। दो समानान्तर रेखाएँ खींचिए। निचली रेखा के मध्य से सुई बाहर निकालिए। कुछ दाहिनी ओर सुई डालकर बनती हुई स्ट्रेट स्टिच के मध्य से बाहर निकाल लें। अब ऊपरी रेखा की दाहिनी ओर ऐसी ही स्टिच बनाएँ। इसी प्रकार चित्र के अनुसार क्रमशः ऊपर-नीचे स्टिच बनाएँ।
20. डबल नॉट (Double Knot)- चित्र के अनुसार सुई को ‘अ’ की जगह पर निकालें। ‘ब’ की जगह की रेखा पर सीधा टाँका लें। इसी टाँके के नीचे से सुई निकालकर ‘स’ पर ले आएँ। ध्यान रहे, सुई कपड़े के अन्दर न डालें। धागा सुई में रखते हुए सुई को पहले टाँके में से निकालकर ‘द’ पर निकालें। धागा खींच कर गाँठ बनाएँ। सब गाँठें समतल एवं पास- पास बनाएँ जिससे मोती के समान दिखाई दें। इसे ‘मोती टाँका’ भी कहते हैं।
21. काऊचिंग (Couching)- किसी आकृति की रेखाओं पर मोटा धागा या मोटी डोरी रखकर टाँकने को ही ‘काऊचिंग’ कहते हैं। चित्रानुसार डोरी रखकर टाँके। ध्यान रहे कि डोरी या धागे से मिलते-जुलते रंग का उपयोग करें। टाँके महीन तथा समानान्तर बनाएँ। कसाव एक-सा हो ।
22. हेरिंग बोन स्टिच (Herring Bone Stitch)- इसे बायीं से दायीं ओर बनाया जाता है। ‘A’ स्थान पर सुई निकालें। ‘B’ में सुई डालकर ‘C’ में से निकाल लें। पुनः नीचे ‘D’ में सुई डालकर ‘E’ में से बाहर निकालें। इसी प्रकार ऊपर-नीचे बनाती जाएँ। हेरिंग बोन से ही ‘शेडो वर्क’ का काम भी किया जाता है।
23. लेड स्टिच (Lead Stitch)- इसे भी सैटिन स्टिच की तरह भराव के काम में लाया जाता हैं पहले बायीं ओर थोड़ा-सा कपड़ा लेकर छोटा टाँका लें। फिर दाहिनी ओर थोड़ा कपड़ा लेकर टाँका लें। इसी प्रकार बायें दायें टाँका बनाएँ। जो खाली स्थान बनेगा वहाँ पुनः दूसरा धागा चलाते हुए भरिए। इसमें धागे की बचत होती है, किन्तु परिश्रम अधिक लगता है।
24. रूमानियन स्टिच (Rumanian Stitch)- चित्र के अनुसार धागे को डिजाइन के बायीं ओर ऊपर ले आएँ। धागे को दूसरी ओर ले जाकर डिजाइन की दायीं ओर एक टाँका लें। धागा सुई में पड़ा रहे (चित्र ‘अ’)। बायीं ओर एक टाँका लें। सुई के ऊपर धागा रहना चाहिए (चित्र ‘ब’)। इसी प्रकार पास-पास टाँके बनाती रहें, जब तक डिजाइन भर नहाए।
25. अप एण्ड डाऊन बटनहोल स्टिच (Up and Down Buttonhole Stitch)- ‘अ’ साधारण बटनहोल टाँका बनाएँ। ‘ब’ धागा खींचकर पास से सुई ले जाकर सीध में निकालें। सुई के नीचे धागे का लूप डालकर सुई ऊपर खींच लें। इसी प्रकार ऊपर-नीचे टाँके बनाएँ।
26. केबल (Cable)- केबल दायीं से बायीं ओर बनाया जाता है। ‘अ’-धागे को रेखा की बायीं ओर निकाल लें। अब सुई को दायीं ओर डालकर बायीं ओर आधी दूरी तक निकालकर खींच लें। ‘ब’ धागे को ऊपर करके फिर चित्रानुसार दायें से बायें लें।
27. बुलियन स्टिच (Bullion Stitch)- जितना लम्बा स्थान भरना हो, उतना लम्बा बखिया टाँका (Back Stitch) लें। जहाँ से धागा पहले निकाला था, सुई की नोक वहीं से निकालें। सुई की नोक पर धागे को आवश्यक लम्बाई तक लपेट दें। अब बाएँ अँगूठे से लपेटे हुए धागे को सम्भाले हुए सुई को बाहर खींच लें और पुनः उसी स्थान पर भीतर डालें जहाँ से सुई पहले निकली थी। बुलियन टाँकों को वृत्तों में बनाकर सुन्दर गुलाब के फूलों का आकार दिया जाता है। गुलाब बनाने के लिए मध्य में गुलाबी धागे से बुलियन स्टिच की वृत्ताकार आकृति बनाकर एक-दो छोटे टाँकों से (Fix) कर दें। पुनः लाल रंग के धागे के प्रयोग से दूसरा बुलियन स्टिच का वृत्त बनाएँ। अन्त में कत्थई रंग का वृत्त गुलाब का सुन्दर फूल बन जाएगा।
28. स्पाइडर स्टिच (Spider Stitch)- इसे मकड़ी टाँका भी कहते हैं। पहले किसी गोल आकार पर स्ट्रेट सिटच से लम्बे तार बना लें। हर बार दो तारों के नीचे से सुई ले जाकर भरें। एक पिछले तार और एक अगले नये तार के नीचे से सुई ले जाएँ। इसी तरह पूरा चक्र भर लें।
29. फ्लोरेण्टाइन स्टिच (Florentine Stitch)- यह स्टिच कैनवास अथवा दो सूती या मैटी क्लॉथ पर धागे गिनकर बनाई जाती है। इसका उपयोग टेड़े-मेढ़े कशीदे के लिए होता है। यह प्रायः रिक्त स्थान के भराव के काम आता है। फ्लोरेन्टाइन स्टिच दो या तीन पंक्तियों में अलग-अलग रंगों से काढ़ी जाती है। इसका आकार भिन्न-भिन्न मापों का हो सकता है। चित्र के अनुसार धागे गिनकर टाँके बनाएँ।
30. ब्रिक स्टिच (Brick Stitch)- इसे भी कैनवास, दो सूती अथवा मैटी कपड़ी पर बनाया जाता है। बायें से दायें तथा दायें से बायें एक-एक घर छोड़कर चित्र के अनुसार सीधी सैटिन स्टिच से पूरा क्षेत्र भर दिया जाता है। इसे बनाते समय सावधानी रखनी चाहिए अर्थात् सैटिन का प्रत्येक समानान्तर तथा समान रूप से लम्बा बनाया जाए।
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