बाटिक प्रिंटिंग- बाटिक एक प्राचीन कला की छपाई विधि है जिसका प्रयोग जापान, मध्य व दक्षिण एशिया, अफ्रीका व यूरोप के कुछ भागों में होता है। चीन में यह कला सातवीं शताब्दी से तथा भारत में इससे भी पहले से पायी जाती थी।
बाटिक मूलतः जैपनीज शब्द है जिसका आशय एक प्रकार से कपड़े पर डिजाइन बनाने के तरीके से है। प्रारम्भ में जैपनीज धनवान महिलाएं अवकाश काल को व्यतीत करने के लिए बाटिक किया करती थीं। वे अपने आस-पास की प्राकृतिक वस्तुओं को वस्त्र पर चित्रित करती थीं। धीरे-धीरे बाटिक का व्यापार बढ़ा तथा इसे यूरोप को निर्यात किया जाने लगा। आगे चलकर इस कार्य को स्त्री व पुरुषों में बांट दिया गया। पुरुष रेशम या सूत का कपड़ा तैयार करते थे तथा स्त्रियां इस पर नमूना बनाने व मोम लगाने का कार्य करती थीं।
आजकल बाटिक कला का व्यापारिक विकास हो गया है। बाटिक वस्त्रों ने भारत में ही नहीं यूरोप व अमेरिका के बाजारों में अधिक लोकप्रियता प्राप्त कर ली है। बाटिक प्रक्रिया में दो बातें महत्वपूर्ण होती हैं। पहली वस्त्र पर मोम लगाना तथा दूसरी रंगना।
(1) मोम लगाने के लिए सामग्री
(i) मोम गर्म करने के लिए एल्यूमिनियम या एनेमलयुक्त बर्तन जिसमें पकड़ने के लिए हत्था लगा हो।
(ii) स्टोव, गैस या बिजली का हीटर।
(iii) एक समतल मेज।
(iv) एक एस्बेस्टॉस कपड़े की शीट जो आग से सुरक्षा हेतु स्टोव के नीचे रखी जाती है।
(v) मोमबत्ती या सफेद पैराफीन मोम।
(vi) बैरोजा या पीला मोम।
(vii) एक लकड़ी का फ्रेम जिस पर कपड़े को पिन लगाकर मोम किया जाया।
(viii) नमूना छापने के लिए ब्रश, सांचे आदि।
(2) रंगाई हेतु सामग्री
(i) प्लास्टिक की बाल्टी, टब मग आदि।
(ii) कांच या प्लास्टिक का नापने का यंत्र।
(iii) रबर के दस्ताने।
(iv) प्लास्टिक या रबर की शीट।
(v) विभिन्न आकार की प्लास्टिक की चम्मचें।
(vi) काम किये हुए वस्त्र को ढँकने के लिए अखबार का कागज।
(vii) रंग मिलाने के लिए मग या अन्य कोई छोटा बर्तन।
जिस कपड़े पर बाटिक की जानी है उसे नमूना छापने से पहले बहते पानी के जल के नीचे इस प्रकार धोना चाहिए ताकि उसका मांड़ निकल जाये। बाटिक के लिए सूती रेशम, वॉयल, लॉन कैलिको आदि सर्वोत्तम होते हैं। जिन कपड़ों पर रंग अच्छी तरह नहीं चढ़े वे कपड़े बाटिक के लिए उपयुक्त नहीं होते। कपड़े को धोकर सुखा दें व इसके बाद उस पर हल्की लाइनों द्वारा नमूना चित्रित करके उसे भली प्रकार फ्रेम पर लगा दें ताकि उस पर मोम आसानी से लग सके।
मोम लगाना- मोम लगाने की क्रिया बड़ी सावधानी से करनी चाहिए। मोम की एक भी फालतू बूंद गिर जायेगी तो पूरा नमूना खराब लगेगा व उसे हटाया नहीं जा सकता। मोम लगाने की प्रक्रिया निम्न प्रकार की जानी चाहिए-
(i) एक भाग पीला मोम व दो भाग सफेद मोम या पैराफीन लेकर एक बर्तन में डाल दें। विभिन्न प्रकार के वस्त्रों के लिए इस अनुपात को बदलकर पीला मोम दो भाग व एक भाग पैराफीन मोम लगा दें।
(ii) मोम गर्म करें। जब वह गर्म हो जाये तो उसमें बेरोजा डाल दें। इससे मोम मिल जायेगा। सफेद मोम में बेरोजा की अधिक मात्रा डालनी पड़ती है क्योंकि ये बहुत भंगुर होती है। परन्तु पीले मोम में इसकी कम मात्रा की आवश्यकता होती है क्योंकि यह स्वयं ही मिल जाता है।
(iii) मोम पर्याप्त गर्म हो जाये तभी कपड़े पर लगायें। इसका परीक्षण पहले बेकार कपड़े पर कर लें। यदि यह कपड़े पर फैले तो समझ लें कि यह पूर्ण गर्म है। मोम न तो बहुत धीरे-धीरे और न बहुत जल्दी में लगायें। मोम की परत इतनी मोटी होनी चाहिए कि वह रंग को रोक सके। ठण्डा मोम रंग को नहीं पकड़ता इसलिए ठण्डा मोम न लगायें।
(द) जिन स्थानों पर कपड़े के मौलिक रंग को रखना है वहां पर ब्रुश से मोम लगायें।
(य) पहली बार मोम लगाने के बाद कपड़े को रंग लें। तत्पश्चात् सूखने पर मोम लगाने की उपरोक्त प्रक्रिया को दोहराएँ। कपड़े को सावधानी से रखना चाहिए।
क्रैक्स (Cracks) प्राप्त करना- क्रैक्स प्राप्त करने में मोम का विशेष महत्व है। सफेद मोम या पैराफीन द्वारा अच्छे क्रैक्स प्राप्त किये जा सकते हैं। इसमें थोड़ी-सी मात्रा में बेरोजा मिलाना चाहिए। इसके लिए अनेक विधियों का प्रयोग किया जा सकता है। कपड़े पर जहां मोम लगा हो पिन द्वारा या ब्रुश के पिछले सिरे से दरारें डाली जा सकती हैं। लम्बाई-चौड़ाई में मोड़कर एवं धीरे-धीरे मसलकर भी क्रैक्स डाले जा सकते हैं। रंग में डुबोने से पूर्व कपड़े को ठण्डे पानी में डुबो लेना चाहिए ताकि मोम कड़ी जाये व अच्छे क्रैक्स आयें।
कपड़े को रंगना – बाटिक में रंगने की क्रिया ठण्डे पानी में की जाती है क्योंकि गर्म पानी में मोम गर्म होकर छूट जायेगा। रंगते समय कपड़ा दबे नहीं अन्यथा रंग अन्दर जाकर नमूने को खराब कर देगा। रंगने के पश्चात् कपड़े को बहते ठण्डे पानी में धोकर सूखने के लिए डाल दें। दुबारा मोम करने से पूर्व कपड़े को पूरी तरह सुखा लें। इस विधि को अन्तिम रंग में रंगने तक दोहराएँ फिर गर्म पानी में उबालकर मोम छुड़ा लें।
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