स्क्रीन छपाई एवं स्टेनसिल छपाई
स्क्रीन छपाई- छपाई की इस विधि में एक विशेष प्रकार का फ्रेम प्रयुक्त होता है। यह फ्रेम आकार में सीमित होता है। जिससे वस्त्र का कुछ भाग ही छप पाता है। फ्रेम को वस्त्र के ऊपर रखकर छपाई की जाती है। वस्त्र के एक स्थान पर छपाई हो चुकने के पश्चात् उसी फ्रेम को दूसरे सथान पर रखकर छपाई की जाती है।
छपाई क्रिया को सम्पादित करने के लिए वस्त्र को किसी मेज या चौरस सतह पर कसकर बिछा दिया जाता है तथा वस्त्र पर स्क्रीन रखकर उस रंग के पेस्ट का लेप लगाते हैं। स्क्रीन पर विभिन्न आकृतियाँ बनी होती हैं। स्क्रीन के उन भागों को जहाँ रंग नहीं लगाना है पर किसी अवरोधक पदार्थ को लगा दिया जाता है। इस प्रक्रिया से अवरोधक पदार्थ लगे स्थानों को छोड़कर शेष सभी स्थानों पर रंग स्क्रीन को पार कर वस्त्र पर लग जाता है तथा नमूना अंकित हो जाता है। इस फ्रेम को उठाकर दूसरे स्थान पर रखकर पुनः रंग लगाते हैं। यह प्रक्रिया वस्त्र की लम्बाई या आवश्यकतानुसार दोहराई जाती है। यह कार्य कम से कम दो व्यक्तियों की मदद से सम्पादित होता है ताकि नमूना सीधा रहे तथा कम समय में सफाई से कार्य सम्भव हो सके। प्रत्येक रंग के लिए पृथक् स्क्रीन का उपयोग करना पड़ता है।
वस्त्र की डिजाइन में बारीकी से शेड्स डालने के लिए स्क्रीन छपाई की जाती है। इससे एक दिन में 500 मीटर से 5000 मीटर तक के लम्बे वस्त्र पर छपाई की जा सकती है। स्क्रीन छपाई की प्रक्रिया अब मशीनों द्वारा सम्पन्न की जाने लगी है जिससे अल्प समय में अधिक लम्बाई के वस्त्रों पर छपाई संभव है। मशीन में वस्त्र निरन्तर गति कर सरकता रहता है। स्क्रीन का संचालन विद्युत द्वारा होता है। महीन एवं महंगे वस्त्रों पर मशीन द्वारा स्क्रीन छपाई सरल, सुन्दर और सहज रूप में हो जाती है।
स्टेनसिल छपाई- छपाई की इस विधि का उद्भव जापान से हुआ बताया जाता है। यह स्क्रीन छपाई का ही लघु या रूपान्तरित रूप है। छपाई की इस विधि में तेल, मोम या वार्निश का लेप लगे हुए या बारीक धातु की पर्त को नमूने के रूप में काटकर स्टेनसिल तैयार किये जाते हैं। एक रंग के लिए प्रायः एक ही स्टेनसिल का प्रयोग इस प्रकार नियोजित किया जाता है कि रंग संयोजन के अनुसार एक के बाद एक प्रयोग होने वाले रंगों से पूर्ण नमूना बन जा अर्थात स्क्रीन छपाई के अनुरूप इसमें भी अलग-अलग रंग के लिए अलग-अलग स्टेनसिल तैयार की जाती है।
छपाई की इस विधि में मुख्य कठिनाई यह रहती है कि छपाई का क्षेत्र में अलग-अलग स्टेनसिल आपस में हटने नहीं चाहिए। आजकल स्टेनसिल छपाई के समय रंग हेतु हाथ का ब्रुश आदि का प्रयोग किया जाने लगा है।
द्वि-पक्षी छपाई- रोलर छपाई में कुछ परिवर्तन कर द्वि-पक्षी छपाई की जाती है। इसमें वस्त्र के छापने की प्रक्रिया दोनों ओर एक साथ सम्पन्न की जाती है व नमूने स्पष्ट, सुन्दर एवं बुनाई में ही चुने हुए प्रतीत होते हैं। इस छपाई से निर्मित वस्त्र को सीधे और उल्टे पक्ष को सहजता से नहीं पहना जाता है लेकिन सुन्दर छपाई के लिए अत्यधिक सावधानी की आवश्यकता होती है।
छपाई की इस प्रक्रिया में वस्त्र को दो विभिन्न रोलर्स के मध्य से गुजारा जाता एक रोलर के मध्य से वस्त्र गुजरता है तो वस्त्र के एक ओर नमूने की आकृति अंकित हो जाती है। फिर वस्त्र को दूसरे रोलर के मध्य से गुज़ारा जाता है तो दूसरी ओर नमूने अंकित हो जाते हैं। छपाई के दौरान रोलर्स का सामंजस अत्यधिक सावधानी से करना पड़ता है। मशीनी रोलरों के जरा से हिल जाने से नमूने बिगड़ सकते हैं। ऐसे वस्त्रों को दोनों ओर से काम में लिया जा सकता है।
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