संचार माध्यम के रूप में टेलीविजन की भूमिका का वर्णन कीजिए।
संचार माध्यम के रूप में टेलीविजन की भूमिका– आजकल प्रसारण पर आधारित जनसंचार माध्यमों में टेलीविजन अत्यन्त महत्वपूर्ण, शक्तिशाली और लोकप्रिय है। लोगों का झुकाव महंगा साधन होने के बावजूद इसकी ओर गहरा है। टेलीविजन प्रसारणों तथा वीडियो ने सिनेमाघरों के आधिपत्य को काफी धक्का पहुंचाया है। चलती-फिरती तस्वीरों, चित्रमय समाचारों और फिल्मों को घर बैठे देखने का अपना ही आनन्द है।
टेलीविजन कार्यक्रमों का नियमित प्रसारण बीबीसी द्वारा ब्रिटेन में सन् 1936 में, फ्रांस में सन् 1938 में तथा अमेरिका में सन् 1941 में प्रारम्भ हुआ। रंगीन प्रसारण सर्वप्रथम अमेरिका में सन् 1953 में शुरु हुआ। भारत में 15 सितम्बर, 1959 को दिल्ली में टेलीविजन प्रसारण की शुरुआत यूनेस्को की सहायता से हुई। दिल्ली और उसके आस-पास के इलाकों में 20 टेलीविजन सेट लगाये गये थे जिन पर एक घण्टे का कार्यक्रम प्रतिदिन प्रसारित होता था। धीरे-धीरे प्रसारण- अवधि में विस्तार होता गया। टेलीविजन कार्यक्रम के प्रसारण का दूसरा केन्द्र बम्बई में 2 अक्टूबर, 1972 को उद्घाटित हुआ। सन् 1973 में श्री नगर तथा अमृतसर में टीवी स्टेशन खुले । इसी वर्ष पूना में बम्बई के प्रसारणों का रिले होना भी शुरु हुआ । कलकत्ता, लखनऊ तथा मद्रास में टेलीविजन केन्द्रों का उद्घाटन सन् 1975 में हुआ। सन् 1975 में ही साइट (SITE-Satellite Instructional Television Experiment) के अन्तर्गत शैक्षिक तथा मनोरंजन कार्यक्रम का प्रसारण भी शुरू हुआ जिससे आन्ध्र प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, उड़ीसा तथा राजस्थान के दर्शक (विशेष रूप से ग्रामीण) लाभान्वित हुए। भारत में टेलीविजन प्रसारण का विस्तार अत्यन्त तेजी से हुआ। एक समय ऐसा आया जब प्रतिदिन एक टेलीविजन केन्द्र का उद्घाटन होने लगा। हमारे देश में रंगीन प्रसारण अगस्त 1982 से प्रारम्भ हुआ। प्रारम्भिक काल में भारतीय टेलीविजन ऑल इण्डिया रेडियो के निदेशालय के अन्तर्गत ही काम करता था। पहली अप्रैल 1976 को एक अलग महानिदेशक के साथ इसे दूरदर्शन नाम देकर आकाशवाणी से पृथक किया गया।
रेडियो तथा टेलीविजन की कार्य पद्धति लगभग मिलती-जुलती है। इसमें विभिन्न अधिकारी होते हैं जो अपने-अपने विभाग से सम्बन्धित कार्यक्रमों के निर्माण तथा प्रसारण के लिए उत्तरदायी होते हैं। टेलीविजन कार्यक्रमों का निर्माण दूरदर्शन केन्द्र के निजी स्टूडियो में तथा बाहर भी होता है। बाहरी निर्माताओं को भी दूरदर्शन के लिए कार्यक्रम बनाने के लिए अनुबन्धित किया जाता है। दूरदर्शन द्वारा अन्य देशों के कार्यक्रम भी दिखाये जाते हैं। विभिन्न क्षेत्रों में अवस्थित केन्द्र अपने क्षेत्र की भाषा में कार्यक्रमों का प्रसारण करने के साथ-साथ दिल्ली केन्द्र द्वारा प्रसारित राष्ट्रीय कार्यक्रमों को भी रिले करते हैं।
दूरदर्शन के कार्यक्रम सभी वर्ग और आय के लोगों को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किये जाते हैं। समाचार बुलेटिनों के साथ-साथ दूरदर्शन द्वारा प्रसारित होने वाले सीरियलों को देखने के लिए दर्शक प्रतीक्षारत रहते हैं। सामाजिक, धार्मिक, ऐतिहासिक तथा हास्य प्रधान विषयों पर आधारित सीरियल अत्यन्त लोकप्रिय हुए हैं। महाभारत, रामायण तथा श्रीकृष्ण जैसे सीरियलों ने दूरदर्शन की लोकप्रियता को कई गुना अधिक बढ़ा दिया। समाजोपयोगी संदेशों के प्रसारण के लिए टेलीविजन अत्यन्त शक्तिशाली माध्यम है। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए दो-दो मिनट के परिवार नियोजन सम्बन्धी नाटक, नशे से दूर रहने सम्बन्धी फिल्में, बच्चों को साक्षर बनाने के संदेश, अपने नागरिक अधिकारों के प्रति सजगता, घरेलू नुस्खे आदि प्रसारित किये जाते हैं।
यूजीसी द्वारा विश्वविद्यालयों सम्बन्धी प्रसारण तैयार किये जाते हैं तथा एन सी ई आर टी और एस सी ई आर टी विद्यालयी पाठ्यक्रमों पर आधारित कार्यक्रम तैयार करते हैं। ये कार्यक्रम भी दूरदर्शन द्वारा नियमित रूप से प्रसारित होते हैं। दूरदर्शन के मुख्य चैनल के अतिरिक्त मेट्रो चैनल, स्पोर्टस, चैनल, न्यूज चैनल तथा विदेशियों के लिए भी प्रसारण होते हैं।
दूरदर्शन के अतिरिक्त कई भारतीय तथा विदेशी निजी चैनलों द्वारा कार्यक्रमों का प्रसारण भी भारत में हो रहा है। इनमें से कुछ चैनलों के नाम इस प्रकार हैं-
बीबीसी, सी एन एन, सौ वी ओ, स्टार प्लस, स्टार स्पोर्ट्स, स्टार न्यूज, जी टीवी, जी सिनेमा, होम टीवी, ए टी एन ई एस पी एन, स्टार वर्ल्ड, स्टार मूवीज, ए एक्स एन, चैनल वी टी एन टी, सोना, जी न्यूज, डिस्कवरी चैनल, म्यूजिक एशिया, एम टीवी, कार्टून नेटवर्क, जी कार्टून, सहारा, सब टीवी, ईटीसी, महर्षि चैनल, फैशन टीवी, मैक्स, जैन टीवी इत्यादि ।
उपर्युक्त टेलीविजन कार्यक्रमों को डिश एंटीना (Dish Antenna) तथा केबल ऑपरेटरों (Cable Operators) द्वारा प्रदत्त कनेक्शन के माध्यम से देखा जा सकता है। इनमें से कुछ चैनल केवल समाचार प्रसारित करते हैं तो कुछ केवल संगीत या कुछ केवल फिल्में। टेलीविजन के अनेक चैनल चौबीस घण्टे कार्यक्रम प्रसारित करते हैं। अब तो टेलीविजन का इतना विस्तृत तन्त्र दर्शकों को उपलब्ध है कि कोई भी इनके दायरे से बाहर नहीं है।
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