गृहविज्ञान

संचार माध्यम में रेडियो की भूमिका | Role of Radio in Hindi

संचार माध्यम में रेडियो की भूमिका
संचार माध्यम में रेडियो की भूमिका

अनुक्रम (Contents)

संचार माध्यम में रेडियो की भूमिका

संचार माध्यम में रेडियो की भूमिका- संचार माध्यम के इस रूप का जन्म पुराना नहीं है। सबसे पहले 1916 में रेडियो पर पहला समाचार अमेरिका में संचारित हुआ।

उसके तीन वर्ष बाद ही रेडियो कारपोरेशन ऑफ अमेरिका स्थापित हुआ। 1922 में ब्रिटिश ब्राडकास्टिंग कम्पनी प्रारम्भ हुई। 1927 में ब्रिटिश ब्राडकास्टिंग कम्पनी B.B.C. (ब्रिटिश ब्राडकास्टिंग कारपोरेशन) के नाम से जानी जाने लगी। आज रेडियो की दुनिया में समाचार के लिये जो विश्वसनीयता B.B.C. के पास है और किसी के पास नहीं।

भारत में आज हम आकाशवाणी या ऑल इण्डिया रेडियो द्वारा जो समाचार तथा अन्य कार्यक्रमों का प्रसारण सुनते हैं इस आकाशवाणी का इतिहास 1924 से प्रारम्भ हुआ जब मद्रास प्रेसीडेन्सी रेडियो क्लब द्वारा मनोरंजन के हल्के फुल्के कार्यक्रम प्रसारित किये गये। इसके बाद 1927 से (जुलाई) सरकारी संस्था इण्डियन ब्राडकास्टिंग कम्पनी द्वारा नियमित रूप से रेडियो का प्रसारण शुरु हो गया। इसके साथ ही भारत में बम्बई और कलकत्ता में भी प्रसारण शुरू हो गया। 1930 में सरकार ने निजी कम्पनियों से प्रसारण अपने हाथ में लेकर उस ब्राडकास्टिंग कम्पनी को (ऑल इण्डिया रेडियो) आकाशवाणी नाम दिया तथा दिल्ली से इसका प्रसारण शुरु हुआ। इसी बीच 1927 में लाहौर में भी यंगमेन्स क्रिश्चियन एसोसियेशन क्लब ने रेडियो प्रसारण शुरु किया।

समाचार के अतिरिक्त रेडियो द्वारा विभिन्न प्रकार के ज्ञानवर्धक, सामाजिक समस्याओं से जुड़े हर उम्र के लोगों के लिये बाल, युवा, वृद्ध महिलाओं सम्बन्धी कार्यक्रम, कृषकों के लिये कार्यक्रम, विशेष अवसरों के कार्यक्रम जैसे- गणतन्त्र दिवस की परेड, अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के खेलों की सजीव कमेन्ट्री, मौसम सम्बन्धी जानकारियां दी जाती हैं। मनोरंजक कार्यक्रम, विभिन्न विषयों के विशेषज्ञों के इन्टरव्यू उनके द्वारा श्रोता की समस्याओं के हल सुनाये जाते हैं।

रेडियो कार्यक्रम प्रसार की अपनी तकनीक होती है। जहां तक समाचार प्रसारण है। अलग-अलग प्रान्तों के समाचार एक-एक घन्टे के अन्तराल में प्रसारित किये जाते हैं। ये समाचार सीधे पढ़कर प्रसारित किये जाते हैं। राष्ट्रीय स्तर पर समाचारों का प्रसारण आकाशवाणी दिल्ली से होता है जो कि मुख्य केन्द्र है। अन्य केन्द्र दिल्ली से प्रसारित होने वाले राष्ट्रीय समाचारों को रिले करते हैं। राष्ट्रीय समाचारों के लिये हर स्टेशन से एक निर्धारित समय ही होता है जबकि प्रादेशिक तथा स्थानीय समाचार अलग-अलग स्थानीय स्टेशनों पर तैयार किये जाते हैं तथा हर स्टेशन का समाचार प्रसारण समय अलग-अलग होता है प्रादेशिक समाचार सभी प्रदेश में से उनकी अपनी-अपनी भाषाओं में प्रसारित किये जाते हैं।

रेडियो प्रसारण छपित सामग्री की तुलना में अधिक लोकप्रिय है। इसके अपने कारण हैं। सबसे बड़ा कारण तो यही है कि रेडियो प्रसारण निरक्षरों के लिये भी उतना ही उपयोगी है। छपित सामग्री की तुलना में यह मितव्ययी साधन है। रिक्शे वाला भी अपने रिक्शे के आगे ट्रांजिस्टर टांग कर अपना काम करता है ज्ञानवर्धन करता है, मनोरंजन करता है देश के जिस भाग में विद्युत नहीं है वहां भी रेडियो ट्रांजिस्टर बजते हैं क्योंकि ये बैट्री से भी चलते हैं तथा इन्हें हम आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जा सकते हैं।

समाचार के अतिरिक्त रेडियो द्वारा विविध कार्यक्रम प्रसारित होते हैं इसलिये एक समय रेडियो पर कहा जाता था कि यह विविधि भारती का पंचरंगी कार्यक्रम है वास्तव में ये कार्यक्रम पंचरंगी नहीं इन्द्रधनुष के सात रंगों जैसे हैं। लोक गीत, शास्त्रीय संगीत, फिल्मी गीत, महिलाओं हेतु बच्चों की देखभाल, विशेष व्यंजन बनाना, महिला समस्याओं हेतु डॉक्टर की सलाह, बच्चों के ज्ञान वर्धन कार्यक्रम, किसानों के लिये खेती, पशुपालन अन्य धन्धों से जुड़े कार्यक्रम, सीमा पर तैनात फौजी भाइयों के लिये विशेष फिल्मी गीतों का फरमाइशी कार्यक्रम तथा समय-समय पर श्रोताओं के सुझावों के अनुसार कार्यक्रम इनके अतिरिक्त विज्ञापनों द्वारा विभिन्न उत्पादित वस्तुओं के लिये बाजार तैयार करता है।

इस प्रकार के समस्त कार्यक्रम प्रायः रेडियो स्टेशन पर ही तैयार होते हैं एक रेडियों स्टेशन पर तैयार कार्यक्रम अन्य रेडियो स्टेशनों पर भी प्रसारित होता है। रिकार्डिंग प्रक्रिया हेतु रेडियो स्टेशन के अपने स्टूडियो होते हैं जहां इन कार्यक्रमों की रिकार्डिंग होती है। रिकार्डिंग के पहले रिहर्सल होता है। इस पूरी प्रक्रिया के लिये रेडियो स्टेशन के मुख्य दो विभाग होते हैं पहले विभाग में प्रशासन हेतु अधिकारी तथा उनके सहायक होते हैं जो कार्यक्रमों की योजना बनाते है। दूसरा विभाग तकनीकी विभाग है जिसके लिए इन्जीनियर, साउंड रिकार्डिंग, मशीन आपरेटर आदि होते हैं।

Important Links

Disclaimer

Disclaimer: Sarkariguider does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: guidersarkari@gmail.com

About the author

Sarkari Guider Team

Leave a Comment