प्रदर्शन किसे कहते हैं?
प्रदर्शन किसे कहते हैं ? – यह शिक्षा के प्रसार हेतु एक प्रभावी तथा सरल विधि है क्योंकि यहां केवल भाषण नहीं होता जो कहा जाता है वह ग्रामीणों को प्रदर्शन विधि द्वारा करके दिखाया जाता है। उसे देखकर उसके प्रति ग्रामीणों का आकर्षण बढ़ता है तथा वे उसे करने हेतु प्रेरित होते हैं। इन प्रकार के प्रदर्शनों में कार्यकर्ता ग्रामीणों का सहयोग लेते हैं। जब ग्रामवासी इसे स्वयं करते हैं तो उन्हें उनमें विश्वास उत्पन्न होता है इस प्रदर्शन विधि को प्रभावी बनाने के लिये नमूना ( Specimen) प्रतिमान (Model) तथा प्रदर्शन (Exhibits) का प्रयोग किया जाता है।
उदाहरण- जानवरों की देखभाल तथा उन पर आहार के प्रभाव को दिखाने के लिये नमूने के रूप में ऐसे जानवर दिखायें जिन्हें उचित भरपूर पोषण दिया जाता है, उन्हें साफ जगह रखा जाता है तथा उनसे प्राप्त दूध की मात्रा कितनी है तथा उन जानवरों को जिन्हें उचित पोषण नहीं मिलता जो गन्दे स्थान पर रखे जाते हैं उनके दूध की मात्रा तथा दोनों की प्रत्यक्ष तुलना कर तर्क सहित बात ग्रामीणों के सामने रखी जाती है।
इसी प्रकार खेती के क्षेत्र में उन्नत बीज खाद के प्रयोग के प्रभाव का नमूना दिखाया जाना चाहिये प्रतिमान (Model)द्वारा कृषियन्त्र, आदर्श साफ घर, स्वस्थ बच्चे, सुलभ शौचालय के प्रतिमान बनाकर दिखाये जा सकते हैं। यह प्रतिमान कार्ड बोर्ड, प्लाईबोर्ड पर थर्माकोल पर मिट्टी तार, धागे कागज आदि की मदद से बनाये जा सकते हैं। इन्हें प्रभावपूर्ण ढंग से प्रदर्शित करने के लिये लिखित सन्देश तथा लिखित टिप्पणी भी साथ में होनी चाहिये।
ये नमूने, प्रतिमान, प्रतिदर्श आदि प्रदर्शन विधि में उत्प्रेरक के रूप में काम करते हैं। वास्तविक प्रदर्शन तो वास्तविक सही स्थानों पर ग्रामीणों को ले जाकर वास्तविक उपकरण को (जिनके प्रतिमान पूर्व में दिखाये थे) दिखाकर उनकी कार्यविधि समझाकर किया जाता है। वही वास्तव में सही प्रशिक्षण होता है।
प्रदर्शन के प्रकार
प्रदर्शन दो प्रकार का होता है-
(A) विधि प्रदर्शन (B) परिणाम प्रदर्शन
(A) विधि प्रदर्शन
कार्यकर्ता को जो सिखाना होता है उसे वह विधिपूर्वक करके दिखाता है। इस विधि का प्रयोग समूह हेतु होता है। प्रसार कार्यकर्ता समूह समक्ष उस कार्य को करके दिखाता है। वह उस प्रदर्शन को समूह के स्थानीय सदस्यों की मदद से करता तथा करवाता है। इस विधि के द्वारा कृषि सम्बन्धी जानकारियां जैसे क्यारियां तैयार करना, बीज बोना, खाद तथा दवाइयों का छिड़काव, यन्त्रों का प्रयोग, उनका रखरखाव, घरेलू उद्योग तथा कुटीर धन्धे, मिट्टी के खिलौने, कपड़े के खिलौने बनाना, फर्नीचर पॉलिश, गृह प्रबन्ध में घर की देखभाल, आर्थिक प्रबन्ध, बच्चों की सफाई, उनके स्वास्थ्य का ध्यान रखना, सन्तुलित आहार, भोजन बनाने की सही विधियां, प्राथमिक चिकित्सा, पापड़ बड़ी अचार बनाना, साफ सफाई, कढ़ाई बुनाई की शिक्षा बड़ी सरलता से विधि प्रदर्शन विधि द्वारा दी जा सकती है।
विधि प्रदर्शन विधि में सावधानियां – यह विधि सरल सरस है किन्तु सफलता हेतु कुछ सावधानियां रखना जरुरी है-
(1) इस विधि के प्रयोग में ध्यान रहे कि कक्षा समय से प्रारम्भ हो।
(2) सर्वप्रथम समूह को विषय की उपयोगिता बताई जाये।
(3) समूह के साथ बातचीत स्थानीय भाषा में की जाये ताकि वे उसे आसानी से समझ सकें।
(4) कार्य के विधि प्रदर्शन के समय बीच-बीच में समूह के सदस्यों से मदद ली जाये ताकि वे कार्यक्रम से अपना जुड़ाव महसूस करें।
(5) विधि का हर चरण क्रमबद्ध हो तथा इतना समय मिले कि समूह उसे समझ सके।
(6) कार्य करते समय जिन विशेष बातों का ध्यान रखना आवश्यक है उसकी जानकारी देते जायें।
(7) यदि कुछ यन्त्रों का प्रयोग करना है तो ध्यान रहे उन यन्त्रों का प्रयोग करें जो स्थानीय लोगों के पास उपलब्ध हों अन्यथा वे उसमें रुचि नहीं लेंगे।
(8) प्रदर्शन करने के साथ-साथ समूह की शंकाओं का समाधान करते जायें उन्हें टालें नहीं अपने उत्तर से पूर्ण सन्तुष्ट करें।
(9) प्रसार कार्यकर्ता स्वयं उस कार्य में निपुण तथा प्रशिक्षित होना चाहिये।
विधि प्रदर्शन की उपयोगिता – (1) इस विधि के प्रयोग से स्थानीय निवासी कार्यक्रम से जुड़ते हैं।
(2) स्थानीय निवासियों के समूह का भी उसमें सहयोग होता है अतः उनका आत्मविश्वास बढ़ता है।
(3) समूह का प्रसार कार्यकर्ता पर विश्वास बढ़ता है।
(4) समूह भी उस कार्य को प्रसार कार्यकर्ता के निर्देशन में स्वयं करते हैं अतः उसे भूलते नहीं हैं उत्साह से भाग लेते हैं।
(B) परिणाम प्रदर्शन
इस विधि का प्रयोग वहां किया जाता है जहां स्थानीय निवासियों में आधुनिक उत्तम तकनीक में विश्वास उत्पन्न करना होता है। ऐसी स्थिति में पुरानी विधि के प्रयोग के परिणाम तथा नवीन विधियों के प्रयोग परिणामों की तुलना हेतु परिणाम प्रदर्शन विधि का प्रयोग किया जाता है ताकि ग्रामीण लोग या स्थानीय निवासी दोनों विधियों की तकनीक के अन्तर को स्पष्ट रूप से जान सकें जिससे उन्हें नवीनता को अपनाने में हिचक नहीं होती है, आधुनिक विचारधारा तकनीक के प्रति विश्वास उत्पन्न होता है। वे उसे सरलता से ग्रहण करते हैं। इस विधि का प्रयोग कृषिक्षेत्र, पशुपालन, ग्रामीण कुटीर उद्योग धन्धों, गृह प्रबन्ध, बच्चों की देखभाल, टीकाकरण, परिवार नियोजन क्षेत्र में किया जा सकता है।
परिणाम प्रदर्शन विधि में सावधानियां- (1) विधि का प्रयोग करने से पूर्व उस क्षेत्र के निवासियों की सामान्य समस्याओं तथा वहां के लोगों की रुचियों की जानकारी प्राप्त कर लें। इस काम में स्थानीय नेता की सहायता ली जा सकती है।
(2) नई तकनीक पद्धतियों की प्रथम स्वयं पूर्ण जानकारी प्राप्त कर लें तथा उसका प्रयोग कर देख लें तब परिणाम की चर्चा करें।
(3) प्रदर्शन में प्रयुक्त होने वाली समस्त सामग्री पूर्व में एकत्र कर लें ताकि समय नष्ट न हों।
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