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अधिगम के आकलन की योजना | Lanning Assessment of Learning in Hindi

अधिगम के आकलन की योजना
अधिगम के आकलन की योजना

अनुक्रम (Contents)

अधिगम के आकलन की योजना (Lanning Assessment of Learning)

अधिगम के आंकलन का उद्देश्य, मापन, प्रमाणित करना और विद्यार्थियों के अधिगम के स्तर की आख्या (Report) देना है, ताकि विद्यार्थियों के सम्बन्ध में उपयुक्त निर्णय लिए जा सकें। इस सूचना के अनेक सम्भावित प्रयोगकर्ता हैं-

1. अध्यापक (जो इस सूचना का प्रयोग अभिभावकों के साथ उनके बच्चों की निपुणता और प्रगति के सम्बन्ध में संचार करते हैं।)

2. अभिभावक और विद्यार्थी (जो इस परिणाम का प्रयोग शैक्षिक और व्यावसायिक निर्णयों को लेने के लिए करते हैं।)

3. सम्भावित नियोक्ता (Employer) और आगे की शैक्षिक संस्थाएँ (जो इस सूचना का उपयोग नियुक्ति या अपने यहाँ दाखिले के लिए कर सकते हैं।)

4. प्रधानाध्यापक (Principals) या जिले और क्षेत्र स्तर के प्रशासक और अध्यापक (जो इस सूचना का प्रयोग समीक्षा या कार्यक्रम के पुनर्निरीक्षण (Revise) के लिए कर सकते हैं।)

मैं क्या आंकलन कर रहा हूँ? (What am I assessing?) अधिगम आंकलन के लिए विद्यार्थियों के सम्बन्ध में उनकी पाठ्यक्रम के महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में उपलब्धि सम्बन्धी सूचनाओं का संकलन और व्याख्या की आवश्यकता होती है जो इस प्रकार की हो कि वह अभिप्रायिक अधिगम की जटिलता और प्रकृति का प्रतिनिधित्व करे। क्योंकि समझ के वास्तविक अधिगम तथ्यों की प्रत्यभिज्ञा और से कहीं अधिक होती है। अधिगम के आंकलन के कार्य की आवश्यकता विद्यार्थियों को उनकी समझ की जटिलता को दर्शाने योग्य बनाना है। विद्यार्थियों को मुख्य प्रत्ययों, ज्ञान, कौशल और मनोवृत्तियों का आरोपण इस प्रकार करने योग्य होना चाहिए कि वह ज्ञान के क्षेत्र के वर्तमान चिन्तन के साथ विश्वसनीय और स्थिर हो ।

मुझे कौन-सी आंकलन विधि प्रयोग करनी चाहिए ? (What Assessment Method Should I Use?) — अधिगम के आंकलन के लिए चयनित विधियाँ ऐसी होनी चाहिए जो पाठ्यक्रम के वांछित परिणामों और अधिगम सात्यक के अनुरूप हों जिसकी आवश्यकता परिणाम तक पहुँचने के लिए आवश्यक होती है। विधि ऐसी होनी चाहिए जिसके द्वारा विद्यार्थी अपनी समझ और अधिगम गुणवत्ता तथा प्रकृति के सम्बन्ध में प्रामाणिक और रक्षायुक्त कथन का समर्थन करने योग्य पर्याप्त सूचना प्रस्तुत कर सके ताकि अन्य लोग परिणामों को उपयुक्त रूप में प्रयोग कर सकें।

अधिगम के आंकलन की विधियों में केवल परीक्षण और परीक्षाएँ ही सम्मिलित नहीं होतीं, वरन् इसमें विभिन्न प्रकार के उत्पादक और प्रदर्शन भी सम्मिलित होते हैं, जैसे पोर्टफोलियो, प्रदर्शनियाँ, निष्पादन, प्रस्तुतीकरण, मल्टीमीडिया प्रोजेक्ट्स और अन्य विभिन्न प्रकार के लिखित, मौखिक दृश्य विधियाँ।

इस आंकलन प्रक्रिया की गुणवत्ता के सम्बन्ध में कोई कैसे आश्वस्त होगा? (How can one ensure quality in this assessment process ? ) – अधिगम का मूल्यांकन बहुत सावधानीपूर्वक निर्मित करना चाहिए ताकि सूचना जिस पर निर्णय आधारित होते हैं, वह उच्चतम गुणवत्ता के लिए जा सकें। अधिगम के आंकलन का अभिकल्प योगात्मक होता है, और परिभाषित परिणामों तथा प्रायः अन्य विद्यार्थियों के आंकलन के परिणामों के सम्बन्ध में विद्यार्थी की योग्यता का रक्षात्मक और सही वर्णन प्रस्तुत कर सके। विद्यार्थी की योग्यता का प्रमाणीकरण, आंकलन और मूल्यांकन के कठोर, विश्वसनीय तथा निष्पक्ष प्रक्रिया पर आधारित होना चाहिए ।

विश्वसनीयता (Reliability) — अधिगम के आंकलन में विश्वसनीयता इस तथ्य पर निर्भर करती है कि आंकलन कितना स्थिर, सही, निष्पक्ष और तोड़मरोड़ रहित है। अध्यापक को स्वयं से निम्नांकित प्रश्न पूछने चाहिए-

1. क्या मेरे पास इस विद्यार्थी विशेष के अधिगम के सम्बन्ध में पर्याप्त सूचना उपलब्ध है कि मैं उसके सम्बन्ध में निश्चित कथन कर सकूँ?

2. क्या सूचना इस प्रकार एकत्र की गई थी कि सभी विद्यार्थियों को अपना अधि दर्शाने के समान अवसर दिए गए थे?

3. क्या दूसरा अध्यापक भी इसी निष्कर्ष पर पहुँचता?

4. क्या मैं यही निर्णय लेता यदि किसी और समय इस सूचना पर ध्यान देता या किसी अन्य प्रकार से देखता?

सन्दर्भ बिन्दु (Reference Points) – आदर्श रूप में अधिगम के आंकलन के सन्दर्भ बिन्दु पाठ्यक्रम में निर्देशित अधिगम के परिणाम हैं, जो अध्ययन की पाठ्यसामग्री निर्मित करते हैं। आंकलन कार्य में इन अधिगम के परिणामों के माप सम्मिलित होते हैं और छात्रों के निष्पादन की व्याख्या और आख्या इन अधिगम परिणामों के सम्बन्ध में की जाती है।

कुछ परिस्थितियों में सीमित स्थानों के चयन का निर्णय (उदाहरणार्थ, विश्वविद्यालय में प्रवेश के लिए, छात्रवृत्ति, नियुक्ति के अवसर), अधिगम के परिणामों का प्रयोग विद्यार्थियों को श्रेणी प्रदान करने के लिए होता है। इस प्रकार के मानक सन्दर्भित परिस्थितियों में जो कुछ मापा गया है वह स्पष्ट होना चाहिए, और जिस प्रकार मापा गया है वह हर किसी के लिए ये आंकलन के परिणामों का प्रयोग कर सकता है, पारदर्शी होना चाहिए।

वैधता (Validity) –अधिगम का आंकलन अधिकांशतः इकाई के या अधिगम चक्र के अन्त में होता है, अतः प्रतिपुष्टि का विद्यार्थियों के अधिगम पर अधिगम के लिए आंकलन और अधिगम की तरह आंकलन से कम प्रभाव पड़ता है। पर विद्यार्थी सफलता के स्तर के सूचांक के लिए अपने नम्बरों और अध्यापकों की टिप्पणी पर भरोसा करते हैं, और अपने भावी अधिगम अवसरों के लिए निर्णय लेते हैं।

व्यावर्तक अधिगम (Differentiating Learning ) — अधिगम के आंकलन में स्वयं आंकलन में विभेदीकरण उत्पन्न होता है। दूर की कमजोर दृष्टि वाले व्यक्ति से बिना चश्मे के दक्षतापूर्वक गाड़ी ड्राइविंग दर्शाना व्यर्थ होगा। जब वह चश्मा लगा लेगा तब परीक्षक को उसकी ड्राइविंग योग्यता का सही चित्र प्राप्त होगा और उसे वह दक्ष ड्राइवर का प्रमाण पत्र दे सकेगा। बिल्कुल इसी प्रकार अधिगम के आंकलन में विभेदात्मकता के लिए आवश्यक समंजन अपने स्थान पर होना चाहिए जिससे विद्यार्थियों का अधिगम विशेष दृष्टिगत होगा। आंकलन के बहुविध प्रारूप विद्यार्थी के अधिगम को अध्यापक के लिए पारदर्शी बनाने लिए बहुविध मार्ग प्रदान करते हैं। एक विशिष्ट पाठ्यक्रम के परिणाम की आवश्यकता, जैसे सामाजिक अध्ययन के द्वन्द्व के प्रत्यय की समझ, उदाहरणार्थ, दृश्य, मौखिक, नाटकीय या लिखित प्रतिनिधित्व के माध्यम से प्रदर्शित किया जा सकता है। जब तक लिखाई परिणाम का एक अंतवाक्य घटक नहीं है, विद्यार्थी जिसे लिखित भाषा में कठिनाई है, उसे अन्य विद्यार्थियों के समान ही अपने अधिगम को दर्शाने का अवसर प्राप्त नहीं होगा।

यद्यपि अधिगम का आंकलन सदैव अध्यापकों को निर्देश या संसाधन के विभेदीकरण की ओर अग्रसर करता है, इसका विद्यार्थियों की नियुक्ति तथा पदोन्नति पर गहरा प्रभाव पड़ता है अत: आंकलन के परिणाम सही और इतने विस्तृत होने चाहिए जिससे बुद्धि पूर्ण संस्तुति की मंजूरी दी जा सके।

प्रतिवेदन (Reporting) — विद्यार्थियों की दक्षता के प्रतिवेदन के अनेक सम्भव उपगम हैं। अधिगम के आंकलन का प्रतिवेदन जिस जनता के लिए है उसके लिए उपयुक्त होना चाहिए, और उन्हें सभी आवश्यक सूचना प्रदान करनी चाहिए जिससे वे तर्कयुक्त निर्णय ले सकें। प्रतिवेदन किसी भी प्रारूप में हो, वह सत्य, न्यायसंगत, और उसमें पर्याप्त विस्तृत तथा सन्दर्भात्मक सूचना प्रदान की जानी चाहिए, ताकि उसे स्पष्ट रूप से समझा जा सके। परम्परागत प्रतिवेदन जो विद्यार्थियों के औसत अंकों पर विश्वास करता है, वह विद्यार्थी के कौशल विकास या ज्ञान के सम्बन्ध में बहुत कम सूचना प्रदान करता है। एक वैकल्पिक तन्त्र जो सफलता के अनेक प्रारूपों को पहचानता है और विद्यार्थी के निष्पादन के स्तर की प्रोफाइल प्रदान करता है वह अभिभावक – विद्यार्थी-अध्यापक सम्मेलन है। यह प्रारूप अभिभावकों को काफ़ी सूचना प्रदान करता है और विद्यार्थियों को उनके अधिगम को पुनर्बलित करता है।

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